रानी से रंडी बनने का सफर-1

फिर एक दिन हमे ऐसे घर में किराए पर रहने को मजबूर होना पड़ा, जिसको देख कर ही मुझे रोना आ गया। गन्दी सी कॉलोनी में, तंग सी गली में बहुत ही छोटा, दो कमरों का मकान, और उस मकान का किराया देने का भी पैसा हमारे पास पूरा नहीं था। वैसे तो मैं पढ़ी लिखी थी, मगर मुझे भी कोई जॉब नहीं मिल रही थी, ऐसा लगता था कि जैसे बदकिस्मती हमारे पीछे लट्ठ लेकर पड़ी है, मेरे पति जिस काम में भी हाथ डालते, वहां पर नुकसान ही होता।
अभी तो यह शुक्र था कि मेरा बेटा छोटा था, सिर्फ डेढ़ साल की, इस लिए उसके स्कूल का या और कोई टेंशन नहीं था।

जैसे तैसे हम दिन गुज़ार रहे थे, मेरे पति इतने परेशान थे कि कितने कितने दिन मुझे हाथ तक नहीं लगाते थे। मैंने भी कई बार कोशिश की मगर उन में तो जैसे उत्तेजना खत्म ही हो गई थी। मेरा दिल करता चुदने को मैं मेरे पति का लंड मुँह में लेकर चूसती, उनकी मुट्ठ मारती, मगर उनका लंड तो जैसे खड़ा होना ही भूल गया था। जो पहले मेरे ज़रा सा छूने पर अकड़ जाता था, अब कितनी कितनी देर मैं उस से खेलती, उसे जगाने का, खड़ा करने की कोशिश करती, मगर सब बेकार।
हर रात मेरी हालत पहले से भी खराब होती जा रही थी। जब मनोरंजन के अन्य साधन समाप्त हो जाते हैं तो सेक्स ही एक मुफ्त का मनोरंजन रह जाता है, मेरे नसीब में वो भी नहीं लिखा था.

जब मैंने देखा कि मेरा पति तो बिल्कुल कंडम हो चुका है, कारोबार की चिंता ने उस को खा लिया है, तो मैंने अपनी कामवासना शांत करने के लिए आस पास देखना शुरू किया। मगर जिस मोहल्ले में हम अब आ कर रह रहे थे, वहाँ का आस पड़ोस इतना बेकार सा था कि मेरा खुद का दिल नहीं किया कि मैं ऐसे किसी गंदे से आदमी के नीचे लेटूँ।

फिर एक दिन मेरे दिल में विचार आया कि जब हमारा काम बहुत अच्छा था, तो हमारे पुराने मोहल्ले में एक शिप्रा नाम की औरत रहती थी, सब उसको कहते थे कि ये बहुत गंदी औरत है, धन्धा करती है, खुद भी अपना जिस्म बेचती है और आगे लड़कियाँ भी सप्लाई करती है। बड़े बड़े अफसरों और ऊंचे ओहदे दारों, पदाधिकारियों तक उसकी पहुँच थी।
मैंने सोचा क्यों न उसके पास जा कर पूछूँ, हो सकता है, एक पंथ दो काज हो जाएँ। मुझे काम भी मिल जाए, पैसा भी मिले और मेरी चूत भी ठंडी हो जाए।

अगले दिन मैं तैयार हो कर वापिस अपने पुराने एरिया में गई शिप्रा के घर उससे मदद मांगने, कुछ काम मांगने!

जब मैं अपने पुराने घर के आगे से निकली तो मेरी आँखों में आंसू आ गए, मेरा रोना निकल गया। कोई वक़्त था, जब मैं इस घर की मालकिन थी, बड़ी शान से इस घर से अपनी गाड़ी में निकलती थी, मगर आज उसी घर के आगे से मैं रिक्शा में धक्के खाते जा रही थी। जिसने हमारा घर खरीदा था, उसकी गाड़ी घर के अंदर खड़ी थी, नया पेंट करवा कर उन्होंने घर को और सुंदर बना लिया था।

अपने आँसू पौंछ कर मैं शिप्रा के घर के आगे रिक्शा से उतरी, मेन गेट की घंटी बजाई, अंदर से नौकर ने आ कर दरवाजा खोला, वो मुझे पहचानता था, उसने मुझे नमस्ते की, मैंने शिप्रा मैडम ले लिए पूछा, तो वो मुझे अंदर ले गया।
अंदर ड्राइंग रूम में मुझे बैठा कर वो शिप्रा को बताने चला गया।

