मेरी उभरती जवानी की कामुकता के कारनामे

जब वो कहीं चली जाती थी तो उसकी पैंटी ब्रा सूँघता था और तकिया को पैंटी पहना कर चुदाई करता था। मेरे मन में अपने दीदी को लेकर कभी गलत इरादे नहीं थे लेकिन मैं हिलाने के लिए कुछ भी कर सकता था। शायद मैंने इसलिए आपको अपनी दीदी के बारे में नहीं बताया। मुझे आज भी सेक्स पसंद है.. लेकिन रिश्तों से दूर और आपसी सहमति से ही चुदाई करना मुझे ठीक लगता है।

दिन बीतते गए और मेरा ग्रेजुएशन में एड्मिशन हुआ.. फिर मैंने ब्लू फिल्म देखना शुरू की। मुझे सेक्स का बुखार चढ़ने लगा.. मैं अब हमेशा ही दीदी को ड्रेस बदलते देखते रहना चाहता था। वो मूतती कैसे है.. देखना चाहता था। मुझ पे इस सबका सुरूर ऐसा चढ़ा था कि मैं जब दीदी ड्रेस चेंज करने जाती थी.. तो चारपाई के नीचे पहले से छुप जाता था, मैं दीदी की चूत को देखना चाहता था.. और वहीं अपना लौड़ा हिला लेता था।

इसी बीच मेरे किरायेदार बदल गए और कुछ महीनों बाद नए किरायेदार आए। उनकी अभी दो साल पहले शादी हुई थी.. अब तक कोई बच्चा भी नहीं था। आंटी बहुत सेक्सी थी.. मेरा आकर्षण उनकी तरफ होने लगा.. धीरे धीरे मैं उनकी चूत के दीदार कैसे होंगे.. सोचने लगा।

मैं उनकी छत पर से आंटी की पैंटी चुरा लेता था और उसे सूँघता था.. कभी कभी पहन कर हिलाता भी था। मैंने उनकी करीब 6 से ज्यादा पैंटी चुराई थीं।

एक दिन जब मेरे घर में कोई नहीं था, मम्मी और दीदी बुआ के घर शादी में गई थीं. चूंकि मेरा एग्जाम नज़दीक होने के करण मुझे घर पर रुकना पड़ा था। मम्मी ने आंटी से मेरा खाना वगैरह देखने के लिए बोल दिया।
मुझे तो आंटी की चूत देखनी थी तो मैं इस इंतजाम से बहुत खुश था क्योंकि मुझे कोई मौक़ा मिल सकता था।

अगले दिन सुबह जब आंटी दूध लेने गई थीं तब मैंने ऊपर जा कर उनकी बाथरूम के दरवाजे में.. जो सीढ़ियों से था.. उसमें चाकू से एक छोटा सा छेद बना दिया और इंतज़ार करने लगा।
आंटी आईं और उन्होंने मुझे खाना दिया और खुद नहाने चली गईं।

मैं भी थोड़े देर बाद पीछे पीछे चल दिया और दरवाजे से झाँकने लगा।
वह नज़ारा आज भी नहीं भूल सकता हूँ.. मेरे देखते देखते आंटी ने अपने कपड़े उतारने शुरू किये और पूरी नंगी हो गई. आंटी का बदना गोरा था, गदराया हुआ था, उनकी जांघें मोटी मोटी थी, चूचियां बड़ी बड़ी थी, पेट थोड़ा सा निकला हुआ था, चूतड़ भी पीछे की ओर उठे हुए थे. आंटी तभी दरवाज़े के तरफ हुईं और मुझे आंटी की चूत के दर्शन हुए, एकदम छोटे-छोटे बाल और उनके बीच में छिपी हुई चूत मस्त दिख रही थी। उन्होंने खड़े खड़े ही मूत की धार मारनी शुरू कर दी। शुरू में तो ज़रा सी धार निकली पर उसके वाद तो उनकी चूत की दरार में से से मूत बह कर उनकी जांघों पर आ रहा था. आंटी ने अपनी टांगें चौड़ी की तो फिर मूत की धार सीधी नीचे गिरने लगी.

