ग्रुप सेक्स की नई जोड़ीदार-3

उन्होंने अपने लिए दो ड्रेस लीं और एक मेरे को भी जबरदस्ती दिला दी।
नाईट ड्रेस इतनी सेक्सी थीं कि मैं लेने को मना भी न कर पाई।

मैंने एक ब्रा पैंटी सेट अपने लिए और लिया।

इसके बाद साउथ इंडियन रेस्टोरेंट में लंच लेकर भाभी और मैं मेरे घर आ गए।

घर आकर मैंने ए सी चलाया और कोल्ड ड्रिंक लेकर आई।
भाभी बेड पर लेटी हुई थी, उन्होंने हंसते हुए मुझे अपने पास ही लिटा लिया और बोली- और मेरी जान… क्या क्या गुल खिल रहें हैं आजकल?

मैं शर्मा गई।
भाभी तो बेशर्मी पर आ गईं, बोलीं- चौड़ी हुई या नहीं?

मैं भी फट से बोल- पड़ी कि चौड़ी… अब तो फटने की तयारी है।

मैंने भाभी के हाथ अपने हाथ में लेकर बहुत प्यार से कहा- भाभी, आपका एहसान मैं कैसे चुकाऊँगी… आपने तो मेरी जिन्दगी बदल दी…
भाभी बोली- एहसान चुकाना है तो तीन काम करने होंगे… बता करेगी?

मैंने भी बिन सोचे समझे हाँ कर दी।

भाभी बोली- पहली बात… आज से तू नीता बोलेगी भाभी नहीं…
मैंने उनके होंठ छूकर कहा- ओके नीता…

फिर वो बोली- दूसरे कि दोनों एक दूसरे से कोई बात छिपायेंगे नहीं और आपस में खूब मस्ती किया करेंगे…
अबकी उन्होंने मेरे मम्मे दबाकर कहा- कर वादा…
मैंने भी उनकी सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत रगड़ कर कहा- वादा…

तीसरी बात उन्होंने हंस कर कहा- एक बार सनी से मुझे ठुकवा दे और तू चाहे तो विकास से चुद ले…
उनकी बात सुनकर मैं हैरान रह गई।

वो हंस कर बोली- अरे मैं तो मजाक कर रही थी, तू परेशान हो गई…
मैं भी हंस पड़ी, बोली- नीता आईडिया बुरा नहीं है, बस आप आईडिया दे दो कि कैसे होगा?

नीता बोली- चल जो ड्रेस लाईं हैं, पहन के देखते हैं।
अब मेरे उनके बीच में कोई शर्म तो थी नहीं फिर भी मैं अपनी ड्रेस ले कर बाथरूम में चली गई और नीता वहीं अपने कपड़े उतारने लग गई।

बाथरूम में जाकर मैंने अपने कपड़े उतार कर जब वो ड्रेस पहनी तो खुद शर्मा गई।
बहुत शार्ट टॉप और स्कर्ट थी और टॉप में भी इतना ऊंचा था कि मम्मी बाहर आने को तैयार… निप्पल तो साफ़ अपनी ऊंचाई दिखा रहे थे।
स्कर्ट इतनी छोटी थी कि टांगें ऊपर करी तो चूत दिख गई।
मेरी चूत तो गीली हो चुकी थी।
मैंने सोचा कि नीता क्या सोचेगी, इसलिए चूत को धोकर ही बाहर आई।

बेड रूम में आकर जो नजारा देखा तो दिम्माग की बत्तियाँ गुल हो गईं।
नीता बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसकी ड्रेस ऊपर उठी हुई थी… वो अपनी उँगलियों से अपनी चूत की मसाज कर रही थी।

मैं तुरंत उसके पास पहुँची और उसकी चूत में अपनी जीभ कर दी।
उसकी चूत से तो खट्टा खट्टा पानी आना शुरू हो गया था।

उसने मुझे ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिए और मेरी चूत में अपनी उंगली कर दी।
हम दोनों सीत्कार कर रही थीं…

मेरे मुंह से निकल गया कि काश इस समय सनी आ जाए तो हम दोनों की चूत की भूख मिट जाएगी…
नीता मुझसे बोली- अगर मैं तेरे सामने सनी से चुदुंगी तो तुझे बुरा नहीं लगेगा?

