भाभी की चूत का आशिक

यह घटना तब की है जब मैं अपने मौसी के लड़के से मिलने गया।

वहाँ मेरी ही उम्र के भाई और भाभी बैठे थे।
तभी भाभी चाय बनाने लगी.. तो दूध नहीं था, भाई दूध लेने चला गया, तब तक भाभी मेरे से बात करने में लग गईं।

अचानक भाभी एकदम खुल कर बातें करने लग गईं। थोड़ी देर हमने बातें की.. फिर तक भाई दूध लेकर आ गया।
थोड़ी देर में भाभी ने चाय बना दी, हम तीनों ने चाय पी, इसके बाद मैं अपने घर आ गया।

घर आने के बाद मैं सिर्फ भाभी के बारे में सोच रहा था।
थोड़े दिन ऐसे ही बीत गए।

फिर एक दिन प्लान बनाया और दूसरे दिन स्कूल से सीधा भाई के घर चला गया। उस दिन मेरी किस्मत अच्छी थी कि भाभी के अलावा घर पर कोई नहीं था, भाभी घर का काम कर रही थी।

मेरे जाते ही उसने काम छोड़ दिया और चाय बनाने में लग गई, मैं कमरे में बैठ कर टीवी पर गाने सुनने लग गया।
थोड़ी देर में भाभी चाय बना लाई और मेरे बगल में बैठ गई।

हम दोनों ने चाय पी फिर हम बातें करने लगे। बातों ही बातों में मैंने भाभी का हाथ पकड़ लिया, भाभी ने कुछ नहीं कहा.. तो इसे मुझे मौका मिल गया और मैं भाभी के और करीब होकर बैठ गया।

मैं भाभी के हाथ अपने हाथों में लेकर मसलने लग गया.. भाभी की सांसें तेज हो गई थीं।

देखते ही देखते मेरा हाथ भाभी के मम्मों पर चल गया और मैं उन्हें भर-भर के दबाने लग गया। इधर मेरा हाल भी बुरा हो रहा था मेरा लंड कड़क होकर पूरा लम्बा हो गया।

मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके होंठों को किस करने लग गया, एक हाथ से मैं उसके मम्मे दबा रहा था और दूसरा हाथ उसके पैरों के बीच में चला गया।

अगले ही पल मैं उसकी साड़ी को ऊपर खींचने लगा। भाभी मेरे होंठों को जोर-जोर से काटने लगी थी।
मैंने भाभी की पूरी साड़ी ऊपर कर दी और मेरा भाभी की चूत को छू लिया.. जिससे भाभी तड़प उठी और उसने मेरी गर्दन पर जोर से काट लिया, साथ ही उसने मुझे कसके पकड़ लिया।

दूसरी तरफ मेरे लंड महाराज अपने फन को जोर से हिला रहे थे, मेरे से काबू नहीं हो रहा था तो मैं ज्यादा देर न करते हुए भाभी की टांगों के बीच में आ गया, भाभी ने भी अपनी टाँगें फैला दीं।
मैंने अपने लंड को भाभी चूत के ऊपर रगड़ रहा था।

भाभी अब बहुत गर्म हो गई थी.. और जोर-जोर से ‘अह्ह्ह्ह्ह.. उउहह..’ कर रही थी। वो कहने लगी- मेरे प्यारे देवर जी अब तड़पाओ मत और डाल दो अपना लम्बा सा लौड़ा.. और बना लो मुझे अपने लौड़े की दीवानी।

मैंने घुटनों के बल बैठ कर अपने लंड को भाभी की चूत पर रखा और जोर से एक धक्का मारा जिससे मेरी लंड भाभी की चूत के अन्दर 2 इंच घुस गया। भाभी एकदम से तड़प उठी और उसने मुझे कसके जकड़ लिया। उसकी तड़फ इतनी तेज थी कि एक बार फिर जोर से काट लिया।

मैंने एक झटका और मारा जिसे मेरा लंड पूरा भाभी की चूत की जड़ में घुस गया। कुछ पल के दर्द के बाद भाभी अपने हाथ मेरी पीठ पर घुमाने लगी.. जिससे मेरा उत्साह बढ़ने लगा। अब मैंने झटके मारने शुरू कर दिए और धीरे-धीरे झटके तेज कर दिए।

भाभी जोर-जोर से सीत्कार करने लगी ‘अह्ह्ह.. ओह.. ईस्स्स्सी..’
थोड़ी देर में उसने मुझे कसके पकड़ लिया और उसका पूरा बदन अकड़ने लगा, भाभी जोर-जोर कहने लगी- च्..चोद दो.. मुझे.. अहह.. अह.. उइइ..
वो अपने जिस्म को ऐठते हुए झड़ गई और मुझे कसके पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया।

मैं भी थोड़ा रुक गया और भाभी के होंठों को किस करने लगा और मम्मे दबाने लगा। कुछ पल बाद मैं धीरे-धीरे झटके लगाने लगा.. जिससे भाभी एक बार फिर गर्म हो गई और अब भाभी अपनी कमर हिला कर मेरा लंड अन्दर तक लेने लगी। वो ऐसा झटका मार रही थी जैसे कोई शेरनी सालों से भूखी हो और शिकार हाथ में आते ही एकदम से उस पर झपट कर उसे एक ही बार में खा जाना चाहती हो।

भाभी जोर-जोर चिल्लाने लगी और कहने लगी- आह्ह.. आज मेरी पूरी प्यास बुझा दो जानू.. फाड़ डालो मेरी चूत को.. इसका भोसड़ा बना दो.. आपके भाई का लंड तो छोटा सा है.. जो चूत के मुँह के ऊपर से वापस आ जाता है।

मैंने अपने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी। कुछ मिनट के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, मैंने भाभी को बताया तो कहने लगी- मेरा भी होने वाला है.. झटके जारी रखो और मेरे अन्दर ही झड़ जाओ।

मैंने जोर-जोर 10-15 झटके मारे और मैं और भाभी दोनों एक साथ झड़ गए।

मैं कुछ देर भाभी के ऊपर ही लेट गया। मैंने शैतानी करते हुए भाभी की चूत के दाने को उंगली से पकड़ कर जोर से खींच दिया.. जिससे भाभी तड़प उठी।

मैंने आंख मारते हुआ कहा- एक राउंड और हो जाए।
भाभी ने यह कहते हुए ‘हाँ’ कर दी- क्यों नहीं मेरी चूत के आशिक।

आपको कैसी लगी मेरी कहानी.. मुझे मेल करके जरूर उतर दीजिएगा।
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