मेरा गुप्त जीवन- 155

मैं भी कमरे में बाहर से आ रही हल्की रोशनी में स्टोर रूम का जायज़ा ले रहा था और वहाँ कुछ पुराने फर्नीचर के अलावा कुछ बक्से और अलमारियाँ पड़ी हुई थी।
कमरे में आ रही लाइट इतनी ज़रूर थी कि हमको सब चीज़ें साफ़ दिखाई दे रही थी।
हम दोनों ही एकदम नंगे वहाँ अँधेरे कमरे में बंद हुए बैठे थे।

अब नैंसी आकर मेरे पास सोफे पर बैठ गई और मेरे अभी भी खड़े लंड के साथ खेलने लगी और मैं भी उसके मोटे स्तनों को झुक कर चूसने लगा। उसके मम्मों के चूचुक अब एकदम खड़े हुए थे और उनको मुंह में लेकर चूसने में बड़ा ही मज़ा आ रहा था।

नैंसी की चूत में हाथ डाला तो वो काफी गीली हो चुकी थी। मैंने नैंसी को कामुक चुम्मी देते हुए उसकी जांघों को चौड़ा कर दिया और उनके बीच में बैठ कर मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर टिका दिए और हल्के हल्के से उसको चाटने लगा।

अब नैंसी बहुत अधिक कामुक हो गई थी, वो मेरे सर को अपनी चूत से हटाने की कोशिश करने लगी।
लेकिन मैं भी उसकी भग को चूसने में मग्न रहा और मेरी कुछ देर की मेहनत से ही वो छूटने लगी, उसने अपनी जांघें कस कर मेरे मुंह के इर्दगिर्द बाँध दी और साथ ही वो बड़ी तीव्रता से झड़ने लगी।

मैं भी उसकी टांगों के बीच से उठा और सीधे अपने गीले लबों को उसके होटों पर चिपका दिए।
फिर मैं सोफे पर बैठ गया और नैंसी को अपनी गोद में बिठा लिया और उसकी दोनों टांगों को अपनी कमर के इर्दगिर्द फैला दिया और अपने अकड़े हुए लंड को उसकी भट्टी के समान गर्म चूत में डाल दिया।

मैं तो बिना हिले बैठा रहा लेकिन नैंसी अपनी बाँहों को मेरे गले में डाल कर अपनी गांड को झूले की तरह आगे पीछे करती रही जिस से उसके आनन्द की कोई सीमा नहीं रही।
अब वो अपने पूरे जोश में मुझको बैठ कर चोद रही थी और उसकी सांसें धौकनी की तरह चल रही थी।

थोड़ी देर में उसका मेरे लौड़े पर कूदना बहुत अधिक तेज हो गया और फिर उसने मुझको बहुत ही टाइट जफ्फी डाली और कांपते हुए छूट गई।

हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे को जफ्फी डाले हुए वैसे ही चिपके हुए बैठे रहे और शायद थोड़ी देर और बैठे रहते अगर हमको दरवाज़े का ताला खुलने की आवाज़ ना आती।

हम दोनों झट संभल कर बैठ गए और फिर डायना ताला खोल कर अंदर आई और हमको नंग मलंग देख कर जोर से हंस दी और बोली – वाह, तुम दोनों इतने बड़े खतरे के सामने होते हुए भी चुदाई में लगे रहे… बहुत खूब!

नैंसी और मैं मुस्करा दिए और फिर हम दोनों ने कपड़े पहनने शुरू कर दिए।
तभी डायना बोली- अभी तो सिर्फ 10 ही बजे हैं रात के… अभी बाकी बची हुई लड़कियों का भी कल्याण कर जाओ सोमू प्लीज?

