लड़कियों की मारता हूँ

मैं डर गई कि कोई इतना जल्दी कैसे पेड़ पर चढ़ सकता है। फिर उसने मुझे पेड़ की एक डाल पर बिठा दिया और धीरे धीरे मेरे होठों पर अपनी उंगली फिराने लगा। मुझे मालूम नहीं था कि यह क्या होता है, क्या करना चाहता है। फिर धीरे धीरे उसका हाथ मेरे सीने पर आया, वो ऊपर से सहलाता रहा। मुझे यह तो पता नहीं था कि यह क्या हो रहा है लेकिन मज़ा आ रहा था।
फिर उसने कहा- तुम जानती हो मैं कौन हूँ?
मैं- नहीं!
लड़का- मैं भूत हूँ!
मैं- झूठ! भूत इतना सुंदर होता है कहीं?
लड़का- मैं सच में भूत हूँ, मैं कोई भी रूप बदल सकता हूँ।
मैं- ठीक है लेकिन भूत तो खराब होते हैं, लोगों को मारते हैं।
लड़का- मैं लोगों को नहीं केवल लड़कियों की मारता हूँ।

मैं- लड़कियों की मारता हूँ… यह कैसे? तुम ग़लत बोल रहे हो, ऐसा कहो कि “लड़कियों को मारता हूँ!” मेरी हिन्दी वाली टीचर के हिसाब से यह सही है।
लड़का- नहीं, मैं लड़कियों की मारता हूँ।
मैं- फिर ग़लत! “लड़कियों की” नहीं “लड़कियों को” कहो। क्या कभी स्कूल नहीं गये?
लड़का- तुम अभी बच्ची हो!
मैं- हाँ, पूरे 18 साल की हूँ, छोटी बच्ची नहीं!
लड़का- अच्छा तो फिर बताओ यह स्कर्ट क्यों पहनी है तुमने?
मैं- यह गंदी बात है।
लड़का- गंदी बात नहीं है।

ऐसा कह कर उसने मेरी स्कर्ट ऊपर करनी शुरू की और मेरी पैंटी दिखने लगी।
फिर उसने मेरी पैन्टी पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या कर रहा है। मैंने पूछा- क्या कर रहे हो?
जैसे ही मैंने इतना कहा कि ज़ोर से बर्तन गिरने की आवाज़ आई और मेरी आँख खुल गई। देखा कि बिल्ली कूदी थी, इससे बर्तन गिर गये थे, मेरा सपना टूट गया था।
फिर मैं मुँह धोने के लिए बाथरूम की तरफ जाने लगी तो मम्मी के कमरे से कुछ आवाज़ें आ रही थी।
मैं सुनने लगी, मम्मी-पापा बात कर रहे थे!
मम्मी- अरे क्या कर रहे हो? आज बिटिया घर पर है।
पापा- तो क्या? वो अभी सो रही है, फिर कौन सा हम खुले में हैं, अपने कमरे में हैं।
मम्मी- बिटिया शादी के लायक हो गई, उसके लिए लड़का देखने की बजाए तुम मुझे ही ठोकने में लगे हो? अब मेरी उम्र नानी बनने की है मम्मी बनने की नहीं!
पापा- अरे तुम बकवास बहुत करती हो! मैं किसी रंडी को तो चोदने नहीं जा रहा हूँ! अपनी बीवी को भी नहीं चोद सकता तो फिर शादी का क्या फ़ायदा?
मम्मी- अरे तुम कॉन्डोम भी प्रयोग नहीं करते! कहीं पैर भारी हो गया तो लोग क्या कहेंगे?
पापा- तुम माला-डी खाया करो! समझी? चलो अब पेट के बल लेट जाओ।
मम्मी- ठीक है बाबा, लो करो।

और इस तरह की बात मेरे समझ में नहीं आ रही थी कि मम्मी क्या करवा रही थी। मैं बाथरूम गई और मुँह धोकर आई।
अगले दिन कॉलेज़ जाने को तैयार हुई और उस दिन मेरी कोई सहेली नहीं गई। मैंने दो दिन अनुपस्थित रहना ठीक नहीं समझा। कॉलेज़ से लौट कर घर आ रही थी तो मैंने देखा कि पेड़ के पास वो ही खूबसूरत सा लड़का खड़ा है मेरे सपने वाला!
मैं चौंकी कि सपना सच कैसे हुआ?

