Tag: दोस्त की बेटी

अक्तूबर 2015 की लोकप्रिय कहानियाँ

मैं दबे पांव आगे बढ़ा और एक झाड़ी की ओट से देखने लगा.. उफ़.. क्या नज़ारा था.. मेरे ठीक सामने.. तीन लड़कियाँ बिल्कुल नंगी.. अपनी खुली हुई चूतों को सहला रही थीं। उनमें से दो को मैंने पहचान लिया.. मेरे ठीक सामने मेरे अजीज दोस्त राजा की बेटी आरती बैठी थी। उसके बगल में एक […]

कलयुग का कमीना बाप-11

मैं उस वक़्त पापा की बाँहों में मस्ती में डूबी हुई थी फिर भी उनका प्रस्ताव मुझे बुरा लगा लेकिन मैं उन्हें खोना नहीं चाहती थी… सिर्फ एक बार ही की तो बात है। यह सोचकर मैं पापा से अलग हुयी और मल्होत्रा अंकल के पास चली गई। रिया मुझे अपनी ओर आती देख अपने […]

मैं जवान प्यासी लड़की -6

आख़िर मैंने पाइप को अपनी गाण्ड से बाहर निकाला और कमोड से उठ आई। मैंने अंकल को कहा- यह तो सचमुच बहुत काम की चीज़ है.. पेट के अन्दर की सफाई ऐसे तो कोई नहीं करता होगा। अंकल बोले- हाँ आमतौर पर लोग नहीं करते.. लेकिन जानकार और मस्त लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। इससे […]

मेरी मदमस्त रंगीली बीवी-14

अंकल ने मुझको अपने गले से लगा कर प्यार किया जैसे हमेशा करते हैं, फिर वे बोले- मेरे कमरे में AC है, इसलिये तुम इसी में रहो। पढ़ाई करने के बाद रात को यहीं सो जाया करना! मुझे वो पहली रात्रि और उसके बाद वाली सब रातें भली प्रकार से याद हैं, उस वक्त ने […]

जिस्म की जरूरत -20

आहिस्ते से कार मैंने वंदना के घर के दरवाज़े पे रोक दी। कार रुकते ही मानो मेरी तन्द्रा टूटी हो… मेरा ध्यान सीधा बंद दरवाज़े पर चला गया, पूरा घर अंधेरे में डूबा हुआ था, सारी खिड़कियाँ और दरवाज़े बंद थे। अभी थोड़ी देर पहले ही मैंने वंदना के साथ इतने हसीन पल बिताये थे […]

लण्ड न माने रीत -2

मैं जानता था कि लड़की का यौवन जब खिलना शुरू होता है.. उसी कच्ची उम्र में उसके फिसलने की सबसे ज्यादा सम्भावना होती है। उसे बहकाना बहुत आसान होता है.. क्योंकि उसके नाज़ुक अंग विकसित हो रहे होते हैं और उनमें पनप रहा उन्माद लड़की को बेकरार किए रहता है.. उसकी योनि स्वतः ही गीली […]

गर्म चूत चुदाई वाली सर्दी की रात

गाँव के लोग जल्दी सो जाते हैं, मैं 11 बजे उसके घर सोने गया तो मैंने देखा सभी सो रहे हैं। मैंने आवाज़ लगाई तो कोई जबाव नहीं आया.. पर उसके दरवाजे खुले हुए थे। वो एक छोटा किसान है.. उसकी उम्र करीब 40 बरस की है। उसकी बड़ी लड़की किरण की उम्र 18 साल […]

लण्ड न माने रीत -6

अपने गाँव कई साल बाद आया था तो मुझे सब नज़ारा बदला-बदला सा लगा। शहरी सभ्यता का प्रभाव यहाँ भी दिखने लगा था.. लड़के-लड़कियों की वेशभूषा बदली-बदली सी थी, लड़कियाँ पारम्परिक सलवार-कुर्ती की जगह स्टाइलिश कपड़े पहने हुए थीं, कुछ लड़कियों ने जींस-टॉप भी पहन रखा था.. जिस पर दुपट्टा नहीं डाला जाता.. जिस कारण […]

लण्ड न माने रीत -7

अगले दिन जब आरती के मम्मी-पापा जा चुके थे.. मैं शाम को करीब साढ़े सात बजे उसके घर पहुँच गया। कुण्डी खटखटाने पर दरवाजा आरती ने ही खोला और मुस्कुरा कर मुझे भीतर आने को कहा और एक तरफ हट गई। मेरे बैठने के बाद उसने दरवाजे की कुण्डी बंद की और मेरे सामने आकर […]

लण्ड न माने रीत -8

वो कोई विरोध नहीं कर रही थी.. शायद इस एकान्त को वो भी जी भर के भोगना चाहती थी। जल्दी ही उसने अपनी बाँहों का हार मेरे गले में पहना दिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में धकेलने लगी। मैंने भी उसकी चूत को नाइटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया और उसकी जीभ […]