मैं बोली- चूत लंड तो भगवान ने चुदने और चोदने के लिए ही बनाये हैं। अपने से चुदो या दूसरे से… क्या फर्क पड़ता है। और आज तुम सनी से चुदोगी तो कल मैं भी तो विकास भाई से चुद सकती हूँ। और फिलहाल तो मुझे सनी के लंड से ही फुर्सत नहीं है। हाँ पर सनी का लंड मैं नीता से शेयर कर सकती हूँ अगर सनी तैयार हो जाये तो।

नीता ने मन में सोचा- इसे क्या मालूम कि वो और सनी तो रेगुलर चुदाई करते ही हैं।

हम दोनों में तय हुआ कि कल दोपहर को अचानक नीता मेरे घर आएगी और प्रोग्राम के मुताबिक उस समय सनी और मैं सेक्स की तैयारी में होंगे, मूड बना हुआ होगा।
अचानक नीता के आने से शायद वो भी ग्रुप सेक्स में शामिल हो जाए।

कल मंगलवार था और उस दिन सनी की फैक्ट्री में छुट्टी होती थी।

मैंने रात को सनी को ड्रेस दिखाईं।
सनी तो उन्हें देखते ही पागल हो गया बोला- ये पहनोगी तो रात भर चुदाई होगी… और फिर इन्हें पहनने की क्या जरूरत है… इन्हें पहनते ही लंड तो तम्बू बन जायेगा और चोदने के लिए इन्हें उतार देगा।

मैंने कहा- लंड को तम्बू बनाने के लिए इन्हें पहनना जरूरी है।
सनी बोला- चल फटाफट पहन कर दिखा!
तो मैंने कहा- कल तुम दिन भर घर पर ही रहोगे, तब कल पहनूँगी ताकि तुम दिन भर चोद सको… आज रात को चुपचाप सो जाओ, कल पता नहीं कितनी चुदाई करनी पड़े।

बस मेरा इतना कहना था कि सनी को तो जोश चढ़ गया, उसने जबरदस्ती मेरे कपड़े उतार दिये और खुद भी नंगा हो गया।
उसका खड़ा लंड देख कर मेरी भी नीयत डोल गई और मैंने उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया।

अचानक मुझे आईडिया आया कि सनी को नीता के लिए तैयार कर लूँ।
मैंने सनी को धक्का देकर लिटाया और उसके ऊपर लेट गई।

अब मेरी चूत उसके लंड पर थी और मेरे निप्पल उसकी छाती पर थे। मैंने उसके होंठ अपने होंठ से मिलाये और कहा- तुमको एक चूत और मिल जाये तो तुम क्या करोगे?
सनी बोला- किसकी दिला रही हो?

मैंने कहा- हमारे बीच ये जो भी कुछ हुआ है, ये सब नीता भाभी की देन है। मैं चाहती हूँ कि हम भी उनके लिए कुछ करें… तो क्यों नहीं तुम अपने लंड से एक दिन उनकी भी चुदाई कर दो।

सनी बोला- ऐसा नीता भाभी से कह भी मत देना, वो बुरा मान जाएँगी… वो बहुत अच्छी हैं… उनका हम पर बहुत एहसान है और मुझे मालूम है कि आजकल तुम्हारी और उनकी खूब छन रही है। पर इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हम उनके बारे में ऐसा सोचें।

मैंने कहा- ऐसा नहीं है, भाभी सेक्स में खूब मस्ती करने में विश्वास रखती हैं और अगर कभी मुझे ऐसा लगा कि वो तुमसे चुद सकती हैं तभी मैं उनसे कहूँगी।

यह सुन कर सनी ने बस मुझे नीचे लिटाया और अपना लंड पूरा मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
आज उसकी रफ्तार तो घोड़े को भी मात कर रही थी।

उधर सनी मन ही मन नीता की प्लानिंग का कायल हो रहा था कि कैसे एक ही हफ्ते में उसने उसकी और रोमा की सेक्स लाइफ बदल दी और चुपचाप अपनी भी एंट्री पक्की कर ली।

अब नीता और सनी रोमा के सामने ही चुदाई कर सकेंगे।

अगला दिन छुट्टी का था और रोमा के लिए आज का दिन ग्रुप सेक्स का था जो उसने सिर्फ सुना था कभी किया नहीं था।
सनी और नीता के लिए आज का दिन अपने चोरी के रिश्ते को रोमा की मंजूरी का जामा पहनाने का था।

सनी ने आज नहाते समय अपनी लंड की भी शेविंग कर ली थी और रोमा भी आज संदल बाथ ली थी।
पूरा माहौल ऐसा था कि आज कुछ रोमांटिक होने को है।

