पंजाबन भाभी को जन्म दिन पर चूत चुदाई का तोहफा -4

प्रीत हौले-हौले से मेरे लंड को चूसने लगी थी। मैंने दोनों हाथों से उसका सर पकड़ा और लंड को जोर-जोर से प्रीत के मुँह के अन्दर-बाहर करने लगा।
अब आगे..

मैं प्रीत के मुँह को जोर-जोर से चोद रहा था।

लगभग 5 मिनट प्रीत के मुँह की चुदाई करने के बाद अब मैंने प्रीत को अपनी गोद में उठा लिया और बेड पर बैठा दिया। मैं बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और प्रीत को अपने ऊपर पेट के बल उल्टा लेटा लिया। प्रीत का मुँह मेरे लंड के पास था और मेरा मुँह प्रीत की चूत पर था।

प्रीत मेरे लंड को चूसने लगी.. और मैं प्रीत की चूत को चाटने और चूसने लगा। मैंने उसकी चूत में 2 उंगलियां भी डाल दीं।

मैं उंगली चूत में डाल कर और जोर-जोर से अन्दर बाहर करने लगा। इस पोज़ में दोनों को ही मजे आ रहे थे.. तो इस पोज़ को हमने 5 से 7 मिनट किया, फिर प्रीत मेरे ऊपर चढ़ कर सीधा बैठ गई.. जिससे अब प्रीत का मुँह मेरी तरफ था। प्रीत ने अपनी दोनों टांगें मेरे दोनों तरफ कर रखी थीं।

उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गीली चूत में डाल लिया और हल्के-हल्के ऊपर-नीचे होने लगी.. जिससे उसे मजा भी आने लगा- ओहह्ह्ह.. आहह.. यश.. ओओह्ह्ह.. आह्ह्ह्ह्ह्..
अब प्रीत ने थोड़ी स्पीड बढ़ा दी और जोर-जोर से ऊपर-नीचे होने लगी।
मैं उसकी कमर पकड़ कर उसकी चूत से ताल मिलाने लगा.. जैसे ही वो ऊपर होते हुए नीचे आती.. तो मैं उसकी कमर पकड़ कर उसे और नीचे दबा देता.. जिससे प्रीत और मजे से भी उछल जाती।
‘ऊऊ.. आआह..’

5 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद अब मैंने उसको डॉगी स्टाइल में होने को कहा.. तो उसने डॉगी स्टाइल पोज़ ले लिया।
मैं भी घुटनों के बल खड़ा हो गया।

अब मैं उसकी चूत को चाटने लगा.. और फिर से उसकी चूत को गीला करके अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया। मैंने जोर से धक्का मारा।
प्रीत चिल्लाई- ऊऊओह्ह ह्हह्ह..

मैंने एक ही बार में पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया और उसकी चुदाई करना चालू कर दी।
प्रीत चिल्ला कर बोल रही थी- आह्ह.. चोदो.. और जोर-जोर से चोदो.. और जोर-जोर से.. आहह्ह्.. ऊऊह्.. यश ह्ह्हाआ.. ऐसे ही.. ओह्ह्ह्ह्ह्..

जब-जब मैं उसकी गांड को देखता.. तो उसकी गांड पर हाथ मारता.. जिससे वो ‘आआअह्ह्ह..’ करती, उसकी गांड पर बार-बार मारने से उसकी गांड लाल हो गई थी।
इतनी मस्त हसीना को देख कर उसके गोरे बदन को देखता.. तो मैं और जोर-जोर से उसकी चुदाई करने लगता।

प्रीत- ऊऊओह्ह्ह.. यश.. चोदो और चोदो.. हाँ.. स्सस्स.. ह्ह्ह..
करीब दस मिनट तक प्रीत को इस तरह से चोदा.. फिर मैंने महसूस किया कि हम दोनों ही पसीने से पूरे भीगे हुए हैं।
तो कुछ देर रुक कर हवा लेने लगा।

भाभी की गांड

फिर मैंने सोचा कि क्यों न अब प्रीत की गांड भी मार लूँ।
तो मैंने प्रीत को अब बिस्तर पर पेट के बल लेटा दिया और उसकी चूत को और गांड को दोनों को चाटने लगा.. जिससे उसको शक न हो।

