रश्मि और रणजीत-1

मिस्टर रणजीत कुमार सिंह एक नशीले और रंगीन किस्म के इंसान हैं। वो जब मुजरिमों के पीछे जाते हैं तो वो हमेशा नशे में होते हैं, पर अपने काम को अंजाम ज़रूर देते हैं। अपने विभाग में उनका एक अलग रुतबा है, सफलता उनके हाथ ज़रूर लगती है।
उनकी दूसरी लत है कि उनको लड़की रोज चाहिए। जब तक कोई लड़की को चोद नहीं लेते, उनको नींद नहीं आती थी।

वैसे ममता भी कम सेक्सी नहीं है, पर वो मर्यादा में रह कर सेक्स करती थी। ममता शादी से पहले से ही चुदवा चुकी थी, जिसका पता रणजीत को भी है। ममता शादी से पहले प्रेग्नेंट थी। उसे कॉलेज के दिनों में अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड से प्यार हो गया था और प्यार में इतने आगे बढ़ गई कि उसका परिणाम डॉक्टर रश्मि है। उसके बाद उसका ब्वॉय-फ्रेण्ड ना जाने कहाँ चला गया।
ममता का पेट बढ़ता चला गया, आनन फानन में उसके माता-पिता ने उसकी शादी रणजीत से कर दी।

रणजीत के पिता और ममता के पिता दोनों बचपन के दोस्त हैं। रणजीत के पिता एक गाँव के ज़मींदार थे, सो उनका फ़ैसला अटल था। उसे रणजीत भी नहीं तोड़ सकता था।
अपने पिता की इच्छा को पूरी करने हेतु उसने शादी के लिए ‘हाँ’ कर दी।

पर रणजीत भी बड़ा हरामी था सुहागरात को ही अपनी बुराइयों के बारे में ममता को बता दिया और कहा- मैं आगे भी ऐसा ही करूँगा, जब तक कि किसी लड़की को चोदूँगा नहीं.. मुझे नींद नहीं आएगी।
ममता ने कहा- मुझे कोई आपत्ति नहीं है, पर मर्यादा में रह कर सब करेंगे।

यह वादा आज से 25 वर्ष पहले हुआ था जो कि आज भी चालू है, पर दोनों रश्मि से बहुत प्यार करते हैं। रश्मि की ऐसी दशा देख कर दोनों चिंतित रहते हैं। दोनों ने कहा भी कि रश्मि तुम दूसरी शादी कर लो, पर इसके लिए रश्मि तैयार नहीं हुई।

अब गाड़ी ऐसे ही चली जा रही थी।

डॉक्टर रश्मि ज़्यादातर घर में खाली ही रहती थी और अपनी रिसर्च और मरीजों के बारे में सोचती रहती थी। उसका ओपीडी सप्ताह में 3 दिन रहता है और बाकी दिन मेडिकल के स्टूडेंट्स को पढ़ाती थी।
वो अपने बारे में कभी सोचती ही नहीं, कभी कभार हँसी मज़ाक भी सिर्फ डॉक्टर नेहा से कर लेती थी। अपने दिल की बात सिर्फ़ डॉक्टर नेहा से ही करती थी, जो कि एक ही विभाग में थी। इन दोनों का विभाग महिला रोगों से सम्बंधित था।

एक दिन डॉक्टर नेहा ने अपने घर पर एक पार्टी रखी। उसका घर रश्मि के घर से एक किलोमीटर की दूरी पर है। डॉक्टर रश्मि ने भी भाग लिया पर वो डान्स नहीं कर सकी।

उसे अजीब सा लगा, जिसका निरीक्षण नेहा और उसका पति रोहित कर रहे थी।

नेहा ने कहा- यार विधवा होने का मतलब ये थोड़े ही है कि तुम हंसो भी नहीं, मुस्कुराओ नहीं.. अब तुम्हीं बताओ यार.. इसमें तुम्हारा क्या दोष है? तुम अभी भी अपना घर बसा सकती हो… तुम ‘हाँ’ तो कहो। मेरे पास है एक लड़का.. मेरे भाई का दोस्त है, बड़ा अच्छा लड़का है। इंजीनियरिंग कर रहा है, कहो तो बात करें.. तुमसे दो साल छोटा होगा, पर कोई बात नहीं, पहले तुम देख कर बताओ और वैसे भी वो आने वाला है, मैं तो कहती हूँ कि तुम उससे शादी कर लो और भूल जाओ कि तुम एक विधवा हो।

इसका जबरदस्त समर्थन उसका पति ने भी किया।

रश्मि कुछ नहीं बोली और सिर झुकाए हल्की हल्की सिसक़ती रही थी।
जब वातावरण और मायूस हो गया तो नेहा ने कहा- चलो खाना खाते हैं, मेहमान भी खाना ख़ाने के लिए इन्तजार कर रहे हैं।
नेहा ने सारे मेहमानों से डॉक्टर रश्मि को मिलाया।

