कलयुग का कमीना बाप-10

मैं उस ड्रेस को पहन कर तैयार हो गयी और जब हॉल में पहुंची तो पापा भी तैयार बैठे थे। मैं उस ड्रेस में खुद को कम्फर्टेबल नहीं महसूस कर रही थी। एक तो वो ड्रेस बहुत छोटी थी, वो ड्रेस सिर्फ मेरे नितम्बों को ढकने में ही कामयाब थी और ऊपर से मेरे बूब्स आधे बाहर निकल रहे थे।

हम लगभग 8 बजे पार्टी में पहुंचे, वहां काफी भीड़ थी। मैं जैसे ही वहां पहुंची कई प्यासी नज़रों को अपनी ओर घूरते पाया। मैं डर के पापा का हाथ पकड़ कर उनसे सट कर चलने लगी।
पापा मुझे बारी बारी से वहां मौजूद लोगों से परिचय कराते रहे। मुझसे मिलने वाला हर आदमी मुझे ऐसे घूर कर देख रहा था जैसे खा जाना चाहता हो। मैं डरी सहमी पापा के साथ अनमने भाव से उन लोगों से मिलती रही।

पापा ने ठीक ही कहा था कि उनकी पहचान बहुत पावरफुल लोगों से थी। पार्टी में मौजूद हर इंसान किसी न किसी बड़े औहदे से सम्बन्ध रखता था। वहां कोई पुलिस का बड़ा अफसर था तो कोई जज, डॉक्टर, पॉलिटिशियन तो कोई बड़ा बिजनेसमैन।

लेकिन मुझे उनमें जरा भी दिलचस्पी नहीं थी। मैं तो बस जल्द से जल्द उस पार्टी के ख़त्म हो जाने की प्रार्थना कर रही थी। मुझे वो शोरगुल का माहौल बहुत बुरा लग रहा था। जोर जोर से बजता डीजे का साऊंड मेरे कान के परदे फाड़ रहा था। वहां मौजूद हर आदमी का बस एक ही काम था… ड्रिंक डांस और नए आने वाले लोगों से हाथ मिलाना बात करना।
मेरी समझ से परे थी ये बात… लोग इस बोरिंग काम के लिए इतने पैसे क्यों बर्बाद करते है।

मैं अभी अपने इन्ही ख्यालों में खोयी थी की एक लड़की बहुत कम कपड़ों में लिपटी हुई हमारे ओर आयी और पापा से कस के लिपट कर उनके गालों में किस किया- हाय अंकल… कैसे हैं आप?
“एब्सोल्यूटली फाइन… रिया इससे मिलो… ये है मेरी बेटी पिंकी!” पापा मेरी और इशारा करते हुए उस लड़की से बोले।
“हाय… पिंकी!” रिया अपना हाथ बढ़ाती हुई बोली।
“हाय…” मैं एक टूक बोलकर चुप हो गयी, मुझे उसका पापा से लिपटना बहुत बुरा लगा था।

रात लगभग 2 बजे तक पार्टी चलती रही। मैं उतनी देर में कितनी बोर हो गयी थी बता नहीं सकती। घर पहुँचते ही बिस्तर पर गिर पड़ी, थकी होने के कारण नींद भी जल्दी आ गयी।

अगले रोज मेरे स्कूल से आने के बाद पापा भी जल्दी घर आ गये, आते ही मुझे तैयार होने को कहा।
“क्या आज भी पार्टी में जाना है… पापा?” मैंने उदास होकर पापा से पूछा।
“नहीं बेटा… आज हम घूमने जा रहे हैं और डिनर भी बाहर ही करेंगे।”

पाप की बात सुनकर मैं ख़ुशी से झूम उठी और जल्दी से तैयार होकर बाहर हॉल में आ गयी। कुछ ही देर में पापा भी तैयार होकर बाहर आ गये।

ठीक एक घंटे बाद हम एक आलिशान होटल के अंदर घुसे।
“पापा हम तो घूमने जाने वाले थे न… फिर आप होटल क्यों आये?” जब मैं समझने में नाक़ाम रही तो पापा से पूछ बैठी।
“पिंकी… मुझे एक दोस्त से मिलना है, फिर घूमने चलेंगे, आओ मेरे साथ!” वो मेरा हाथ पकड़कर होटल के लिफ्ट की ओर बढ़ गये।

