चुदाई का डर मजे में बदल गया

करीब 4 बजे मैं मामा के कंप्यूटर पर गेम खेल रहा था कि रानी के होने वाले पति का फोन आ गया तो मेरा दिल उसकी बातें सुनने को करने लगा।

मैंने कंप्यूटर में एक सॉफ्टवेयर लोड कर लिया जो हर आने-जाने कॉल को रिकॉर्ड कर लेता है। तो मैं उनकी वार्तालाप को रिकॉर्ड करने लगा और सुनने लगा।

रानी अपने होने वाले पति रमेश से बहुत ही प्यार वाली गरम-गरम बातें कर रही थी।

रमेश कह रहा था- रानी, मैं तुम को सुहागरात को खूब चोदूँगा।
तो रानी ने हँस कर कहा- मैं आपकी हो जाऊँगी तो जो दिल में हो.. मेरे साथ वही करना। मेरा दिल तो अब भी सेक्स करने को कर रहा है।
रमेश बोला- बस कुछ दिन की बात है, मैं तुम्हारी चूत की आग को ठंडी कर दूँगा।

रानी ने लम्बी आह भरी- अब तो एक-एक पल काटना मुश्किल हो रहा है।
रमेश ने कहा- रानी, तुमने कभी लंड चूत में तो नहीं लिया?
तो रानी ने कहा- नहीं.. कभी नहीं।
रमेश बोला- तब तो तुम्हारी चूत कसी और बन्द होगी.. बहुत मज़ा आएगा मुझे।

तो रानी ने कहा- मैंने सुना है कि पहली बार में बहुत दर्द होता है।
उसने कहा- हाँ.. होता है.. पर फिर मज़ा भी आता है।
तो रानी ने कहा- तुम्हारा लंड कैसा है?
रमेश ने कहा- मेरा लंड 7.5 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है।

‘हाय.. राम इतना बड़ा.. तब तो मैं मर ही जाऊँगी.. मेरी चूत का छेद तो बहुत छोटा सा है..!’

उनकी बातें सुन कर मेरा लंड फड़फड़ाने लगा।

उसके बाद रानी ने फोन काट दिया मैंने उनके सारे बातें रिकॉर्ड कर लीं।

उसके बाद रानी कुछ उदास हो गई उसको डर था कि उसका पति उसको चोदते वक्त उसको बहुत दर्द देगा।

मैंने रानी से पूछा- तुम इतनी उदास क्यों हो?
तो उसने कहा- कुछ नहीं..
मैंने कहा- मैं जानता हूँ।
मैंने उसे सारी बात बता दी।

पहले तो वो नाराज़ होने लगी, पर बाद मैं बोली- मैं क्या करूँ?

तो मैंने कहा- रमेश का लंड बहुत बड़ा है, वो तुम्हारी चूत का बुरा हाल कर देगा, तुम पहले मेरे साथ चुदाई कर लो।
वो बोली- तुम होश में तो हो?

मैंने कहा- मेरा लंड केवल 5 इंच का है, उससे मैं तुम्हारी चूत को थोड़ा खोल दूँगा जिससे तुम्हें रमेश का लौड़ा लेते वक्त दर्द भी कम होगा, साथ ही साथ तुम्हें दो बार चूत खुलवाने का मज़ा भी आएगा।

पहले तो वो नानुकुर करती रही, पर उसकी चूत में भी चुदने की चुल्ल हो रही थी तो वो मान गई।

मैंने उसको चुम्बन किया।

फिर मैंने उसको कमरे में ले गया, मैंने अपने हाथों से उसके मम्मे दबाने शुरू किए, तो उसके मुँह से सिसकी निकल गई और उसने सामने के बटन खोल दिए।

उसके मम्मों का साइज़ 38 था और निपल्लस बिल्कुल गुलाबी थे।
मैंने उसका एक बोबा अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया तो वो दीवानी सी हो गई।

फिर मैं उसको लेकर बिस्तर पर चला गया और उसको लिटा कर उसकी नाईटी को सामने से पूरा खोल दिया।
उसने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था।