यह कामुकता भरा नजारा देख कर मैं एकदम गरम हो गया.. ऐसा लग रहा था कि मुझे बुखार हो गया हो।

मैं वहां से हट गया और मैंने नीचे आकर दीदी की पैंटी निकाली और मुट्ठ मारी।

शाम को उनके पति आए.. मुझे थोड़ी खलबली मचने लगी.. क्योंकि अंकल कुछ दिन बाद आए थे तो चुदाई तो पक्के में होनी थी।
आंटी कैसे चुदेंगी.. क्या वो लंड चूसेंगी.. क्या अंकल उनकी चूत चाटेंगे? ये प्रश्न मुझे परेशान कर रहा था।

शाम तक मैं यही सोचता रहा.. क्या करूँ.. क्या करूँ.. कैसे आंटी की चुदाई देखूँ।

रात हुई.. सामान्य दिनों में आंटी लाइट ऑफ करके सोती हैं लेकिन उस दिन बल्ब जल रहा था। मैंने झाँकने की कोशिश की.. सुनने की कोशिश की.. लेकिन सब नाकाम रहा।
अंत मैंने अपने आपको ये समझाया कि कल तो चूत देखेगा न.. और चुदाई देखने के लिए कल कुछ आईडिया कर लेना।

सुबह हुई और उनके पति काम पर चला गए। आंटी ने मुझसे बात की और खाना खिलाया।

मैं इंतज़ार करने लगा कि कब चूत रानी देखने को मिलेगी। जैसे ही वो नहाने गईं मैं जल्दी से दरवाज़े से झाँकने लगा। लेकिन मेरे किस्मत खराब निकली.. आंटी ने झट से दरवाज़ा खोल दिया.. और उन्हें मैं वहाँ खड़ा मिला।

मैं भागने लगा.. पर आंटी ने मेरे झपट कर मेरे बाल पकड़ कर चार थप्पड़ मारे.. मैं बहुत डर गया था। सर से ले कर पांव तक काँप रहा था।
आंटी मुझे कमरे में ले गईं और नीचे बैठा कर पूछने लगीं- बोल.. ये सब कबसे चल रहा है.. तेरी माँ से बोलूँ.. आवारा साले!

वो मेरे बाल पकड़ते हुए नीचे मेरे कमरे में ले गईं और मेरी अलमारी में कुछ ढूंढने लगीं। मैं सर झुका कर बैठा था.. तभी वो मेरी तरफ आईं और बोलीं- ये क्या है?
उनके हाथ में उनकी पैंटी थीं.. जो मैंने चोरी की थीं।
“मादरचोद.. बहनचोद.. मेरी पैंटी चुराता है.. रुक तेरी गाण्ड मारते हैं हम..”

मुझे तो डर के मारे ‘सूसू’ आने लगी, मैं उनके पैरों पर गिर गया और माफ़ी मांगने लगा.. लेकिन उन्होंने मुझे लात से मारना शुरू कर दिया।
उन्होंने बोला- बता सब कुछ सही सही.. नहीं तो पुलिस में कम्प्लेन करूँगी।
मैंने सब कुछ बता दिया। मैंने ये भी बता दिया कि सिर्फ मैं देखने की कोशिश करता था.. बाकी कुछ नहीं।

“देखना हैं न तुझे.. अब चल.. मैं दिखाती हूँ।”
वो मुझे बाथरूम में ले गई और मुझे एक तरफ बैठा दिया। अब उन्होंने अपनी सलवार उतार दी।
मैंने कहा- ये क्या.. आप ऐसा मत करिए.. प्लीज.. ये गलत है।
लेकिन वो एक नहीं मानी.. उन्होंने धमकाते हुए कहा- या तो पुलिस.. या तो ये!
मैं भी सहमते हुए मान गया.. मुझे भी तो चूत मारने का पहला मौका मिला था।

“ठीक है..” मैंने कह दिया।

उसके बाद जो हुआ उसने मेरे मन में उसके आंटी के सम्मान की छवि को खत्म कर दिया। वो मादरचोद रंडी साली कुछ और चाहती थी। उसने अपनी चूत मेरे मुँह पर लगा दी.. मुझे लगा चाटना है.. लेकिन देखते ही देखते उस कमीनी ने मूतना स्टार्ट कर दिया। उसने मेरे बालों से लेकर मेरे मुँह और पूरे शरीर पर मूत दिया।
मुझे गुस्सा होने के बजाए अजीब सा लग रहा था।

मूत खत्म होते हो वो बोली- चाट मादरचोद मेरी चूत को!
मैंने चाटना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद वो बोली- नहा कर नंगे ही मेरे कमरे में आ!
मैं खुश हो गया। मुझे लगा कि अब साली को मेरे लंड की याद आई। मैं नहा कर नंगा ही उसके कमरे में गया.. मेरा लंड तन कर सात इंच हो गया था।
मेरा लौड़ा इतना अधिक तन गया था कि दर्द होने लगा।

