मकान मालकिन की दूसरी सुहागरात गांड चुदाई के साथ

रास्ते में मैंने सोचा कि क्यों ना निशा का मूड ठीक करने के लिए शाम को कुछ सरप्राइज़ दूँ. मैंने मन बना लिया था कि निशा भाभी आखिर मुझे प्यार करती है और मुझे भी उसको खुश रखने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए.

शाम को ऑफिस से लौटते समय एक बढ़िया सा केक, एक गुलाब का गुलदस्ता, एक गजरा, कैंडल और कुछ फूल ले लिए. घर पहुंच कर मैंने सारा समान रखा और फ्रेश होकर के निशा के घर गया. बेल बजाई तो निशा ने दरवाजा खोला, उसने नीले रंग की साड़ी पहनी थी.. क्या मस्त माल लग रही थी.

मैंने पूछा- कहीं जा रही हो?
तो वो बोली- हां मंदिर जा रही हूँ. तुम यहीं रूको, बेटा सोया है उसका ख्याल रखना.

इतना बोलकर वो सोसायटी के मंदिर चली गई. उसके जाते ही मैं सारा सामान उसके बेडरूम में ले आया. फूल बेड पर डाल दिए और कमरे में कैंडल लगा दी. बेड के साइड में गजरा रख दिया और कमरा बाहर से बंद कर दिया. ड्रॉइंग रूम में केक को टेबल पर रख दिया और निशा के लौटने का इंतजार करने लगा.

आज मैंने मन बना लिया था कि चाहे निशा गुस्सा ही क्यों न हो लेकिन मैं उसकी ख़ुशी को लौटा कर ही रहूँगा.

जैसे ही निशा वापस आई तो उसे मैंने गले लगा कर विश किया. वो उदास हो कर बोली- थैंक्स.
मैंने बोला- बस थैंक्स..? चलो सेलिब्रेट करते हैं.
वो बोली- नहीं यार मूड नहीं है.
मैंने बोला- ऐसा मत करो यार.. मैं केक लेकर आया हूँ.
वो बोली- थैंक्स मयंक तुमने मेरे लिए इतना सोचा.

शायद वो केक का नाम सुनकर कुछ खुश हुई थी. इसलिए उसका मूड थोड़ा ठीक हुआ. उसने फ्रिज में से कोल्ड ड्रिंक निकाली और ड्राइंग रूम में आ गई. मैंने बाकायदा केक पर कैंडल लगा कर जलाई और उसने कैंडल फूंक मार बुझाई तो मैंने कहा- केक काटो.

वो मेरी तरफ प्यार से देखने लगी, मैं उसकी भावना को समझ गया. मैंने उसके गालों पर चूमा तो वो मुझसे लिपट गई और बोली कि मेरे साथ तुम सेलिब्रेट नहीं करोगे?

मैं हामी भर दी और मैंने पहले उसके बालों में गजरा लगाया. फिर हम दोनों ने मिल कर केक काटा. इसका मतलब यह हुआ था कि उसने अपने पति को भुला कर मुझे ही इस वक्त अपना पति मान लिया था.

फिर वो मुझसे गले लग गई और मुझे चूमने लगी. मैंने उसको केक खिलाया और केक की क्रीम उसके गालों पर लगा दी. उसने भी मुझे अपने मुँह से काटा हुआ आधा केक का पीस खिलाया और क्रीम मेरे गालों पर लगा दी.

हम दोनों पूरी मस्ती में आ गए थे और एक दूसरे के गालों पर लगी क्रीम को चाटते हुए एक दूसरे को प्यार करने लगे.

फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सोफे पर बैठ गए. उसने अपनी गोदी में मेरा सर रख लिया और अब वो मुझे अपनी शादी की बातें बताने लगी.

थोड़ी देर बाद वो बोली कि अब मैं चेंज कर लूँ.. फिर सोऊँगी.
मैंने बोला- अभी कहां सोना है, तुम्हारे लिए एक सरप्राइज़ है.
वो बोली- कैसा सरप्राइज़?
मैंने कहा- शादी के बाद क्या हुआ ये भी तो जान लो.

