कमाल की हसीना हूँ मैं -4

निकाह के बाद मैंने पाया कि सलमान मुझे कामुक नजरों से घूरते रहते हैं। नया-नया निकाह हुआ था, इसलिये किसी से शिकायत भी नहीं कर सकती थी। उनकी फैमिली इतनी एडवांस थी कि मेरी इस तरह की शिकायत को हंसी में उड़ा देते और मुझे ही उल्टा उनकी तरफ़ ढकेल देते।

सलमान की मेरी ससुराल में बहुत अच्छी इमेज बनी हुई थी इसलिये मेरी किसी भी शिकायत को कोई तवज्जो नहीं देता। अक्सर सलमान मुझे छू कर बात करते थे। वैसे इसमें कुछ भी गलत नहीं था। लेकिन ना जाने क्यों मुझे उस आदमी से चिढ़ होती थी।

उनकी आँखें हमेशा मेरी छातियों पर रेंगते महसूस करती थी। कई बार मुझसे सटने की भी कोशिश करते थे। कभी सबकी आँख बचा कर मेरी कमर में चिकोटी काटते तो कभी मुझे देख कर अपनी जीभ को अपने होंठों पर फेरते। मैं नजरें घुमा लेती।

मैंने जब समीना से थोड़ा घुमा कर कहा तो वो हँसते हुए बोली- दे दो बेचारे को कुछ लिफ्ट ! आजकल मैं तो रोज उनका पहलू गर्म कर नहीं रही हूँ, इसलिये खुला साँड हो रहे हैं। देखना बहुत बड़ा है उनका। और तुम तो बस अभी कच्ची कली से फूल बनी हो… उनका हथियार झेल पाना अभी तुम्हारे बस का नहीं।’

‘आपा आप भी बस… आपको शरम नहीं आती अपने भाई की नई दुल्हन से इस तरह बातें कर रही हो?’

‘इसमें बुराई क्या है। हर मर्द का किसी शादीशुदा की तरफ़ खिंचाव का मतलब बस एक ही होता है कि वो उसके शहद को चखना चाहता है। इससे कोई लड़की घिस तो जाती नहीं है।’ समीना आपा ने हंसी में बात को उड़ा दिया।

उस दिन शाम को जब मैं और जावेद अकेले थे, समीना आपा ने अपने भाई से भी मजाक में मेरी शिकायत की बात कह दी।

जावेद हंसने लगे- अच्छा लगता है जीजा जी का आप से मन भर गया है इसलिये मेरी बेगम पर नजरें गड़ाये रखे हुए हैं।’

मैं तो शर्म से पानी पानी हो रही थी। समझ ही नहीं आ रहा था वहाँ बैठे रहना चाहिये या वहाँ से उठ कर भाग जाना चाहिये। मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया।

‘अभी नई है, धीरे-धीरे इस घर की रंगत में ढल जायेगी।’ फिर मुझे कहा- शहनाज़ हमारे घर में किसी तरह का कोई पर्दा नहीं। सब एक दूसरे से हर तरह का मजाक छेड़-छाड़ कर सकते हैं। तुम किसी की किसी हरकत का बुरा मत मानना।

अगले दिन की ही बात है। मैं डायनिंग टेबल पर बैठी सब्ज़ी काट रही थी। सलमान और समीना आपा सोफ़े पर बैठे हुए थे। मुझे ख्याल ना रहा कब मेरे एक स्तन से साड़ी का आंचल हट गया। मुझे काम निबटा कर नहाने जाना था, इसलिये ब्लाऊज़ का सिर्फ एक बटन बंद था। आधे से अधिक चूचियाँ बाहर निकली हुई थीं।

मैं अपने काम में तल्लीन थी। मुझे नहीं मालूम था कि सलमान सोफ़े बैठ कर न्यूज़ पेपर की आड़ में मेरी चूचियों को निहार रहे हैं। मुझे पता तब चला जब समीना आपा ने मुझे बुलाया।