न तो सनी कुछ कह रहा था न मैं … हम दोनों के मन में कामाग्नि थी की आज नीता के आने पर क्या खेल होगा… उधर नीता भी आज विकास के जाते ही बाथरूम में अपनी वेक्सिंग और अपने को चमकाने में लग गई।

यूं तो वो सनी से कितनी बार चुद चुकी थी पर आज का क्रेज कुछ और ही था।
वो अपनी नाईट ड्रेस जान बूझकर रोमा के घर ही छोड़ आई थी।

उधर नाश्ता करके नहा धोकर मैंने एक मिडी पहन ली तो सनी ने एतराज किया कि तुमने तो कहा था कि कल वाली ड्रेस पहनोगी तो मैंने कहा कि अभी पहन लूंगी तो तुम चुदाई अभी शुरू कर दोगे… दोपहर का खाना कौन बनाएगा? खाना खाकर पहन लूंगी।

सनी नहीं माना, बोला- तुम पहन लो, मैं दोपहर बाद ही तुम्हारी चूत को हाथ लगाऊंगा।
मैंने कहा- तुम बहुत बदमाश हो, तुम्हें चूत को हाथ थोड़े हो लगाना होता हे… तुम तो लंड से ठुकाई करते हो…

सनी नहीं माना तो मैं नए खरीदे ब्रा पैंटी सेट में आ गई।
और फिर वही हुआ जो होना था, सनी ने मुझे दबोच लिया और मेरे निप्पल चूसने लगा।

मैंने कहा- अगर अभी चुदाई में लग गए तो दोपहर को कुछ नहीं होगा… मैं कहीं जा तो नहीं रही हूँ.. अभी काम करने दो और दोपहर तक इंतज़ार करो।

सनी का मन पुलाव खाने का था तो मैं गैस पर चावल चढ़ा कर काफी बना लाई और सोफे पर बैठी सनी की गोदी में बैठ गई और हम दोनों कॉफ़ी पीने लगे।

तभी अचानक घंटी बजी… सनी ने मेरी ओर देखा कि कौन आ गया?
मैंने कहा- आना तो किसी ने नहीं था… हो सकता है कोई सेल्समेन हो तुम दरवाजा खोल कर मना कर दो।

सनी भी केवल बरमूडा ही पहने था और उसका तम्बू बना हुआ था पर मजबूरी थी… मैं तो ब्रा पैंटी में बाहर जाती नहीं…
सनी मुझे गोदी से उतार कर दरवाजा खोलने गया।

दरवाजा खोलते ही नीता की आवाज आई- आज मैं बिना बताये आ गई हूँ, देखूँ तो सही क्या मस्ती हो रही है।

अब मुझे और सनी को तो काटो तो खून नहीं… मैंने भी नहीं सोचा था कि नीता ऐसे अचानक इतनी जल्दी आ जाएगी।

मैं कॉफ़ी का मग टेबल पर रखकर भागी और जल्दीबाजी में बजाये बेड रूम में जाने के, मैं किचन में घुस गई।
नीता तो हंसते हंसते पागल हो रही थी, बोली- भाई, मैं तो अब नहीं बाहर जाने वाली… रोमा तुझे ऐसे ही बाहर आना होगा और कॉफ़ी तो मैं भी पीयूंगी।

मैंने कहा- नीता, तुझे मेरी कसम है बस एक मिनट के लिए तू बाहर चली जा, मैं कुछ पहन लूँ, फिर तेरे को कॉफ़ी क्या पुलाव भी खिलाऊँगी।

मगर वो बेशरम सोफे से हटने को तैयार नहीं और अब तो सनी को भी चढ़ गई थी… वो भी बोला- रोमा अब इन्होंने देख तो लिया ही है, चल अब क्या शरमाना तू बाहर आ जा…

दस मिनट ऐसे ही जदोजहद में निकल गए और फिर नीता बोली- चल मैं गेट पर खड़ी हो जाती हूँ, तू कपड़े उतार ले।
मैंने दरवाजा खोला और दबे पाँव बाहर आई।

तभी पीछे से नीता ने मुझे दबोच लिया… मैंने कहा- भाभी, यह तो बेईमानी है। आपने तो कहा था…
तो नीता बोली- हाँ मैंने कहा था कि मैं गेट पर खड़ी हो जाती हूँ तू कपड़े उतार ले। देख मैं किचन के गेट पर ही तो खड़ी थी अब बता तू कॉफ़ी कपड़े उतार कर बनाएगी या कपड़े पहने पहने?

