जिस्म और दिल का रिश्ता है भाभी और मेरे बीच

सीमा भाभी को देखकर मेरी हमेशा चाहत होती थी कि ‘हे ऊपर वाले कभी तो इनकी चूत के दर्शन करा दो, कभी तो इनकी चूत में मेरा लौड़े को डलवा दो।’

लेकिन क्या करें किस्मत साथ नहीं दे रही थी।

उनको चोदने के लिए प्रयास में मैं अक्सर उनके घर देर रात तक बैठा रहता था।
चूंकि भाभी के नाते वो भी मेरे साथ अक्सर बैठ जाती थीं।
घर वाले और भैया भी कभी मना नहीं करते थे और वो लोग सो जाते थे।

धीरे-धीरे हम लोग काफी ओपन हो गए थे और खूब सेक्सी बातें भी करने लगे थे, गाहे-बगाहे इधर-उधर से हाथ उनके चूचों को छू देते थे, लेकिन वो कभी कुछ नहीं कहती थीं।

एक दिन नंगी फोटो की किताब मैंने ले जाकर उन्हें दे दी.. जिसे उन्होंने अकेले में देखा होगा।

उस किताब को देखकर वो गर्म हो गईं और उस दिन भैया भी कहीं गए हुए थे।
घर में वो अकेली थीं.. उन्होंने रात को मुझे बुलाया।

मैं पहुँचा तो देखा कि उनके घर पर वहाँ और कोई कोई नहीं था।
पूछने पर उन्होंने बताया कि आज कोई नहीं ही, तो मेरा दिल तो ख़ुशी से नाच उठा।

हम लोगों ने एक रजाई ली और और ठण्ड से बचने के लिए ओढ़ कर बैठ गए।

धीरे-धीरे सेक्सी बातों का दौर चला।
वो भी हँसते हुए बातें कर रही थीं।

एकदम से उन्होंने पूछा- मयंक तुमने अभी तक कितनी लड़कियों को चोदा है?
अचानक हुए इस सवाल से मैं एकदम चौंक गया।
मैंने कहा- भाभी मैंने आज तक कभी किसी को नहीं चोदा। देखा बस है मूवी में, फोटो में..

भाभी बोलीं- किसी को चोदने की इच्छा नहीं होती?
मैंने कहा- भाभी, होती तो है.. लेकिन कहने में डर लगता है कि कहीं नाराज़ न हो जाए।

उन्होंने कहा- तुम तो बहुत फट्टू हो.. जब तक कहोगे नहीं, तो उसको पता कैसे चलेगा। उससे कह दो, उसे अगर चुदवाना होगा तो चुदवाएगी नहीं तो मना कर देगी।

उनकी बातें सुनकर मेरा लंड मेरे लोअर में फुंफकारने लगा, तो मैंने धीरे से उनके पैरों पर हाथ रखते हुए कहा- भाभी जब से आपको देखा है.. बस चोदने की इच्छा है।

सुनकर एकदम से उन्होंने कहा- मादरचोद, बहुत दिनों से मैं देख रही हूँ.. तू मुझे छुप-छुप कर नहाते हुए देखता है.. मेरे ब्लाउज के अन्दर के खजाने को देखता है.. चोदना आता नहीं है.. और मुझे चोदना चाहता है। बोल कैसे चोदेगा?

मुझे समझ नहीं आया कि आखिर यह चाहती क्या हैं?
फिर हिम्मत कर बोला- जब तक मौका नहीं दोगी.. तब तक मैं अपनी काबिलियत कैसे सिद्ध कर सकूंगा?
भाभी बोलीं- भोसड़ी के.. चल दिया मौका.. कर के दिखा।

मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई।
मैंने भी बिना देर किए भाभी को अपनी बाँहों में भर लिया और अपनी ओर खींच लिया।

अब मैं उनके होंठों को चूसने लगा।
कुछ ही देर की चुसाई के बाद वो भी गर्म होने लगीं।

मैं धीरे-धीरे उनके ब्लाउज के बटन खोलने लगा, उनकी साड़ी उतारी और पेटीकोट भी उतार दिया।
अब बस वो ब्रा और पैन्टी में ही रह गई थी, बोलीं- तू क्यों कपड़े पहन कर खड़ा है।

मैंने जल्दी से अपना लोअर और टी-शर्ट उतार दिया, बस कच्छे में ही उनसे चिपक कर उनके चूचे दबाने लगा।
उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था।

धीरे से भाभी को नीचे लिटाकर उनके कबूतरों को ब्रा से आजाद कर दिया और चूसने और चूमने लगा, जिससे वो मादक सिसकारियां लेने लगीं।