मैं बोला- पहले यह बताओ कि डायरेक्टर साहिब को किसी ने शिकायत की थी या फिर वो अक्सर ऐसी इंस्पेक्शन करने आते रहते हैं?
डायना बोली- नहीं शिकायत किसी ने नहीं की थी और वो अक्सर अचानक इंस्पेक्शन पर आ जाते हैं।
मैं बोला- ठीक है। अभी बाकी कितनी लड़कियाँ बची हैं?
डायना बोली- मेरे समेत 3 और हैं।

मैं बोला- ऐसा करो तुम कल कॉलेज के बाद मेरे घर आ जाओ और उन लड़कियों को भी बुला लो, वहीं आप सबका काम कर दूँगा। बोलो क्या कहती हो?
डायना बोली- मैं उन लड़कियों से बात कर लूँ, फिर आपको बताती हूँ।

थोड़ी देर बाद डायना आई और बोली- सोमू डार्लिंग, सब लड़कियाँ यह चाहती हैं कि आज ही उनका भी काम कर दूँ और तुम कर सकते हो उनके साथ भी… यह मैं जानती हूँ।

मैं डायना को लेकर उसके कमरे में आ गया और उसको एक गर्म जफ्फी मारी और फिर उसको समझाया- देखो डायना, मैं आज सारा दिन चुदाई में ही लगा रहा हूँ, पहले वो ग्रुप सेक्स… और फिर बाद में तुम्हरे साथ लॉन में और फिर रति के साथ! मुझमें इससे ज़्यादा सेक्स करने की ताकत नहीं है री… कल तुम इनको कॉलेज के बाद ले आना मेरी कोठी में या फिर इनका प्रोग्राम किसी और दिन का रख दो प्लीज डायना!

फिर मैंने डायना को एक और गर्मागर्म चुम्मी की और उसके मोटे गोल मम्मे दबाते हुए मैं बाहर जाने के लिए चल पड़ा और डायना भी मुझको बाहर तक छोड़ने के लिए आई।

कोठी में कम्मो मेरा इंतज़ार कर रही थी, मुझको देखते ही मुझ पर बरस पड़ी- छोटे मालिक तुम भी ना ज़रा ध्यान नहीं रखते अपना? गर्ल्स हॉस्टल में जाने की क्या ज़रूरत थी? तुम पर बड़ी भारी मुसीबत आ सकती थी और तुम बुरी तरह फंस सकते थे!

मैं भी शर्मिंदा होते हुए बोला- वेरी सॉरी कम्मो… लेकिन मैं क्या करता मैं तो गोरी चमड़ी के चक्कर में फंस गया था और तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो, मैं तो फंसते फंसते बचा हूँ।
फिर मैंने उसको सारी कहानी सुना दी।

खाना खाने के बाद कम्मो ने बताया कि मेरे पीछे पूनम के भाई और भाभी का फ़ोन आया था और वो सब कल दोपहर में पहुँच रहे हैं और उनके साथ 4-5 दूसरी औरतें भी होंगी, कल उनके रहने का इंतज़ाम भी करना पड़ेगा, कैसे करें यह सब?

मैं बोला- भैया भाभी को नीचे का मम्मी के कमरे के साथ वाला कमरा दे दो और जो बाकी औरतें होंगी उनको ऊपर कमरे दे दो, मेरे कमरे के साथ वाले कमरे। क्यों यह ठीक नहीं है क्या?

कम्मो कुछ झुंझलाई हुई लग रही थी लेकिन मैंने उसको जफ्फी मारी और साथ में उसको एक कामुक चुम्मी भी की और उसको थोड़ा प्यार व्यार किया तो वो कुछ संयत हुई।

अगले दिन मैं जब कॉलेज से लौटा तो कोठी में काफी हलचल थी, सारे मेहमान आ चुके थे, वे मुझको बैठक में ही मिल गए।
पूनम और उसके परिवार के लोग बड़े गर्म जोशी से मिले और पूनम ने हम सब को एक दूसरे से मिलवाया।
कम्मो ने उनके खाने का बड़ा अच्छा अरेंजमेंट किया हुआ था, सबने खाने की बड़ी तारीफ की और कम्मो और पारो की मेहनत को खूब सराहा।

