चाण्डाल चौकड़ी के कारनामे-5

नेहा बोली- चीख तो मैं यहाँ भी नहीं पाऊँगी। और आप ये सब करोगे कैसे? रात को तो आपको भाभी के साथ भी सोना होगा न?
मैंने कहा- तुम उसकी चिंता मत करो, मैं मैनेज कर लूंगा।
बातें करते करते मैं नेहा के बदन को सहलाता भी जा रहा था।

वो बोली- मैं तो एक ही रात में आपसे इतनी खुल गई हूँ कि आपको बताते हुए मुझे बिल्कुल शर्म नहीं आ रही कि मैं आपके छूने से गीली हो चुकी हूँ।
मैंने उसकी चूत की तरफ हाथ बढ़ाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- मैं आपको रोकना नहीं चाहती पर इसके आगे मैं रुकना भी नहीं चाहती।

मैंने अपना हाथ पीछे खींच लिया और कहा- ठीक है, मुझे भी अपने आप को रोकना नहीं है।
थोड़ा बूब्स को सहला पुचकार कर मैंने उससे कहा- तुम यहीं कमरे में रहो, मैं जब आवाज़ लगाऊँ तो नीचे आ जाना।

उसके कमरे का दरवाज़ा बंद करके में दूसरे कमरे में गया जहाँ शिखा थी।
शिखा के कमरे में जाकर उसको बाँहों में लेकर उसके बदन से खेलते हुए कहा- तुम आज मुझे बहुत हॉट लग रही हो। मैंने पहले कभी तुम्हें इस तरह क्यूँ नहीं देखा, यही सोच रहा हूँ।

शिखा बोली- भैया, जब आप मुझे नंगी करेंगे तब और भी ज्यादा हॉट लगूंगी, आज तक मेरे बदन को कोई नहीं देख पाया है और आप इसे छूने जा रहे हैं। मुझे मेरे जिस्म पर नाज़ है, मैं चाहती हूँ कि आप मेरे जिस्म का एक भी कोना मत छोड़ना जिसे आपने न छुआ हो।

मैंने कहा- तुम थोड़ा जल्दी में हो, अभी कुछ नहीं हो सकता नीचे से अभी कोई भी आ सकता है। तुम थोड़ा सा और इंतज़ार करो, तुम्हारी हर तमन्ना पूरी हो जाएगी।

शिखा बोली- मैं तो बचपन से ही इन्तजार कर रही हूँ, थोड़ा और कर लूँगी। पर आप नीचे जाने से पहले मुझे एक चुम्मी तो कर सकते हैं न।
बस मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।

शिखा ने मेरे होंठों को इस तरह चूसना शुरू किया जैसे कोई बछड़ा दिन भर का भूखा गाय के थन से लगकर दूध पीता हो। वो किसी डी ग्रेड मूवी के एक्ट्रेस की तरह मेरा हाथ पकड़ कर अपने उभारों पर रखवा रही थी।

जब उसने मेरे होंठों को छोड़ा तो मैंने कहा- शिखा तुम बहुत अच्छी और सुन्दर हो। तुम्हारा बदन बहुत ही कोमल और ताज़ा है। तुम मुझसे शारीरिक रूप से कितना प्यार करती हो, तुम्हारी आँखें बता रही हैं। पर एक बात कहूँ?
शिखा बोली- हाँ हाँ कहिये न?
मैंने कहा- देखो, ये सब तुम्हारा व्यवहार और बदन और आँखें सब बता रही है तुम्हें किसी डी ग्रेड मूवी से कुछ सीखने की ज़रूरत नहीं, तुम्हें मतलब तुमको जो भी अच्छा लगता है, वो करो, किसी को कॉपी करने की कोशिश में तुम खूखी रह जाओगी।

शिखा ने आँखें नीची कर ली और कुछ न बोली, बस अपने पैर के अंगूठे के नाख़ून से जमीन खुरचने लगी।
मैंने अपनी बात को बढ़ाते हुए कहा- शिखा, मैं जानता हूँ कि तुम मेरी बात समझ गई हो पर यह मत समझना कि मैं तुम्हें कोई हिदायत दे रहा हूँ जिससे मैं एन्जॉय कर पाऊँ बल्कि मैं चाहता हूँ कि तुम अपने आने वाले पलों को पूरी तरह जियो।
शिखा नीचे देखते हुए ही गर्दन हिला दी।

मैं कमरे से बाहर आ गया था। कमरे से बाहर आते ही दरवाज़ा जोर से बंद हुआ।

मैं जब नीचे पहुँचा तो नीता अपने कमरे में थी और मधु अपने में, मैंने दोनों कमरों के बीच खड़ा होकर पूछा- नीलेश कहाँ है?
दोनों ने एक साथ इशारा करके बताया कि बाहर की तरफ।
मैं बिना किसी कमरे में घुसे हुए बाहर की तरफ रुख कर गया।

