चचेरी बहन को लंड की मौज करवाई

पर मैं उससे प्यार नहीं करता हूँ और ये वो बात जानती है, पर फिर भी मेरे साथ पहला सेक्स करना चाहती थी।

आप तो जानते ही हैं कि ये तो मर्द का स्वभाव है कि जब ऐसे कोई लड़की मिले तो वो क्यों छोड़ेगा और खास कर ऐसे कामुक फ़िगर वाली लड़की को तो बिल्कुल नहीं छोड़ेगा।
जब उस लड़की को चुदाई में दिक्कत नहीं थी तो फिर मुझे क्यों होनी थी!

जब मुझे उसकी ख्वाहिश का पता चला तो कुछ दिन बाद हम दोनों सिनेमा हाल में ज़ाकर कॉर्नर वाली सीट पर चुम्मा-चाटी करने लगे। इस दौरान मैं उसके मम्मों को खूब दबाता और वो मेरा लंड मसलती। फिलहाल इसी तरह एक-दूसरे को शांत कर लेते।

एक दिन मेरी बहन ने मुझसे कहा- यार अब बर्दाश्त नहीं होता.. ऐसा करते-करते बहुत दिन हो गए, अब मुझे तुम्हारा लंड अपनी बुर में लेना ही है।
मैंने कहा- तेरी बुर फट जाएगी।
उसने कहा- मुझे अपनी बुर को फड़वाना ही है।
मैंने भी कहा- चल ठीक है, मुझसे भी अब बर्दाश्त नहीं होता।

फिर हम लोगों ने एक होटल में जाकर चुदाई करने का प्लान बनाया। हम दोनों हावड़ा में एक रात के लिए एक कमरा बुक कर लिया।

रूम में जाते ही मैंने पहले टीवी ऑन किया और एक गाने वाला चैनल लगा आवाज को तेज कर दिया। फिर मैंने अपने बैग से एक चादर निकाल कर बेड पर बिछा कर उसे बेड पर लेटा दिया।

इसके बाद मैंने अपनी बहन के ऊपर चढ़कर उसे किस करना स्टार्ट किया। आज किस का मज़ा ही अलग था क्यूंकि आज मेरी बहन पूरी तरह मेरी थी। मैंने पूरा वक़्त लेकर उसे लगभग दस मिनट तक किस किया। आज वो भी मेरा साथ दे रही थी क्योंकि आज उसको कोई डर नहीं था।

किस करते-करते मैं उससे चूचे भी टॉप के ऊपर से दबा रहा था। फिर मैंने उसके टॉप को खोल दिया तो देखा कि उसने ब्लैक रंग का ब्रा पहनी हुई थी। उसकी जरा सी ब्रा में से उसके चूचे बाहर आने के लिए बेताब दिख रहे थे। फिर मैंने उसकी जींस को खोला तो देखा उसने ब्लैक रंग की ही पैंटी भी पहनी थी।

उसे इस रूप में देख कर मुझे और जोश आ गया। मैंने उसे फिर से किस किया और फिर धीरे-धीरे नीचे गया, उसके चूचे अपने मुँह में ले लिए और उसके मम्मों को पागल कुत्ते की तरह झपटता हुआ जोर लगा कर चूसने लगा। मुझे लगा कि वो दर्द से चिल्लाएगी, पर वो तो मुझसे भी ज्यादा तेज़ चुदासी थी।

बोली- अह.. और जोर से चूसो.. खा जाओ आज इनको..

ये सुन कर मेरा जोश और बढ़ गया और इस बार चूचे चूसने के साथ-साथ मैंने अपनी दो उंगलियाँ भी बहन की बुर में डाल दीं। वो एकदम से गनगना गई और उसने अपने मम्मों को मेरे मुँह में और जोर से ठेल दिया।
अब मैं भी जोर-जोर से उसकी चूचियों को चूसने लगा और उंगली से बुर चोदने लगा। मैंने उसके मम्मों को चूस-चूस कर पूरा लाल कर दिया।

कुछ देर बाद वो बोली- बस अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, अपना लंड जल्दी से डालो।
पर मैं कहाँ इतना जल्दी उसे चोदने वाला था।
मैंने अन्तर्वासना में बहुत सारी कहानियों में पढ़ा था कि लड़की को जितना ज्यादा तड़पा कर चोदने में मज़ा है.. वो और कहीं नहीं है।

मैंने उससे कहा- हाँ जल्दी ही चोदूँगा, पर पहले थोड़ा और मज़ा ले लिया जाए।

मेरी बहन समझ गई कि मैं उसे और तड़पाने वाला हूँ, वो बोली- ठीक है.. ठीक है.. खूब तड़पा लो।
मैंने- हाँ.. तड़पने के बाद जो चोदने में मज़ा है वो और कहाँ है रानी!

