Tag: हिंदी एडल्ट स्टोरीज़

चलती ट्रेन में आंटी को चोदा

एक दिन मुझे अपने सेल फोन में पड़ोस की लड़की का नंगा फोटो दिखाया और कहने लगा कि मैंने इसको चोदा है. मैं उसे घूर कर देखने लगा. कुणाल हंस कर बोला- तुमने कभी किसी लड़की चुत को नजदीक से देखा है? मैंने- नहीं.. मौका ही नहीं मिला, हां, बचपन में देखा था. कुणाल- बचपन […]

सम्भोग से आत्मदर्शन-7

तनु ने मेरे लिंग के सुपारे को पहले चाटा और लंड में ऊपर से नीचे तक जीभ फिराई और फिर धीरे-धीरे लिंग मुंह के अंदर करते-करते मुंह में पूरा अंदर कर लिया, पर लंड बड़ा था इसलिए उसके मुंह के आखरी छोर में टकरा कर भी लंड आधा ही जा सका था. तनु ने जब […]

सम्भोग से आत्मदर्शन-16

पर मुझे छोटी की बातों ने एक मौका दे दिया, अब मैंने फिर एक तीर से दो निशाने साधे, मैंने आंटी से कहा- चलो आंटी, आप अब उठ कर बैठ जाओ और मजे से मेरा लिंग चूस कर छोटी को दिखा दो कि आप सच में आनन्द ले रही हो। पर आंटी ने चेहरा घुमाते […]

सम्भोग से आत्मदर्शन-15

मैंने हाँ कहते हुए आज्ञा का पालन किया। छोटी एक कोने में सलवार कुरती पहने बैठी थी, अब वो मुझसे नहीं डरती थी इसलिए मेरे साथ वो उस कमरे में चली आई और तब मैंने दरवाजा बंद करते हुए कम रोशनी वाली बल्ब जला दी। बदामी रेशमी साड़ी में लिपटा आंटी का जिस्म, इस रौशनी […]

सम्भोग से आत्मदर्शन-23

प्रेरणा अभी आंटी और छोटी के साथ रह रही है, और अब मंजिल पा लेने की खुशी में धीरे धीरे सबके चेहरे खिलने लगे थे, जाहिर सी बात है ऐसे में किसी मर्द का आकर्षित होना स्वाभाविक है। मेरा भी आकर्षण उनके प्रति बढ़ रहा था. तभी एक दिन तनु ने शाम के नाश्ते पर […]

सम्भोग से आत्मदर्शन-25

मेरे दिमाग में एक और बात जोर मार रही थी कि मैं वीडियो कैमरा और ट्रांसमीटर गमले से निकाल कर अपनी गांड में कैसे डालूं और उसे अंदर कैसे रख पाऊंगी, और एक खुशी भी थी कि अब बाबा को हम रंगे हाथों पकड़ पायेंगे, उस वक्त मैंने तुम्हें (संदीप) दिल से याद किया, कि […]

सास विहीन घर की बहू की लघु आत्मकथा-2

रुक रुक कर मेरी पीड़ा में वृद्धि होने लगी थी जिस कारण ससुर जी ने मुझे कहा- दिव्या, हमारे घर की इमारत से डॉक्टर के घर तक की सभी इमारतें एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। मैं इन सभी इमारतों की छतों से होता हुआ डॉक्टर के घर तक पहुँच कर उसे यहाँ बुला कर […]

सास विहीन घर की बहू की लघु आत्मकथा-1

लगभग छह माह पहले मेरी मुलाकात श्रीमती दिव्या रत्नाकर से तब हुई जब मैं दाँत के दर्द से ग्रसित डॉक्टर अमोल रत्नाकर के दंत चिकित्सा क्लिनिक पर गयी थी। दिव्या उस क्लिनिक की देखभाल और वहाँ आने वाले रोगियों के पंजीकरण करना तथा उन्हें क्रम अनुसार डॉक्टर रत्नाकर के पास भेजने के कार्य संभालती थी। […]

सास विहीन घर की बहू की लघु आत्मकथा-4

मैंने कहा- क्या पाँच छह दिनों में बाल इतने बड़े हो गए होंगे जो उनमें टाँके भी छिप गए होंगे? ससुर जी ने झट से अपना फोन निकाल कर कल खींचे चित्र मुझे दिखाते हुए कहा- लो, खुद ही देख लो कितने बड़े हो गए हैं। अपनी योनि के चित्र देखकर मुझे बहुत लज्जा आई […]

सास विहीन घर की बहू की लघु आत्मकथा-3

इसके बाद अगले आधे घंटे तक डॉक्टर और ससुर जी प्रसव का सभी सामान समेटते रहे और सब निपट जाने के बाद उन दोनों ने मिल कर हम नग्न माँ बेटे को उठा कर बेडरूम में मेरे बिस्तर पर लिटा कर चादर से ढक दिया। घर जाने से पहले डॉक्टर ने मेरी बाजू पर एक […]