मैंने उससे पूछा- अरे, तुम कौन हो? मैंने तुम्हें कल अपने सपने में देखा था।
लड़का- मैं इस पेड़ का भूत हूँ, मैंने ही तुम्हें अपना सपना दिखाया था।
मैं- लेकिन क्यों?
लड़का- क्योंकि तुम मुझे अच्छी लगती हो और मैं तुम्हारी मारना चाहता हूँ।
मैं- क्या मतलब? मुझे क्यों मारना चाहते हो?
लड़का- तुम्हें नहीं तुम्हारी!
मैं- मैं समझी नहीं मेरी क्या?
लड़का- इतनी बड़ी हो, तुम्हें पता नहीं?
मैं- नहीं, मम्मी भी कल कुछ मरवा रही थी लेकिन मैं केवल सुन पा रही थी! क्या मारना चाहते हो तुम मेरी और मैं क्यों मरवाऊँ?
लड़का- दर्द तो होगा ही! मरवाने में तो वैसे भी दर्द होता है। मरवाने में दर्द क्यों नहीं होगा, जब सर जी मारते है कॉलेज़ में तो दर्द नहीं होता क्या?
मैं- हाँ होता है । लेकिन तुम क्यों मारोगे? मैंने क्या किया है? क्या ग़लती है मेरी?
लड़का- तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारे ये बड़े बड़े दूध! तुम्हारी यह चौड़ी गाण्ड! इनकी ग़लती है।
इतना कह कर वो मुझे सपने की तरह पेड़ पर ले गया और वहीं डाल पर बिठा कर मेरे होठों पर उंगली फिराने लगा, फिर धीरे से नीचे आकर मेरे सीने को सहलाने लगा। मुझे मज़ा आ रहा था।
फिर उसने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए तो मैं समझ गई कि यह गंदी बात है। मैंने उसे मना किया तो उसने अपना डरावना रूप कर लिया, पूरे शरीर पर घने बाल निकल आए, भयानक चेहरा लंबे लंबे दाँत।
मैं बहुत बुरी तरह से डर गई। फिर उसने मेरी शर्ट एक झटके से फाड़ दी मेरी शमीज़ दिखने लगी, गुस्से से उसने शमीज़ भी खींच दी।अब मेरी चूचियाँ दिखने लगी, बिल्कुल कसी, भूरे चुचूक।

उस पर उस भूत ने तेज़ी से दबाना शुरू कर दिया, मैं चीखने लगी लेकिन जंगल मैं कौन मेरी आवाज़ सुन रहा था। 5 मिनूट तक उसने पूरी ताक़त से दबाया, कहाँ भूत, कहाँ मैं नाज़ुक सी लड़की! मैं डर गई।
फिर उसने मेरी स्कर्ट फाड़ दी और एक हाथ पैंटी के अंदर डाल कर उसे एक झटके में फाड़ दिया।
मेरी झाँटों से भरी चूत देख कर वो पागल हो गया और तुरंत ही मुँह से मेरी चूत को चूसने लगा।
मैं बेहद डरी हुई थी। वो इतना भयनक था और मैं जानती नहीं थी कि चुदाई क्या होती है, नहीं तो शायद मैं मज़ा ले सकती।
फिर उसने मेरी झांटों को अपने मुँह से खींचना शुरु कर दिया, मेरी झांटें टूटने लगी, दर्द से मैं तड़पने लगी लेकिन उस भूत पर इसका असर नहीं हुआ। उसने खींच खींच कर मेरी चूत के बाल साफ कर दिए और झांटें खा गया।
फिर उसने अपने पैने दांत मेरी चूत में गड़ाने चाहे।
मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मैं बोली- आप यह क्या कर रहे हो?
भूत- तुम्हारी चूत खा रहा हूँ।
मैं- लेकिन अगर खा लोगे तो फिर यहाँ जगह खाली हो जाएगी।
भूत- हाँ तेरी चूत खाने के बाद मैं तेरा खून पीऊँगा।
मैं- लेकिन फिर मैं मर जाऊँगी और तुम्हें मेरे जैसी लड़की दुबारा नहीं मिल पाएगी।
भूत कुछ सोचने लगा, मैं खुश हुई कि चलो मरने से तो बच जाऊँगी अगर यह मान गया तो।
भूत- लेकिन तू फिर रोज़ मेरे पास चुदवाने आएगी?
मैं- हाँ, रोज़ आऊँगी और पैंटी भी नहीं पहनूँगी ताकि तुम्हें इंतज़ार ना करना पड़े।
भूत- ठीक है। लेकिन आज मैं तुम्हें ज़रूर चोदूंगा।
मैं- ठीक है, लेकिन ध्यान रखना, मैं मर गई तो लण्ड खड़ा रहेगा किसी को नहीं चोद पाओगे।
भूत- ठीक है।
इतना कह कर वो खड़ा हुआ तो वो 20 फ़ीट से भी ज़्यादा लंबा था। उसका लण्ड भी 1 फ़ुट का था। मुझे समझ नहीं आया कि यह लण्ड है क्या पेड़ का डण्डा।

