भाभी की चुदाई की वो रात

मेरा गाँव मेरे शहर के नजदीक ही था.. तो मैं वहाँ अकसर जाता रहता था.. वहाँ हमारे पड़ोस में एक भाभी थीं.. जिनकी उम्र 30 साल से कुछ कम ही होगी, वो दो बच्चों की माँ थी.. लेकिन उन्हें देख कर कोई यह नहीं कह सकता था कि उनका कोई बच्चा भी होगा।

वो एक भरे पूरे शरीर की मालकिन थीं.. कोई भी उन्हें देख कर अपना लण्ड पकड़ कर हिलाने लगे.. वो बिल्कुल ऐसी मस्त माल थीं।
कई बार मैंने भाभी की चुदाई की याद में मुठ भी मारी थी।

मैं उनके घर अकसर जाता रहता था, मेरी उनके साथ अच्छी बनती थी। उनके पति जो मेरे भाई थे.. वो एक कंपनी में काम करता था.. जो कि 1 या 2 हफ्ते में कभी-कभी आता था।

मैं अपनी भाभी से अच्छी तरह से घुला-मिला हुआ था.. उनके घर में मेरे भाई, भाभी और उनके छोटे बच्चे ही थे। बस मेरी भाभी के साथ हर तरह की बातें होती रहती थीं।
भाई के ना होने की वजह से वो मेरे साथ हर बात शेयर करती थीं.. जिससे मुझे पता चल चुका था कि वो अपनी शादी-शुदा ज़िंदगी से ज़्यादा खुश नहीं थीं।
इसलिए मैं हमेशा भाभी की चुदाई के मौके की तलाश में रहता था।

एक दिन मुझे भाभी की चुदाई का मौका मिल ही गया.. उस दिन मुझे किसी ज़रूरी काम से गाँव जाना पड़ गया और देर होने की वजह से मैं वहीं रुक गया।
उस दिन घर पर भाई नहीं था.. तो मुझे अच्छा लग रहा था।
उनके घर में सिर्फ़ एक ही बड़ा कमरा था.. जिसमें एक बिस्तर और कुछ सामान पड़ा हुआ था।

हम खाना खा कर थोड़ी देर टीवी देखने बैठ गए थे कि तभी तेज बारिश होने लगी। बारिश के कारण भाभी बाहर कपड़े उठाने चली गईं.. और बारिश तेज होने की वजह से जब तक वो कपड़े उतार कर आईं.. तो पूरा भीग चुकी थीं।

वो भीगे बदन के साथ क्या क़यामत ढा रही थीं.. मेरा तो उन्हें देखते ही लण्ड खड़ा हो गया।
भाभी भी मुझे अजीब तरह से देख रही थीं।
मुझे लगा मौसम ने मेरा काम कर दिया..

भाभी वहाँ से गईं और अपने कपड़े बदलने लगीं.. मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची.. पर मैंने पहल ना करने की सोची और रुक गया।

एक ही कमरा होने की वजह से भाभी लाइट बंद कर के अपने कपड़े वहीं बदलने लगीं, कमरे की हल्की-हल्की रोशनी में उनका बदन और भी चमक रहा था।
इतने में ज़ोर से आसमानी बिजली की कड़कड़ाहट हुई और मेरा काम हो गया। भाभी डर के मारे आकर मुझसे लिपट गईं और मुझे ज़ोर से पकड़ लिया।

मैंने भी मौके का फ़ायदा उठाया और उन्हें कस कर पकड़ लिया.. और अपनी बाहों में समेट लिया।
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थोड़ी देर में भाभी संभली और मुझसे दूर हो गई.. लेकिन मैंने देखा कि वो गर्म हो चुकी थी.. और चुदने के लिए तैयार थी।
मौसम में भी ठण्ड बढ़ गई थी.. तो भाभी कपड़े बदल कर बच्चों को सुलाने लगीं.. और उनके सोने के बाद वो मेरे पास आई और बोलीं- तुम्हारी शादी करा देनी चाहिए.. मुझे लगता है अब तुम जवान हो गए हो!

मुझे लगा कि उन्होंने मेरा खड़ा लण्ड कुछ ज्यादा ही महसूस कर लिया है, तो मैंने भी जानबूझ कर बोल दिया- शादी की बोल तो दिया कि शादी तो कर लूँ लेकिन उसके बाद करना क्या होगा.. मुझे यह तो पता ही नहीं है…?

