मैं किसी सेक्सी लड़की से कम नहीं-2

तो दोस्तो, उस रात के बाद मैंने सोचा कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे एक दिन तो लड़की की ड्रेस पहन कर बाहर जाना ही है. पर सवाल यह था कि कैसे..! क्यूंकि ये सब आसान तो था नहीं था. विग, मेकअप और पता नहीं क्या क्या?

मैंने एक क्रॉस ड्रेसर के नाम पर अपनी नई फेसबुक आईडी बनाई. जल्दी ही मुझे बहुत सारे फ्रेंड रिक्वेस्ट आ गए. जल्दी ही मेरी दोस्ती काफी क्रॉस ड्रेसर से हो गई. फिर मुझे मिली किम्बर उर्फ़ राजेश (नाम बदला हुआ है) वो भी क्रॉस ड्रेसर ही है.

एक रात हमारी ऐसे ही बात होती रहीं और फिर उसने मुझे अपनी कई फोटो भेजीं, जिसमें वो लड़की बन कर बहुत सारी जगह गई हुई थी.
मैंने उससे कहा कि क्या वो मुझे बाहर लेकर जाएगी?
यह सुन कर उसने कहा कि उसके लिए पहले वो मुझसे मिलना चाहेगी.
मैंने हां कह दिया तो अगले दिन उसने मुझे मिलने के लिए एक जगह मल्लेश्वरम में किसी बेकरी के पास बुला लिया.

मुझे डर तो बहुत लग रहा था, फिर भी मैं तैयार हो गई.

अगले दिन मैं अपनी बाइक पर उससे मिलने वहां पहुँच गई. वहां पर कोई नहीं था.. तो मैंने उसे फ़ोन लगाया तो उसने कहा कि वो बस थोड़ी देर में आ रहा है. कुछ देर वेट करने के बाद वो आया.

वो एक नार्मल लुकिंग लड़का था. तो हम दोनों कुछ देर तक वहीं बात करते रहे और उसके बाद हमारे बीच में जो हुआ, वो मैं आप लोगों को कभी बाद में बताऊँगी लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि वो मुझे एक लड़की की तरह बाहर ले जाने को तैयार हो गया.

उस दिन के बाद से हम सही वक़्त का इंतज़ार करने लगे. मेरे भी एग्जाम पास आ गए थे, तो मैं एग्जाम में बिजी हो गया. जल्दी ही मेरे एग्जाम खत्म हुए और एक दिन उसका फ़ोन आ ही गया कि वो अगले दिन मुझे बाहर ले जा सकता है.

ड्रेस, विग मेकअप सब उसके पास था, बस मुझे वैक्स करवाना था, जो कि बहुत मुश्किल काम था क्यूंकि इस बार मुझे फुल बॉडी वैक्स करवाना था. तो मैंने एक सैलून में फ़ोन किया तो उन्होंने कहा कि फुल बॉडी वैक्स के बारह सौ लगेंगे, मैं तैयार हो गया.

जब मैं वहाँ गया तो मुझे बहुत शर्म आ रही थी.

वहाँ मुझे दो लड़कियां अन्दर ले कर गईं और उन्होंने कहा कि ऊपर का हिस्सा वो साफ़ कर देंगी और लेग्स की लिए कोई और लड़का करेगा.

मैं तैयार हो गया, कुछ देर बाद वो चली गईं और एक लड़का आया. उसने मुझे कहा कि जीन्स उतार कर लेट जाऊं. मैंने वैसा ही किया. जल्दी ही वो वैक्स करने लग गया.

एक तो मेरी टांगें पहले से ही एकदम गोरी और सेक्सी थीं, उस पर से वैक्स के बाद तो मेरी टांगें लड़कियों से भी कहीं ज्यादा मस्त लग रही थीं. उस लड़के की तो हालत खराब हो गई थी. वैक्स करते करते उसने बहुत बार मेरे कूल्हों को और उनके पास बहुत टच किया.. और तो और वैक्स के नाम पर उसने मेरी अंडरवियर इतनी ऊपर कर दी. वो बहुत बार मेरी गांड तक हाथ ले गया.

