मेरे पति का छोटा सा लण्ड-4

ना जाने क्या सोचते हुए वो बोले- मेरा एक दोस्त है जिसका नाम केसरी है, मेरे बचपन का दोस्त है, वो कैसा रहेगा?
हम लोग जब छोटे थे तो अपनी नुन्नी (लण्ड) को एक दूसरे की नुन्नी से नापते थे। उस समय मेरे सभी दोस्तो में केसरी की नुन्नी सबसे लंबी और मोटी थी। उसकी नुन्नी सबसे ज़्यादा गोरी भी थी, अब तक उसकी नुन्नी एक लंबा और मोटा लण्ड बन चुकी होगी।
अगर तुमको केसरी पसंद हो तो मैं उस से बात कर लूँ, अभी केसरी की शादी भी नहीं हुई है।

मैंने कहा- केसरी तो बहुत हैंडसम है और गोरा भी, अगर केसरी की नुन्नी उस समय सबसे लंबी और मोटी थी तो अब वो खूब लंबा और मोटा लण्ड बन गया होगा… सबसे अच्छी बात है की केसरी तुम्हारा दोस्त भी है…

फिर मुझे थोड़ी मस्ती सूझी और मैंने कहा- तुम लोग बचपन में केवल एक-दूसरे की नुन्नी ही नापते थे या आपस में गाण्ड मारा-मारी भी करते थे?

वो थोड़ा झेंपते हुए बोले– केसरी ही कभी-कभी मेरी गाण्ड मारता था।

फिर कुछ देर रुक कर वो बोले- वो अक्सर कहता रहता है यार, तुमने शालिनी भाभी के रूप में गजब की चीज़ पाई है, तुम पर वो पहले से फिदा है।

उनकी यह बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गई और केसरी के मोटे और लंबे लण्ड के सपने देखते-देखते सो गई।

दूसरे दिन इन्होनें अचानक मुझसे कहा- जान, मेरा समान पैक कर देना, मुझे एक सप्ताह के लिए बाहर जाना है।

चूँकि ये दुकान के काम से अक्सर बाहर जाते रहते थे, मैंने उनका समान पैक कर दिया।

दुकान बंद होने के बाद जब रात 8 बजे घर ये आए तो मैंने उत्सुकता से पूछा- मेरी जान, मेरे काम का क्या हुआ?

वो बोले- अभी मैंने केसरी से बात नहीं की है, वापस आते ही बात कर लूँगा।

मैं उदास हो गई, रात भर से केसरी के लण्ड के सपने में जो खोई थी।

खैर…

ये बोले- तुम मेरा खाना लगा दो।

मैंने खाना लगा दिया और वो खाना खाने लगे, खाने के बाद जब वो जाने लगे तो मैं उनको दरवाज़े पर छोड़ने आई।

मेरा चेहरा एकदम बुझा हुआ था, एकदम उदास थी मैं।

उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और बोले- मैंने केसरी से बात कर ली है, वो लगभग दस बजे तक आएगा… मेरे वापस आने तक तुम केसरी से जी भर कर चुदवा लेना।

क्या बताऊँ, मैं खुशी से फूली नहीं समा रही थी।

मैंने बिना कुछ सोचे उनके होठों पर एक चुंबन जड़ दिया और कहा – ओ मेरी जान, आई लव यू… तुम इंसान नहीं देवता हो।

उनके जाने के बाद मैं बेसब्री से केसरी का इंतेज़ार करने लगी।
मैं खुशी से एकदम पागल हो रही थी।
सिर्फ़ मोटा और लंबा लण्ड मिलने की उम्मीद में मेरी चूत लगातार कामरस छोड़े जा रही थी।

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वासना मेरे ऊपर अपना नंगा-नाच नाच रही थी, चूत की आग ने मुझे इतना मदहोश कर दिया कि मैंने खुद ही अपनी साड़ी और ब्लाउज को उतार फेंका।

फिर मैंने अपने पेटीकोट को ऊपर उठाया और मोमबत्ती लेकर पागलों की तरह अंदर-बाहर करने लगी।
कुछ ही देर में मैं दो-तीन बार झड़ गई।

रात के लगभग दस बजे घण्टी बजी और मैं धड़कते दिल से दरवाजे की तरफ बढ़ी…

दोस्तो, सबसे बुरा नशा ना शराब का होता है, ना दौलत का… सबसे बुरा नशा होता है एक तड़पती प्यासी जवान औरत के लिए एक पूर्ण विकसित लण्ड का, या फिर एक जवान मर्द के लिए कसी और छोटी चूत का।

आप क्या कहते हो दोस्तो?

हर बार की तरह आपके सुझावों का मैं बेसब्री से इंतज़ार करूँगी…