Tag: डर्टी सेक्स

मेरी वासना और पागल भिखारी का लंड-1

अन्तर्वासना की मदद से मुझे बहुत से नए मित्र मिले, उनमें से ही एक थी सुरभि। सुरभि जी अन्तर्वासना की नियमित पाठिका हैं. और जब इनकी मुझसे अच्छी दोस्ती हो गयी तब इन्होंने अपने जीवन के कुछ पलों को मेरे साथ साझा करना चाहा. यह उन्ही के जीवन की घटना है जो मेरे माध्यम से […]

मेरी भाभी सेक्स की पाठशाला-3

पर मैं उनके ऊपर से उतर के उनके बाजू में लेट गया और फिर हम दोनों नंगे बदन एक दूसरे से चिपक कर सो गए।< जब मैं सुबह 5:00 बजे सो कर उठा तो कमरे की लाइट जल रही थी और भाभी का नंगा बदन तेल में मालिश की जाने के कारण चमक रहा था. […]

कामुकता की इन्तेहा-19

खैर जब मैंने उसके हलब्बी लौड़े को अपनी उंगलियों से महसूस किया तो मैं हैरान भी थी कि इतना बड़ा लौड़ा कैसे मेरी फुद्दी में अब आसानी से जा रहा था। इसका मतलब यही था कि अब मैं एक रात में ही पहले जैसी औरत ने रह गयी थी। 2-4 पलों की चेकिंग के बाद […]

समधन की गांड मारी-2

अनुपमा- जो सुन रहे हो, वही कह रही हूँ। ज़ल्दी से अपनी अण्डरवियार खोलो और अपना लंड दिखाओ मुझे। मैं भी तो देखूँ कि इतना कितना लम्बा लंड है तुम्हारा कि अमर उसे देखकर डर गया। आनंदीलाल किसी तरह सँभले, पर वह यह समझ गए कि अनुपमा की चूत में खुज़ली मच गई है वरना […]

मेरा हंसता खेलता सुखी परिवार-2

‘ओह पापा ! आप भी ना ! अभी चाय छलक जाती !’ चाय रखने के बाद वो मेरी तरफ़ घूमते हुए बोली और मेरे हाथ फ़िर से उसकी कमर पर आ गये। ‘तुम्हारे कूल्हे बहुत लाजवाब हैं सोनल ! आई लाइक दैम !’ पता नहीं मैं कैसे बोल गया और इसी के साथ मेरी आठों […]

दीप के स्वप्नदोष का उपचार-1

मेरी वक्ष पर उठी हुई गोल और सख्त चूचियाँ हैं जिन पर गहरे भूरे रंग के चूचुक हैं, पेट सपाट है, नितम्ब थोड़े भारी हैं, टांगें लंबी और जांघें सुडौल हैं तथा नितम्बों तक पहुँचते हुए काले काले बाल हैं। मैं एक मध्यम वर्ग के परिवार की विधवा बहू हूँ जिसके मायके और ससुराल में […]

चूची से जीजाजी की गाण्ड मारी-8

चूची से जीजाजी की गाण्ड मारी-8 अलीशा सुधा मैंने उन्हें छेड़ते हुए कहा- जीजाजी को आज तीन गाड़ी चलानी हैं इसी लिए इस गाड़ी को नहीं चलाना चाहते। और मैं ड्राइवर सीट पर बैठ गई, मेरे बगल में जीजू और चमेली को जीजाजी ने आगे ही बुला कर अपने बगल में बैठा लिया हम लोग […]

बहू-ससुर की मौजाँ ही मौजाँ-2

प्रेषिका : कौसर सम्पादक : जूजाजी मुझे नहीं पता फिर क्या हुआ, उसके बाद जब मेरी आँख खुली तो मेरे ऊपर एक चादर पड़ी थी और मैं अभी भी ससुर जी के बिस्तर पर ही थी। घड़ी में देखा तो करीब 2 बज रहे थे। मैं उठी तो मेरा पूरा जिस्म दर्द कर रहा था। […]

बहू-ससुर की मौजाँ ही मौजाँ-7

प्रेषिका : कौसर सम्पादक : जूजाजी मैं फिर करीब 05-30 बजे उठी तो शाम की फिर चिंता होने लगी कि आज ससुर जी को चाय कैसे देने जाऊँ। उनकी बात बार-बार याद आ जाती थी कि शाम को मैं उनके पास नंगी होकर चाय देने जाऊँ। तभी ससुरजी खुद मेरे रूम में आ गए। बोले- […]