अब मेरे सामने हथियार डालने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था।
नीता और मैं किचन में चली गई और काफी लेकर हम दोनों बाहर आई..

सनी मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था.. मैं कॉफ़ी रखकर कमरे में भागी और मिडी पहन कर आ गई।
सब हंस पड़े और हम कॉफ़ी ख़त्म कर के बेड रूम में बेड पर आकर बैठ गए।

नीता बोली- मैं अब चलती हूँ, मैंने आकर तुम्हारा मजा किरकिरा कर दिया।
सनी बोला- भाभी, कोई बात नहीं, आज आप पहली बार मेरे सामने आई हो, अब तो शाम को ही जाना। रिलैक्स होकर ऊपर बैठ जाओ, रोमा ने पुलाव बनाये हैं, सब मिलकर खायेंगे, कहो तो विकास को बुला लूँ?

नीता बोली- विकास तो दूकान छोड़ कर नहीं आएगा।
नीता बेड पर ऊपर बैठ गई।

नीचे ही पानी की एक खाली बोतल पड़ी थी, नीता ने उसे उठा लिया और हम तीनों के बीच में रखकर बोली- मैं इसे घुमाती हूँ जिसकी ओर ढक्कन आएगा उसे सामने वाले की बात माननी होगी चाहे वो कुछ भी कहे।

नीता बोली- अगर मंजूर हो तो शुरू करें?
सनी तो तैयार हो गया, मुझे झिझक हो रही थी।

नीता बोली- चलो आज मिलकर रोमा की इज्जत लूट लेते हैं।
हम सब हंस पड़े और गेम शुरू हो गया।

किस्मत की मारी सबसे पहले मुझे ही करना पड़ा, नीता ने मुझसे गाना गाने को कहा, आधा घंटे तक तो शराफत का गेम होता रहा… किसी ने ठुमका लगा कर दिखाया… किसी को सामने वाले को किस करना पड़ा… किसी को एडल्ट जोक सुनाना पड़ा।

हद तो तब हो गई जब अचानक बोतल मुझ पर रुकी और सनी ने मुझे रात वाली नाईट ड्रेस पहनने को कहा।
मैं घबरा गई… मैंने कहा- मैं नहीं पहनूंगी, मैं नहीं खेलती।

अब नीता नाराज हुई- ऐसे गेम थोड़े ही होता है… अगर बोतल मुझ पर आती तो मुझे भी वो ही करना पड़ेगा… और गेम तो अभी चल ही रहा है।
सनी भी बोला- अगर ऐसा है तो खत्म करो गेम।

मुझे लगा कि मेरी वजह से मूड ख़राब हो जायेगा… तो मैंने कहा- अच्छा एक शर्त है, जब भी बोतल नीता भाभी पर आएगी तब हम दोनों साथ साथ नाईट ड्रेस पहन लेंगे, तब तक की लिए इसे पोस्टपोन कर दो…

मगर सब नहीं माने और मुझे ड्रेस पहन कर आना पड़ा… बड़ी शर्म आ रही थी…

मैंने एक चालाकी की कि अंदर ब्रा और पेंटी पहन ली तो मेरी चूत और मम्मे ढके रहे…

मेरे वहाँ आते ही सनी बोला- यह तो बेईमानी है!
मैंने नीता को आँख मारी…
तो नीता बोली- यह बेईमानी नहीं चालाकी है। चलो कोई बात नहीं, अगली बार ये उतरवा देंगे।

अबकी बोतल सनी पर रुकी और मुझे बताना था, मैं तो खार खाए बैठी थी, मैंने कहा- सनी मेरी सुबह वाली ब्रा पैंटी सेट पहन कर आएगा…
अब बावली खेलने की बारी सनी की थी।

नीता हंसते हंसते लोटपोट हो रही थी… सनी को ब्रा पेंटी पहन कर आना पड़ा… उसे देख कर हम दोनों हंसते हंसते बेड पर ही उछलने लगे।

अब मस्ती के आलम में गेम आगे बढ़ा।
अबकी बोतल नीता पर आई और सनी को बताना था… नीता सनी से रिक्वेस्ट करने लगी- प्लीज मेरी इज्जत बचा लो..
पर अब सनी भी मार खाया था… उसने भी फरमान जारी कर दिया कि नीता भी नाईट ड्रेस में आये वो भी बिना ब्रा पैंटी के…