एक बार तो उसने कहना भी चाहा मगर रूक गया.

जब मेरा पूरी बॉडी वैक्स हो गया, तो वो बाहर से एक तेल की शीशी ले आया और मसाज करने लगा. एक तो मेरा शरीर पहले से ही एकदम चिकना हो गया था, उस पर से वो तेल गजब ढा रहा था. कसम से जब मैं अपने कूल्हे ऊपर करके लेटा हुआ था, तब तो मैं पूरी लड़की लग रहा था और उसने भी मेरी गांड के आस पास काफी मालिश की.

खैर मेरा काम खत्म हुआ. मैंने पैसा पे किया और मैं उससे मिलने उसी बेकरी के पास चला गया.

अब हम दोनों ने ये सोचा कि लास्ट बार जिस होटल में हम गए थे, वहीं जाकर रूम बुक करेंगे और वहाँ मैं ड्रेस चेंज करूँगी और हम निकल जाएंगे.

पर जब वहां गए तो मालूम चला कि होटल में एक भी रूम खाली नहीं था.

अब तक तो मेरे अन्दर की लड़की पागल हो चुकी थी. मुझे अब तो कुछ भी करके ये करना था. तो उसने मुझसे कहा कि उसकी जान पहचान का एक रेस्टोरेंट है, जहां से उसने कई बार ड्रेस चेंज की है. मगर ये सब लेडीज वाशरूम में करना होगा.

ये सुनकर मेरी फट गई कि मैं कैसे लेडीज वाशरूम में ड्रेस चेंज करूँगी.

खैर अब तक तो मैंने सोच लिया था, चाहे कुछ भी हो, मैं पीछे नहीं हटने वाली. तो मैंने हाँ कह दी. हम दोनों मेरी बाइक पर वहां पहुँच गए. साथ में वो बैग भी ले लिया, जिसमें सारा सामान था. हम दोनों अन्दर गए और एक टेबल पर बैठ गए.

कुछ देर बार एक वेटर आया जिसको वो पहले से जानता था. वो उस वेटर के साथ अन्दर मैनेजर से मिलने चला गया. वो मैनेजर भी उसे जानता था.

कुछ देर बाद वो वापस आया और उसने कहा कि अन्दर फैमिली वाले हिस्से में कोई फैमिली खाना खा रही है. तो या तो मैं जेंट्स वाशरूम में चेंज करूँ या वेट करूँ.

मैंने वेट करना सही समझा.

कुछ देर बाद फैमिली वहां से निकल गई तो उसने मुझे जल्दी से जाकर ड्रेस चेंज करने को बोला. मेरी हालत खराब हो गई थी. मेरी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं. मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था.
फिर भी मैं उठी और अन्दर फैमिली वाले हिस्से में लेडीज वाशरूम में चली गई. जल्दी से मैंने बैग खोला, अपनी जीन्स और शर्ट निकाली और अन्दर से एक पिंक कलर की ब्रा और पैंटी निकाल कर पहन ली. उस ब्रा के ऊपर मैंने एक और ब्रा पहन ली. दोनों ब्रा पैडेड थीं तो मुझे उनके अन्दर कुछ डालने की जरूरत महसूस नहीं हुई.

फिर मैंने ड्रेस के नाम पर एक ब्लैक कलर का वन पीस निकाल लिया और उसे पहन लिया, वो मुझे एकदम टाइट फिट आया और वो मेरे कूल्हों से थोड़ा सा नीचे तक आ रहा था. मेरी ड्रेसिंग का काम खत्म हो गया था तो मैंने उसे कॉल कर दिया.

जैसे ही वो अन्दर आया उसे एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ कि मैं लड़का हूँ. मेरी एकदम सेक्सी लड़की जैसे गोरी चिकनी टाँगें देखकर एक बार तो उसका भी मन खराब हो गया. पर जल्दी ही उसे एहसास हुआ कि हमारे पास टाइम नहीं है तो उसने जल्दी से मेरा मेकअप, फाउंडेशन, लिप ग्लॉस.. लाइनर.. काजल आदि किया और विग पहनाई. मुझे हाथों में पहनने के लिए और गले की लिए कुछ दिया.

