दोस्त और उसकी बीवी ने लगाया ग्रुप सेक्स का चस्का-5

मैं बाथरूम में जाकर नहाने लगा और वहीं से दीपा को आवाज दी।
वो आई तो उसे मैंने अंदर खींच लिया और उसके कपड़े उतार दिए।
इससे पहले हम कभी साथ नहीं नहाये थे।

वो मुझसे चिपक गई।
शावर के नीचे मैंने उसके मम्मे चूसने शुरू किये। वो नीचे झुकी और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।

अब हम दोनों से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, हम फटाफट बदन पौंछ कर नंगे ही कमरे में आ गए और बिस्तर पर शुरू हुई हमारी रास लीला।
मैंने वो सब कुछ किया जो पिछले पंद्रह दिनों में मैंने कामिनी के साथ किया था।

मैंने चुदाई के वक़्त उससे पूछा- भुट्टे से करते कैसा लगा?
तो वो शर्मा कर बोली- अब तो रोज भुट्टे या करेले से करती हूँ और ऐसा लगता है जैसे कोई दूसरा उसे चोद रहा है।

मैंने चुदाई पूरी करके उसे किताबें दी और छुपा कर रखने को कहा।
खाना खाकर मैं बाबाजी से मिलने दूकान की ओर चला गया।

चार बजे जब घर लौटा तो देखा एक करेला बिस्तर के नीचे पड़ा है।
दीपा को लगा कि उसकी चोरी पकड़ी गई।
पूछने पर उसने बताया पूरी दोपहर वो किताबें पढ़ती रही, ज्यादा गर्म होने पर उसे करेले से अपनी चूत को शांत करना पड़ा।

रात को बिस्तर पर हम खुसुर पुसुर बात कर रहे थे।
उसने मुझसे पूछा- क्या शहर में लोग एक दूसरे की बीवी को चोदते हैं?
मैं डर गया कि मेरी चोरी पकड़ी गई, मैंने उससे पूछा- क्यों ऐसा पूछ रही हो?
उसने बताया कि हर किताब में दो-तीन कहानी इसी विषय पर हैं।

मैंने उससे कह दिया- मकसद तो मजा लेने से है चाहे कैसे भी आये।
आज पहली बार उसने मुझे बताया कि शादी से पहले एक बार वो अपनी चचेरी बहन के साथ नंगी नहाई थी और उस रात उन दोनों ने एक दूसरे की चूत में उंगली भी की थी।

यह सुनकर मेरा तो लंड तम्बू बन गया, मैंने उससे कहा- जब हम शहर रहेंगे तो अपनी चचेरी बहन को बुला लेना और एक बार फिर नंगी नहा लेना!
वो बोली- धत्त.. अब तो तुम हो साथ नहाने के लिए!
मैंने भी कह दिया- ठीक है, हम तीनों नहा लेंगे।
ऐसा सुनकर वो भी गर्म हो गई और मेरा लंड टटोलकर अपनी चूत में कर लिया।

सुबह मैं वापिस आ गया, मोटरसाइकिल खड़ी ही की थी कि राजीव का फ़ोन आ गया, पूछ रहा था कि बिना बताये क्यों चला गया था।मैंने हंस कर कहा- किसी की प्यास बुझानी थी।

अब मैं और राजीव सेक्स पर खुल कर बात कर लेते थे, दो दिन काम ज्यादा होने से मैं कामिनी से ज्यादा फ़ोन पर बात नहीं कर पाया।
पंद्रह दिन बाद दीपा को लाना था इसलिए घर में पेंट कराना और फरनीचर लेना था।
डबल बेड लेने के लिए मैं राजीव को साथ ले गया।
वहाँ राजीव ने हँसते हुए कहा- बड़ा और मजबूत लेना।
मैंने कहा- मजबूत तो ठीक है पर बड़ा किसलिए?
वो बेशर्मी से बोला- हम चारों के लिए!

आज उसने मुझे एक नया सपना दिखा दिया।
मैंने उससे कहा कि आज शाम को वो और कामिनी मेरे घर आयें और मुझे बताएँ कि मुझे क्या क्या करवाना चाहिए।
खाना भी मैं होटल से मंगा लूँगा, सब साथ खायेंगे।

राजीव ने कामिनी को बोल दिया कि रात को चुदाई सनी के घर पे होगी।
मैंने राजीव को बोला- तू तो हर समय यही सोचता है।
अब मैं राजीव को तू तड़ाक से बोल लेता था।

शाम को राजीव कामिनी आये, राजीव तो टीशर्ट और बरमूडा पहने था, कामिनी ने सूट पहना था।
हम लोगों ने होने वाले कामों की एक लिस्ट बनाई। हर कमरे का रंग फाईनल किया, पर्दों के साइज़ लिखे और रसोई का सामान की लिस्ट भी फाईनल की।
हालाँकि रसोई का काफी सामान तो माँ ने घर से ही भेजने को कह दिया था।

मैंने राजीव को बोला कि खरीददारी में वो मेरी मदद करे!
वो बोला कि वो तो नहीं जा पायेगा पर कामिनी मेरे साथ जा सकती है।
मैं तो यही चाहता था।

