रैगिंग ने रंडी बना दिया-21

पांच मिनट बाद ही पूजा ने जोर की आह.. भरी और उसकी चुत बहने लगी, जिसे संजय ने चाट कर साफ कर दिया।

पूजा- आह.. आह मामू मैं गई आह.. मेरा उफ़फ्फ़ श्स्स्स रस निकल रहा है आह आह..
संजय ने पूरा रस गटक लिया और सीधा बैठ गया, उसका लंड अब आग उगलने लगा था।

संजय- तू तो झड़ गई मेरी जान.. चल अब मेरे लंड को भी ठंडा कर दे.. कब से तड़प रहा है।
पूजा ने बिना कुछ बोले लंड को मुँह में ले लिया और बड़े मज़े से चूसने लगी।

संजय- आह.. चूस मेरी जान.. ओफ तेरा मुँह भी चुत का मज़ा दे रहा है आह.. काश तेरी चुत में लंड घुसा सकता आह.. कितना मज़ा आता आह.. चूस आ.

पूजा ने लंड मुँह से निकाला और मासूमियत से पूछा- मामू चुत में डालने से ज़्यादा मज़ा आता है.. तो आप डाल दो ना!
संजय- नहीं मेरी जान.. अभी उंगली डाली तो तुझे दर्द हुआ था, लंड जाएगा तो बहुत दर्द होगा और तेरे चिल्लाने से सबको पता लग जाएगा।
पूजा- हाँ दर्द तो बहुत हुआ.. मगर आपके लिए मैं सह लूँगी.. आप लंड को घुसा दो।
संजय- ओह.. पूजा तुम कितनी अच्छी हो मेरी जान.. अभी तो चूस के मज़ा दे दे.. इसको घुसने का भी सही मौका आने दे, फिर तुझे कली से खिलता गुलाब बना दूँगा।

पूजा कुछ कहती, इससे पहले संजय ने उसके मुँह को पकड़ा और लंड अन्दर घुसा दिया। अब पूजा मज़े से लंड अन्दर-बाहर करके चूसने लगी थी।
संजय- आह.. चूस ओफ मज़ा आ रहा है मेरी जान आह.. चूसती रह.. आह.. ओफ नीचे आह.. गोटियाँ भी चूस.. ओफ हाँ ऐसे ही बस आह.. जोर से चूस आह.. गुड आह.. ऐसे ही.. आह.. मेरी जान।

करीब 15 मिनट तक पूजा जी-जान से लंड चूसती रही मगर संजय तो फ्लॉरा की चुदाई करके आया था.. इतनी जल्दी कहाँ उसका पानी निकलना था।

पूजा- ओह.. मामू कब से चूस रही हूँ आज आपका रस क्यों नहीं निकल रहा है, मेरा मुँह दुखने लगा है।
संजय- मेरी जान ये ऐसे नहीं निकलेगा.. चल लेट जा, तेरी कच्ची चुत पर रगड़ खा कर शायद ये लंड पिघल जाए।

संजय ने पूजा को लेटा दिया और खुद उस पर सवार हो गया। अब वो लंड को चुत पर घुमाने लगा, साथ ही पूजा के चूचे चूसने लगा।

पूजा को भी मज़ा आने लगा और वो भी गर्म हो गई। अब हालत ऐसे थे कि संजय का लंड पूजा की जाँघ में फँसा हुआ था और संजू जोर-जोर से उसको ऊपर से ही चोद रहा था। कभी-कभी लंड ऊपर आ जाता और सीधा चुत से टकराता.. जिससे पूजा की सिसकी निकल जाती।

लगभग दस मिनट ये खेल चला। अब संजय चरम पर आ गया था। इधर पूजा भी बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गई थी।

पूजा- आह आह.. मामू जोर से करो ओफ आह.. मैं गई मामू.. आह.. उफ़फ्फ़.. ससस्स..
संजय- ले आह.. मेरी जान ओफ मेरा लंड भी आह.. आग उगलने वाला है.. एयाया आह..

