नंगी आरज़ू-6

“चलो कुछ और सिखाओ अब लास्ट राउंड से पहले!”
“एक सबसे अहम पॉइंट समझो … सेक्स को एन्जॉय करने के लिये ज़रूरी है कि उसे खुल के किया जाये। इन ख़ास लम्हों में कोई शर्म नहीं, कोई झिझक नहीं … लेकिन होता यह है कि पुरुष सत्तात्मक समाज के चलते मर्दों की सोच यह होती है कि वह सेक्स के नाज़ुक पलों में भी बीवी की बेशर्मी पचा नहीं पाते और अगर बीवी खुल कर चुदने की कोशिश करे तो उसके कैरेक्टर पे ही शक करने लग जाते हैं। इसलिये भले अपने पति के साथ शरमाई सकुचाई ही रहना और वह जैसे उम्मीद करे वैसा ही करना लेकिन शादी के बाहर कहीं भी चुदो तो यह मन्त्र याद रखना कि उन पलों में खुद को कोई पोर्न ऐक्ट्रेस या रंडी ही मान लेना और यह न सोचना कि वही जैसे चाहे तुम्हें चोदे, बल्कि तुम भी जैसे चाहो चुदवाओ और सेक्स के दौरान जैसे भी गंदे से गंदे शब्द मन में उभरते हों, बिना झिझक बोलो … गालियाँ देने का मन करे तो वह भी खुल के दो। समझ लो कि एकदम थर्ड क्लास झुग्गी वाली कोई वेश्या हो … उसे भी गालियाँ देने, गन्दी से गन्दी बातें बोलने के लिये उकसाओ। सारी शराफत चुदाई के बाद के लिये बचा कर रखो … लेकिन चुदाई के टाईम भूल जाओ कि तुम क्या हो और जो भी जी में आये बोलो, जो जी में आये वह करो।”

“जो आज्ञा गुरुदेव। बस ऐसे ही सिखाते रहिये … एक सीधी शरीफ आरज़ू से चुदाई के पलों में एक रंडी आरज़ू जल्दी ही बन जाऊँगी।”
“मन में यह सब आता तो होगा ही?”
“ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई पोर्न साहित्य पढ़ता हो और उसके मन में यह सब आता न हो लेकिन यह हिम्मत तो खैर नहीं पड़ती कि उसे खुद पर अप्लाई किया जाये, लेकिन जब तुम जैसे गुरु मिल जायें तो हिम्मत भी आ ही जाती है।”
“हो सके तो इस लास्ट एक्ट में बोलने की कोशिश करो।”
“इतनी जल्दी … अब तक जिसे हमेशा बड़ी इज्ज़त से भाईजान बोलती आई हूँ, एकदम से गालियाँ देने लग जाना तो बड़ी मुश्किल चीज़ है। कोई अजनबी होता तो भले ख़ास मुश्किल न होती।”
“अब भाईजान वाले रिश्ते को भूल जाओ और बस इतना समझो कि तुम्हारा चोदू यार हूँ।”
“हम्म।”

वह सोच में पड़ गयी … शायद मन ही मन यह परखने की कोशिश कर रही थी कि क्या वह मेरे साथ किसी रंडी जैसे बिहैव कर सकती थी।
“थोड़ा बहुत ट्राई मारती हूँ … पूरी तरह तो अभी एकदम से नहीं कर सकती।” थोड़ी देर की कशमकश के बाद वह किसी फैसले पर पहुँचती हुई बोली।
“जितना हो सके उतना ही करो।”
“चलो थोड़ी देर गांड मराई की फ़िल्में दिखाओ ताकि रांड की तरह मरवाने चुदवाने की कुछ टिप्स ले सकूँ और तब तक थोड़ी सी एनर्जी भी वापस आ सके।”

उसकी मर्ज़ी के मुताबिक मैंने फोन पर एक पोर्न साईट खोली और एनल सेक्स की छोटी-छोटी फ़िल्में उसे दिखाने लगा। वह मेरे पहलू में सटी आधी मेरे सीने बाँहों पे चढ़ी फोन में वह सब देखती अपने एक हाथ से अपनी योनि को सहलाने लगी।
पन्द्रह बीस मिनट में ही न सिर्फ वह गर्म हो गयी बल्कि मेरे लिंग में भी तनाव आने लगा और मैं महसूस करने लगा कि मैं अब तीसरी बार स्खलन के लिये तैयार था।

“तो अब अपनी गांड मरवाने के लिये मुझे तेरे लौड़े को भी चाटना पड़ेगा।” उसने मेरे निर्देश पर अमल की पहली झलक दिखाते हुए कहा।
“हाँ, उसके बिना तेरी गांड की चुन्नटें कैसे खुलेंगी मादरचोद … फिर कहेगी, ढीला लंड तेरी गांड चोद नहीं पा रहा ठीक से।” मैंने भी उसके सुर में ताल मिलाते हुए कहा।
“तो ला डाल दे मेरे मुंह में और मुंह चोद दे पहले मेरा … चूस चूस के कड़क कर दूंगी तेरा लंड।”