उसके बाद मैंने उसको पैर फैलाने के लिए बोला तो बोली- नहीं, मुझे शर्म आ रही है।

पर मेरे जिद करने पर उसने अपने पैर फैला दिए। उसकी फूली हुई बुर देख कर तो मैं पागल ही हो गया। उफ़्फ़ क्या बुर थी.. बिल्कुल कमसिन.. एक बाल भी नहीं, शायद वो पूरे बाल साफ करके आई थी।
मस्त बुर थी.. एकदम सील पैक छेद, जिसका उदघाटन मैं करने वाला था। चुदासी बुर देख कर मेरा जोश दुगुना हो गया। मैं फिर पागल कुत्ते की तरह उसकी बुर चाटने लगा। वो मुँह से तड़प कर ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकाल रही थी, जो मुझे और गर्मी दे रही थी।

मैंने उसकी बुर को इतने प्यार से चूसा कि वो चूसने में ही झड़ गई और उसने अपनी बुर का पूरा पानी मेरे मुँह पर छोड़ दिया। उसकी बुर का पानी बहुत नमकीन था जो कि मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। मैंने तुरंत बाथरूम में ज़ाकर मुँह साफ किया और वापस आकर फिर उसकी बुर को पौंछ कर चाटना स्टार्ट किया।

थोड़ी देर बाद वो बोली- अब तो डाल दो अपना लंड..
इस बार मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैं बोला- हाँ, ठीक है।

मेरे ये बोलते ही वो अपने पैर फैला कर चुदने के लिए तैयार हो गई। फिर मैंने अपने लंड उसके बुर पर रखा और अन्दर डालने की कोशिश की, पर मेरा लंड मोटा होने की वजह से और उसकी बंद बुर के होने की वजह से फिसल गया। मैंने फिर कोशिश की, पर फिर फिसल गया।

मैं इस बार लड़की की बुर बिना चिकनाई के चोदना चाहता था पर मेरा लंड मोटा होने की वजह से नहीं ज़ा रहा था। तो अंत में मुझे क्रीम का इस्तेमाल करना ही पड़ा।

मैंने अपने लंड और उसकी बुर पर क्रीम लगाई और फिर लंड अन्दर डालने लगा।

अभी आधा लंड ही अन्दर गया था कि वो चिल्लाने लगी और उसकी बुर से खून निकलने लगा। उसे चिल्लाना तो था ही.. क्योंकि बुर कुँवारी थी और लंड मोटा और बड़ा था। वो हल्ला करने लगी कि निकालो इस लंड को..

पर एक बार अगर लंड को मैं निकाल देता तो फिर वो दुबारा डालने नहीं देती। मैंने उसकी एक नहीं सुनी और एक झटका जोर से दे दिया।

मेरा लंड उसकी बुर को फाड़ता हुआ अन्दर तक घुस गया और उसकी सील को तोड़ दिया। उसकी बुर से और खून निकलने लगा। वो जोर से चिल्लाने वाली थी.. उससे पहले ही मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और उसे जोरों से किस करने लगा, जिससे उसकी चिल्लाहट ओके मुँह में ही रह गई। लेकिन दर्द की अधिकता से वो हाथ-पैर फटकार रही थी।

मैंने रुकते हुए उससे कहा- थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा, थोड़ा सहन कर ना!

तो वो मान गई और फिर थोड़ी देर में शांत हो गई। थोड़ी देर बाद वो बोली- अब दर्द नहीं कर रहा है.. तुम चोद सकते हो।

बस फिर क्या था.. मैं स्टार्ट हो गया जोर जोर से चोदने लगा। अब वो भी अपनी गांड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। मैं भी उसको जोर से पकड़ कर चोदने लगा।
वो ‘आह आह ऊह ऊह..’ निकाल कर.. मेरा जोश बढ़ा रही थी।

थोड़ी देर बाद वो झड़ गई और उसके कुछ देर बाद मैं भी निकल गया। उस रात मैंने उससे जम कर चोदा और उसके मन को खुश कर दिया।

ए सी के कारण रूम पूरा ठंडा था पर इस गरम चुदाई से जिस्म गर्म थे।

ये थी मेरी उसके साथ जबरदस्त चुदाई.. आपको ये भाई बहन की चुदाई स्टोरी पसंद आई या नहीं, मुझे जरूर मेल करें.
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