मेरी आत्मकथा-2

… तभी देखा कि दरवाज़ा खुला और उसकी सहेली अन्दर आ गई। मैं और सुधा चौंक गए। वो अंदर आ गई और उसका चेहरा एकदम लाल था। हमने पूछा- क्या हुआ?

तो वो कहने लगी कि तुम लोगों की चुदाई की आवाज़ आ रही थी, मैं अपने आप को रोक नहीं पाई और दरवाज़े के पीछे से तुम दोनों को देखने लगी, मुझे मज़ा आ रहा था और मैं अपनी ऊँगली चूत में ड़ाल कर कर रही थी। इतने कहते ही उसने अपनी शर्ट ऊपर उठा दी और फिर ऊँगली करने लगी मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उससे अपनी तरफ़ खींच लिया और उसको किस करने लगा।

सुधा हम लोग को देख रही थी। वो इतना चौंकी हुए थी कि वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। उसके बाद उसने सुधा से सोरी बोला और उससे भी हम लोगो के साथ सेक्स करने की प्रार्थना करने लगी। मैं चुप था और सुधा के जवाब का इंतज़ार कर रहा था।

तभी सुधा गुस्से में आगे बड़ी और अपनी सहेली को जोर से पकड़ लिया और उसे किस करने लगी। मैं ये देख कर चौक गया और सोचा चलो एक नए माल की चूत ! आज तो चुदाई का मज़ा ही आ जाएगा।

मैं उन दोनों को किस करते हुए देख रहा था और मेरा लण्ड अब तक फिर मस्ती में आने लगा था. अब सुधा ने करिश्मा के टॉप के ऊपर से उसकी चुचियों को दबाना शुरू कर दिया था। मैंने देख कर अंदाजा लगाया कि करिश्मा की चूची ज्यादा बड़ी नहीं थी।

उसकी चूची दबाते दबाते सुधा ने उसका टॉप उतार दिया और उसकी लाल रंग की ब्रा से खेलने लगी। मैं यह देख रहा था और अपना लण्ड सहला रहा था। तभी सुधा ने कहा वह क्या कर रहे हो? आओ और अपने लण्ड से हमारी चूत की खुजली को शांत कर दो !

मैंने करिश्मा और सुधा को बिस्तर पर लेट जाने को कहा और करिश्मा की चूत को चाटने लगा। सुधा उसकी चुचियों से खेल रही थी। वो उनको चूस रही थी और मस्ती वाली आवाज़ निकाल रही थी. इधर मैं करिश्मा की चूत चाट रहा था और करिश्मा की भी मादक आवाज़ निकल रही थी। वो और जोर जोर से चूसने के लिए कह रही थी।

मैंने उसकी चूत को फ़ैला कर अपनी जीभ से उस की चूत की चुदाई शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में में वो सुधा से चिपक गई और अपनी चूत का पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया। तब मैंने यही काम सुधा के साथ किया और वो जल्दी ही झड़ गई।

अब बारी थी करिश्मा की कुँवारी चूत चुदने की ! और इस बार मेरी मदद के लिए सुधा थी। वो करिश्मा से कहने लगी कि शुरू में दर्द होगा, मुझे भी हुआ था, लेकिन थोड़ी देर बाद जब चूत में लण्ड अन्दर बाहर होता है तो मज़ा आने लगेगा।

फिर उसने करिश्मा की चूत में ऊँगली की और जब उसकी चुत गीली को गई तो उसमें तेल लगा दिया और फिर मेरे लण्ड को मुँह में ले कर खूब चूसा। फिर मैंने करिश्मा की चूत पे अपना लण्ड रख दिया और रगड़ने लगा. करिश्मा ने अपने पैर कैंची के तरह क्रॉस कर के रखा था मेरे लण्ड की रगड़ से मस्ती आने लगी और उसने अपने टाँगें फ़ैला दी. अब मैंने उसकी चूत का चुम्मा लिया और लण्ड का सुपारा उसकी चूत के ऊपर रख दिया।

फिर धीरे से अन्दर किया, वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी। मैंने अपने लण्ड को फिर थोड़ा सा अन्दर किया और एक झटके से अन्दर पेल दिया आप वो रोने लगी तो सुधा उसके मुंह में अपनी चुचियों को ड़ाल कर चूसाने लगी अब उसे मज़ा आने लगा और वो अपनी कमर को ऊपर नीचे करने लगी। फ़िर मैंने उसे खूब चोदा और मज़े किए।

उस दिन में केवल दोनों की चूत २ बार मारी और खूब मज़े किए. फिर मैंने दोनों की गाण्ड मारने की सोची. लेकिन वो दोनों इसके लिए तैयार नहीं हुई और बाद में करने के लिए कहने लगी. हम तीनो एक साथ नहाए और नहाते वक्त मैं सु्धा की चूची चूस रहा था और करिश्मा की चूत में अपना लण्ड डाल कर अन्दर बाहर कर रहा था।

करिश्मा मस्ती वाली आवाजें निकाल रही थी- पेल दो मेरी चूत को फाड़ डालो फिर मेरी चूत को आ आआआ आअह ऊऊऊऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाँ हाँ जल्दी जल्दी अन्दर बाहर करो, नहाते वक्त एक नहीं चीज़ महसूस हुई कि जब चूत में लण्ड डालो तो जैसे अन्दर आग की भट्टी हो इतना गरम अन्दर और बाहर ठंडा ठंडा पानी !

सुधा भी यह सब देख कर जोश में आ चुकी थी और अपनी चूत को करिश्मा के मुँह के पास कर दिया. करिश्मा उसकी चूत को चाटने लगी और एक ऊँगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगी. इस पल को बताना मुश्किल है केवल महसूस किया जा सकता है पहली बार सेक्स करने का ! उस पर एक साथ दो कुँवारी चूतों को चोदने का मज़ा !

दोनों को छोड़ कर मैं कॉलेज आ गया और इस वादे के साथ कि हम जल्दी फिर मिलेंगे और मुझे फिर उनकी गाण्ड भी तो मारनी थी।

यह सब और आगे बहुत कुछ अगली बार …………….