सम्भोग से आत्मदर्शन-20

ट्रांसमीटर छोटा और चिकना था इसलिए उसे गांड की छेद में रख कर जाना भी आश्चर्य का विषय नहीं था। पर इन बातों के लिए प्रेरणा को कहने में मुझे झिझक हो रही थी। फिर भी मैंने हिम्मत करके प्रेरणा से योजना संबंधी सारी बातें कहीं।

प्रेरणा ने मेरी हालत को भांप लिया और मेरे करीब आकर बैठ गई, और उसने सीधे मेरी जांघों पर हाथ रख कर कहा- संदीप, तुम्हारी योजना बहुत अच्छी है, हम जरूर सफल होंगे, पर तुम्हारे और मेरे बीच एक टेलीपैथी जैसा भी होना चाहिए जो किसी भी यंत्र से ज्यादा कारगर हो। अभी तुम जिस तरह झिझक रहे हो, इस तरह हमारे काम को अंजाम नहीं दिया जा सकता, इसलिए हमारे तन और मन का मिलन होना जरूरी है ताकि हमारी सोच समझ विचार आत्मा सब एक हो जाये। और ऐसे भी मुझे गांड के छेद में ट्रांसमिटर रखने का अभ्यास करना होगा, क्योंकि कभी ना चुदी गांड से ऐसा काम कर पाना संभव नहीं है। और वो कमीने तो मेरी गांड मारे बिना छोड़ेंगे भी नहीं।
संदीप मैं प्यासी भी हूं, तुम मेरी प्यास बुझा दो और मेरे में समा जाओ।

उसने इतनी बातें करते हुए मेरे जांघों को सहलाना जारी रखा। मैं उसकी बातों को अच्छे से समझ रहा था और मैं उससे सहमत भी था, अगर सहमत नहीं भी होता तब भी किसी खूबसूरत लड़की को चोदने का मौका छोड़ने वाला मैं नहीं हूं।

अब तक मेरा लंड अकड़ गया था और प्रेरणा का हाथ भी उस पर पहुँच चुका था, मैंने बिना कुछ कहे प्रेरणा की पीठ सहला दी, जो कि सारी बातों के लिए मेरी सहमति जता रही थी।

प्रेरणा विधवा थी इसलिए वह लंबे अरसे से सेक्स के लिए प्यासी थी, उसका गोरा चेहरा कामुकता में लाल गुलाबी होने लगा, शर्म हया की परतों को उसने खुद ही उतार दिया पर मेरे दिमाग में अभी भी यह बात घूम रही थी कि एक औरत खुद से इतना आगे कैसे बढ़ सकती है।

अब मैंने उसकी पीठ सहलाते हुए कमर और कूल्हों तक हाथ पहुँचाया और चिकनाई भरे कंधों पर चुम्बन अंकित करते हुए कहा- प्रेरणा, तुम्हारे अंदर मेरे साथ इस तरह आगे बढ़ने की हिम्मत कहाँ से आई?
प्रेरणा ने मेरे लंड को सहलाना रोक दिया, तो मैंने उसके चेहरे को देखा, और उसने मेरी आंखों में आंखें डाल कर कहा- अगर मैं इतने बड़े साधु कि पोल खोलने की हिम्मत कर सकती हूँ, उन दुष्टों के सामने खुद को नग्न निर्वस्त्र करने का साहस कर सकती हूँ, अपने जिस्म को नुचवाने और भोग के लिए जब खुद प्रस्तुत कर सकती हूँ, तब तुम्हारे जैसे खूबसूरत नौजवान के साथ सम्भोग के लिए आगे बढ़ना कोई बड़ी बात नहीं है।
ऐसे भी मेरी कमीनी सहेली कविता (तनु) ने कुछ ही घंटों में तुम्हारे काम कौशल और लंड की इतनी तारीफ कर दी थी कि मुझे तो उसी दिन तुमसे चुदने का मन हो गया था।
तुम्हें पता है उस दिन जब तुम लोग आश्रम के बाहर मुझे रोक रहे थे तो मैं क्यों नहीं रुकी, और हम एक ही समय पर आश्रम में रह कर भी क्यों एक दूसरे को नहीं मिले?
मैंने कहा- नहीं! तुम ही बताओ।