थोड़ी देर बाद शिप्रा आई, खूबसूरत जिस्म, सुंदर चेहरा, मेक अप से और भी सुंदर लग रहा था। बढ़िया परफ्यूम, मुझसे बड़ा खुश हो कर मिली, बहुत सी बातें हुई। फिर उसने मुझे पूछा- अच्छा बता, मैं तेरे लिए क्या कर सकती हूँ?
मैंने कहा- यार शिप्रा, हमारी हालत बहुत खराब है, मुझे काम चाहिए, कोई भी, कैसा भी, मगर काम चाहिए ताकि मैं कुछ पैसा अपने घर के लिए कमा सकूँ।
वो बोली- अरे भोली, ऐसे नहीं कहते, कोई भी काम दे दो। तुम इतनी सुंदर हो, कोई भी तुम्हारा गलत फायदा उठा सकता है।
मैंने कहा- मुझे परवाह नहीं, चाहे गलत काम हो, गंदा काम हो, मैं सब करने के लिए तैयार हूँ।
वो बोली- सोच ले बाद में मत कहना!
मैंने कहा- मैं सब सोच कर ही आई हूँ।
वो बोली- तो ठीक है, आज शाम को 8 बजे मेरा एक आदमी तुम्हें कनॉट प्लेस में मिलेगा। तुम उस से बात कर लेना, तुम्हें सब समझा भी देगा। तुम उस पे आँख बंद करके विश्वास कर सकती हो। पक्का प्रोफेशनल है.

मैं शिप्रा से उस आदमी का फोन नंबर ले कर आ गई। बिटिया को पड़ोसन ने संभाल लिया था, शाम को ठीक 8 बजे मैं सी पी पहुँच गई, और एक जगह, बस स्टाप से थोड़ी दूर जा कर खड़ी हो कर उस आदमी की वेट करने लगी। अब मैं उसको पहचानती तो थी नहीं, रात 10 बजे तक वेट करके मैं घर वापिस आ गई।

अगले दिन फिर शाम को 8 बजे पहुंची, फिर भी नहीं आया। अगले दिन फिर गई, उसको कई बार फोन भी किया, मगर उसने एक बार भी फोन नहीं उठाया। पर आज मैं सोच रही थी कि अगर आज वो नहीं आया, तो कल सुबह जा कर शिप्रा से मिलूँगी।
करीब आधे घंटे बाद, एक आदमी मेरे पास आया और बोला- हैलो मैडम!
मैंने उसकी ओर देखा, पतला दुबला सा बड़ा ही साधारण सा आदमी, वो बोला- आप बस का इंतज़ार कर रही हैं?
मैंने कहा- नहीं, क्यों?
वो बोला- मैं आपको पिछले तीन दिन से देख रहा हूँ, आप रोज़ आती हैं, बस स्टाप से दूर खड़ी हो कर रोज़ किसी का इंतज़ार करती हैं, बस आती है, पर आप बस नहीं पकड़ती। इसका मतलब कि आपको बस नहीं चाहिए।

मैंने कहा- तो तुमसे मतलब?
उसकी बातों से मुझे खीज सी आई, वो बोला- अगर आप फ्री हैं, तो हम कुछ बात कर सकते हैं।
मैं सोच रही थी ‘यार, ये शिप्रा का आदमी आया नहीं और ये फालतू का मेरा भेजा खा रहा है।’

मैंने पूछा- क्या बात करनी है?
वो बोला- जो चीज़ आप ढूंढ रही हैं, मैं वो चीज़ आपको दिला सकता हूँ।
मैंने पूछा- तुम्हें क्या पता, मैं क्या ढूंढ रही हूँ।
वो बोला- आप अपने लिए ग्राहक ढूंढ रही हैं।
बड़ी पते की बात कही थी उसने!

मैंने कहा- तुम्हें कैसे पता, हो सकता है मैं किसी का इंतज़ार कर रही होऊँ?
वो बोला- मैडम जी 18 साल हो गए, इसी कनॉट प्लेस में धन्धा करते हुये, लड़की कीचाल देख कर बता देता हूँ कि रण्डी सेक्स करती है, कितना चुदी है। मेरा यही धन्धा है। आपको पहले दिन देख कर ही समझ गया था कि मार्केट में नया माल आ गया है और पहली बार आया है। काम करना है तो बोलो, वरना खड़ी रहो यहीं।

मैंने सोचा शिप्रा का आदमी तो आया नहीं, ये भी शायद कोई दल्ला होगा, अगर ये काम दिलवा रहा है, तो दिक्कत क्या है, अभी इस से बात कर लेती हूँ, काम तो शुरू हो, कल को शिप्रा से भी मिल आऊँगी।
मैंने कहा- ठीक है, मुझे तुम्हारी बात मंजूर है, क्या करना होगा मुझे?
वो बोला- मैडम जी बिजनस की बात सड़क पर न होती। कहीं बैठ कर बात करें?
मैंने कहा- ठीक है।

उसने एक आटो को सीटी मार कर रुकवाया और हम दोनों बैठ कर चल दिये।

मैं बिलकुल अकेली, एक अंजान आदमी के साथ पता नहीं कहाँ जा रही थी। आटो वाले को उस आदमी ने एक बार भी रास्ता नहीं बताया। हम सीधा एक घर के आगे रुके, उसके साथ ही उतर कर मैं डरती डरती उस घर के अंदर गई।
अंदर घर में ही एक जिम बना था, जहां कुछ लड़कियाँ एक्सरसाइज़ कर रही थी। अंदर एक छोटे से ड्राइंग रूम में हम जा बैठे। एक लड़की आ कर हमे कोल्ड ड्रिंक दे गई।

