पड़ोसन भाभी की चूत की अकुलाहट

यह बात 2 साल पुरानी है.. मेरी घर के बगल में एक भाभी रहा करती हैं.. उनका नाम महजबीं (बदला हुआ नाम) है। वो अक्सर मुझे देखा करती थीं.. पर मैंने कभी उन पर कभी ध्यान नहीं दिया।

ऐसे ही वक्त गुज़रता गया.. फिर एक दिन अचानक मैंने उनसे पूछ ही लिया- भाभीजान, आप मुझे ऐसे क्यों देखते रहते हो?
उसने बड़े ही कातिलाना अंदाज़ में जवाब दिया- क्यों.. आपको अच्छा नहीं लगता क्या?
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है.. पर फिर भी आप शादीशुदा हो.. किसी ने ऐसे मुझे देखते हुए देख लिया.. तो आपको परेशानी हो सकती है।

पर उसने साफ़-साफ़ मुझसे कहा- मुझे दुनिया की परवाह नहीं है.. तुम मुझे सिर्फ़ इतना बताओ.. कि तुम मुझे पसंद करते हो या नहीं?

मैंने दिल में सोचा कोई पागल ही होगा जो इतनी खूबसूरत भाभी को हाथ से जाने देगा।
मैंने कहा- मैं तो आपकी खूबसूरती का दीवाना हूँ.. और यह तो मेरा नसीब है जो एक अप्सरा खुद चल कर मेरे पास आई है।
इसी तरह उनसे कुछ देर बात-चीत हुई..

फिर मैंने अपना मोबाइल नंबर उसे दिया और उससे फोन करने को कहा।

जवाब में वो मुस्करा कर अपने चूतड़ों को मटकाती हुई चली गई.. और मैं बेसब्री से उसके फोन का इन्तजार करने लगा।
उसने मुझे दूसरे दिन फोन किया।
जैसे ही मैंने फोन उठाया.. वहाँ से एकदम से एक प्यारी आवाज़ में मुझे सुनाई दिया- हैलो..!
‘हाँ.. हैलो जी.. कहिए.. कौन?’

‘मैं महजबीं-‘
‘जहे नसीब..’
महजबीं- कैसे हो आप?
मैं- आपकी की दुआ है..
महजबीं- आज मैं बहुत खुश हूँ।
मैं- क्यों?
महजबीं- आपसे बात जो कर रही हूँ..
मैं- ओके.. लेकिन मुझे खुशी तब होगी जब तुम मुझसे मिलोगी..
महजबीं- मुझे भी तुमसे मिलना है और बहुत जल्द मैं तुमसे मिलूँगी।
मैं- ओके.. मुझे तुम्हारे फोन का इंतज़ार रहेगा।

फिर थोड़ी देर बात करने के बाद उसने फोन काट दिया।

कुछ दिन ऐसे ही गुजरे.. फिर एक दिन अचानक उसका फोन आया- मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ.. घर पर कोई नहीं है.. जल्द से आ जाओ।
मैं उस वक्त ऑफिस में था.. मैं भी तुरंत ऑफिस से छुट्टी लेकर उसके घर पहुँच गया।
मैंने जैसे ही डोरबेल बजाई.. उसने दरवाज़ा खोला.. मैं तो उसे देखता ही रह गया।

वो एक नीले लिबास में थी.. क्या माल लग रही थी.. उसे देखते ही मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसे चूमने लगा।
उसने कहा- अरे आराम से.. मैं कहाँ भागी जा रही हूँ.. फिकर मत करो सब बाहर गए हैं.. रात तक कोई नहीं आएगा।

फिर बाद में वो मेरे लिए चाय-नाश्ता लेकर आई, हमने साथ साथ चाय नाश्ता किया.. और हमारे बीच बातें होने लगीं।
बातों ही बातों में मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसे चूमने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैं चूमते-चूमते उसकी गर्दन पर आ गया, फिर धीरे-धीरे उसकी नाभि पर चूमने लगा।

अब वो भी पूरी गरम हो चुकी थी और बहुत ही कामुक आवाज़ निकाल रही थी- आहह.. अहा.. आ आह.. हहा हहा आप और चूमो.. चूसो.. और और आआअहहाह..
मैं भी जोश में आ गया और चूमते-चूमते उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।

