भाई के दोस्त की बीवी ने चूत चुदवाई

मैं मना करने लगा कि मुझे बहुत काम हैं आप कार्ड ले लीजिए मैं बाद में कभी आऊँगा पर उसकी जिद के आगे मुझे बैठना पड़ा।
मैं अपने हाथ से बिस्कुट उठाने ही वाला था कि भाभी ने बिस्कुट को मेरे मुँह में लगा दिया।

मुझे कुछ अजीब सा लगा.. लेकिन मैंने खा लिया और चाय भी पी ली।

भाभी की अन्तर्वासना

भाभी अपनी चूचियों को मसलते हुए इठला कर बोली- आप तो हमारे घर कभी आते ही नहीं हो।
तो मैंने जबाब दिया- आज तो आ गया ना..
वो मुस्कुराते हुए मेरे सामने खड़ी हो कर मेरे मुँह पर अपनी गोल-गोल चूचियों को रगड़ने लगी।

मैंने पूछा- भाभी, यह आप क्या कर रही हो?
तो बोली- देवर को दूध पिला रही हूँ.. तुम्हारे भाई तो पीते ही नहीं हैं।

भाभी की चूचियों के स्पर्श से मेरा लंड खड़ा होने लगा था.. लेकिन मैं सोच रहा था कि मुझे ये सब करना ठीक रहेगा या नहीं।
तभी भाभी मुझे चूमने लगी.. मेरा भी सब्र का बाँध टूट गया और मैं भी उसके गुलाबी-गुलाबी होंठों को चूसने लगा।
भाभी का हाथ मेरे लंड पर गया.. उसे पकड़ कर भाभी चौंक सी गई।
मैंने पूछा- भाभी क्या हुआ?
बोली- इतना लम्बा और मोटा लौड़ा.. मैं पहली बार पकड़ रही हूँ।

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मैंने भी देरी न करते चैन खोल कर लंड को बाहर निकाल दिया और भाभी के होंठों पर रख दिया।
भाभी ने भी देरी ना करते लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था, मैं भाभी के सर को पीछे से पकड़ कर जोर-जोर से उनके मुँह में लौड़ा पेलने लगा।

कुछ समय तक यूं ‘मुँह चोदी’ करवाने के बाद भाभी बोली- देवर जी आग जहाँ लगी है.. लंड को उसमें डाल दो न..

मैंने भाभी को बिस्तर के एक साइड में लिटा कर उसकी चिकनी मस्त गुलाबी बुर को चूसने लगा, उस समय भाभी ऐसे छटपटा रही थी.. जैसे मछली को पानी से बाहर निकालने पर होता है।

कुछ ही टाइम हुआ था और भाभी ने मेरे सर को अपनी बुर पर जोर से दबा दिया और झड़ गई, मेरे मुँह में भाभी की बुर का नमकीन पानी चला गया, कुछ तो मेरे गले से नीचे चला गया.. और जो मेरे मुँह में बचा था उसे मैंने भाभी के मुँह में डाल कर दोनों एक-दूसरे के होंठ को चूसने लगे।

अब भाभी बोली- देवर जी.. देरी मत करो.. जल्दी से अपने लंड से मेरी बुर को आज चोद दो.. नहीं तो कोई आ जाएगा।

मैंने भाभी की दोनों टांगों को फैला कर लंड को बुर पर लगा कर जोर से पेला..
दर्द से भाभी की आँखों से आंसू निकल आए थे, मैंने कुछ ना देखने का बहाना करते हुए भाभी की बुर को जोर-जोर से चोदने लगा।

कुछ ही पलों के बाद भाभी को बहुत मजे आने लगे थे.. इसलिए वो भी चूतड़ों को उछाल-उछाल कर चुदाई में मेरा साथ दे रही थी।
दस मिनट तक चोदने के बाद भाभी को मैंने घोड़ी बना दिया और चोदने लगा।

भाभी- उह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह.. ईईईईए.. ओ.. माँआआ आआआ.. मजा आ रहा है.. आआह्ह्ह्ह.. जोर से पेलो.. और जोर से पेलो.. आज मेरी चूत की प्यास बुझा दो.. एईईईह.. आह्हह्ह..