वह उठ कर बैठ गयी और मैं बिस्तर पर ही खड़ा हो गया। उसके मुंह के हिसाब से पैर थोड़ा मोड़ते हुए खुद को हल्का नीचे किया और अपना अर्धउत्तेजित लिंग उसके होंठ से सटा दिया।
“पहली बार है कि मेरी चूत के रस से सौंदे हुए लंड को चाट रही हूँ … पर नमकीन पानी भी मजा दे रहा है राजा।” वह लिंग को ऊपर से नीचे चाटती हुई बोली।
“चाट ले रांड … तेरा ही माल है।”

पहले वह ऊपर-ऊपर से चाटती रही और जब पूरा लिंग अच्छी तरह चाट चुकी तो मुंह खोल कर उसे अंदर ले लिया और उसे जीभ और तालू से भींचती, उस पर अपनी जीभ लपेटती उसे जोर-जोर से चूसने लगी। मेरी आंखें मजे से बंद हो गयी थीं।

कुछ देर की चुसाई चटाई से मेरा लिंग अच्छे से कड़क हो गया और उसने मुंह से निकाल दिया- ले राजा … तैयार हो गया तेरा लौड़ा मेरी गांड चोदने के लिये।
“चल फिर झुक जा … या जैसे चुदनी हो बता रंडी। वैसे ही तेरी गांड चोद-चोद के हुक्का कर दूँ।”
“तेरी मर्जी रज्जा … जैसे चाहे वैसे चोद लेकिन पहले मेरी चूत इतनी गर्म कर दे कि मैं आधे से ज्यादा रास्ता तो ऐसे ही तय कर लूं … फिर बाकी रास्ता मैं गांड चुदाई में तय कर लूं।”
“गांड चुदाई मेरी मर्जी की पर चूत चटाई तेरी मर्जी की … जैसे तू चाहे मेरी जान।”
“फिर हो जा अधलेटा।”

उसने मुझे नीचे खींच कर बिस्तर पर धकेलते हुए कहा और मैं चित लेट गया और उसका आशय समझ कर तकिये को दोहरा कर के सर के नीचे रख कर सर ऊंचा कर लिया जबकि वह मेरे मुंह पर योनि देती लगभग बैठ गयी।

एक साईड का पैर मोड़ कर घुटना बिस्तर से सटा लिया तो दूसरे साईड का पैर एड़ी टिका कर मोड़ लिया था जिससे उसकी योनि उसकी जांघ भर की ऊंचाई में उठी मेरे ठीक मुंह पर थी। उल्टे हाथ से उसने मेरे सर के बाल दबोच लिये थे और सीधे हाथ को अपनी योनि पर ला कर दो उंगलियों से उसे फैला दिया था।

“ले चाट बहनचोद … अपनी बहन की चुदी हुई चूत को चाट … आह … हां ऐसे ही चाट बहनचोद और मेरी चूत का सारा रस पी जा … ऐसे ही चाटते रह मेरे राजा!” वह सीत्कार करती जो भी मन में आया बोलती रही और मैं उसकी योनि अच्छे से चाटता रहा।
इस बार झड़ने के बाद चूँकि पौंछाई नहीं हुई थी तो मेरा वीर्य या उसका पानी वहीं चादर पर ही गिरा था और जो बचा था वह मेरे मुंह में आ रहा था लेकिन मैं उसे हलक में नहीं जाने दे रहा था बल्कि चाटते-चाटते बिस्तर पर ही उगल रहा था जिससे चादर की छियाछापट हो रही थी।

“आह-आह … बस कर राजा … वर्ना चूत चटाई में ही झड़ जाऊँगी। थोड़ी गांड चाट के छेद तैयार कर ले।” थोड़ी देर बाद वह कसमसाते हुए बोली और उसी अंदाज में घूम गयी कि उसकी गुदा का छेद मेरे मुंह पर आ गया और मैं लार से उसे भी गीला और चिकना करने लगा।
“अब डाल दे लंड बहनचोद … ऐसे ही झड़वायेगा क्या?” थोड़ी ही देर में वह सिहर कर अलग हो गयी।

फिर मैं तख्त से पैर नीचे लटका कर बैठ गया- बैठ जा ऐसे ही मेरी तरफ मुंह किये और खुद उछल-उछल कर अपनी गांड से मेरे लंड को चोद … बाद में मैं चोदूंगा।
“अच्छा तो यह ले।”
उसने मुंह में लार बना कर मेरे लिंग को उसमें नहला दिया और अपने दोनों पैर मेरे इधर-उधर टिकाती मेरी गोद में बैठ गयी। सही छेद पर उसने लिंग को हाथ से पकड़ कर टिकाया था वर्ना चिकनाहट तो इतनी थी कि बजाय पीछे के आगे ही सट से घुस जाता।

बहरहाल, अच्छा खासा ढीला और गीला हो चुकने के बाद भी मेरे लिंग को वही पहले जैसा कसाव महसूस हुआ और उसे दर्द की अनुभूति हुई। मेरे कंधे पकड़ कर उसने खुद को इतना वक्त दिया कि उसका छेद मेरे लिंग को ग्रहण कर ले।