अब उसने कहा कि अब मैं बाहर जाने के लिए तैयार हूँ.. जल्दी बाहर आओ.

यह कह कर वो बाहर चला गया. मैंने लेडीज सेंडल जो हमने रास्ते में लिए थे, पहने और मैं वाशरूम के अन्दर ही शीशे के सामने खड़ी होकर अपने आपको देखने लगी. आज मेरा कई दिनों का सपना सच होने वाला था.

पर जैसे ही ये सोचा कि मुझे बाहर जाना है, ये सोच कर मेरी हालत खराब हो गई. क्यूंकि बाहर सब वेटर लोगों को मालूम था कि अन्दर एक लड़का गया हुआ है. खैर मैं ज्यादा देर रुक भी नहीं सकती थी, तो मैंने अपना दिल थाम कर बाहर निकल गई.

बाहर दो वेटर और दो सफाई करने वाली बाई खड़ी थी. मेरी तो हालत खराब हो गई थी. एक तो मेरी पूरी टांगें उनको दिख रही थीं, उस पर से मैं जिस लड़के के साथ आई थी, वो भी वहां नहीं था. मैं बिना किसी से नज़र मिलाए, वहां एक चेयर पर बैठ गई.

मेरी हालत तो तब और अधिक खराब हुई, जब एकदम से एक फैमिली वहाँ पर आ गई. कुछ ओल्ड लेडीज कुछ जवान लड़कियां और कुछ लड़के आए हुए थे. मेरे तो पसीने छूट गए.. हालत खराब हो गई थी.. मेरी नज़रें नहीं उठ रही थीं.

अचानक वो लड़का वहाँ आ गया. मैंने जैसे ही उसे देखा, मेरी जान में जान आई. उसका इशारा पाते ही मैं तुरंत उठकर उसके साथ निकल पड़ी.
अभी कुछ ही कदम चली होऊंगी कि अचानक मुझे लगा कि इस मौके का मैंने पूरी ज़िन्दगी इंतज़ार किया है, तो अब मुझे इसे पूरी तरह से जीना चाहिए.

आखिर मैं किसी का खून थोड़ी कर रही हूँ. बस मुझे अगर ये सब अच्छा लगता है तो इसमें गलत क्या है? मैं किसी और के साथ थोड़ी कुछ कर रही रही हूँ. मैंने तो सारी ज़िन्दगी सबका भला ही किया है.

और फिर अचानक मेरे तेजी से चलते कदमों में एक ठहराव सा आ गया; मेरी टांगें अपने आप पास पास आ गईं और मैं एकदम लड़कियों की तरह मटक मटक कर चलने लगी; मेरी चिकनी जांघें आपस में रगड़ खाने लगीं; मेरे कूल्हे अपने आप मटकने लग गए; मेरी चाल में अजीब सा नशा, अजीब सी ख़ुशी छाने लगी; मैं एक पूरी सेक्सी लड़की बन कर चलने लगी.

मेरे हाथों में एक लेडीज पर्स था, जो उसी ने मुझे दिया था.
आज का दिन मैं दिल खोल कर जी लेना चाहती थी क्यूंकि मैं जानती थी, मुझे दूसरा मौका कभी नहीं मिलेगा. मेरी भी शादी किसी ऐसी लड़की से हो जाएगी, जिसके लिए ये सब एब्नार्मल होगा, पाप होगा.

भले ही मैं सारी ज़िन्दगी उसे खुश करता रहूँ, लेकिन वो कभी भी इस चीज़ को नहीं समझेगी. तो बस मेरे मन में चलने लगा कि ईशा आज अपनी ज़िन्दगी आखिरी बार खुल कर जी ले.

जल्दी ही हम दोनों रेस्तरां के बाहर आ गए.