‘शहनाज़ यहाँ सोफ़े पर आ जाओ। इतनी दूर से सलमान को तुम्हारा जिस्म ठीक से दिखाई नहीं दे रहा है। बहुत देर से कोशिश कर रहा है कि काश उसकी नजरों की गर्मी से तुम्हारे ब्लाऊज़ का इकलौता बटन पिघल जाये और ब्लाऊज़ से तुम्हारी चूचियाँ निकल जायें, लेकिन उसे कोई कामयाबी नहीं मिल रही है।’

मैंने झट से अपनी चूचियों को देखा तो सारी बात समझ कर मैंने आंचल सही कर दिया। मैं शरमा कर वहाँ से उठने को हुई तो समीना आपा ने आकर मुझे रोक दिया और हाथ पकड़ कर सोफ़े तक ले गई। सलमान के पास ले जा कर उन्होंने मेरे आंचल को छातियों के ऊपर से हटा दिया।

‘लो देख लो.. 38′ साइज़ के हैं। नापने हैं क्या?’

मैं उनकी हरकत से शर्म से लाल हो गई। मैंने जल्दी वापस आंचल सही किया और वहाँ से खिसक ली।

हनीमून में हमने मसूरी जाने का प्रोग्राम बनाया। शाम को कार से दिल्ली से निकल पड़े। हमारे साथ समीना आपा और सलमान भी थे। ठंड के दिन थे। इसलिये शाम जल्दी हो जाती थी। सामने की सीट पर समीना आपा बैठी हुई थी।

सलमान कार चला रहे थे। हम दोनों पीछे बैठे हुए थे। दो घंटे लगातार ड्राईव करने के बाद एक ढाबे पर चाय पी। अब जावेद ड्राइविंग सीट पर चला गया और सलमान पीछे की सीट पर आ गये। मैंने सामने की सीट पर जाने के लिये दरवाजा खोला तो सलमान ने मुझे रोक दिया।

‘अरे कभी हमारे साथ भी बैठ लो… खा तो नहीं जाऊँगा तुम्हें !’ सलमान ने कहा।

‘हाँ बैठ जाओ उनके साथ… सर्दी बहुत है बाहर। आज अभी तक गले के अंदर एक भी घूँट नहीं गई है इसलिये ठंड से काँप रहे हैं। तुमसे सट कर बैठेंगे तो उनका जिस्म भी गर्म हो जायेगा।’ आपा ने हँसते हुए कहा।

‘अच्छा ! लगता है आपा अब तुम उन्हें और गर्म नहीं कर रही हो,’ जावेद ने समीना आपा को छेड़ते हुए कहा।

हम लोग बातें करते और मजाक करते चले जा रहे थे। तभी बात करते-करते सलमान ने अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया, जिसे मैंने धीरे से पकड़ कर नीचे कर दिया। ठंड बढ़ गई थी, जावेद ने एक शाल ले लिया, समीना ने एक कंबल ले लिया था। हम दोनों पीछे बैठे ठंड से काँपने लगे।

‘सलमान देखो… शहनाज़ का ठंड के मारे बुरा हाल हो रहा है। पीछे एक कंबल रखा है, उसे तुम दोनों ओढ़ लो,’ समीना आपा ने कहा।

अब एक ही कंबल बाकी था, जिससे सलमान ने हम दोनों को ढक लिया। एक कंबल में होने के कारण मुझे सलमान से सट कर बैठना पड़ा। पहले तो थोड़ी झिझक हुई मगर बाद में, मैं उनसे एकदम सट कर बैठ गई।

सलमान का एक हाथ अब मेरी जाँघों पर घूम रहा था और साड़ी के ऊपर से मेरी जाँघों को सहला रहा था। अब उन्होंने अपने हाथ को मेरे कंधे के ऊपर रख कर, मुझे अपने सीने पर खींच लिया। मैं अपने हाथों से उन्हें रोकने की हल्की सी कोशिश कर रही थी।