वो समझी कि मैं सिर्फ चुदाई की बात करना चाहता हूँ, उसने कहा- मुझे मालूम है कि शादी के बाद क्या हुआ था, लेकिन वो दूसरे दिन हुआ था.
मैंने कहा- उसको छोड़ो निशा आज मैं तुमको कुछ मस्त दिखाना चाहता हूँ.

वो समझ ही नहीं पा रही थी कि मैं उसको ऐसा क्या दिखाने वाला हूँ.

मैंने उसकी आँखें बंद की और बेडरूम में ले गया. उसने आँखें खोलीं और फूलो से सजा हुआ कमरा देखकर हैरत से बोली- ये सब क्या है मयंक?

मैंने बोला- आज शादी हुई है, तो अब सुहागरात भी होनी चाहिए.
वो मुझसे लिपट गई और बोली- तुम कितनी बार तो मना चुके हो सुहागरात, अब बचा क्या है?
मैंने कहा- बचा तो बहुत कुछ है.
वो बोली- क्या?
मैंने उसकी गांड पर हाथ रखकर बोला- ये छेद बचा है ना.
वो थोड़ी घबरा गई और बोली- पहले कभी किया नहीं.. कुछ होगा तो नहीं!

हालांकि वो आज अपने कमरे को फूलों से सजा हुआ देख कर बहुत खुश थी और अब उसका मूड एकदम खिला हुआ था. जिस बात के लिए मैंने सोचा था कि निशा को खुश करके ही उसके इस दिन को खुशगवार बना दूँगा, वही हुआ. निशा अपने गम को भूल कर बेहद खुश दिख रही थी. इस वक्त वो अपने पति को भूल चुकी थी और शायद मुझे ही अपना पति मान बैठी थी. आज सुहागसेज पर उसने मेरा साथ देने का मन तो बना लिया था लेकिन वो मेरे लंड के बड़े साइज के कारण थोड़ी डरी हुई थी.

उसने कहा- मैं सील तुड़वाने को राजी हूँ पर बहुत दर्द होगा.
मैंने समझाया कि जिस तरह का दर्द पहली चुदाई में होता है, वैसा ही होगा और फिर मज़ा भी बहुत आएगा.

शायद उसकी आँखों में अपनी पहली चुदाई का मंजर घूम गया और उसको अपनी चुत की झिल्ली टूटने पर हुआ दर्द याद आ गया. साथ ही शायद उसको चुत चुदाई का मजा भी आने लगा था.

इधर मैंने भी उसको समझाया कि पहली बार जब चुत की सील खुली थी, तब दर्द हुआ था कि नहीं.. और फिर बाद में इसी मजे के लिए तुम कितनी ज्यादा मचलने लगी थीं.

थोड़ी देर समझाने के बाद वो मान गई. उसने तय कर लिया था कि आज की खुशी के एवज में वो मुझे अपनी कुंवारी गांड का छेद खोलने देगी.
उसने मुस्कुरा कर मुझे गले से लगा लिया और चूमते हुए कहा- ठीक है राजा तुमको भी आज सील तोड़ने का हक है. मैं राजी हूँ.. अब चाहे खून की नदियाँ क्यों न बह जाएं, मेरी गांड के मालिक अब तुम बन कर रहोगे.

मैंने उसको चूमा और उसकी उसकी चूचियों को मसल दिया. निशा ‘उन्नह.. लगती है..’ कहते हुए मुझे छिटक कर अलग हो गई. फिर वो कमरे से अपनी ड्रेस में चली गई और उधर से दो मिनट बाद ही सेक्सी सा लाल गाउन पहन कर बेडरूम में आ गई. उसकी देख कर मेरा लंड फनफनाने लगा, मैं भी उसकी गांड मारने को तैयार हो गया था.