दोनों एक साथ झड़ गए। अब कमरे में बस दोनों की साँसें सुनाई दे रही थीं। काफ़ी देर संजय ऐसे ही पूजा पर पड़ा रहा। फिर उसको लगा कि पूजा पे वजन ज़्यादा है.. और वो परेशान हो रही है तो वो साइड में हो गया।

पूजा- ओफ मामू, कितना मज़ा आया आज.. मगर अपने सारा रस वेस्ट कर दिया.. आपका भी माल गया और मेरा भी.. हम दोनों एक-दूसरे का मजा रस चाट लेते तो अच्छा होता।
संजय- कोई बात नहीं जान.. अब तो ये खेल चलता ही रहेगा.. फिर चाट लेना। बस एक बार तेरी चुत में लंड डालने का मौका मिल जाए.. फिर तो हर दिन, हर रात तेरी चुदाई करूँगा।
पूजा- ये चुदाई क्या होती है मामू?
संजय- जब तेरी चुत में लंड जाएगा ना और अन्दर रस छोड़ेगा.. उसे चुदाई कहते हैं समझी।
पूजा- हाँ मामू समझ गई मगर आप ये लंड मेरी चुत में कब डालोगे?
संजय- सही वक़्त आने पर.. अब तू ज़्यादा बोल मत.. नहीं तो ये लंड फिर जाग जाएगा। चल कपड़े पहन और सो जा.. नहीं फिर से तुझे इसे चूस के ठंडा करना होगा और अबकी बार ये जल्दी नहीं पानी छोड़ेगा समझी.. चल अब जल्दी से सो जा.. तब तक मैं भी कपड़े पहन लूँ।

इतना कहकर संजय कपड़े पहनने लगा और पूजा का मुँह पहले ही दुख रहा था और 2 बार झड़ने के बाद उसको नींद भी बहुत आ रही थी.. इसलिए उसने आगे बात करना ठीक नहीं समझा और चुपचाप कपड़े पहन कर बिस्तर पर लेट गई।

संजय- क्या हुआ मेरी जान क्या मुझसे नाराज़ हो गई?
पूजा- नहीं मामू आपसे कैसे नाराज़ हो सकती हूँ.. आपने तो मुझे इतना मज़ा दिया है।

संजय ने पूजा को किस किया और सोने के लिए बोला क्योंकि रात काफ़ी हो गई थी इसलिए दोनों सुकून की नींद सो गए।

दोस्तो अब यही अटके रहोगे क्या.. हमारी मोना का हाल भी जान लो। रात की ज़बरदस्त चुदाई के बाद उसकी सुबह कैसी हुई.. चलिए देखते हैं।

काका सुबह-सुबह घर से निकल गए.. उधर निर्मला और गायत्री भी वापस आ गई थीं। जब उन्होंने देखा कि मोना अब तक सो रही है तो गायत्री ने निर्मला से कहा कि बहू अब तक सोई है उसे उठाओ।
निर्मला- ये शहर की लड़कियां हैं.. वहां देर तक सोने की आदत है.. रहने दे ऐसा भी कौन सा काम पड़ा है.. उठ जाएगी।

गायत्री ने भी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, वो अपने काम में लग गई। कोई 8 बजे मोना उठी तो उसका पूरा बदन दर्द कर रहा था.. मगर वो जानती थी कि यहाँ ज़्यादा सोना ठीक नहीं तो वो उठी और नहा-धो कर रेडी हो गई। फिर अपनी सास के पास चली गई।

निर्मला- उठ गई बहू.. बहुत देर तक सोई.. तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?
मोना- हाँ माँ जी वो रात को देर से नींद आई.. आप तो थी नहीं इसलिए अकेले मुझे डर लग रहा था, बस इसीलिए देर से आँख खुली।
निर्मला- हा हा हा तुम शहर की लड़कियां भी ना कमजोर होती हो, जाओ ये बर्तन बाहर रख दो.. वापस अन्दर रखने हैं। अब सारे मेहमान तो गए इनका यहाँ क्या काम?