मैं धीरे-धीरे उनके निप्पलों पर जीभ फिराने लगा, जिससे वो और सिहर उठतीं। मुझे मजा आ रहा था.. दोस्तों ऐसा लग रहा था जैसे कोई रुई के गोले को मेरे चेहरे के आस-पास घुमा रहा हो।

थोड़ी देर बाद मैं उन्हें चूमते हुए नाभि और कटि प्रदेश तक पहुँचा, जिससे उनके पूरे बदन में एक ठंडी लहर सी दौड़ गई।

फिर धीरे से मैंने उनकी पैन्टी में दो उंगलियां फंसाकर उसे भी पूरी उतार दी, देखा वहाँ एक भी झांट का बाल नहीं है।
लग रहा था जैसे आज ही साफ़ की हो।

भाभी की चिकनी चूत को देखकर मानो मेरे होश ही उड़ गए, एकदम अनछुई सी फूली हुई चूत थी।
उसे देखकर मुझसे रहा नहीं गया और एक चुम्मा उनकी चूत की पंखुड़ियों का ले लिया.. जिससे उनके मुँह से एक ‘आह’ निकल गई।
अब वो भी बहुत गर्म हो गई थीं और मेरे कच्छे के अन्दर हाथ डालकर जैसे ही मेरे लौड़े को छुआ मेरा लंड और अकड़ गया।

मुझे अब ऐसा लगने लगा था जैसे मेरे लंड की सारी नसें फट जाएँगी।
इधर मैं उनकी नहर बन चुकी चूत में उंगली कर रहा था।

इतने में वो मेरे लंड को खींचकर कहने लगीं- अब तो चोद दे रे.. क्यों तड़पा रहा है।
मुझे उनकी यह हालत देखकर मजा आ रहा था, मैंने भी कहा- भाभी आपने मुझे बहुत तड़पाया है.. आज बदला लेने का मौका है.. ले लेने दो।

भाभी बोलीं- अब तुम मुझे छोड़ कर कभी मत जाना.. मैं तो तेरी गुलाम बन गई.. और यह क्या ‘भाभी’ बोल रहा है.. मुझे अपनी ‘जानू’ बोल।

पता नहीं मुझे क्या लगा कि मैंने उन्हें पकड़ा और दोनों टाँगें चौड़ी करके अपनी जीभ उनकी क्लिटोरियस पर रगड़ दी।
उनसे बर्दाश्त न हुआ तो उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मुझे उनकी चूत का पानी नमकीन, लेकिन स्वादिष्ट लगा।

फिर मैं उन्हें जुबान से चोदने लगा और दोनों हाथों से उनके निप्पलों को मसलने लगा। उन्होंने मेरा सर पकड़ कर चूत पर दबा दिया और अपनी कमर उछालने लगीं।

फिर मैंने वहाँ से अपना मुँह हटाया.. तो मानो किसी भूखे शेर के सामने से किसी ने उसका शिकार हटा लिया हो।
उनकी आँखों में याचना और रोष के मिश्रित भाव थे।
मुझे उनकी यह स्थिति देखकर बहुत मजा आ रहा था।

मैंने अपना लंड उनके हाथ में दे दिया और उनसे कहा- इसको चूसो।

पहले तो वो मना करने लगीं फिर यूं मुँह में भर लिया.. जैसे कोई बच्चा लॉलीपॉप को चूसने लगता है।
मैं तो मानो स्वर्ग में पहुँच गया था।
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इसी पोजीशन में उनकी चूत में उंगली के साथ ही उनके निप्पल भी चूस रहा था। एक हाथ से उनके दूसरे निप्पल को मसल रहा था। मुझे और उन्हें इतना मजा आ रहा था कि बस पूछो मत।

अब वो गिड़गिड़ाने लगीं.. बोलीं- चोद दे मुझे.. मेरे पूरे शरीर में आग लग गई है.. इसे बुझा दे मादरचोद।

मुझे लगातार उंगली और निप्पल चूसने के आनन्द को महसूस कर उनकी योनि में से पानी का झरना चालू था कि एकदम से उनका बदन अकड़ा और उनकी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया।

इधर मैं भी लंड को चुसवाते हुए उनके मुँह में झड़ गया, उन्होंने सारा वीर्य गटक लिया।

फिर हम दोनों थोड़ी देर आराम करने लगे। अब वो कहने लगीं- मयंक इतना मजा मुझे आज तक नहीं आया, जितना तेरे साथ आया। तेरे भैया तो न मेरी चूत चाटते हैं और न ही कभी इतनी मस्ती करते हैं।

मैंने कहा- भाभी देखते जाओ.. अभी असली मजा तो देना बाकी है।
यह कहते हुए मैंने उन्हें फिर से अपने पास खींचा और चूमने लगा, उनकी चूचियां और चूत को दोनों हाथों से मसलने लगा।
वो फिर गर्म होने लगीं और मेरे लंड को सहलाने लगीं जिससे हमारे लण्ड महाराज फिर अपना फन उठाने लगे।