लिफ्ट के रुकने के बाद हम बाहर निकले, फिर कुछ गैलरी में चलने के बाद पापा एक रूम के बाहर रुक गये।
उन्होंने दरवाज़े में दस्तक दी, कुछ देर बाद दरवाज़ा खुला।

दरवाज़े में 45 की उम्र के एक अंकल खड़े थे, मुझे उनकी सूरत जानी पहचानी लग रही थी। शायद मैंने उन्हें कल रात की पार्टी में देखा था।
मैं पापा के साथ अंदर गयी, अंदर पहुँचते ही मैं चौंक पड़ी… बिस्तर पर एक आधी नंगी लड़की लेटी हुयी थी। और ये वही लड़की थी जो पार्टी में पापा से लिपट रही थी और जिसका नाम पापा ने रिया बताया था।

हमारे अंदर पहुँचते ही वह लड़की बिस्तर से उठी और पापा के तरफ लपकी। फिर पापा के गले में बाहें डाल कर उनके होंठों को चूसने लगी।
मैं हैरानी से उसे देखती रह गयी, उसने मेरी मौजूदगी की भी परवाह नहीं की।

पापा भी उसके होंठों को चूसते हुए उसकी एक चूची को दबाने लगे और दूसरे हाथ से अपनी पैन्ट की चैन सरकाने लगे।
मैं अभी आँखें फाड़े पापा और रिया का खेल देख रही थी कि अचानक मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरी गांड को सहला रहा हो।
मैं तेजी से मुड़ी तो हैरान रह गयी, ये वही अंकल थे जिन्होंने दरवाज़ा खोला था।

मेरे मुड़ते ही उनके होंठों पर एक पैशाचिक मुस्कान दिखाई दी। मैं कुछ कहती उससे पहले उन्होंने अपना एक हाथ मेरी चूत पर रख दिया। फिर जीन्स के ऊपर से ही जोर से मेरी चूत को दबा दिया।
“यह क्या कर रहे हैं आप?” मैं गुस्से में बोली और आगे हट गई।
“क्यों… क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगा?” वो बोले और मेरी तरफ तेजी से बढ़े।

मैं घबराकर पापा की तरफ मुड़ी लेकिन जैसे ही मेरी नज़र पापा पर पड़ी मैं हैरान रह गयी। पापा का मोटा लम्बा लंड बाहर निकला हुआ था और रिया उसे अपने मुंह में भर कर चूस रही थी। मैं ये सब बरदाश्त नहीं कर पाई… मेरे पापा पर कोई और अधिकार जमाये मुझे अच्छा नहीं लगा।
मैं तेजी से आगे बढ़ी और पापा के पास पहुँच गयी- पापा ये आप क्या कर रहे हैं?

पापा ने अपनी बंद आँखों को खोला और मुझे देखते हुए मुस्कुराये फिर बोले- पिंकी… तुम भी रिया के पापा के साथ एन्जॉय करो। जाओ उनके पास… उन्हें देखो… वो कितने बेचैन हो रहे हैं तुम्हें प्यार करने के लिये।

मैंने एक सरसरी सी निगाह रिया के पापा की तरफ डाली तो आँखें आश्चर्य से फ़ैल गई। वो अपना लंड बाहर निकाले हिला रहे थे लेकिन मैं वापस पापा की तरफ मुड़ी- पापा, मैं आपसे प्यार करती हूँ। मैं उनके साथ ये सब नहीं कर सकती, मुझे ये पसंद नहीं, प्लीज पापा घर चलो।

मेरी बात सुनकर पापा रिया से अलग हुये, फिर मुझे बाँहों में भर मेरे होंठों को चूमते हुए बोले- ठीक है, जैसा तुम कहोगी मैं वही करूंगा लेकिन इस वक़्त मैं बहुत गर्म हूँ, बिना चुदाई किये मुझसे रहा नहीं जाएगा।
“तो फिर मुझे चोदिये पापा… मैं हूं ना… मेरे होते आप किसी और को चोदो, मुझे यह पसंद नहीं।” ये कहकर मैं झुकी और पापा का लंड मुंह में भरकर चूसने लगी।
पापा मेरे बालों को सहलाते हुए सिसकारी भरते रहे।

