भाभी की चुत की आग बुझाई

मैं दूध लाने जा रहा था, तो भाभी जी ने बोला- आशिक, कहाँ जा रहे हो?
तो मैं बोला- भाभी जी दूध लाने!
भाभी जी बोलीं- क्या करोगे, मैं चाय बना रही हूँ. यहीं पी लो, वैसे भी आपके भैया तो ऑफिस चले गए हैं. आप भी यहीं पी लो, मैं भी पी लूंगी.

तो मैं वहाँ बैठ गया. भाभी चाय लेकर आईं.
मैं चाय पीने लगा. भाभी भी चाय पीने लगीं.

मैं भाभी जी से डरता हुआ बोला- भाभी जी आपसे एक बात पूछूँ?
भाभी जी बोलीं- पूछो.
तो मैं बोला- आप कल रात में क्यों रो रही थीं? कोई प्राब्लम हो गई थी क्या भाभी जी?
भाभी जी बोलीं- नहीं आशिक.. ऐसे ही तूने कहाँ देखा मुझे?
मैं बोला- रात को.
भाभी बोलीं- नहीं नींद नहीं आ रही थी ना.. इसलिए.
मैं बोला- तो आप इतनी उदास क्यों रहती हो?
भाभी बोलीं- ऐसे ही!

और वे हंस कर चली गईं. मैं कुछ समझ नहीं सका.

फिर दूसरे दिन भैया ने बोला- आशिक यार, मैं कंपनी के काम से एक महीने के लिए मुंबई जा रहा हूँ, तुम अपनी भाभी का ख्याल रखना, मेरा तुम पर पूरा भरोसा है.
मैं बोला- भैया आप जरा सी भी टेंशन मत लो, आपका भाई है ना.

तो भैया चला गया, फिर मैं भी ऑफिस चला गया. शाम को मैं घर आ गया. भाभी बोलीं- आशिक आज नीचे ही सो जाना.
तो मैं बोला- ओके भाभी.

फिर हम दोनों ने शाम को डिनर किया और सोने का टाइम हो गया तो भाभी बोलीं- आशिक आप मेरे कमरे में ही सो जाना.. क्योंकि रात में मुझे अकेले नींद नहीं आती है .
मैं बोला- ओके भाभी.

जब मैं सोने जा रहा तब मैं कैपरी और टीशर्ट में था. भाभी पिंक कलर के गाउन में थीं. भाभी बोलीं- आप एक साइड में सो जाना और मैं इस साइड में सो जाती हूँ.
मैं सो गया. जीरो वाट का बल्ब नीले रंग में जल रहा था. भाभी बहुत सेक्सी लग रही थीं.

हम दोनों सो गए. फिर नाइट में जब मैं उठा तो देखा कि भाभी का गाउन घुटनों तक हो गया था और ऊपर से उनके थोड़े थोड़े चूचे दिख रहे थे. मैं पेशाब करने चला गया, फिर वापिस आया तो देखा भाभी का गाउन घुटनों से और ऊपर आ गया था. मैं भाभी के इस रूप को देख कर एकदम पागल सा हो गया. लेकिन बिना कुछ किए मैं वापिस सो गया.

मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैंने डरते डरते भाभी के ऊपर अपना एक हाथ रख दिया.
भाभी कुछ नहीं बोलीं, वे चुपचाप सो रही थीं.

फिर मेरी और हिम्मत बढ़ गयी. मैं भाभी के मम्मों पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगा. भाभी थोड़ी देर बाद कामुक सिसकारियां भरने लगीं ‘सस्स्स्स … अहह हह … अम्म!’