नीता के सामने अब नाटक का कोई चारा नहीं था, उसे ड्रेस पहननी पड़ी… नीता नाईट ड्रेस में हूर की परी लग रही थी… गोरी चिट्टी वो.. ऊपर से जालीदार ड्रेस जिसमे से झांकते उसके गोल गोल मम्मे… उसकी बिना बालों की चूत भी झलक दिखला रही थी।

सनी का तो लंड पैंटी में तम्बू बन चुका था… मैंने हंसते हुए नीता को सनी का लंड दिखाया।
हम दोनों हंसने लगी, सनी शर्मा गया।

गेम फिर चल पड़ा… अबकी बार बोतल सनी की ओर रुकी और मुझे बताना था, तो मैंने कहा- सनी खड़ा होकर एक झटके में अपनी पैंटी उतरेगा और फिर पहन लेगा।

सनी ने पहले तो नखरे दिखाए और फिर खड़ा हो गया… उसने पहले तो ब्रा उतार फेंकी और फिर उसने अपनी पैंटी भी उतार फेंकी … अब वो बिल्कुल नंगा खड़ा था।
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हम हंस रहे थे उसे देखकर… वो अचानक मुझपर झपटा और अगले एक मिनट में उसने जबरदस्ती मेरा टॉप उतार दिया।
अब गेम वासनामय हो गया था।
मुझे भी पागलपन सूझा.. मैंने नीता का टॉप और पैंटी दोनों उतार दी… इसी बीच सनी ने मेरी भी पैंटी नीचे खींच दी… अब हम तीनों बिल्कुल नंगे थे।

एक मिनट तो हम तीनों की गर्म सांसें ही कमरे में सुनाई दे रही थीं।

अब बारी मेरी थी शर्म उतारकर गेम आगे बढ़ाने की… मैंने नीता की चूत में अपना मुंह कर दिया और चूसने लगी।
सनी भी पुरानी याद ताज़ा करता हुआ नीता के मम्मों को चूसने लगा।

नीता हांफ रही थी, मैंने उसकी चूत में उंगली करनी शुरू कर दी थी और नीता ने अपने मुंह में सनी का लंड ले लिया था।
मुझे लगा की अब मुझे बीच से हट जाना चाहिए और सनी को नीता को भरपूर चोद सके।

मैं हटी और नीता के होंठों से अपने होंठ मिला दिये, उधर सनी नीचे खिसक कर अपना लंड नीता की चूत में घुसा चुका था।

अब उन दोनों का घमासान चालू था… नीता भी पुराने दिन ताज़ा कर रही थी और सनी भी बिना किसी डर के उसे चोद रहा था।
अचानक नीता ने सनी को नीचे किया और खुद उसके ऊपर चढ़ गई… पर वो जल्दी ही हांफ गई… सनी का निकल ही नहीं रहा था।

अबके सनी ने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में घुस गया। उसने अपने हाथों से उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिये।
वो बड़ी बेदर्दी से अब नीता को चोद रहा था, एक बार तो उसने नीता के बाल भी खींचे… पर नीता तो मस्त होकर चुदवा रही थी।

सनी ने सारा माल उसकी चूत में ही निकाल दिया और नीता निढाल होकर पेट के बल लेट गई और सनी भी उसके ऊपर चढ़ा चढ़ा ही लेट गया…

मेरी चूत अभी प्यासी थी, पर मैंने यह सोचा कि चलो आज मैंने नीता पर एक एहसान कर दिया… मुझे क्या मालूम था कि वो दोनों तो इस खेल के पुराने खिलाड़ी थे… आज तो उन्होंने अपने खेल को मेरी मंजूरी का जमा पहनाया।

हम तीनों बहुत खुश थे।
नीता ने मुझसे पूछा कि क्या मैं विकास से चुदना चाहती हूँ…

मेरा कोई मन नहीं था.. मैंने कहा- अभी नहीं… कभी मन होगा तो बता दूँगी।

खाना खाकर हमने नीता को विदा किया क्योंकि अभी मेरी चूत की प्यास बुझनी बाकी थी।
जाते जाते नीता ने हमसे यह वादा लिया कि विकास को इसका कभी पता नहीं चलना चाहिए और जब भी हम तीनों का मूड होगा हम फिर इकट्ठे होंगे।

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