किरण भाभी को लण्ड चुसवाया

मैंने कहा ‘साली राँड, छिनाल, हरामज़ादी, कमीनी, लण्ड को चूसकर इसे फिर से खड़ा कर, अगर बाहर निकाला तो ऐसी गांड मारूँगा कि बाप-बाप करने लगोगी.’

मैंने पाया कि मेरी गालियाँ उसे अच्छी लग रहीं थीं, क्योंकि मेरी बातों का वह बुरा नहीं मान रही थी. मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया. मैंने उसे फिर ज़बर्दस्ती कुतिया बनाया और जानवर की तरह एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया. वह ओहह्हह ह्ह्ह ओह्ह्ह ह्हहह ओह्ह्ह करने लगी, छोड़ दो… छोड़ दो… कहकर गिड़गिड़ाने लगी.

मैंने कहा कि साली छिनाल भाभी, अभी रो रही है, भोसड़ी की , तेरी चूत से तीन को निकाल कर पहले ही फड़वा चुकी हो, अब इसमें क्या दर्द होता होगा. साली इतना चोदूँगा कि पहली चुदाई याद आ जाएगी. इतना कह करक मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा. वह कह रही थी, मेरे मालिक धीरे करो. ओह… ओह ह्ह्ह… उउम्म्महह… की आवाज़ें निकाल रही थी. मैंने कहा कि चुप साली हरामज़ादी, ज्यादा नखरे किये तो बुरा को चोद-चोद कर खून निकाल दूँगा.

वह समझ गई कि मैं रूकने वाला नहीं हूँ तो वह भी साथ देने लगी और अपनी चूतड़ आगे-पीछे करने लगी. मैंने महसूस किया कि उसके बुर से पानी टपक रहा था. मैंने 15 मिनटों तक उसकी चुदाई की. इसी दौरान वह 2 बार झड़ी. अन्त में मैंने भी जब महसूस किया कि मेरी भी निकलने वाला है तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकालना चाह, तो उसने मुझे रोक दिया और कहा कि ‘देवर जी, तुमने तो मेरा देह शोषण कर ही दिया, पर अन्तिम काम कृपा करके मेरे मन से कर दो. मेरी चूत बहुत दिनों से प्यासी थी. इसे अपने लौड़े से निकलने वाले रस से भर दीजिए. और जब जब भी चोदने का मन करे, मुझे चोदते रहिए.’

मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत के अन्दर ही छोड़ दिया.

वह बोली ‘प्यारे राजा, अब मैं आपकी भाभी नहीं, सिर्फ किरण हूँ. जब जी चाहे…’

‘मैं तुम्हें कल एक रेज़र दूँगा… तुम अपने चूत का जंगल साफ कर लेना- मैंने उसकी बात काटकर कहा. ‘मुझे चिकनी चूत अच्छी लगती है.’

तो दोस्तो, भाभियो कैसी लगी मेरी कहानी. कृपया मुझे मेल करें, ताकि उत्साहित होकर मैं पुनः कहानी लिख सकूँ!
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