क्या बताऊँ दोस्तो.. उसकी चूत जैसे कोई पपीता कटा हुआ मेरे सामने रखा हो.. और मुझे उसे खाना है।
मैं भी भूखे शेर की तरह उस पर टूट पड़ा और चूमते-चूमते हम 69 पोज़िशन में आ गए।

वो चुदास से मदहोश होती जा रही थी, वो कामातुर हो कर कहने लगी- अब सबर नहीं हो रहा है.. जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में ठोक दो।

मैंने अपना लंड उसके मुँह से बाहर निकाला और उसकी चूत मैं घुसेड़ डाला। चूत गीली होने के कारण लौड़ा झट से चूत में पूरा जड़ तक समा गया।
वो भी चुदी चुदाई थी सो उसको भी मजा आ गया। अब कमरे में उसकी ‘आहों’ की गूँज सुनाई देने लगी- फच्छ.. फच्छ.. आअहहाहह.. आ हज्ज.. हाँ.. और ज़ोर से..
वो ऐसी कामुक आवाजें निकालने लगी। मैं अब पूरे जोश में था और तेज़ी के साथ झटके लगा रहा था।

धकापेल चुदाई के बाद हम दोनों साथ ही कब झड़ गए.. मुझे ख्याल ही नहीं रहा.. और हम दोनों थक कर बिस्तर पर अगल-बगल लेट गए।

थोड़ी देर के बाद फिर से उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू किया और मुँह में लेकर चूसने लगी।
उसके लौड़ा चूसने से मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
अब की बार मैंने उससे कहा- मुझे तुम्हारी गाण्ड मारनी है।
पहले तो वो मना करने लगी.. पर मेरे ज्यादा ज़ोर देने पर वो मान गई।

मैंने टेबल पर रखी तेल की शीशी लेकर उसकी गाण्ड के छेद पर थोड़ा तेल लगाया.. जिसकी वजह से उसकी गाण्ड चिकनी हो गई।
तेल और उसकी चूत से टपकते पानी से लंड को अन्दर जाने में कोई दिक्कत नहीं हुई।
एक-दो झटकों में ही लंड आसानी से अन्दर चला गया।

मेरा मोटा लौड़ा अन्दर जाने से दर्द के मारे उसकी चीख निकल गई। मैं उसके मुँह पर हाथ रख कर तेज़ी से धक्के मारता चला गया।
थोड़ी देर बाद जब लौड़ा सैट हो गया तो उसे भी मजा आने लगा।

जैसे-जैसे वो ‘आह.. आअहहाहह.. आह.. अहाहाहा..’ की कामुक आवाजें निकालती.. मैं भी उतनी तेज़ी से झटके लगाते जाता।

तकरीबन 25 मिनट की गाण्ड चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था.. तो मैंने उससे कहा.. तो उसने कहा- मेरे मुँह में झड़ना.. मैं तुम्हारा पानी पीना चाहती हूँ।
मैंने अपना लंड उसकी गाण्ड से निकल कर उसके मुँह में दे दिया और वो पूरा पानी गटक गई।
फिर उसने मेरा लौड़ा अच्छी तरह से चाट-चाट कर साफ किया और हम थक कर बिस्तर पर लेट गए।

थोड़ी देर बाद वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाथरूम ले गई और हम साथ-साथ नहाए।
नहाते-नहाते वो फिर से मेरे करीब आने लगी और उसने मेरे लंड को पकड़ कर मुँह में भर लिया। वो मेरे लण्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

उसके चूसने के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने उसे दीवार के सहारे खड़ा कर के पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया और उसे घोड़ी बना कर चोदता रहा।
वो भी एक ब्लू-फिल्म की कलाकारा की तरह से मेरा साथ देने लगी और आख़िर में मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।

अब वक्त बहुत ज्यादा हो गया था.. तो महजबीं ने कहा- मोहसिन.. अब बस करो मेरे घर वाले अब आते ही होंगे।

आख़िर मैं भी उसे एक लंबा सा चुम्मा देकर वहाँ से चला गया और जब भी उसे मौका मिलता है.. वो मुझे फोन कर के बुला लेती है और मैं भी भागता हुआ उसके पास पहुँच जाता हूँ।
आज 2 साल हो गए हैं.. आज भी हमारा चुदाई का खेल चल रहा है।

तो दोस्तो, यह कहानी थी मेरी और महजबीं भाभी की। मुझे उम्मीद है आपको मेरी कहानी पसंद आएगी, मुझे ज़रूर ईमेल कीजिएगा।
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