मैं उसके बगल में जाकर बैठ गया। इतने में वो और तमतमा गई और बोली- साले.. मादरचोद… नीचे बैठ!
मैं चुपचाप नीचे बैठ गया।
आंटी उठ कर सींक की झाड़ू लेकर आई और बोली- खड़े हो कमीने!
मैं जैसे ही खड़ा हुआ उसने मुझे झाडू गाण्ड पर मारना शुरू कर दी।
मैं दर्द से कराहने लगा.. और मेरा लंड छोटा हो गया।

उसने बोला- क्यों रे.. लंड अब खड़ा नहीं करेगा.. ले मेरी चूत देख.. साले मादरचोद.. पैंटी चुराता है.. झाँक कर देखता है.. साले रंडा.. दोगले.. आज मैं तेरी गाण्ड मारूंगी।
मैं दर्द सहता हुआ चुपचाप खड़ा था।

फिर वो कुर्सी पर बैठ गई और बोली- कुत्ते, मेरी चूत चाट.. लेकिन साले याद रखना.. तेरा खड़ा हुआ.. तो फिर मारूंगी और चूतड़ों को लाल कर दूंगी मादर चोद।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ.. बस वो जो कह रही थी.. वो कर रहा था।

मैंने चूत चाटना शुरू कर दिया.. थोड़ी देर मैं मेरा फिर खड़ा होने लगा।
वो बोली- साले मानेगा नहीं.. रुक.. अभी बताती हूँ।
उसने मुझे पीटना शुरू कर दिया.. मैं एकदम परेशान हो गया। थोड़ी देर बाद वो बोली- अपना मुँह खोल.. मुझे मूतना है।

उसने मेरे मुँह में पेशाब कर दी। मैं थूक कर जब आया तो वो बोली- चल अब गाण्ड चाट!
मैं आना कानी करने लगा तो वो बोली- चल तू अपने हाथ से मेरी गाण्ड साबुन से धो ले.. लेकिन चाटेगा तो तू ही।

मैंने उसकी गाण्ड को साबुन से साफ़ किया और फिर चाटना शुरू किया। करीब आधे घंटे तब मैंने उसकी गाण्ड को जीभ से चाटी.. शायद मुझे अच्छा लगने लगा था।
इसके बाद उसने मुझसे कहा- आज के लिए इतना ठीक है। जब मैं बुलाऊँ.. आ जाना।
मैं “ठीक है..” कह कर चला गया। नीचे जा कर कुछ देर बाद मैंने अपना हिलाया और सो गया।

इस तरह अगले दस दिन तक तो उसने खूब पेशाब किया और मुझे पिलाया.. चूत गाण्ड चटवाई।

फिर जब मम्मी और दीदी आ गईं तो वो मुझे कम आर्डर दे पाती थी.. पर तब भी जब मौका मिलता था.. तो जरूर करवाती थी। लेकिन उसने मुझे चुदाई नहीं करने दी। इसी बीच मैंने अपनी दीदी की गाण्ड देखनी शुरू कर दी।

मैंने रात में एक बार उसको चूत में उंगली डालते देखा था.. वो खूब मज़े ले रही थी। मैं खिड़की के ऊपर चढ़ कर लंड हिला रहा था।

मैंने मौसी की लड़की और जीजाजी की ठुकाई भी देखी और खूब हिलाया था। इस तरह एक साल हो गया। मेरा ग्रेजुएशन खत्म हो गया। इन सबके कारण मेरा लड़कियों और औरतों को देखने का नजरिया बदल गया। मैं हर लड़की या भाभी की गाण्ड और चूत देखता था.. और सोचता था कि इसे कैसे चाटूं।

कुछ दिनों बाद वो किराएदार आंटी जाने लगी। तब उसने मुझसे माफी मांगी और उसने कहा- तुम्हें जो कुछ करना है कर लो!
मैंने आंटी की चूत चोद दी।

चोदना ही होता.. तो कई लोगों को मैं अपने बिस्तर पर ला देता। मैं तो अपनी सेक्सुअलिटी को ठीक तरीके से उजागर होने देना चाहता था।

शहर बदल गया और मैं चुदाई में रम गया। मैं अब गाण्ड देख कर ही बता सकता हूँ.. किस लड़की या भाभी को किस पोजीशन में लण्ड खाने सबसे ज्यादा मज़ा आएगा।
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