मैंने देखा कि क्रीम की डिबिया भी रखी हुई है.. तो मैंने क्रीम उठा कर प्रीत की चूत और गांड दोनों में लगाई।

कुछ क्रीम अपने लंड पर भी लगा कर प्रीत के ऊपर चढ़ गया और उसकी गांड पर अपना लंड रख दिया.. वो थोड़ा सा कुनमुनाई.. पर मैंने हल्का सा कमर को ऊपर किया और जोर से प्रीत की गांड में धक्का मार दिया।

प्रीत चिल्लाई- ऊऊह्ह्ह्ह्ह्.. ये क्या रहे हो.. मेरी गांड तो मेरे पति ने भी नहीं मारी..
तो मैं बोला- फिर तो तुम्हारे पति को कुछ पता ही नहीं है.. गांड मारने में भी क्या मस्त मजा आता है.. लगता है उसको पता नहीं..

अभी मेरा सुपारा ही गया था.. प्रीत की गांड सच में बहुत कसी हुई थी।
मैंने अभी इतना ही कहा था कि प्रीत दर्द से बोलने लगी- आह्ह.. निकाल लो.. अपने लंड को..
पर मैंने प्रीत को दबा रखा था और अब मैंने एक हाथ में तेल की शीशी को लिया.. और उसके छेद पर डालने लगा और जोर से धक्का मारा।

प्रीत फिर से चिल्लाई- ऊह्ह्ह्ह्.. आह्ह्ह्ह.. म्मर्रर्र गईईई..
उसकी आँखों से आंसू निकल आए.. पर मैंने देर न करते हुए हल्का सा लंड बाहर निकाला और पूरी दम से धक्का दिया। इस बार उसकी आवाज ही नहीं निकल पा रही थी.. जैसे प्रीत की जान ही निकल गई हो।
प्रीत मुझसे छूटने की पूरी कोशिश कर रही थी.. पर मैंने छोड़ा नहीं।

अब ऐसे ही उसके ऊपर लेट गया और उसकी गर्दन पर और गालों पर चुम्बन करने लगा.. साथ में उसकी पूरे जिस्म पर अपने हाथ को फेर रहा था.. जिससे वो अब दर्द भूल गई और तैयार हो गई।
जल्द ही अब प्रीत ने अपनी गांड को हिलाना शुरू कर दिया था और वो चूतड़ों को ऊपर-नीचे करने लगी।

जब मैंने देखा कि प्रीत को अब मजा आने लगा.. तो मैंने भी अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ा दी और प्रीत की गांड में अपने लंड को जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा था।
प्रीत बस ‘ऊओह्ह्ह.. आआअह्ह्ह्ह.. ऊओह्हह्ह..’ करे जा रही थी.. उसकी जोरदार चुदाई हो रही थी।

बिस्तर पर घमासान चुदाई के बाद अब मैंने प्रीत को बालकनी पर खड़ा कर दिया। बालकनी की लाइट तो पहले से ही बंद थी.. तो किसी को कुछ नहीं दिख रहा था। मैंने प्रीत को नीचे बिठा दिया और उसके मुँह में अपना लण्ड डाल दिया और अब प्रीत मेरे लंड को किसी लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी उसने मेरे लण्ड को चूस कर गीला कर दिया।

मैंने प्रीत को बालकनी पर घोड़ी बना दिया.. इधर पांचवीं मंजिल होने के कारण हवा भी अच्छी चल रही थी।

मैंने प्रीत की गांड पर लंड को रखा और एक ही बार में पेल दिया।
‘ऊऊओ.. जान.. आह्हह्हह्ह..’
मैंने प्रीत की कमर को पकड़ लिया और जोर-जोर से उसकी गांड मारने लगा। प्रीत और मैं जैसे किसी जन्नत का मजा ले रहे थे।

कुछ देर बाद मैंने प्रीत के दोनों हाथों को उसकी पीठ पर रखा और चुदाई करने लगा।
प्रीत तो जैसे मस्ती से चुदने में लगी थी और सच में प्रीत को इस तरह से चोदने में बहुत मजा आ रहा था।

मैंने प्रीत को हल्का सा सीधा खड़ा कर दिया और उसके चूचों को दबाने लगा। मैंने कस कर प्रीत को दोनों हाथों से पकड़ लिया और फिर से प्रीत की गाण्ड की चुदाई करना चालू कर दी। इस बार और जोर-जोर से प्रीत की गाण्ड में अपने लंड को डालता और निकालता रहा.. जिससे प्रीत की सिसकारियाँ अधिक तेज स्वर में निकलने लगी थीं ‘ऊऊऊह्ह्.. ह्ह्ह्ह्ह्आ.. ओह्ह्ह्ह्..’