भाभी चुदास भरी आवाजें निकाल रही थी, भाभी की बुर से उसकी बुर का पानी निकला जा रहा था.. जो बुर से टपक कर मेरी जांघों से लग के नीचे गिर रहा था।
भाभी को देख कर लग रहा था कि न जाने कितने दिनों से उसने चुदाई नहीं करवाई थी, वो इस तरह से सिसकार रही थी।
मैं भी उसकी ये सेक्सी आवाज सुन कर जोर-जोर से पेले जा रहा था।

अब मैंने चरम पर पहुँच कर अपना लौड़ा बाहर खींच लिया तो भाभी एकदम से उठ कर नीचे बैठ गई।
मैंने बोला- क्या हुआ?

कुछ ना बोल पाने के कारण अपने पैरों को पटक रही थी। मैं कुछ समझता.. उसके पहले ही उसने जोर से पेशाब कर दिया.. जिसका छींटा मेरे ऊपर भी आ गया था।

अब भाभी बिस्तर पर लेट गई.. मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोलने लगी- आज बस इतना ही.. मैं आज धन्य हो गई।
मैंने बोला- पर भाभी मेरा तो काम अभी हुआ ही नहीं?

तो बोली- अभी बहुत थक गई हूँ.. हिम्मत नहीं हो रही है.. लेकिन कोई बात नहीं.. लंड को चूस कर माल निकाल देती हूँ।
तो मैंने बोला- नहीं.. मुझे तुम्हारी गांड को चोदना है।
बोली- प्लीज़ मान जाओ.. आज साथ नहीं दे पाऊँगी.. कल कर लेना।

लेकिन मैंने उसकी कोई बात न सुनते हुए उसका एक पैर ऊपर उठा दिया और लंड पर थूक लगा कर लंड को उसकी गांड के छेद पर रख दिया।
वो मना कर रही थी.. लेकिन मैंने जोर से धक्का दिया.. जिससे मेरे लंड का सुपारा उसकी गांड में घुस गया था।

वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी।
उसके बाद मैंने फिर जोर से धक्का दिया, मेरा लंड आधा उसकी गांड में घुस गया था।
कुछ देर चोदने के बाद मैंने भाभी को देखते हुए पानी छोड़ दिया और लंड को उसके मुँह में डाल दिया।

उसने मेरे लंड चूस कर उसका पानी निकाल दिया, कुछ तो पी गई और कुछ अपने चूचियों पर निकाल दिया।

बोली- आह्ह.. देवर जी.. मजा आ गया.. रोज मुझे ऐसे ही आ कर चोदा करो।
तो मैंने पूछा- क्यों.. राजेश नहीं चोदता क्या तुमको?
बोली- जैसे तुम चोद रहे थे.. ऐसे नहीं चोद पाते हैं।
मैं बोला- ठीक है.. जब टाइम मिला करे तो फ़ोन कर दिया करो.. मैं तुमको चोदने के लिए आ जाया करूँगा।

मेरे घर से उसका घर 7 किलोमीटर की दूरी पर है।
उसके बाद जब भी मौका मिलता.. उसको चोदने के लिए चला जाता था।

लेकिन इस बात का पता शायद राजेश को चल गया था कि मैं उसकी बीवी की चुदाई करता हूँ। तब भी उसने मुझे कभी कुछ नहीं कहा.. तो मैं भी समझ गया कि ये सब राजी से हो रहा है।

दोस्तो.. आपको यह मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी। अगर आपको पसंद आई हो तो मुझे ईमेल लिखिए.. मेरी जिंदगी से ऐसी बहुत सारी सच्ची कहानियाँ जुड़ी हैं वो मैं आप सब से शेयर करूँगा।
धन्यवाद..
आपका अजय शर्मा
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