मैं डर गया और मैंने हाथ खींच लिया. तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- रुक क्यों गए देवर जी, मैं भी यही चाहती हूँ.. आप जिस दिन से रूम में रहने आये हो.. उसी दिन से मैं इस पल का इंतज़ार कर रही हूँ. मैंने ही अपना गाउन को खुला किया था कि आप कुछ करो.
तो मैं बोला- सच्ची भाभी जी?
तो वो हंस कर मुझसे चिपक गईं और मैं इतना खुश था कि भाभी को पकड़ उनके होंठों को कस कर चूमने लगा ‘उउम्म्म्म… मुम्म … अम्म्ह …’

भाभी भी ज़ोर ज़ोर से चूमने लगीं.

हम दोनों की गर्म साँसें बहुत तेज हो गईं. मैंने भाभी को अपने ऊपर ले लिया. मैं अब भाभी की कमर और गांड पर हाथ फेरने लगा. साथ ही मैंने भाभी का गाउन खोल कर दूर करके भाभी को पूरा नंगा कर दिया. भाभी ने भी मुझको नंगा कर दिया.

फिर मैं भाभी को अपने नीचे लेकर उनके ऊपर आ गया और भाभी के कान और गले पर किस करने लगा. भाभी मादक स्वर में कराह रही थीं- आआह … ओह … देवर जी आज मुझे अपनी बीवी बना लो!
फिर मैं भाभी के दूध पीने लगा. भाभी मस्ती में ‘उउम्म्म्म … ममह!’ करने लगी थीं. मैं भाभी के मुँह को ज़ोर-ज़ोर से चूम रहा था और भाभी बहुत हॉट होती जा रही थीं.

मैं फिर उठकर भाभी की चुत की तरफ आया और भाभी की चुत चाटने लगा. भाभी ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियां ले रही थीं. भाभी एकदम गर्म हो गई थीं. फिर भाभी बोलीं- अब कंट्रोल नहीं हो रहा देवर जी. तभी भाभी का चुत रस निकलने लगा. मैं उस नमकीन अमृत रस को चाट गया. इसके बाद मैंने भाभी को फिर अपने ऊपर ले लिया और भाभी की कमर पर हाथ फेरने लगा. साथ ही अपने हाथ से भाभी की गांड पर चपत मार रहा था.

कुछ देर बाद भाभी फिर से गरम ही उठीं और उन्होंने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया. भाभी चुदास भरे स्वर में बोलीं- अब आप मेरी प्यास बुझा दो.. आपके भैया तो नामर्द हैं.. आपका तो मस्त लंड है.
मैंने कहा- भाभी, तो अब चुदने को रेडी हो जाओ.
भाभी बोलीं- हाँ मेरे देवर राजा … आ जाओ … मुझे जल्दी से चोद दो! अपनी भाभी को मजा दे दो आज पूरी चुदाई का!

मैंने भाभी को बिस्तर पर चित लिटा दिया और लंड उनकी चुत पर लगा कर झटका दे मारा. पहली बार में मेरा लंड फिसल गया तो भाभी नर्वस सी हो गईं.

तो मैंने देखा कि टेबल पर वैसलीन रखी थी तो मैंने भाभी की चुत पर वैसलीन लगा दी. फिर लंड टिका कर मैंने ज़ोर का झटका मारा तो भाभी चिल्ला दीं- आह्ह … मर गई!
मेरा आधा लंड अन्दर घुस गया था. भाभी की आंखों से आँसू आ गए और वो बोलीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… बाहर निकालो जल्दी.. बहुत दर्द हो रहा है .
मैं भाभी के होंठ चूमने लगा.

फिर थोड़ी देर बाद भाभी नॉर्मल हुईं तो मैंने फिर से भाभी की चुत में एक झटका दे मारा. अबकी बार मेरा पूरा लंड भाभी की चुत में था. भाभी की चुत से खून की पिचकारी छूटी और पूरी बेडशीट रंगीन हो गई. भाभी कांपने लगीं और बोलीं- आज इतना ही करो.. मेरी सील टूट गई है देवर जी..

बस इसके बाद मैंने भाभी की धक्कमपेल चुदाई की. आपको ये चुदाई की कहानी कैसी लगी, मुझे मेल सेंड करो.

गजेन्द्र ‘आशिक’
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