बाहर नीलेश खड़ा खड़ा सिगरेट पी रहा था।
मैं- क्यों बे भोसड़ी के, यहाँ क्या माँ चुदा रहा है?
नीलेश- सिगरेट पी रहा हूँ, ले तू भी पी ले।
मैं- क्या हुआ, कुछ मूड अच्छा नहीं लग रहा?
नीलेश सिगरेट मेरी तरफ बढ़ाते हुए- नहीं ऐसा कुछ नहीं है।

मैं कश लगाकर धुआँ फेंकते हुए- अबे चूतिये बोल, चूत जैसी शक्ल मत बना।
नीलेश थोड़ा बिफर कर- यार तू तो दो नई और कुंवारी चूत चोदेगा वो भी दोनों मेरी बहनें… मैं बाहर बैठकर मुठ मारूँगा क्या?
मैं- मुझे पता था गांडू, मुझे पता था। तू आखिर में अपनी ऐसे ही माँ चुदायेगा। बोल तेरी क्या इच्छा है ?

नीलेश- मुझे भी दोनों चूत मारनी है।
मैं- तू शिखा को भी..?
मैं थोड़ा विराम लेकर बोला- शिखा के साथ भी करेगा क्या?
नीलेश- हाँ जैसे तू भाई, ऐसे में भी भाई… बहनचोद ही बनना है मुझे भी!
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मैं- मेरी एक बात मनेगा?
नीलेश ने हाँ में सर हिलाया।

मैंने कहा- देख कुंवारी चूत तो सिर्फ हम दोनों में से एक को ही मिल सकती है। मेरे चोदने के बाद मैं उन्हें इतना खोल लूंगा कि तू भी आराम से दोनों को चोद पाएगा।
नीलेश- कुछ नहीं से कुछ तो बेहतर है। तुझे जो करना है कर, बस मुझे दोनों चूत दिलवा देना।
मैं- हाँ माँ के लवडे, मुझे तो तूने दलाल समझ रखा है न?

हम लोग थोड़ी देर चुप रहे और सिगरेट पीते रहे।
फिर मैंने कहा- एक काम कर, तू मेरी पहली चुदाई की वीडियो बनाएगा।
नीलेश बोला- तू चिंता मत कर, तू नहीं भी बोलता तो भी बनाता, बाहर आया ही देखने ये था कि कहाँ से इन दोनों के कमरे के अंदर झाँका जा सकता है।
मैंने पूछा- मिल गया कोई रास्ता?

नीलेश ने हाथ के इशारे से जगह दिखाई, वो एक फर्स्ट फ्लोर पर बना हुआ बड़ी बालकनी थी।
मैंने कहा- वहाँ जायेगा कैसे?
तो उसने मुझे सीढ़ी भी दिखा दी।

मैंने कहा- फिर तो मधु और नीता को भी यहाँ ले आना चुदाई के टाइम!

हम दोनों सिगरेट पीते हुए बंगले के अंदर आ गये।
मैंने कमरे के सामने आते ही कहा- यार यह तूने सही किया कि कमरा आमने सामने का ही चुना। बोल तू कौन से कमरे में जायेगा?

मधु और नीता दोनों अपने अपने कमरे में टीवी पर कुछ देख रही थी। मधु के कमरे में टेबल पर बोतल गिलास बर्फ चिप्स जैसे कई आइटम रखे हुए थे। दोनों ने ही नाइटी पहनी हुई थी। मधु की हल्के गुलाबी रंग की आगे से खुलने वाली चिकने कपड़े की थी, वहीं नीता की नाइटी मैरून रंग की थी, नीता की नाइटी से सब कुछ आर पार दिखाई पड़ रहा था और उसने अंदर कुछ नहीं पहना था, मधु की नाइटी झीनी नहीं थी पर में तो अच्छे से जानता ही था कि इसने भी अंदर कुछ नहीं पहना होगा।

इससे पहले कि नीलेश कुछ कह पाता, मैं नीता के कमरे में घुसने लगा। मुझे नीता के कमरे में जाता देख नीलेश भी मधु के कमरे की तरफ चल दिया।

नीता बोली- भैया, आज तो आपके जलवे हैं, चार चार चूतें आपके लिए बेताब है।
मैंने कहा- यार!!! थोड़ी और कोशिश बाकी है अभी… जब चारों की चार चूतें एक ही बिस्तर पर होंगी, तब आएगा मजा! क्योंकि तुम दोनों तो हो ही कमाल की… पर उन दोनों का पहली बार है, पता नहीं साली मानेंगी या नहीं।

कहानी जारी रहेगी।
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