बाहर आते ही एक ख़ुशी और एक डर ने मुझे घेर लिया. एक तो मेरी ड्रेस ऐसी थी कि उस ड्रेस में तो कोई भी लड़की हो, सब उसे ही देखेंगे. ड्रेस से मेरा ऊपर का पूरा हिस्सा कवर हो रहा था लेकिन नीचे सिर्फ कूल्हों से थोड़ा ही नीचे तक ढका हुआ था. मेरी गोरी, चिकनी और पतली टाँगें एकदम क़यामत लग रही थीं.
उस पर से मेरी ड्रेस एकदम स्किन टाइट थी. मेरा वेट अराउंड 58 किलो है और मेरी कमर 27 के आस पास है… इसलिए वो ड्रेस जो कि मेरी स्किन से चिपक गई थी, उसकी वजह से मेरी कमर का ऊपर का हिस्सा भी बहुत मस्त लग रहा था. सही में बोलूँ तो इस वक्त मैं एकदम टाईट माल आइटम के जैसे लग रही थी.

शाम के 6 बजे के आस पास टाइम हो रहा था, मतलब दिन ढल चुका था. हर तरफ सिर्फ गाड़ियां ही गाड़ियां थीं. हमने उस ट्रैफिक जाम में रोड क्रॉस की. जिस जिस गाड़ी के सामने से हम गुजरते, वो एक बार तो मुझे देखता ही था. सच कहूं तो अब मुझे भी बहुत मजा आने लगा था.

जल्दी ही हम ऑटो स्टैंड के पास पहुँच गए. एक ऑटो को हमने रोका और उसमें बैठ गए. मेरे साथ जो लड़का (राजेश बदला नाम) था, उसने कहा कि ओरियन मॉल में चलते हैं.

जल्दी ही हम ओरियन मॉल के सामने पहुँच गए. मॉल की एंट्री, रोड की दूसरे तरफ से थी. रोड पर काफी भीड़ थी. जैसे ही मैं ऑटो से बाहर निकली, राजेश अन्दर ही था, वो ऑटो वाले से कुछ बात कर रहा था कि अचानक कुछ लड़कों का ग्रुप मेरे पास से गुजरा, सब मेरे को देख रहे थे और अचानक वो सारे पलटे वापस मेरी तरफ आने लगे. मुझे लगा शायद कुछ गड़बड़ हो गई है, मेकअप या विग तो नहीं उतर गई. मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगीं, मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था कि मैं क्या करूँ.

वो सब मेरी तरफ आए, मेरे करीब आकर ठहरे, इतने करीब कि मैं एक लड़के की तो साँसें महसूस कर सकती थी और तभी वे मुझे देखकर पलट कर वापस चले गए. सब मुझे जबरदस्त तरीके से लाइन मार रहे थे. शायद अगर मैं उनको एक हल्का सा भी इशारा कर देती तो उस दिन तो मेरा ग्रुप चोदन हो जाना था. कसम से एक साथ चार पांच लंड.. हाय राम मज़ा आ जाता.

खैर हम दोनों अन्दर गए, हम काफी घूमे, कई सारी शॉप में गए. फिर हम बाहर की तरफ चले गए. मॉल के दूसरी तरफ एक पूरा ओपन स्पेस है. हम दोनों उस तरफ चले गए. उस टाइम वहां कोई फंक्शन चल रहा था, तो स्टेज पर कुछ डांसर डांस कर रहे थे. जबरदस्त भीड़ थी. तो मुझे कोई ख़ास प्रॉब्लम नहीं हुई. काफी लोग मुझे देख रहे थे, बहुत मजा आ रहा था.

अब तो मैं भी इस सब चीज़ों को एन्जॉय करने लगी थी. मैं भी एकदम ठुमक ठुमक कर चल रही थी. पूरे नखरे दिखा रही थी.

वहां पर एक विदेशी आदमी अकेला खड़ा था. करीब 30 साल का हट्टा कट्टा, वो मुझे कई मिनट तक देखता रहा. मुझे भी पूरा मन कर रहा था कि वो मुझे अपने साथ अपने होटल ले जाए और मेरी गांड में अपना लंड डाल दे. पर डर लगता था कि एक तो मैं लड़की नहीं हूँ, उस पर से उसका लंड कितना मोटा होगा, ये मालूम नहीं था. ये सब सोच कर हालत खराब हो रही थी.