मैंने अपने लैपटॉप पर म्यूजिक लगा रखा था, राजीव बोला- क्या बजा रहा है, कुछ सेक्सी दिखा ना!
मैंने एक पोर्न फिल्म लगा दी जिसमे एक लड़की एक साथ दो लंड ले रही थी।
राजीव ने कामिनी को आँख मारी, वो समझ गई, बोली- नहीं एक साथ दोनों नहीं।

मगर उसकी सुननी किसे थी।
राजीव ने उसके होंठ अपने होंठों से मिला लिए और उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
मैं उसकी पेंटी नीचे करके उसकी चूत चूसने लगा।
राजीव ने उसके और अपने पूरे कपड़े निकाल दिये।

कामिनी ने बेशर्मी से पूछा- क्यों क्या अपना दीपा के पास छोड़ आये जो उतार नहीं रहे हो?
मैं भी फटाफट नंगा हो गया।

मेरे कमरे ने पहली बार मेरे अलावा किसी को नंगा देखा होगा।

राजीव बेड पर नीचे लेट गया और कामिनी को ऊपर लिटा कर अपना लंड नीचे से उसकी चूत में कर दिया और मुझे इशारा किया कि मैं ऊपर से आ जाऊँ।कामिनी चीखी- मेरी चूत फट जाएगी।

मैंने अपने लंड पर वैसलीन लगाई और धीरे से राजीव के पैरों के बीच आ गया।
ऊपर कामिनी अपनी चूत में एक लंड घुसाए दूसरे का इंतज़ार कर रही थी। उसको डर भी लग रहा था, पर उसकी आँखों को पढ़कर मैंने यह अनुमान लगा लिया कि वो दोनों सेक्स की इस क्रिया के लिए पहले से बात किये हुए हैं और आतुर हैं।

मैंने अपने हाथों से अपना लंड राजीव के लंड से सट कर निशाने पर जमाया और अपने होठों को कामिनी के होठों पर जड़कर धीरे धीरे लंड घुसाना शुरू किया।
कामिनी मिसमिसाई और अपनी बाहें मेरे गले में डालकर मुझे अपनी ओर खींचा… तभी उसकी चीख निकल गई।
मेरा लंड राजीव के लंड के साथ उसकी चूत में पूरा घुस चुका था।

मैंने धक्के धीरे धीरे देने शुरू किये क्योंकि मुझे डर था कि कही कामिनी को चोट न लग जाये और कहीं मेरा लंड बाहर न निकल आये। कामिनी ने मुझे और राजीव ने कामिनी को जोर से अपने से भींच रखा था, हम बिना हिले ऐसे ही पड़े रहे।

चूत रगड़ाई मांग रही थी और मेरा लंड भी रफ़्तार चाह रहा था।
मैंने राजीव से कहा- तुम गांड में आओ, मैं चोदता हूँ।
यह सुनकर कामिनी उठकर खड़ी हो गई और बोली- गांड में मैं नहीं करवाऊंगी, दर्द होगा।
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मैंने राजीव से उसके लंड पर और कामिनी की गांड में वैसलीन लगाने को कहा।
राजीव ने ढेर सारी वैसलीन लगाई और कामिनी को घोड़ी बनने को कहा।
ना नुकुर के बाद कामिनी घोड़ी बन गई। राजीव उसके ऊपर आकर उसके मम्मे दबाने लगा कर उसको गर्म करने लगा। मैं उनके नीचे लेट गया।
तभी राजीव ने अपना लंड कामिनी की गांड में घुसा दिया।
कामिनी दर्द से चीखी और अलग होने की कोशिश करने लगी। तब तक मैं कामिनी की चूत को अपने लंड के पास ले आया था और कामिनी को नीचे झुका कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।

कामिनी दर्द से छटपटा रही थी मगर हम दोनों ने अपने अपने लंडों की स्पीड बढ़ा दी।
दो मिनट के बाद कामिनी को भी मजा आने लगा, वो बोलने लगी- हाँ आज मजा आ रहा है। हरामखोरो… फाड़ दो मेरी चूत और गांड! आने दो दीपा को… अगर उसकी चूत पहले दिन ही न बजवाई तो मेरा नाम नहीं।

वो हाँफ रही थी, ‘उह आह फच्च फच्च…’ की आवाज से कमरा भर गया।
चुदास का अनोखा नजारा था।

राजीव कुछ नहीं कर रहा था, बस लंड को गांड में डाले पड़ा था, उसके ऊपर दो दो लोग लदे थे।
कामिनी तो सातवें आसमान पर थी।
तभी मेरा फव्वारा छूट गया… शायद इस ख्याल से कि जल्दी दीपा को भी हम इसमें शामिल कर लेंगे।

सब एक दूसरे से हटे और राजीव कामिनी को लेकर मेरे बाथरूम में चला गया।
मैंने भी अपने को ठीक किया।

वो दोनों नंगे ही बाहर आये, मैंने कहा- कपड़े पहन लो। खाना खाते हैं।
11 बजे वो लोग चले गए।
कहानी जारी रहेगी।
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