मैंने उसके लण्ड की ओर इशारा करके कहा- यह क्या है?
भूत- लण्ड! इससे चुदाई करते हैं।
मैं- पागल हो क्या? इससे चुदाई करोगे? यह कहाँ जाएगा? मेरी कितनी छोटी जगह है।
भूत- कई लड़कियों को किया, कभी नहीं घुसा।
मैं- घुसेगा कहाँ? यह चूत है, कोई कमरा थोड़े ना है?
भूत- तो फिर मैं क्या करूँ?
मैं- तुम अपने लड़के वाले रूप में आ जाओ और जी भर के चोद लो मुझे! फिर भूत बन जाना।
भूत- यह ठीक है।
फिर वो खूबसूरत गोरा चिट्टा लड़का बन गया और मेरी खुली चूत में अपने गोरा लण्ड डाल दिया और जम कर धक्के लगाता रहा।
वो करीब 25 मिनट तक लगातार मुझे चोदता रहा। मुझे पहले मज़ा आ रहा था लेकिन खेल लम्बा होने लगा तो मुझे दर्द होने लगा।
मैं- कब उतरोगे मेरे ऊपर से ? अभी तक चोद रहे हो!
भूत- मैं भूत हूँ! आदमियों से ज़्यादा ताक़त है मुझमें!
मैं- लेकिन मैं तो लड़की ही हूँ ना! भूतनी तो नहीं, मुझमें तो उतनी ही ताक़त है।
भूत- तुम क्या चाहती हो?
मैं- अब बस करो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
भूत- लेकिन मेरा अभी निकला नहीं है।
मैं- तो हाथ से निकाल लो, आज बहुत दर्द हो रहा है, अब अगले हफ्ते आऊँगी, तब मारना मेरी!
भूत- लेकिन एक हफ्ते मैं कैसे रहूँगा?
मैं- मेरी हालत बहुत खराब है। एक हफ्ते में ही ठीक हो पाएगी।

फिर भूत मान गया और हाथ से मूठ मारकर उसने अपना पानी निकाला। 1 लिटर से कम नहीं था उसका पानी, मैं पूरी की पूरी नहा गई उसमें।
भूत- अब घर जाओ।
मैं- क्या यूँ ही नंगी जाऊँगी?
भूत- तो मैं क्या करूँ?
मैं- अगर नंगी जाऊँगी तो गाँव के आवारा लौण्डे मुझे चोद डालेंगे! हर समय उनके लण्ड खड़े रहते हैं! मुझे कपड़े दो!
फिर भूत ने जादू से कपड़े पहनाए और मेरे घर पहुँचा दिया।
अब वो मुझे रोज़ चोदता है। जब मैं नहीं जाती हूँ तो अदृश्य होकर मेरे कमरे में आ जाता है और खूब चोदता है मुझे! मैंने 5 भूत पैदा किए है जो मुझे मम्मी कहते हैं और उसी पेड़ पर रहते हैं।