इतना तो मुझे पता था कि मोटा लंड तो मैं अपनी गांड में ले नहीं सकती क्यूंकि एक बार मेरे एक दोस्त ने जब मैं कुछ जवान हुई ही थी और हम दोनों रात में अकेले सो रहे थे तो उसने मुझ पर ट्राई किया था. उसका लंड इतना मोटा था कि उस रात हम दोनों ने लाख कोशिश के बाद भी एक इंच भी अन्दर नहीं गया था, उस पर से जो दर्द हुआ था वो अलग.

एक बार और गलती से मैंने एक ऐसे लड़के के साथ सेक्स किया था, जिसका काफी मोटा लंड था और उस दिन जो मेरी गांड फटी थी, मुझे आज तक याद है.
तो जल्दी ही मैंने अपने दिमाग को वहां से हटा लिया.

हम वहां से निकल कर थोड़ा अलग आ गए, जहां कम लोग बैठे हुए थे. उसमें मुझे बेंच पर बैठने को कहा ताकि वो मेरी कुछ फोटो ले सके. मुझे शरारत सूझ गई. मैं अपनी टांगें क्रॉस करने की बजाय इस तरह से खोल कर बैठ गई कि अगर मेरे सामने से कोई गुजरे तो उसे मेरी पेंटी पूरी तरह से दिख जाए. सच कहूं तो जितने भी लोग वहां से गुजरे, सबकी हालत खराब हो गई थी. कोई पूरी तरह से देख भी नहीं सकता था, पर सब चोरी छुपे मुझे और ख़ास कर मेरी टांगों के अन्दर देखने की कोशिश कर रहे थे.

खैर जल्दी ही मेरा मन भर गया.
राजेश ने कहा कि वो अन्दर जाकर वो बैग ले आएगा, जिसमें मेरी ड्रेस और बाकी सामान था. जो अन्दर हमने शॉपर स्टॉप में रख दिया था.

अब कुछ देर के लिए मैं वहाँ बिल्कुल अकेली थी. मेरी अन्दर भी पूरी मस्ती छाई हुई थी, तो मैंने सोचा कि इन पलों का कुछ मजा लिया जाए.

मैंने अपना वन पीस, जो कि मेरे कूल्हों से 8 या 9 इंच तक नीचे था. उसे बहुत सफाई से ऊपर कर लिया.. और इतना ऊपर कर लिया कि जस्ट मेरी पेंटी की बॉटम लाइन दिखनी लग गई. अब मैं धीरे से उठी और एकदम कूल्हे मटकाती हुई धीरे धीरे वापस उस भीड़ की तरफ चल पड़ी.

मेरा निशाना ऐसे 3-4 लड़कों का ग्रुप था, जो कि आवारा किस के हों और मस्ती करने आए हों.

वैसे मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. क्यूंकि अचानक मेरे पास दो लड़के आए और कहा- हैलो मिस.. व्हाट्स योर नेम?

क्यूंकि मेरी विग थोड़ी ब्राउन कलर की थी, उस पर से मेरी ड्रेस एकदम सेक्सी थी, चेहरे पर फाउंडेशन लगा था तो उन्हें लगा मैं कोई विदेशी हूँ. मैंने उन्हें कुछ नहीं कहा, बस देखा स्माइल पास की और भीड़ में जा कर खड़ी हो गई.

जल्दी ही इशारा समझ कर वो पांच छः लोग मेरे पीछे आकर खड़े हो गए. मैंने कुछ नहीं कहा, धीरे धीरे वो मेरे एकदम पीछे आकर खड़े हो गए और उन सबने पीछे से मुझे ऐसे कवर लिया कि अगर पीछे से उनमें से कोई भी मुझे छुए तो किसी और को पता न चले. आगे से तो मुझे छू नहीं सकते थे और यही मैं चाहती थी.

