मौसेरी भाभी की चूत चुदाई

हम बात करने लगे। मन तो कर रहा था कि चोद डालूं साली को… पर भाभी होने के कारण डर रहा था।
बात करते-करते कब दोपहर हो गई, पता ही नहीं चला। अब भाभीजान मेरी जांघ पर अपना सर रख के लेट गईं, बस मुझे लगा मुझको चूत मिल गई।

फिर कुछ देर बाद भाभी ने बोला- मैं गेट की चिटकनी लगा आऊँ दोपहर में मालूम नहीं पड़ता कि बाहर क्या हो रहाहै, कौन आ जा रहा है।
वो चिटकनी लगा कर आईं और बोलीं- कुछ देर सो जाओ।

भाभी सो गईं पर मुझको क्या सोना था, मैं भाभी को देख रहा था, मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कुछ करूँ, पर हिम्मत करके मैंने उनके पेट पर हाथ रख दिया।
उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। फिर धीरे-धीरे मैंने उनके मम्मों पर अपना हाथ फेरा।
मेरे पूरे शरीर में कंपकपी सी हो रही थी।

फिर मैंने उनके आमों को दबाना शुरु किया, भाभी अचानक उठीं और ज़ोर से बोलीं- मुख़्तार, यह क्या कर रहे हो, चुपचाप सो जाओ..!
मुझसे कह कर उन्होंने अपने आँचल को और हटा कर फिर सो गईं।

हालांकि मैं बुरी तरह डर गया था, पर उनके मस्त आमों को देख कर मुँह में पानी आ रहा था सो कुछ देर कुछ नहीं किया, फिर शुरु हो गया।
अबकी बार भाभी ने कुछ नहीं कहा। मैंने उनके होंठों पर अपना होंठ रख दिए और ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगा। उनके होंठ इतने प्यारे थे कि कुछ और करने का मन ही नहीं कर रहा था।

धीरे-धीरे भाभी गरम होने लगी और मुझसे भी ज्यादा ज़ोर-ज़ोर से होंठ चूस रही थी।
फिर मैंने उनका ब्लाउज खोला और अन्दर से फड़फड़ाते हुए वक्षों को ब्रा से आजाद कर दिया। कभी मम्मों को दबाता तो कभी उन्हें पीता, फिर मैंने भाभी की साड़ी को उतार दिया और वो बस चड्डी में रह गई थीं।

मैंने पहली बार उनकी चूत का दर्शन किया और अपने होंठों से चाटने लगा जैसे कोई आइसक्रीम चाट रहा हो। फिर क्या था भाभी ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगीं।

मैं तो चूत चाटने में मस्त था, भाभी के चेहरे से लग रहा था कि भाभी को मुझसे ज्यादा आनन्द आ रहा है।
फिर अचानक उन्होंने मुझे हटा दिया और मेरे कपड़े उतारने लगीं। मेरा लंड को देख कर वो हैरान हो गईं।
पौने सत इन्च लंबा लंड मानो उन्होंने पहली बार देखा हो और वे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं।
मेरा मज़ा बहुत ज़ल्दी निकल आया और मैंने उनके मुँह में ही वीर्यपात कर दिया।

फिर थोड़ी देर बाद मैंने उनकी चूत में अपना लंड डाला और मेरी तो डालने में ही फट गई थी, उनकी चूत इतनी टाइट थी कि लंड छिल गया था।
मैं हल्के-हल्के धक्के मार रहा था, फिर अचानक भाभी ज़ोर-ज़ोर से ऊपर उठने लगीं और मैंने कई स्टाइल से भाभीजान की चूत मारी।
भाभी मुझसे पहले रस निकाल चुकी थीं।

बाद में मेरा भी निकल गया और भाभी के ऊपर ही लेट गया। थोड़ी देर बाद मैं उठा और चला गया।
उस दिन से भाभी मेरी दीवानी सी हो गईं, अब वो मुझे हमेशा चुदाई के लिए बोलती हैं और मैं भी मौका देख कर आराम से मजा करता हूँ।
मेरे भाई को भी अभी तक नहीं मालूम है।

अगली कहानी मैं आगे और लिखता रहूँगा।
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