अब मैंने आने वाले मेहमानों को ध्यान से देखा।
पूनम के भैया काफी स्मार्ट और पढ़े लिखे लग रहे थे, उनके साथ आई औरतों को देखा तो पूनम की भाभी काफी सुंदर और नखरे वाली लगी।

उनके साथ आई औरतों में से 2 पूनम की दूर की भाभियाँ थीं जो ज़्यादा स्मार्ट तो नहीं थी लेकिन शरीर से काफी सेक्सी लग रही थी।
उनमें 3 कमसिन उम्र की लड़कियाँ भी थी जो काफी आधुनकि सलवार सूट पहने हुये थीं लेकिन दिखने में कोई ख़ास सूंदर नहीं लगी मुझको!

कम्मो ने उनके सोने का इंतज़ाम ऐसा किया हुआ था कि भैया भाभी को नीचे एक कमरे में और बाकी सब ऊपर मेरे कमरे के साथ वाले 3 कमरों में ठहरा दी गई थीं।
रात बड़ी देर तक पूनम और उसके रिश्तेदार औरतें मेरे कमरे में बैठी रही और खूब बतियाती रही।

उनमें से एक बहुत ही तेज़ भाभी, जिसका नाम चंचल था, मेरे से बार बार आँखें चार कर रही थी और कई बार मैंने उसको मुझको बेशर्मी से घूरते हुए पाया।
एक दो बार वो उठते बैठते हुए मुझको छू जाती और आँखों ही आँखों में मुझको इशारा भी कर रही थी।

पहले वो मेरे सामने ही बैठी थी लेकिन फिर वो टॉयलेट होकर आई तो मेरे साथ खाली जगह पर बैठ गई और उसके कंधे मेरे कन्धों से रगड़ खा रहे थे।
जब वो साथ बैठी तो दो बार उसने जानबूझ कर अपने मम्मे मेरे बाज़ू से रगड़ दिए जिसका मुझको काफी आनन्द आया और यह भी महसूस हुआ कि वो काफी सुघटित शरीर वाली है।

रात को जब हम सब सोने के लिए उठे तो मैंने और कम्मो ने जाकर उन सबसे पूछा कि आपको किसी चीज़ की ज़रूरत तो नहीं है।
चंचल भाभी का कमरा मेरे साथ वाला ही था और उनके साथ एक थोड़ी सांवली सी कुंवारी लड़की सोई हुई थी।

भाभी ने, जब कम्मो का ध्यान कहीं और था, तब हल्की सी आँख भी मारी और मैं तत्काल समझ गया यह भाभी भी लण्ड की प्यासी है।
मैंने भी वापस आते हुए उसको आँख मार दी और उसको जता दिया कि मैं भी तैयार हूँ।

मैं अपने कमरे में अकेला ही सोया था और करीब आधी रात को मैंने साथ वाले कमरे में सोई चंचल भाभी के कमरे में झाँका और यह देख कर हैरान हो गया कि भाभी अपनी साड़ी ऊपर उठा का अपनी चूत में ऊँगली मार रही थी।
उसकी आँखें मुंदी हुई थी और वो बड़े ही कामुक अंदाज़ में अपने होंठ दांतों के नीचे दबा रही थी जैसे कि वो शीघ्र ही स्खलित होने वाली हो।

मैंने हल्के से खांसी की और भाग कर अपने कमरे में आ गया और अपने पजामे को नीचे करके अपने खड़े लंड को बाहर कर दिया।
जैसा कि मुझको उम्मीद थी, भाभी यह देखने के लिए उठी कि कौन खांस रहा है।

तब उसने मेरे कमरे में झांका और जब उस ने देखा कि मैं सोया हूं और मेरा लौड़ा एकदम अटेंशन खड़ा है तो वो एकदम चौंक गई,
डरते हुए वो मेरे कमरे के अंदर आ गई और मेरे खड़े लौड़े को बड़े ध्यान से देखने लगी।