जल्दी ही उनमें से एक ने हिम्मत दिखाई और मेरे कूल्हों से अपनी जीन्स सटा दी. बाकी लोगों ने उसे पूरा कवर कर लिया था. मैं एकदम अनजान बनकर खड़ी रही, जैसी कुछ नहीं हुआ हो. धीरे धीरे उसने अपनी जीन्स मेरी गांड से रगड़नी चालू कर दी. मैं गरम होने लगी, पर ज्यादा जोर से वो हिल नहीं सकता था. जल्दी ही वो रूक गया.

थोड़ी देर उन में से किसी ने कुछ नहीं किया, वो आपस में कन्नड़ में कुछ बात कर रहे थे कि अचानक उसमें से एक ने अपना हाथ मेरी जांघों पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा.

मेरा वन पीस स्किन टाइट तो था, पर वो एक तरह से लूज़ इलास्टिक का था ताकि वो किसी भी साइज़ पर फिट आ सके. तो धीरे धीरे उसने अपना हाथ पीछे से मेरे वन पीस में डाल दिया. धीरे धीरे वो मेरे कूल्हों को पेंटी के ऊपर से सहलाने लगा. फिर उसका हाथ मेरी पेंटी के ऊपर वाले हिस्से तक आ गया.

अब वो मेरी पेंटी को नीचे करने लगा ताकि वो अपना हाथ डाल सके. मैं इस तरह से उन लोगों के बीच में सैट हो गई कि कोई और मुझे नहीं देख पा रहा था. मैंने अपनी गांड हल्की सी पीछे की और कर दी ताकि वो आसानी से अपना हाथ डाल सके.

मेरी तरफ से ग्रीन सिग्नल देखकर उसने अपना पूरा हाथ मेरी पेंटी में डाल दिया और वो मेरे कूल्हे दबाने लगा. धीरे धीरे उसका हाथ मेरी गांड की तरफ बढ़ने लगा. मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगीं और अचानक मेरी चिकनी गांड पर उसका हाथ फिसलता हुआ मेरी गांड के छेद पर आ गया. वो दो उंगलियों से मेरे कूल्हों को हटाकर अपनी तीसरी उंगली उसमें डालने की कोशिश करने लगा, पर मेरी गांड तो एकदम टाइट थी तो उंगली घुस ही नहीं रही थी तो उसने हाथ वापस निकाल लिया, मुझे लगा कि इससे आगे अब कुछ हो नहीं सकता.

मैं अपनी ड्रेस सही करने ही जा रही थी कि अचानक मुझे कुछ गीला गीला सा अपनी गांड में लगा. अचानक से मेरा फ़ोन भी बजने लगा, शायद राजेश वापस आ गया था और मुझे ढूंढ रहा था.

तब मुझे लगा शायद इसने अपना हाथ गीला करने के लिए निकाला था. जल्दी ही उसका हाथ मेरी गांड के आस पास पहुँच गया. इस बार मैंने भी अपनी गांड थोड़ा पीछे की और करके थोड़ा ऊपर उठा दी ताकि उसकी उंगली को रास्ता मिल जाए. बस मुझे इतना ही करना था कि अचानक सट से उसकी उंगली मेरी गांड में घुस गई. ऐसा लगा जैसा गांड में किसी ने मिर्ची डाल दी हो. मैं चिहुंक उठी, वो धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा.
दो पल बाद मैं भी जन्नत की सैर कर रही थी कि उसने अपने उंगली गांड में से निकाल कर थोड़ा और नीचे करनी चालू कर दी और इससे पहले मैं कुछ कर पाती, उसकी उंगलियां चूत की तलाश में मेरे लंड से जा टकराईं.. और मेरा दिल वहीं धक से रूक गया. मुझे लगा कि अब तो बहुत गन्दी बेइज्ज़ती होने वाली है.