उनकी चूत का झरना फिर बह निकला और अब उन्होंने मुझे नीचे लिटा दिया और मेरा लंड चूसने लगीं। हम दोनों 69 की अवस्था में थे। वे फिर से अपनी चूत में मेरी जुबान चलवाने लगीं।

फिर वो एकदम से पलटीं और मेरे ऊपर बैठ कर अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ने लगीं।
मुझे भी बहुत आनन्द आ रहा था, मैं उनकी मुलायम फूली हुई गद्देदार चूत का मजा ले रहा था।

अचानक भाभी ने अपनी चूत को थोड़ा सा ऊँचा किया और मेरे लंड का सुपारा उठा कर दोनों पंखुड़ी के बीच में फंसाकर हल्का सा झटका दिया तो एक तिहाई हिस्सा चूत में घुस गया।

लौड़े के चूत में घुसते ही उनके मुँह से हल्की सी चीख निकल गई।

मुझे भी दर्द हो रहा था.. लेकिन आनन्द की अधिकता में दर्द को हम दोनों ही भूल गए।

मैंने उनकी कमर को दोनों हाथों में थामकर लंड को थोड़ा पीछे लेकर झटका दिया, तो पूरा का पूरा लण्ड गपाक से उनकी बच्चेदानी से टकरा गया।
उनकी जोर से चीख निकल गई।

मुझे थोड़ा सा आश्चर्य हुआ तो उन्होंने कहा- तुम्हारे भैया का लम्बा तो तुमसे अधिक है.. लेकिन मोटा तुम्हारा है।

कुछ पल हम दोनों ही थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे, फिर मैंने धक्के लगाना शुरू किया।
भाभी के मुँह से अजीब-अजीब आवाजें आ रही थीं, वे जोर-जोर से आगे-पीछे भी हो रही थीं, ऐसा लग रहा था जैसे कोई कुतिया मुझे चोद रही हो।

थोड़ी देर में उनका पूरा बदन अकड़ उठा और उन्होंने अपना पानी छोड़ दिया लेकिन मैं अभी भी चालू था।
मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से चूत में पेल दिया।

लगभग पांच मिनट में उन्होंने फिर से पानी छोड़ दिया।

अब तो वो थककर चूर हो गईं और कहने लगीं- अब तो बस कर.. मेरे शरीर में तेरा साथ देने की और ताकत नहीं बची।

तो मैंने उन्हें सीधा लिटाकर कमर के नीचे एक तकिया लगाकर, फिर से लौड़ा पेल दिया और आहिस्ता-आहिस्ता धक्के देने लगा।
उनकी चूत के दाने में रगड़ लगने से वो फिर से गर्म होने लगीं।

वो कहने लगीं- तेरे जैसा चुदक्कड़ जिसे मिलेगा.. उसे किसी और से चुदने की कोई ख्वाहिश नहीं रहेगी।

अब इस स्थिति में मेरा लण्ड सीधा उनकी बच्चेदानी से टकरा रहा था, जिससे उनको बहुत मजा आने लगा। अब मुझे लगने लगा था कि मैं भी अपने आपको ज्यादा देर नहीं रोक सकता हूँ।

मैंने कहा- रानी अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है.. बताओ मैं कहाँ निकालूँ?
तो कहती हैं- मेरे अन्दर ही डाल दो.. मैं इस वीर्य को महसूस करना चाहती हूँ। जिसने चोद-चोद कर मेरी चूत की माँ चोद डाली।

बस मैं अपने आपको तेज स्पीड से चलाने लगा और वो भी अपनी कमर हिलाने लगीं।
मैं भी आनंदातिरेक में बड़बड़ करते हुए उसी की चूत में झड़ गया और मैं उनके ऊपर गिरकर हाँफने लगा।

उन्होंने मुझे बहुत जोर से पकड़ लिया और दोनों पैर मेरी कमर पर जोर से लपेट लिए।

ऐसे ही बहुत देर तक पड़े रहने के बाद उन्होंने मुझे प्यार से चूमा और आँखों में आंसू के साथ कहने लगीं- आज मुझे तुमने वाकयी में औरत बना दिया। जिस सुख के लिए मैं अभी तक तरस रही थी, आज तुमने दिया। अब मैं तुम्हारी गुलाम हूँ.. जब चाहो तब मुझे चोद सकते हो।

दोस्तो, आज मेरी शादी भी हो गई है.. बच्चे भी हैं.. फिर भी हमारे बीच एक रिश्ता कायम है.. जिस्म का, दिल का।
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