सुबह से दोपहर हो गई मगर ऐसा कुछ खास नहीं हुआ.. बस मौका देख कर काका ज़रूर उसको देख कर मुस्कुरा देता।

दोपहर के खाने के बाद एक पल ऐसा आया.. जब ऊपर मोना अकेली थी और मौका देख कर काका भी पीछे आ गया और मोना को पीछे से बांहों में जकड़ लिया।
मोना- ओह.. ये आप क्या कर रहे हो कोई देख लेगा तो आफ़त आ जाएगी।
काका- मेरी रानी तूने रात को मुझे अपना दीवाना बना लिया है। देख अभी भी लंड कैसे अकड़ा हुआ है, अब तो रात को तेरी गांड में जाकर ही इसको चैन मिलेगा।
मोना- आप बड़े बेसब्र हो.. हटो कोई देख लेगा तो आप गांड क्या कुछ भी मारने के काबिल नहीं रहोगे।
काका- अरे कोई नहीं देखेगा.. एक बार लंड चूस दे ना.. फिर चला जाऊंगा।
मोना- आप सच में आज मरवाओगे.. लाओ लंड इधर.. चूस देती हूँ, नहीं रात को पता नहीं आप इसका बदला कैसे लोगे.. मेरी तो अभी से हालत खराब है.. पता नहीं रात को मेरी गांड का क्या हाल होने वाला है।

मोना नीचे बैठ गई और काका के लंड को चूसने लगी। अब इसे इन दोनों की किस्मत कहो या कहानी की ज़रूरत.. पास की छत पर खड़े राजू ने ये सीन देख लिया। जब मोना खड़ी हुई तो उसकी नज़र उससे मिली और उसकी आँखें फट गईं।
काका- अरे क्या हुआ.. इतनी डरी हुई क्यों है?

जब काका ने मोना की नज़र का पीछा किया तो राजू को देख कर वो भी घबरा गए।
राजू जल्दी से वहां से भाग गया और मोना बस काका को देखने लगी, शायद आँखों ही आँखों में वो पूछ रही हो कि अब क्या होगा?

काका- अरे तू चिंता ना कर.. इस हराम के जने को मैं संभाल लूँगा.. चल तू नीचे जा.. मैं बाद में आता हूँ।

मोना नीचे चली गई.. मगर उसकी धड़कन तेज थी, पता नहीं अब उसकी जिंदगी में क्या मोड़ आएगा। उधर काका भी कुछ सोचकर नीचे आए और सीधे बाहर चले गए।

मौका देखकर काका ने राजू को अपने पास बुलाया और थोड़ा गुस्से में उससे बोले कि तूने क्या देखा है और किसको बताया है?

राजू- जो आपने किया.. वही देखा है मैंने आपके बारे में कई लोगों से सुना था आप गाँव की लड़कियों और औरतों के साथ गलत करते हो.. मगर अपनी बहू की चुदाई… छी छी.. आपको ज़रा भी शर्म नहीं आई?
काका- ओ हराम की पैदाइश, ज़्यादा मत बोल.. हरामी जो हुआ तेरी वजह से हुआ.. तू कुत्ता साला नामर्द कहीं का.. अगर तूने उसको बहकाया ना होता, वो ऊपर ना जाती और उसके बाद अपना पानी निकलवा कर हरामी भाग गया तू.. ज़रा सोच उस पर क्या गुज़री होगी? मैंने तो बस उसकी आग बुझाई है।

काका की बात सुनकर एक बार तो राजू डर गया.. मगर फिर उसे लगा कि काका खुद मोना को लंड चुसवा रहा था वो क्यों डरे?

राजू- मेरी बात जाने दो.. मैं तो कुँवारा हूँ.. कुछ भी करूँ। लेकिन वो तो आपकी बहू है.. ये तो सोचा होता आपने.. ऐसे कैसे उसके साथ सब किया?
काका- ओए हरामी.. अब मेरा मुँह ना खुलवा तू.. वो तो बहू है, तेरी बहन क्या है मेरी बेटी जैसी है ना साले.. उसको औलाद का सुख किसने दिया हाँ.. मैंने दिया… समझा तू?

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सेक्स स्टोरी जारी है।