मैं सुहागरात की तरह उसे चूमने लगा, उसके होंठ, गर्दन, कंधा.. सब चूमे. धीरे धीरे वो गरम होने लगी और मुझे चूमने लगी. हम एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे. थोड़ी एक दूसरे को चूमने के साथ ही हम लोग पूरे नंगे हो गए थे. मैंने उसके बोबे चूसे और फिर उसको लेटा दिया. मैंने लंड और उसकी गांड का छेद बिल्कुल सही पोज़ीशन में आ जाएं, उसके लिए निशा की कमर के नीचे दो तकिए लगा दिए. मैंने थोड़ी सी स्पेशल क्रीम लेकर उसकी गांड के छेद को सहलाते हुए क्रीम मलने लगा.

इस क्रीम से गांड मारने में दर्द का अधिक अहसास नहीं होता था. निशा को भी मेरी उंगली का स्पर्श अपनी गांड पर महसूस करते हुए मज़ा आ रहा था.

थोड़ी देर उसकी गांड सहलाने के बाद मैंने क्रीम अपने लंड पर भी लगा ली. मैं निशा से बोला- तैयार हो अपनी दूसरी सुहागरात के लिए.
वो थोड़ा डर कर बोली- हां.

मैंने थोड़ी क्रीम उसके छेद पर लगाई और लंड को घुसेड़ने लगा. चूँकि निशा का पहली बार था, तो थोड़ी तकलीफ़ हो रही थी और मैं ये भी सोच रहा था कि कहीं दर्द के डर के कारण निशा मना ना कर दे. इसलिए मैं उसके बोबे भी सहलाता जा रहा था. जब मुझे लगा कि यही सही मौका है, तो मैंने एक धक्का मारा और आधा लंड निशा की गांड में घुसेड़ दिया.

वो चीख पड़ी- आह आआआअ उम्म्ह… अहह… हय… याह… उ उ उ उ उह हाय मैं मर गई.. निकालो इसे..
पर मैं कहां सुनने वाला था, मैं एक हाथ से उसकी चुची मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूत को उंगली से सहला रहा था. थोड़ी देर वैसे ही रहने के बाद मैंने एक और शॉट लगाया और पूरा लंड अन्दर हो गया.

इस बार मैं उसे चूम रहा था तो उसके मुँह से बस ‘गुऊं गुऊं..’ की आवाज़ आई.

मैं थोड़ी देर फिर रुका और धीरे धीरे शॉट लगाने लगा. अब मेरा लंड उसकी गांड में अच्छी तरह से चल रहा था और उसे भी मज़ा आने लगा. वो बोली- वाह मयंक इसे कहते हैं सुहागरात, मज़ा दिला दिया तुमने तो.

थोड़ी देर में मैंने देखा कि उसकी चूत में से पानी निकल रहा है और मेरे लंड पर आ रहा है. उस चिकने पानी ने मेरे लंड को और तेज़ी से चलने में मदद की.
अब मैं उसकी और ज़ोर से गांड मार रहा था और वो चीखे जा रही थी.

करीब दस मिनट उसकी गांड मारने के बाद मैंने उसकी गांड में ही अपना सारा माल निकाल दिया और निशा के ऊपर लेट गया.

थोड़ी देर बाद मैं उठा और निशा से बोला- उठो और अपने आप को साफ़ कर लो.
वो बोली- मेरी तो ज़रा भी हिलने की हालत ही नहीं है, इतनी जोरदार गांड मारी मेरी. तुम यहीं मेरे गाऊन से साफ कर दो.
मैंने उसे साफ किया और हम दोनों नंगे ही सो गए.

दोस्तो, उस रात को मैंने उसकी चूत चुदाई भी की. रात भर चुद कर, सुबह तक निशा की हालत खराब हो चुकी थी. मैंने उसके लिए चाय बनाई और फिर हम साथ में ही नहाए.

अब मैं निशा के तीनों छेदों की अच्छे से चुदाई करता हूँ और उसे भी मज़ा आता है. मेरी ये कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताएं.

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