मुझे डर तो लग रहा था, मगर मैं पी गई क्योंकि मैंने सोच लिया था, अगर इस ड्रिंक में नशे की दवाई भी हुई, तो भी मुझे ज़्यादा से ज़्यादा ये लोग चोदेंगे ही।

फिर वो आदमी बोला- देखो प्रीति, अब मैं सीधा मुद्दे पर आता हूँ।
मैंने पूछा- तुम्हें मेरा नाम कैसे पता?
वो बोला- जिसे तुम तीन दिन से देख रही थी, वो मैं ही हूँ, मुझे शिप्रा मैडम ने ही भेजा है। वो हमारी बॉस हैं। यहाँ अब तक तुमने जितनी भी लड़कियां देखी हैं, वो सब की सब काम करती हैं। हमारा पूरा नेटवर्क है, तुम अपनी मर्ज़ी से इस धन्धे में आ सकती हो पर जा नहीं सकती। तुम पहले एक आम गृहणी थी, इसी वजह से तुम्हारा जिस्म बेडौल हो चुका है। तुम्हें खुद को फिट करना होगा, उसके बाद तुम्हें काम मिल पाएगा। अब अगर तुम इसी जिस्म के साथ काम शुरू कर दोगी, तो तुम्हें ज़्यादा से ज़्यादा 500 रुपए पर शॉट मिलेंगे। मगर मैडम चाहती हैं कि तुम 5000 रुपये पर शॉट और 25000 रुपये पर नाईट की आइटम बनो। तुम बहुत सुंदर हो, सेक्सी हो, तुम्हारे मम्मे, गांड और जांघ सब अच्छी सॉलिड हैं, मगर बदन पर चर्बी थोड़ी ज़्यादा है, उस फालतू चर्बी को
निकालना पड़ेगा। तुम दिल्ली में टॉप की रंडी बन सकती हो, तुम्हारे चेहरे का भोलापन बहुत बड़ी पूंजी है तुम्हारी। अब सीधा सीधा पूछता हूँ। रंडी बनने को तैयार हो?

मैंने उसकी बात सुनी और थोड़ा सोच कर बोली- हाँ, मैं मन से तैयार हूँ।
तो उस आदमी ने मुझे 5000 रुपये दिये, और बोला- ये शिप्रा मैडम ने दिये हैं तुम्हारे लिए। ऐसा हमारा कोई सिस्टम नहीं कि हर नई लड़की को अड्वान्स में पैसे दें, मगर शिप्रा मैडम ने तुम्हारे लिए खास तौर पर भेजें हैं, घर जाओ, कुछ ले जाना। कल सुबह 8 बजे यहीं आ जाना, तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू करनी होगी।

मैं पैसे लेकर घर आ गई।

अगले दिन सुबह वहीं पहुंची। सबसे पहले मुझे जिम पर एक्सरसाइज़ करवाई गई, काफी सख्त कसरत थी मगर मैंने की। मुझे ग्राहक को देखने का, उसको अपनी आँखों से बांधने का, चलने का, बात करने का बहुत तरह के चीज़ें सिखाई गई।
एक महीने की सख्त ट्रेनिंग ने मुझे बिलकुल छरहरी और चुस्त दरुस्त बना दिया।

फिर एक दिन शिप्रा भी वहाँ आई और मुझे देख कर बहुत खुश हुई।
मैंने उस से कहा- यार, थोड़े पैसे चाहिए थे, वो 5000 तो कब के खत्म हो गए।
उसने मेरा चूतड़ दबा कर कहा- मुझसे क्यों मांगती है, अपना खुद का कमा!
मैंने कहा- अरे यार, अभी ये तेरी ट्रेनिंग ही खत्म नहीं हो रही, मैं तो कितने दिन से वेट कर रही हूँ। पर आप लोग कोई काम करवाते ही नहीं मुझसे।
शिप्रा बोली- आज रात को तुम्हारा पहला ग्राहक आ रहा है। आज हमारे धन्धे में तेरी नाथ उतरवाई है। शाम को तैयार हो कर आना। बदन पर कोई बाल न हो। अगर घर पर तैयार नहीं हो सकती
तो यहाँ पर आ जाना, यहीं तुमको तैयार कर देंगे।

शाम को करीब 7 बजे मैं वापिस उसी घर में जा पहुंची, वहाँ शिप्रा ने मुझे अपने सामने दो लड़कियों से तैयार करवाया। सुंदर सी साड़ी में मैंने जब खुद को शीशे में देखा, तो एक बार सोचा, अरे यार तू इतनी सुंदर लग रही है, इतनी सुंदर लड़की ये क्या काम करने जा रही है। मगर ये मेरे दिल में अक्सर उठने वाला विचार था, हमेशा से कि अगर मैं रंडी होती तो कैसा होता। और आज मैं सच में एक रंडी का काम करने जा रही थी।
ओफिशियली रंडी बनने जा रही थी मैं!

आगे क्या हुआ, पढ़ें इस सेक्स स्टोरी के अगले भाग में!
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कहानी का पहला भाग : रानी से रंडी बनने का सफर-2