फिर उसने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया और अपनी साड़ी ऊपर करके वो पलंग पर चढ़ आई और आते ही मेरे लण्ड को चूसने लगी।
मैं भी सोने का बहाना करके मस्त लेटा रहा लेकिन चंचल भाभी जब लण्ड चुसाई कुछ देर कर चुकी तो वो अपनी साड़ी को ऊपर उठा कर मेरे खड़े लंड के ऊपर बैठने की कोशिश करने लगी।

उसकी चूत अति द्रवित हो चुकी थी तो वो जैसे ही लंड पर बैठी, मेरा लण्ड घप्प से उसकी चूत में प्रवेश कर गया और उसकी मुलायम गुदाज जांघें मेरे पेट से रगड़ा खाने लगी।

उसकी आँखें मेरी आँखों की तरफ ही देख रही थी कि कहीं मैं जाग तो नहीं पड़ा लेकिन जैसे उसको चुदाई का आनन्द आने लगा, उसने अपनी आँखें बंद कर ली और अपने सर को इधर उधर फ़ेंक कर मेरी चुदाई करने लगी।

उसकी चूत से गाढ़ा और सुगन्धित द्रव्य निकल कर मेरे पेट पर गिर रहा था और वो बिना किसी हिचक के मेरे लंड पर ऊपर नीचे होती रही।
थोड़ी देर में वो तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगी और मुझको आभास हो गया कि शीघ्र ही वो स्खलित हो जाएगी।

मैं अब अपने आप को रोक नहीं सका और मैंने चंचल भाभी को फ़ौरन अपनी बाहों में बाँध लिया।
चंचल भाभी पहले तो हैरान रह गई यह सोच कर कि मैं सिर्फ सोने की एक्टिंग कर रहा हूँ और फिर वो खुश हो गई कि मैं भी उसको चाहता हूँ इस लिए उसको सोते हुए भी उसको चोदने दिया।

अब मैंने चंचल भाभी को पलटी मार कर अपने नीचे पर लिया और मैं ऊपर चढ़ कर उसको जम के चोदने लगा।
चुदाई की स्पीड कभी तेज़ और कभी आहिस्ता करते हुए मैंने भाभी को जल्दी ही कनारे लगा दिया।

जब उसकी किश्ती किनारे पहुंची तो उसके शरीर से निकलने वाली लहरें इतनी तीव्र थी कि मेरी स्वयं की किश्ती भी डांवाडोल होने लगी।
लेकिन चंचल भाभी इतनी ज़्यादा कामुक हो चुकी थी कि उसने मुझको कस कर अपने शरीर से चिपका लिया और नीचे से फिर धक्के मारने लगी।

मेरा लंड तो खड़ा था ही तो चुदाई का आलम फिर से शुरू हो गया लेकिन मैं अब भाभी को बहुत ही धीरे धीरे चोदने की कोशिश कर रहा था।
थोड़ी देर में भाभी फिर तेज़ी में आ गई और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी।

मैं भी आँखें बंद करके भाभी की टाइट चूत का आनन्द लेने लगा।
तभी हल्की आवाज़ के साथ कमरे का दरवाज़ा खुल गया और एक जनाना आवाज़ ने गुस्से के लहजे में पूछा- सोमू, यह क्या हो रहा है?

यह आवाज़ सुन कर मैं एकदम सकते में आ गया और जल्दी ही चंचल भाभी के गर्म और रसीले शरीर को छोड़ कर खड़ा हो गया और अपने आप ही मेरे खड़े लंड का दरवाज़े की तरफ निशाना बन गया।
मैं भौंचक्का हुआ आने वाले की तरफ देख रहा था और आने वाले का मुंह मेरे लंड की दशा देख कर खुला का खुला रह गया।

कहानी जारी रहेगी।
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