प्रेरणा ने लंबी सांस लेते हुए कहा- मैं उस बाबा के पीछे लंबे समय से हूँ इसलिए अब मुझे उनके आश्रम के अन्य रास्तों का पता है, उस दिन मैं वहाँ पीछे के छोटे रास्ते से अंदर गई थी और मेरी सालगिरह पर मेरे लिए खास पूजा रखी गई थी, जिसमें वहाँ मुझे नग्न करके दूध और गंगाजल से नहलाया गया, और मुझे ये भी पता कि उस पूजा की छुप कर वीडियो रिकार्डिंग की गई होगी और जब बाबा मेरी जिस्म को देख कर पसंद करेगा तब मुझे गुप्त कक्ष तक ले जाया जायेगा, जहाँ पहले मेरा भोग बाबा के लंड में लगेगा फिर उसके चेले भी मेरा कस के भोग करेंगे।
मैंने बहुत मेहनत से सारी जानकारीयां हासिल की हैं, नहीं तो अंदर पहुँचना तो दूर की बात है, आश्रम के आसपास भी कोई फटक नहीं सकता, क्योंकि चारों तरफ दो तीन किलोमीटर के दायरे में उसने सी सी टी वी कैमरे लगवा रखे हैं, इसीलिए मैं उस दिन वहाँ नहीं रुकी।

अब तक हमारे बीच से कामुकता गायब हो गई थी लेकिन ये बात जानना भी जरूरी था, मैंने सब कुछ शांति से सुन रहा था।

फिर प्रेरणा ने मेरे दोनों गाल अपने हाथों में रख लिए और रूंधित स्वर में कहा- संदीप, मुझे वहाँ कैसा चोदा जायेगा, ये सोच कर ही डर लगता है, मैं वहाँ से जीवित लौट पाऊंगी या नहीं, इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है, इसलिए मैं तुम्हारे साथ अपनी बची हुई जिन्दगी को जी लेना चाहती हूँ।
क्या तुम्हें मेरे साथ सेक्स करने का मन नहीं है? क्या मैंने तुमसे कुछ ज्यादा मांग लिया?
ऐसा कहते हुए उसके आँखों में आंसू आ गये थे।

फिर मैंने जवाब में अपना मुंह बंद ही रखते हुए उसके आंसू पोंछे, और उसके बाहर की ओर निकले गुलाबी लबलबाते होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
उसने अपनी बांहों का हार बना कर मेरे गले में डालते हुए मेरा वरण कर लिया, हम बिस्तर पर ही बैठ कर बातें कर रहे थे, तो मैं इसी अवस्था में पीठ के बल बिस्तर पर लेट गया और साथ ही प्रेरणा को अपने ऊपर खींच लिया.

चुम्बन जारी रहा वो मेरे ऊपर यूँ ही चिपकी हुई लेटी, हम दोनों के पैर बिस्तर के बाहर लटक रहे।
इस अवस्था में प्रेरणा के छोटे किन्तु कठोर उरोज मेरे सीने में दब कर मेरी कामोत्तेजना को तेजी से बढ़ा रहे थे और नीचे मेरा लंड विकराल रूप धारण करके प्रेरणा के योनि प्रदेश पर दबाव डालने लगा था।
हमारे मुख से स्वतः ही कामुक ध्वनियां स्पंदित होने लगी।

हम चुम्बन के दौरान एक दूसरे के हर अंग को सहला रहे थे, हमारा ये चुम्बन चलते ही रहा, लगभग बीस मिनट से ज्यादा जीभ को चूसना, होंठों को चूसना, एक अलग तरह का अहसास था, फिर मुझे अपने होंठों पर दर्द महसूस हुआ और पर मैंने कुछ नहीं कहा, और थोड़ी देर बाद प्रेरणा ने खुद ही चुम्बन रोका, उसकी आँखें काम वासना में लाल हो चुकी थी।

और अचानक ही मेरा ध्यान उसके होंठों पर लगे खून पर गया, शायद उसी समय उहने भी मेरे होंठों पर खून देखा, हम दोनों को ही अपनी परवाह नहीं थी, पर हमने एक दूसरे की परवाह करते हुए संयोग वश एक साथ ही कहा ये होंठ पर खून कैसे।
हम दोनों ने ये शब्द एक साथ कहे थे इसलिए हम हँस पड़े।

फिर मैंने कुछ कहने के बजाय उसके होंठों को उंगलियों से छू कर देखा, उसके होंठ मेरे चुम्बन की वजह से कट गये थे।