डॉक्टर रश्मि इस समय एक सूती साड़ी में थी। फिर भी वो किसी से कम नहीं थी। सबसे अच्छी चीज़ थी उसकी गाण्ड और मम्मे जबरदस्त उभार लिए हुए थे। सभी की नज़र उसी पर थी। क्या माल है, पर कुदरत की यही मर्जी थी तो क्या करें… उसके आगे किसकी चलती है।

रश्मि ने भी एक प्लेट ली और थोड़ा सा खाना लेकर खाने लगी।

उसने पहला कौर जैसे ही लिया कि सामने से नेहा का मुँह बोला भाई रवि आ गया जिसके बारे में नेहा कह रही थी।

वो आते ही नेहा से गले लग गया और शादी की सालगिरह की मुबारकवाद दी।
जैसे ही वो घूमा, रश्मि से टकरा गया और रश्मि की चम्मच नीचे गिर गई।

रवि ने कहा- सॉरी… मैं दरअसल जल्दी में था और आपसे टकरा गया।

उसके नम्र स्वाभाव पर रश्मि प्रभावित हो गई। वो उसे गौर से देख रही थी।

क्या लड़का है गोरा, लम्बा, आकर्षक व्यक्तित्व और सबसे बड़ी बात कि विनम्र स्वभाव वाला बन्दा!
रश्मि ने कहा- अरे कोई बात नहीं!
वो चम्मच उठाने लगी, साथ-साथ रवि ने भी झुक कर कहा- रहने दीजिए मैं उठाता हूँ।

रवि ने चम्मच उठा लिया और एक वेटर को बुला कर चम्मच दे दी और दूसरी चम्मच ले ली।

तभी नेहा आ गई और रवि का परिचय रश्मि से कराने लगी।
‘ये मेरा सबसे अच्छा भाई है रवि.. इंजीनियरिंग फाइनल ईयर में है और अभी-अभी टीसीएस में चयनित हुआ है। और जॉब भी दिल्ली में ही करेगा।’

रश्मि ने कभी रवि को तो कभी नेहा को देखा। वो सोच रही थी कि ये सब मुझे क्यों बता रही है। पार्टी में तो और भी लोग आए हुए हैं तो फिर ये सिर्फ़ रवि के बारे में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रही है?

तभी नेहा ने अपनी बात समाप्त करते हुए बोला- जिसके लिए तुमसे बात की थी, ये वही लड़का है।

रश्मि चौंक गई और गौर से रवि को देखा और शर्मा गई। रश्मि ने शर्मा कर नज़रें फेर लीं।

नेहा ने कहा- कैसा लगा? सही.. सही बताओ।
रश्मि ने कुछ नहीं बोली।
सिर्फ़ इतना ही बोली- मुझे नहीं मालूम।

पार्टी के अंत में नेहा ने रश्मि को घर तक छोड़ दिया, जब रश्मि घर के दरवाजे के पास पहुँची तो नेहा ने कहा- रश्मि, तुम एकांत में और ठंडे मन से एक बार ज़रूर सोचना, ये तेरी जिन्दगी की बात है ओके..!

नेहा इतना कह कर चली गई।
रश्मि भी अपने घर में आ गई।

माँ ने दरवाजा खोला, पूछने पर पता चला कि रणजीत कहीं कोई केस के सिलसिले में गए हुए हैं।

वो सीधे गुसलखाने में गई और तरो-ताजा होने के बाद अपने बिस्तर पर जाकर लेट गई और उस लड़के के बारे में सोचते-सोचते सो गई।
आज पहली बार किसी मर्द के लिए उसने सोचा, वो एक-एक पल को गौर से याद करने लगी और उसने सोचा कि क्या मस्त लड़का है।

रवि के शरीर की बनावट और स्वाभाव और उच्च संस्कार, उसके गठीले बदन को सोचने मात्र से ही रश्मि आनन्द में गोते लगाने लगी।
पहली बार उसने किसी दूसरे मर्द के बारे में कुछ सोची थी।

उसके माँ और पापा ने शादी के लिए कई ऑफर दिए, पर ये लड़का उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था, पर वो डरती थी कि कहीं रवि मना न कर दे।
वो तो कुंवारा है और मैं विधवा हूँ। अभी वो इसी उधेड़बुन में थी कि तभी नेहा का फोन आ गया।

“कैसी हो, क्या सोचा?”
रश्मि ने कहा- किस बारे में?
“अरे वही.. रवि के बारे में!”
“तुम भी ना..चल सुबह बात करते हैं।”
रश्मि ने फोन स्विच ऑफ कर दिया, पर वो बुरी तरह शर्मा गई और उल्टी होकर सो गई।

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