इस पर भाभी हंसने लगीं और बोलीं- इसमें क्या दिक्कत है.. मैं तुम्हें सब सिखा देती हूँ।
भाभी मेरे पास आ कर मुझ से सट कर बैठ गईं.. तो मैंने भी मौके का फ़ायदा उठाया मैंने उनकी कमर में हाथ डाल कर उन्हें अपनी तरफ खींच लिया.. और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर चुम्बन करने लगा।

भाभी तो जैसे तैयार ही बैठी थीं.. वो भी मेरा साथ देने लगीं।
हम दोनों पूरी तरह से गरम हो गए थे और एक-दूसरे को पागलों को तरह चूमे जा रहे थे।
फिर मैंने भाभी की नाइटी उतारनी शुरू कर दी और वो मेरे लौड़े को टटोलने लगीं।

मैंने उनके पूरे कपड़े उतार दिए और.. उनकी चूत को एकटक देखने लगा।
वो बोलीं- देखता ही रहेगा या कुछ करेगा भी?
तो मैं अब उनकी चूत को चाटने लगा और वो सिसकारी भरने लगीं।

मुझे इतना मजा पहले कभी नहीं आया था। मैं अपनी जीभ से उन्हें चोदे जा रहा था। वो सिसकारियाँ लेते-लेते डिसचार्ज हो गई.. और मैंने उनका पूरा नमकीन पानी गटक लिया।

मुझे बड़ा अच्छा लगा और अब मैं उन्हें अपना लौड़ा मुँह में लेने के लिए बोल रहा था.. लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
वो बोलीं- इसे अपनी असली जगह पर जाने दो तो।

मैंने भी अपने सारे कपड़े उससे उतारने को कहा और उसकी गोरी चूचियों को लगा मसलने।
मैं कभी उनको चुम्बन करता.. कभी उनकी चूची को काट लेता।

तो वो इस वजह से उछलने लगीं और कहने लगीं- अब बर्दाश्त नहीं होता.. फाड़ दे मेरी चूत..
मैंने भी सोचा अब और देर नहीं करनी चाहिए.. तो मैंने उन्हें वहीं लेटाया और उनकी गाण्ड के नीचे एक तकिया रख दिया।

फिर मैंने उनकी चूत पर अपना लौड़ा रख कर चूत कि दरार पर ऊपर-नीचे करके रगड़ा.. वो समझ रही थी कि मैं अभी और ऐसे ही करता रहूँगा.. पर तभी मैंने एक ज़ोर का धक्का दिया.. तो मेरा लवड़ा एक बार में ही पूरा सुपारा भाभी की चूत में फंसा दिया।

भाभी की चीख निकल गई.. तो मैंने उन्हें चुप कराने के लिए उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा।

थोड़ी देर बाद भाभी नीचे से अपनी गाण्ड हिलाने लगीं.. तो मुझे इशारा मिल गया और मैं शुरू हो गया, मैं उनकी मरमरी चूत में धक्के लगाने में जुट गया।

केवल 2-3 धक्कों में ही मेरा पूरा लण्ड भाभी की चूत में पूरा चला गया।

मैं अपना लण्ड ऊपर-नीचे करने लगा और इस शंटिंग में भाभी भी मेरा साथ देने लगीं और सिसकारियाँ भरते हुई कहने लगीं- आअहह.. बहन के लौड़े.. साले आह्ह.. कुत्ते जल्दी चोद हरामी.. अपनी भाभी की चुदाई कर..

जिससे मेरा जोश और बढ़ गया, मैं और ज़ोर से भाभी की चुदाई करने लगा.. इतने में मैंने महसूस किया कि भाभी अकड़ने लगी हैं और उन्होंने अपना पानी छोड़ दिया है।

जिसकी वजह से कमरे में फच-फच की आवाज़ आने लगी और भाभी निढाल हो कर गिर पड़ीं।

लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था.. मैं तो लगा रहा.. इतने में भाभी फिर से तैयार हो गईं और मेरा साथ फिर से देने लगीं।
अब वे कहने लगीं- ज़ोर से चोद.. फाड़ दे मेरी चूत को.. तेरे भाई से तो अभी तक इसकी प्यास बुझी नहीं.. आज तू इसे प्यासी मत छोड़ना.. लगे रहो मेरी जान… आह्ह..

मुझमें और जोश आ गया… मुझे लगा अब मैं भी झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने भाभी को बोला- मैं आ रहा हूँ.. कहाँ छोडूँ?
तो भाभी बोलीं- आज मेरी चूत को अपने वीर्य से तृप्त कर दे।

इसके बाद मैं कुछ धक्के और लगाने के बाद हम दोनों एक साथ डिस्चार्ज हो गए।
अब मैं वहीं भाभी के ऊपर बेसुध हो कर गिर पड़ा.. और सो सा गया।

जब मेरी आँख खुलीं.. तो एक बज रहा था और भाभी वहीं नंगी लेटी हुई मुझे देखे जा रही थीं।
उसके बाद वो उठ कर रसोई में गईं और मेरे लिए दूध लेकर आईं। दूध पीने के बाद वो मेरे लौड़े से फिर खेलने लगीं और इसके बाद मैंने उस रात दो बार फिर से भाभी की चुदाई की।
आज भी जब भी मौका मिलता है.. हम पूरा मजा लेते हैं।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी.. मुझे जरूर बताईएगा.. मुझे आपके ईमेल का इंतज़ार रहेगा।