उसने भी अपनी उंगली से मेरा होंठ छू कर देखा, मेरे भी होंठ कटे थे, हम होंठो को छूते हुए एक दूसरे की नजरों में झांक रहे थे, मेरे लब खामोश थे पर नजर प्रेरणा से पूछ रहे थे कि कहो.. मेरा चुम्बन कैसा लगा।
और प्रेरणा शरमा रही थी पर उसने मेरी उंगली को अपने मुंह के अंदर ले लिया और चूसने लगी, शायद ये उसका जवाब था कि चुम्बन बहुत अच्छा लगा। मैंने भी ऐसा ही किया, मैं भी उसकी उंगली मुंह में लेकर चूसने लगा।

हम दोनों की आँखें कामुकता में बंद हो चुकी थी, अब प्रेरणा ने मेरी उंगली जोर से चूसनी काटनी शुरू कर दी, तब मैंने प्रेरणा से कहा- प्रेरणा ये लंड नहीं है, तुम जिस रस को उंगली में ढूँढ रही हो वो लंड में मिलेगा, उंगली को कितना भी चूसो काटो, उससे खून आ सकता है काम रस नहीं।

प्रेरणा शरमा गई, पर अब वो किसी बात का जवाब दिये बिना नहीं रहने वाली थी… उसने मेरे लंड को जोर से अपने हाथों में दबाया और कहा- इसका रस तो जी भर कर पीऊंगी, और इसे चूत का रस भी पिलाऊंगी, पर अब मेरे होंठों को तुम्हारा खून लग गया है, और तुम्हारा गरम खून मुझे मोहित कर रहा है।

यह कहते हुए उसने फिर मेरे होंठों से होंठ लगा दिये, अब हम दोनों को चुम्बन के साथ हल्के खून का भी स्वाद आ रहा था, आप सब जानते ही हैं कि ये खून की धार नहीं होती हल्की ब्लीडिंग होती है, इसलिए हम बिना कपड़े उतारे भी वाइल्ड सेक्स करने लगे थे।

अब मैंने प्रेरणा को ऐसे ही चुम्बन करते हुए उठाया और हम बिस्तर से नीचे आकर इस काम में लगे रहे, प्रेरणा इस पल का बहुत ज्यादा आनन्द ले रही थी, जबकि मैंने अपने और उसके कपड़े उतारने की कोशिश की, मेरे इस काम में प्रेरणा ने भी सहयोग किया, और जैसे ही उसे आभास हुआ कि अब मेरा लंड आजाद है, उसने चुम्बन छोड़ दिया और नीचे बैठ कर पागलों की भांति लंड चूसने लगी।

उसने लंड पोंछा भी नहीं, और कुछ देखा भी नहीं, बस लगी लंड चूसने… वो साथ ही मेरी गोलियों को सहला रही थी जो उसके सेक्स तजुरबे और सेक्स भूख को दर्शा रही थी।
मेरी आंखें स्वतः बंद हो गई और मैं प्रेरणा के बालों को सहलाने लगा।

थोड़ी देर मेरा लंड चूसने के बाद प्रेरणा उत्तेजित होकर वाइल्ड सेक्स पर उतारू हो गई, उसने मेरे लंड पर दांत गड़ाने शुरू कर दिये और गोलियों को भी ज्यादा सहलाने और मारने जैसा करने लगी, उसने मेरे जांघों पर भी चपत लगा दी।

तब मैंने भी उसका जंगली सेक्स निमंत्रण स्वीकार किया और उसके बालों को खींचने लगा, फिर मैंने उसके बालों को समेट कर रस्सी या चाबुक की तरह अपने हाथों मे लपेट कर पकड़ा और उसके मुंह को जोर जोर से चोदने लगा मेरा विकराल लंड उसके मुंह के आखरी छोर से कटराने लगा, शायद गले तक पहुँच रहा हो।

प्रेरणा ‘उउ ऊउ आआआउऊ’ करने लगी लेकिन मैंने महसूस किया कि प्रेरणा इस दर्द में और ज्यादा मजे लेने लगी, तब मैंने उसके गोरे सुंदर गाल पर चपत लगा दी, मेरा लंड उसके मुंह के अंदर था इसलिए चपत का हल्का अहसास मेरे लंड को भी हुआ. यह चपत वहशियाना नहीं था, इसलिए शायद प्रेरणा को भी पसंद आया और उसने लंड चूसने का अपना सारा अनुभव उस पल उड़ेल देना चाहा।

पर इतने वाइल्ड फोरप्ले को मेरा लंड और बर्दाश्त ना कर सका, और लावा उगलने को आतुर होने लगा, मेरे शरीर में कंपकंपी और सिहरन होने लगी, मैंने प्रेरणा के बालों को पकड़ कर उसके सर को अपने लंड में जहाँ तक हो सके दबा लिया और पिचकारी उसके मुंह के अंदर मारने लगा.
मुझे नहीं पता कि प्रेरणा मेरे वीर्य का स्वाद ले पाई या नहीं क्योंकि पिचकारी सीधे उसके गले के पास जा रही थी, और उसे सारा रस उसी वक्त गटकना पड़ा था।