मैंने प्रीत की गांड को चोदते हुए उसके मम्मों को अपनी हथेलियों में भर लिया और तेज रफ्तार से चोदने लगा।
प्रीत- ऊऊह्.. आहह.. चोदो.. और जोर से..
मैंने भी जोर-जोर से चोदना जारी रखा करीब 15 मिनट ऐसे ही चोदा होगा कि प्रीत बोली- यश मैं थक गई हूँ..

मैं भी फुल स्पीड में प्रीत की चुदाई करता रहा.. बस 20 से 25 धक्के मारने पर मैं एक तेज ‘आहहह..’ के साथ झड़ गया और मैंने सारा माल उसकी गांड में निकाल दिया।
प्रीत एकदम निढाल हो चुकी थी.. सो मैंने उसको गोद में उठा लिया और कमरे में बिस्तर पर लेटा दिया, मैं खुद भी उसके साथ लेट गया और आराम करने लगा।

प्रीत बोली- यश.. तुमने तो आज जान ही निकाल दी.. पर आज बहुत मजा आया.. एक बात है.. मेरे पति का लंड तुम्हारे लंड से बड़ा है.. पर मजा तुम्हारे लंड से आ रहा है।
मैंने कहा- लंड छोटा हो या बड़ा.. चुदाई करना ऐसे आना चाहिए कि जिसको भी चोदो.. वो हमेशा लण्ड को याद रखे।

इतने में प्रीत बोली- यार मेरा पति तो कुछ करता ही नहीं था.. वो तो सीधे ही चूत में लंड डालता और 10 मिनट चोदता.. फिर सो जाता.. मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आता.. पर तुमने तो आज ऐसी चुदाई की मेरी.. कि मजा आ गया। पहले ऐसा मजा और ऐसी चुदाई.. ऊऊफ़्फ़्फ़्.. कभी नहीं हुई मेरी.. सही में मजा आ गया।

मैंने कहा- अभी तो खेल चालू हुआ है जान.. अभी पूरी फ़िल्म बाकी है.. मेरी जान देखती जाओ..
फिर प्रीत बोली- यार.. भूख लग रही है..
मैंने भी कहा- हाँ.. कुछ खिलाओ..

प्रीत ने ऑमलेट बनाया और ऑमलेट खाने के बाद फिर से प्रीत को चोदा।
उस रात मैंने प्रीत को 3 बार चोदा, अब तो हमारी उठने की भी हालत नहीं रह गई थी।
फिर भी जैसे-तैसे करके करीब 6 बजे मैं अपने कमरे में आकर सो गया।

करीब 8 बजे मौसी ने दरवाजे की घंटी बजाई.. तो मैं उठा और बोला- मौसी मुझे अभी और सोना है।
तो मौसी बोलीं- कोई बात नहीं.. सो जा।
और मैं फिर से सो गया।

उस दिन 12 बजे तक प्रीत आई और बोली- अभी तक सो रहे हो मेरे यश बेबी।
मैंने कहा- हाँ तुम भी आ जाओ..
और मैंने उसको अपने बिस्तर पर खींच लिया और चुम्बन करने लगा।

बस 5 मिनट चुम्बन करने के बाद प्रीत बोली- चलो जल्दी से नहा लो.. आज मैंने तुम्हारे लिए ख़ास खाना बनाया है।
यह किस्सा था प्रीत दि ग्रेट चुदक्कड़ पंजाबन माल का।

दोस्तो, आपको अपनी दिल की बात बता दूँ कि मुझे पंजाबन भाभियाँ बहुत पसंद हैं, पंजाबी भाभी को चोदने का बहुत मन होता है..

आगे अगली रातों में मैंने फिर से प्रीत की चुदाई की.. वो कैसे हुई.. वो अगले भागों में लिखूँगा।
मैं आपके मेल का इन्तजार करूँगा। मुझे भाभियों के ईमेल का बहुत बेसब्री से इन्तजार रहता है.. प्लीज़ करो न..
यश हॉटशॉट
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