कुछ देर तक तो उसका हाथ हिला ही नहीं.. फिर उसने हाथ बाहर निकाल लिया. मैं जल्दी से अपनी पेंटी ठीक करके वन पीस नीचे खिसका कर वहां से निकलने का सोच ही रही थी कि अचानक उस लड़के ने पीछे से मेरा हाथ पकड़ लिया. मुझे लगा अब तो गई.. मैं कुछ बोल भी नहीं सकती थी क्यूंकि आवाज तो लड़कों जैसी ही है.

मेरी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं और पीछे से वो अपना मुँह मेरे कान के पास लाया.

उसके शरीर की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी. मेरा दिमाग एकदम सुन्न था, मुझे कुछ पता नहीं था कि मैं क्या करूँ?

अचानक उसने मुझसे कहा- आई हैव नेवर सीन सच अ सेक्सी अंड ब्यूटीफुल क्रॉस ड्रेसर इन माय लाइफ. अंड आई विल लाइक टू फक युअर एस रियली. (मैंने आज तक अपनी ज़िन्दगी में इतनी सेक्सी और प्यारी, ऎसी सुंदर क्रॉस ड्रेसर नहीं देखी. मैं तुम्हें सच में चोदना चाहूंगा.)

यह सुन कर उस वक़्त मुझे जो आराम और ख़ुशी मिली… मैं बता भी नहीं सकती. मैं अभी सोच ही रही थी कि क्या बोलूँ और राजेश मुझे ढूंढता वहां पहुँच गया. उसने मेरा हाथ पकड़ा और हम दोनों वहां से निकल पड़े.
वो लोग समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें.

हम दोनों बाहर आ कर ऑटो में बैठ गए. अब सवाल ये था कि वापस कैसे ड्रेस चेंज करें. क्यूंकि हम उस रेस्टोरेंट में वापस जा नहीं सकते थे क्यूंकि जिस मैनेजर को वो जानता था, उसकी शिफ्ट आठ बजे तक ही थी.
हमने सोचा कि ऑटो में ही ड्रेस चेंज कर लेते हैं. मैंने तुरंत जीन्स निकाली और पहन ली. अपनी शर्ट वन पीस के ऊपर ही पहन ली और एक एकदम लूज़ जैकेट, जो मैं अपने साथ ऐसे ही किसी मौके के लिए ले कर आई थी, पहन ली.

हमने बाइक होटल के पास ही पार्क की थी, उतरते के साथ ही मैं तुरंत जा कर थोड़े अँधेरे में खड़ी हो गई. ऑटो वाला भी सोच रहा था कि बैठी तो लड़की थी, फिर ये लड़का कौन है.

राजेश जाकर एक पानी की बोतल ले आया. मैंने अपना चेहरा अच्छे से धोया और हेलमेट पहन कर वहाँ से निकल ली. रास्ते में उसे छोड़ कर मैं अपने घर आ गई.
जिस वक़्त मैं घर पर आई, उस वक़्त भी मैंने पूरी ड्रेस जैकेट और जीन्स के नीचे ही पहन रखी थी.

आपको मेरी यह सेक्सी एडल्ट कहानी पसंद आई या नहीं, प्लीज़ मुझे लिखें.

प्लीज़ एक बात याद रखें कि यह सोच कर कि मैं कोई गे हूँ और मुझे कोई गांड मरवाने का शौक है, ऐसा मैसेज मत करना. मैं एक सुन्दर स्मार्ट और इंटेलीजेंट नार्मल लड़का हूँ. जिसे cross dress करना भी अच्छा लगता है. मैं भी आप लोगों की तरह इंसान हूँ.

सच कहूं तो जितना दिल का साफ़ और मस्त इंसान मैं हूँ, उतना तो मुझे भी आज तक कोई नहीं मिला. मैं जानता हूँ कि आप नार्मल लोगों को ये बात समझ नहीं आएगी. मुझे सिर्फ लड़की ही चाहिए.. हाँ शायद कोई लेस्बियन या ऐसी लड़की, जिसे अपनी आज़ादी पसंद हो. तो दोस्तो प्लीज मुझे ऐसे मेसेज ना भेजें.
थैंक यू.. लव यू आल.
आपकी ईशा शर्मा
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