इस कोशिश में मैंने उसके उभरे निकले निप्पलों को बारी-बारी चूसना शुरू कर दिया था जबकि वह एक हाथ से मेरा कंधा पकड़े दूसरे हाथ को नीचे ले जा कर अपने क्लिटोरिस हुड को सहलाने रगड़ने लगी थी।

जल्दी ही उत्तेजना दर्द पर हावी हो गयी और वह संभल गयी। उसकी आँखों में फिर वही मस्ती और नशा दिखाई देने लगा। उसने दूसरे हाथ से भी मेरा दूसरा कंधा पकड़ लिया और फिर अपने पैरों पर जोर देती ऊपर नीचे होने लगी। मैंने अपनी जीभ बाहर ही निकाल रखी थी जिस पर ऊपर-नीचे होते उसके चुचुक रगड़ खा रहे थे।

“पहली बार गांड मरवाने पर मुझे लगा ही नहीं था कि कभी इतना मजा भी आयेगा।”
“मजा नहीं आता तो ऐसे ही लोग मरवाते हैं … कभी किसी गांडू के मन में झांको तो पता चले।”
“सच कह रहे हो। जिस्म के हर हिस्से में मजा है … बस हम समझ नहीं पाते।”

फिर उसी तरह ऊपर-नीचे करती वह मेरे निर्देश के मुताबिक गंदी-गंदी बातें करती उत्तेजित होती रही और मैं भी बराबर का सहयोग देता रहा।

लेकिन थोड़ी देर बाद वह थक गयी तो मैंने उसकी टांगों के नीचे से हाथ निकाल कर उसका सारा वजन अपने हाथों पर लिया और उसी पोजीशन में खड़ा हो गया। इस पोजीशन में आगे या पीछे से लड़की का चोदन तभी संभव था जब आप उसका वजन आसानी से उठा सकें … वर्ना इतना वजन उठा कर कमर चलाना आसान काम नहीं।
यहां एक आसानी तो मेरे लिये यह थी कि बेहद दुबली पतली होने की वजह से वह काफी हल्की फुल्की थी, जिससे मैं उसे आसानी से हवा में उठाये रख सकता था। दूसरी मेरे नजरिये से आसानी यह थी कि उसके शरीर पर मांस की कमी की वजह से ऐसी पोजीशन में नितम्ब का जो हिस्सा नीचे गिर कर एक तरह से एक चौथाई लिंग को समागम से वंचित कर देता था … वह आरजू में नदारद था, जिससे उसका छेद मेरे लिंग को जड़ तक अंदर ले पा रहा था और इससे उसका रोमांच भी बढ़ रहा था।

“वाह … ऐसे ही चोदो मुझे … और चोदो … फाड़ दो मेरी गांड … सैंडी ने अपने हैवी लंड से मेरी चूत चोदी थी … तुम गांड चोद दो … मेरी गर्मी बढ़ रही है … और चोदो … और … थोड़ा तेज … और तेज …” जैसे-जैसे उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह आंखें बंद किये मदहोश हुई ऐसे ही जुमले बोले जा रही थी जो आम हालात में भले निम्न स्तर के हों लेकिन ऐसे माहौल में तो आग भरते हैं और वे मेरे कानों में रस घोल रहे थे।
उसके कानों के लिये मैं भी कम रस नहीं उड़ेल रहा था। दो बार झड़ चुका था तो तीसरी बार में टाईम लगना ही था।

यूँ उसे हवा में उठाये-उठाये धक्के लगाते जब थक गया तब उसी तरह उसे थामे-थामे बिस्तर के किनारे टिका दिया और खुद के पांव फैला कर कमर इतनी नीची कर ली कि सही से धक्के लगा सकूं। उसके दोनों पैर आपस में सटा कर एक हाथ से दबाव डालते पीछे कर दिये थे और दूसरे हाथ से उसका एक कूल्हा दबोच लिया था।

“और जोर से धक्के लगाओ … मैं झड़ने वाली हूँ।” उसने कराहते हुए कहा।
मैंने धक्कों की गति बढ़ा दी … वह भी बेसाख्ता जोर-जोर से आहें भरने लगी और मुझे भी चरम की अनुभूति होने लगी।

आखिर में दोनों हाथ से उसके कूल्हे साईड से दबोचे और अपनी अधिकतम गति से धक्के लगाने शुरू किये। इस वक्त उसकी गुदा का छेद फक-फक चल रहा था और मेरा लिंग गचागच उसे ठोके जा रहा था। कमरे में स्तम्भन की मधुर आवाजें जोर से गूँज रही थीं।

फिर आखिरकार उसका और मेरा पानी एकसाथ छूट पड़ा … और उसी पल में उसकी टांगें फैला कर, उनके बीच में जगह बनाते मैं उस पर लद गया और उसे जोर से भींच लिया। उसने भी उसी सख्ती से मुझे जकड़ लिया।
थोड़ी देर तक उसी अवस्था में एक दूसरे को जकड़े हम पड़े रहे और फिर अलग हो कर हांफने लगे।

क्रमशः

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