Category: नौकर-नौकरानी

नौकर-नौकरानी

घरेलू नौकर-नौकरानी को चोदने की कहानियाँ, घरेलू नौकरों, माली ड्राइवर आदि से चुदने की कहानियाँ

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सरिता की चुदाई

माँ बीमार है ! छोटे साहब डॉक्टर ने आराम करने को कहा है … कहकर वो काम में जुट गई। घर में आज कल कोई नहीं रहता … पापा का टूरिंग चल रहा था और मम्मी मामाजी के घर में रहती थी। मेरी परीक्षा नजदीक आ रही थी इसलिए पढ़ाई की चिन्ता थी। उसका नाम […]

नई नौकरानी शबनम

एक दिन मैं बैठा टीवी देख रहा था. तभी वो काम ख़त्म करके मेरे पास आई और बोली- देखो तनु, मैं जा रही हूँ. मैंने कहा- अभी तो मम्मी आई भी नहीं हैं, थोड़ी देर बैठो और टीवी देखो. वो वहीं बैठ गई और टीवी देखने लगी. वो बहुत महीन कपड़े पहने हुए थी और […]

मार डाला रे!

एक दिन जब वो मेरे कमरे में सफ़ाई कर रही थी तो मैंने उसके बड़े-2 स्तन देखे और उसके चले जाने के बाद मैं बाथरूम चला गया और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसके नाम की मुठ मार दी। मैं उससे सेक्स करना चाहता था लेकिन डरता था उससे। एक दिन मोम और डैड […]

दो नौकरानियों की मस्त चुदाई -2

‘यह राधा दीदी हैं ! पसन्द आई?’ मीना ने परिचय कराया। ‘इतनी सुन्दर ! मीना, ये तो खुदा की कलाकृति है !’ ‘है ना ! इसे आज आपके लिये सजाया है, इसे सब कुछ सिखाना है… दीदी ! ये सिखायेंगे !’ राधा शर्म से नीचे देखने लगी। ‘चल ना… वापस चल !’ राधा कुछ नर्वस […]

हवा में उड़ रही हूँ

हम पांच बहनें हैं। माताजी को पांचवी के जन्म के बाद ही पिताजी ने घर से निकाल दिया। मेरी बड़ी बहन ने बहुत कोशिश की पर पिताजी नहीं माने। असल में पिताजी की नजर पड़ोस वाले कस्बे के किसी बनिए की विधवा बहू पर पड़ गई थी। माँ के जाते ही पिताजी उसे घर ले […]

रानी के साथ एक रात

कुछ सोच कर मैंने उसे रोका और कहा- अच्छा, तुम्हारा नाम क्या है? ‘रानी!’ उसने जवाब दिया। ‘हम्म! नाम तो अच्छा है, कब से काम करती हो?’ ‘साहब, मैं तो हूँ ही आप लोगों की सेवा के लिए… और बड़े मालिक ने कहा है कि आपका खास ख्याल रखूं.. अगर किसी चीज़ की जरूरत हो […]

नौकरानी बनी घर की रानी

मेरी नौकरानी साड़ी पहनती थी, जो मुझे नहीं पसंद था। मैं बाज़ार से उसके लिए अच्छे कपड़े और नाइट-ड्रेस लेकर आया और उसको पहनने को दे दिया। उसको शुरु-२ में परेशानी हुई, लेकिन बाद में उसको ठीक लगने लगा। वो खाना अच्छा बनाती थी। इस बात से मुझे बहुत ख़ुशी मिलती थी। अब वो मेरे […]

बन्ना सा री लाडली

इसी प्यास में कभी कभी मेरी नजर उनके पजामे पर भी चली जाती थी और उनके झूलते हुए लण्ड को पजामे के ऊपर से ही महसूस कर लेती थी। जब राज मूड में होता था तब वो सोफ़े पर बैठ कर अखबार पढ़ने का बहाना करता था और अपना खड़ा हुआ लण्ड पजामे में से […]

प्रगति का समर्पण-2

खैर, शालीन की रात उधेड़बुन में ही निकल गई। सुबह दफ्तर जाते वक़्त मयूरी से आँखें नहीं मिला पा रहा था। वह फिर से किशोरावस्था में जा पहुंचा था जहाँ उसे उलझन, व्याकुलता और लज्जा का आभास हो रहा था। वह भौतिकता और आध्यात्मिकता के अंतर्द्वंद्व में फँस गया था। जब भी पुरुष पर ऐसी […]

प्रगति का समर्पण-1

यह सन्देशा पा कर प्रगति के पिताजी खुश हो गए और उन्होंने अपने मित्र को अपनी तरफ से हामी भर दी। कुछ दिनों बाद वहाँ से भी मंजूरी आ गई और जैसे ही स्कूलों की छुट्टी शुरू हुई, प्रगति अपने परिवार सहित हैदराबाद रवाना हो गई। जाते वक़्त वह मास्टरजी से बहुत मिलना चाहती थी […]