लंड चूसते हुए मेरी नज़र रिया की तरफ घूमी तो मेरा पूरा शरीर मस्ती से झनझना उठा। रिया की जीन्स घुटनों तक सरकी हुई थी और उसके पापा घुटनों के बल बैठे उसकी चूत चाट रहे थे, रिया अपनी कमर हिला हिला कर अपनी चूत अपने पापा से चटवा रही थी।

अचानक उसकी नज़र मुझसे टकरायी, मुझे अपनी ओर देखती पाकर उसने एक कामुक सिसकारी भरी, फिर वो अलग हुई और अपने बाकी के कपड़े उतारने लगी। उसे नंगी होती देख उसके पापा भी कपड़ों में न रह सके।
मैं उन दोनों की तेजी देखकर हैरान थी।

रिया ने अपने पापा को बिस्तर पर धकेल कर गिराया और उनके लंड को चूसने लगी। उसके पापा बिस्तर पर लेटे हुए थे लेकिन उसके दोनों पाँव फर्श पर थे। रिया उनकी टाँगों के बीच फर्श पर बैठी हुई लंड चूस रही थी।

कुछ देर लंड चूसने के बाद वो उठी और अपने पापा का लंड पकड़कर अपनी चूत में घिसने लगी। फिर अपनी गर्दन घुमाकर मुझे देखा, अगले ही पल उसने लंड को अपनी चूत के छेद पर टिकाया और एक करारा झटका… “आ… आह्ह…” उसके मुंह से चीख़ निकली। उसका धक्का इतना तेज था की एक ही झटके में उसके पापा का पूरा लंड उसकी चूत में समा गया था।

उसने पलट कर मुझे देखा जैसे मुझे चिढ़ा रही हो। वो सच में सेक्स में माहिर थी उसकी हरकतें बहुत कामुक थी। उसके इस कामुकता भरे सीन को देखकर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
वो मुस्कुराती हुई अपने पापा के लंड पर धक्के लगाने लगी। उसकी चीखों से पूरा रूम गूंज रहा था।

मैंने पापा को देखा, वो भी फटी फटी आँखों से उधर ही देख रहे थे। मैं जलभुन गयी और उस जलन से मेरा पूरा बदन सुलग उठा। मैं एकदम से खड़ी हुई और पलक झपकते ही अपने शरीर से सारे कपड़े उतार फेंके, फिर पापा को भी नंगा करती चली गई।

पापा को नंगा करने के बाद मैं अपनी चूत सहलाती हुई पापा को देखने लगी। पापा मेरा इशारा समझ गए वो मेरी टांगों के नीचे बैठ गए और अपनी जीभ निकाल कर मेरी चूत पर रख दी। पापा मेरी चूत चाटते हुए अपनी एक उंगली मेरी चूत में घुसा कर जोर से अंदर बाहर करने लगे। मैं सिसकारी भरती हुई उनका सर अपनी चूत में दबाने लगी।

पापा मेरी चूत को कुछ देर चाटने के बाद ऊपर उठे और मेरे बूब्स को मसलते हुए मेरी गर्दन को चूमने लगे, मेरी आँखें मस्ती से बंद होने लगी।
“पिंकी…” अचानक पापा की आवाज़ से मेरी आँख खुली।
“जी पापा?” मैं काँपते स्वर में बोली।

“आज मुझे रिया को चोदने का मन कर रहा है, प्लीज एक बार मुझे उसे चोदने दो। फिर कभी किसी दूसरी लड़की को नहीं चोदूँगा।”
मैं पापा को देखने लगी, वो मेरी आँखों में झाँकते हुए मेरे बूब्स दबाते रहे।

“लेकिन… पापा…”
“प्लीज पिंकी… मान जाओ!”
“ओ के… पापा… लेकिन सिर्फ एक बार!” मैं थोड़ा उदास होते हुए बोली।
“लेकिन रिया मुझसे तभी चुदेगी जब तुम उसके पापा से चुदोगी। प्लीज मेरी ख़ुशी के लिए एक बार मल्होत्रा अंकल से प्यार कर लो।”

मैं उस वक़्त पापा की बाँहों में मस्ती में डूबी हुई थी फिर भी उनका प्रस्ताव मुझे बुरा लगा!

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