फिर मैंने उसको हर जगह बेतहाशा चूमते हुए उसके पूरे जिस्म पर हाथ फेरना शुरू किया और फिर उसकी चूत की लकीर को सहलाना शुरू कर दिया। मेरी उंगली ने ज्यों ही उसकी चूत को छेड़ा, वो पगला गई और उसने मेरी क़मीज़ उतार दी।

अब उसने अपने हाथ मेरे सीने पर फेरना शुरू कर दिए और कहने लगी- मुझे सीने के बाल बहुत अच्छे लगते हैं।

हम साथ में चुम्बन भी करते जा रहे थे फिर उसने हाथ बढ़ा कर मेरी पैन्ट की चैन खोली तो मैं उठा और मैंने अपनी पैन्ट भी उतार दी और फिर उसके बगल में लेट कर उसको चूमने लगा।

मेरा लंड पूरी तरह तना हुआ था, उसने मेरे लौड़े को हाथ में लिया और कहने लगी- ये तो नॉर्मल साइज़ का है, ये तो मेरी चूत में आराम से चला जाएगा।

वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी।

फिर मैंने उसको चित्त लिटाया और उसकी टाँगों को फैला कर मैंने बीच में आकर अपना लंड उसकी चूत पर घिसने लगा।
तो उसकी यह हालत हो गई कि उसके मुँह से ठंडी-ठंडी साँसें निकलने लगीं और कहने लगी- भाई… जल्दी से पेल दो.. तड़पाओ मत..

लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था, मैं उसकी चूत पर ही लौड़ा मसलता रहा तभी अचानक उसके मुँह से एक सिसकी निकली और वो झड़ गई।

दोस्तो, अपनी ज़िंदगी मैं मैंने पहली दफ़ा चूत के होंठों को इस तरह फड़कते हुए देखा था। क्या खूबसूरत मंज़र था..!

उसी वक्त मैंने एक हल्का सा झटका दिया तो मेरा टोपा उसकी चूत में चला गया और उसकी चीख निकल गई।

मैंने एक और झटका दिया तो मेरा आधा लंड उसकी चूत के अन्दर घुस गया और फिर एक और झटका दिया तो पूरा उसके अन्दर घुस गया और वो चीखने लगी- बाहर निकालो..

लेकिन मैंने बाहर नहीं निकाला, बस झटके देने रोक दिए और उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसके होंठों पर चुम्बन करता रहा।

मैंने कहा- जब मेरे लंड से यह हाल है.. तो रमेश के लंड से तो तुम मर ही जाती।

एक-दो मिनट के बाद उसको भी मज़ा आना शुरू हो गया तो वो नीचे से हिलने लगी, तब मैंने भी आहिस्ता-आहिस्ता झटके देने शुरू कर दिए और उसके मुँह से ‘आआआ आआहह ऊऊऊहह और ज़ोर से..’ की आवाज़ें आने लगीं।

तो मैंने भी झटकों में ज़ोर लगाना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में यह हालत थी कि जितनी ज़ोर से मैं झटका देता था, उतनी ही तेजी से वो नीचे से ताक़त लगाती थी।

यह खेल तक़रीबन पाँच मिनट ही चला कि वो दोबारा झड़ गई।

अब वो कहने लगी- अब बस करो..

तो मैंने उसके लौड़ा चूत से बाहर खींचा और उसके मुँह में दे दिया।

वो लपर-लपर सब माल चाट गई।

उसके बाद हम दोनों लेट गए।

कुछ देर बाद उसने मुझे फिर से खींच लिया और फिर से चोदने को कहने लगी।

मैंने भी उसे फिर से चोदा।
इस बार की चुदाई में उसको और मजा आया।

अब तो यह रोज की बात हो गई, उसे मैंने शादी तक 13 बार चोदा।
अब उसकी चूत कुछ ढीली हो गई थी।

शादी के बाद मैंने फोन पर रानी से सुहागरात के बारे में पूछा तो वो बोली- रमेश ने जब लंड अन्दर किया तो मैं दर्द से तड़फ़ उठी थी और खून भी निकला था, पर तुम्हारे लंड से मेरी चूत थोड़ी बड़ी हो गई थी इसलिए दर्द बहुत कम हुआ, वर्ना मैं तो मर ही जाती।

उसने मुझे फोन पर ही चूम लिया और फोन काट दिया।
मेरी कहानी आगे भी रानी के साथ चलती रही।
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