‘क्या बात है, तुम दोनों चुप क्यों हो गये। कहीं तुम्हारा नन्दोई तुम्हें मसल तो नहीं रहा है? संभाल के रखना अपने उन खूबसूरत जेवरों को… मर्द पैदाइशी भूखे होते हैं इनके।’ कह कर समीना हँस पड़ी।

मैं शरमा गई।

मैंने सलमान के जिस्म से दूर होने की कोशिश की तो उन्होंने मेरी कमर को पकड़ कर और अपनी तरफ़ खींच लिया।

‘अब तुम इतनी दूर बैठी हो तो किसी को तो तुम्हारी प्रॉक्सी देनी पड़ेगी ना और नन्दोई के साथ रिश्ता तो वैसे ही जीजा-साली जैसा होता है… आधी घर वाली…’ सलमान ने कहा।

‘देखा… देखा… कैसे उछल रहे हैं। शहनाज़ अब मुझे मत कहना कि मैंने तुम्हें चेताया नहीं। देखना इनसे दूर ही रहना। इनका साइज़ बहुत बड़ा है।’ समीना ने फिर कहा।

‘क्या आपा आप भी बस !?!’ यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

अब सलमान अपनी बाँह वापस कंधे से उतार कर कुछ देर तक मेरी अंदरूनी जाँघों को मसलते रहे। फिर अपने हाथ को वापस ऊपर उठा कर अपनी उँगलियाँ मेरे गालों पर फिराने लगे। मेरे पूरे जिस्म में एक झुरझुरी सी दौड़ रही थी। रोंये भी खड़े हो गये।

धीरे-धीरे उनका हाथ गले पर सरक गया। मैं ऐसा दिखावा कर रही थी जैसे सब कुछ सामान्य है मगर अंदर उनके हाथ किसी सर्प की तरह मेरे जिस्म पर रेंग रहे थे। अचानक उन्होंने अपना हाथ नीचे किया और साड़ी ब्लाऊज़ के ऊपर से मेरे एक मम्मे को अपने हाथों से ढक लिया। उन्होंने पहले धीरे से कुछ देर तक मेरे एक मम्मे को प्रेस किया।

जब देखा कि मैंने किसी तरह का विरोध नहीं किया तो उन्होंने हाथ ब्लाऊज़ के अंदर डाल कर मेरे एक मम्मे को पकड़ लिया। मैं कुछ देर तक तो सकते जैसी हालत में बैठी रही।

लेकिन जैसे ही उसने मेरे उस मम्मे को दबाया तो मैं चिहुंक उठी ‘उईईई !!!’

‘क्या हुआ? खटमल काट गया?’ समीना आपा ने पूछा और मुझे चिढ़ाते हुए हंसने लगी।

मैं शर्म से मुँह भींच कर बैठी हुई थी। क्या बताती ! एक नई दुल्हन के लिये इस तरह की बातें खुले आम करना बड़ा मुश्किल होता है और खासकर तब जबकि मेरे अलावा बाकी सब इस माहौल का मज़ा ले रहे थे।

‘कुछ नहीं ! मेरे सैंडल की हील फंस गई थी सीट के नीचे।’ मैंने बात को संभालते हुए कहा।

अब उनके हाथ मेरे नंगे मम्मों को सहलाने लगे। उनके हाथ ब्रा के अंदर घुस कर मेरे मम्मों पर फिर रहे थे।

उन्होंने मेरे निप्पल को अपनी उँगलियों से छूते हुए मेरे कान में कहा- बाई गॉड… बहुत सैक्सी हो। अगर तुम्हारा एक अंग ही इतना लाजवाब है तो जब पूरी नंगी होगी तो कयामत आ जायेगी। जावेद खूब रगड़ता होगा तेरी जवानी। साला बहुत किस्मत वाला है। तुम्हें मैं अपनी टाँगों के बीच लिटा कर रहूँगा।’
कहानी जारी रहेगी।
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