मेरे लंड की अकड़न में जरा सा फर्क आया पर वह अभी भी अकड़ा हुआ था, प्रेरणा की आंखों में आंसू थे, अब पता नहीं वो दर्द के थे या खुशी के।
फिर मैंने प्रेरणा के बाल पकड़ कर ही लगभग घसीट कर जबरदस्ती बिस्तर पर लेटा दिया प्रेरणा के कमर से ऊपर का भाग बिस्तर पर था और उसके पैर जमीन पर लटक रहे थे तो मैंने उनके पैरों को मोड़ कर बिस्तर पर फैलाते हुए रखा इससे उसकी चूत बिस्तर के किनारे पर उभर के आ गई और मैं बिस्तर के नीचे चूत के सम्मुख घुटनों पर बैठ गया।

प्रेरणा का शरीर छरहरा था और वासना में फूल जैसा हल्का हो गया था, प्रेरणा गोरी थी, बहुत ज्यादा सुंदर थी साथ ही अनुभवी भी थी फिर भी अपने दुबले पतले शरीर की वजह से नवयौवना जैसा अहसास करा रही थी।
उसके निप्पल भूरे रंग के थे, और पेट तो मानो हो ही नहीं, कमर ठीक थी और चूत के पास उभार भी कम ही था, चूत की जगह पर एक लकीर सी नजर आ रही थी, जो बहुत चुदी हुई महिलाओं की बिल्कुल नहीं होती, इसका तात्पर्य ये था कि या तो प्रेरणा बहुत छोटे लंड से चुदी है या बहुत कम चुदी है।

खैर जो भी हो, मैंने उसकी चिपकी हुई चूत को मारना शुरू किया, क्योंकि अब मेरे दिमाग में भी वाइल्ड सेक्स का भूत सवार हो गया था.

प्रेरणा कराह उठी, मैंने उसकी चूत को लगातार कई चपत लगाई, उसकी चूत लाल हो गई और प्रेरणा ने अपने होंठों को अपने दांतों से काट रखा था और अपने दोनों हाथों से अपने स्तन को मरोड़ने लगी, उसकी सिसकारियां बता रही थी कि उसे बहुत ही ज्यादा कामुक अहसास हो रहा है।

अब मैंने उसके योनि प्रदेश में अपना मुंह लगा दिया और उसके दाने को चूसने लगा और बीच बीच में योनि प्रदेश को दांतों से काट भी लेता था. इस बीच मैंने उसकी कोमल पतली जांघों और सुंदरता से भरे आकर्षित करते कूल्हों पर भी कई चपत लगाये।

मुझे प्रेरणा की चूत से रस बहने का अहसास हुआ, तो मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसकी चूत के अंदर अपनी जीभ लगा दी, और हर एक बूंद को खा जाने का प्रयास किया.
मैंने उसके दाने को अपनी नाक से भी सहलाया, प्रेरणा ने हाथ बढ़ा के मेरे बाल पकड़ लिए और मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगी, मेरे बाल नोचने लगी, उसके शरीर में भी कंपकंपी होने लगी, आहह ऊहह से आवाज गाली तक पहुंचने लगी- आहह क्या गजब का चाट रहा है कुत्ते… और चाट मादरचोद… मुझे अपनी रखैल बना ले… आहहह संदीप… आज तूने दिल जीत लिया रे कमीने…!!

मेरा मुंह चूत में व्यस्त था इसलिए मैं कोई उत्तर ना दे सका लेकिन मैंने थोड़ी और उग्रता दिखाते हुए अपना जवाब दे दिया, मैंने उसकी छोटी सी चूत में एक साथ तीन उंगली डाल दी, तो वो और भी मचल उठी और उसे जब अपनी उंगलियों से चोदने लगा और अपनी जीभ से उसके दाने को चाटने लगा तो वह अकड़ते हुए झड़ने लगी और उसका काम रस मैं मजे से पीने लगा.
उसका कामरस मुझे बहुत स्वादिष्ट लगा, पर अभी उसे मेरे लंड का मार झेलना था.. मैंने भी ठान लिया था कि वाइल्ड सेक्स किसे कहते हैं आज बता के ही रहूंगा।

कहानी जारी रहेगी.
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