पेयिंग गेस्ट से कामवासना की तृप्ति-2

मैं उसको बिल्कुल विरोध नहीं कर रही थी तो सुहास का डर कम हो रहा था। उसका हाथ मेरे कड़े हुए निप्पस को छेड़ रहा था। उसने अपने हाथ से मेरे स्तनों का नाप लेने की तैयारी शुरू कर दी। मुझे समझ में ना आये, इतना वह मेरे दोनों स्तन पर हाथ स्पर्श करने लगा।

अब आगे:

बहुत देर से एक ही गाना बज रहा था तो ‘सुहास कोई दूसरा गाना बजाओ ना…’ मैं आँखें बिना खोले बोली। उसने आई पॉड अपने हाथ में लिया और अपना हाथ मेरे पेट पर रख दिया। उसने गाना बदलने में काफी समय लिया, उतनी देर से उसका हाथ मेरे पेट पर ही था। उसके हाथ के स्पर्श से मेरे पेट में भारी उथल पुथल हो रही थी, पर मैं शांत लेटी रही।

“सुहास तुम भी सुनो न गाना!“ वह मेरे बाईं तरफ बैठा था, अगर मैंने उसे मेरे बायें कान का इयरफ़ोन दिया तो उसे मेरे और नजदीक बैठना पड़ेगा, फिर भी मैंने उसे अपने बायें कान का ही इयरफ़ोन दिया।
सुहास अब कुर्सी से उठकर मेरे एकदम नजदीक बैठ गया। मुझे अब उसके बदन की खुशबू महसूस हो रही थी, मैं अभी भी आँखें बंद कर के बैठी थी। मैंने आँखें थोड़ी खोल कर उसकी तरफ देखा तो वो भी मेरे चेहरे की तरफ देख रहा था, शायद मेरे मन में क्या चल रहा है उसका अंदाज ले रहा था। वह मेरे बिल्कुल नजदीक बैठा था फिर भी उसका स्पर्श मुझे ना हो यह सावधानी ले रहा था। और फिर से वह इयरफ़ोन की उलझी वायर ठीक करने लगा।

उसने मेरे कान से वायर ठीक करना शुरु किया, मेरे कानों को छूते हुए उसने मेरे गाल को हल्के से छुआ तो मेरे बदन में बिजलियाँ दौड़ने लगी, उसे भी इस बात का अहसास होने लगा था। उसकी उंगलियां मेरे गर्दन को हल्के से छेड़ते हुए नीचे मेरे सीने जी तरफ जाने लगी। उसकी उंगलियाँ मेरी ब्रा और मैक्सी के होने के बावजूद मेरी उत्तेजना से फूले हुए मेरे निप्पलों को छेड़ते हुए मेरी गोलाई का नाप ले कर नीचे सरकने लगी, फिर ऊपर आकर मेरे ऐरोला पर घूमती हुई दूसरी गोलाई को मापने के लिए बढ़ी।

मेरे मुँह से ‘आहहह हहह…’ करके सिसकारी निकली। मेरी आँखें अभी भी बंद थी, मेरा दिमाग मुझे कोस रहा था, पर मेरा बदन बेशर्मों की तरह उस स्पर्श से खिल उठा था। मैंने उसकी मर्यादा तोड़ने पर कुछ भी रियेक्ट नहीं किया, उल्टा उसकी उंगलियां मेरे कौन कौन से अंगों को छुयेंगी, उसकी बेसब्री से राह देख रही थी।

बहुत देर अपनी उंगलियों से मेरे दोनों स्तनों को टटोलते हुए और अपनी उंगलियों से मेरे निप्पल्स को हल्के से मसलने के बाद उसका हाथ मेरे पेट की तरफ बढ़ा। मेरे पेट पर हाथ घुमाने से आईपॉड सरक कर मेरी जांघों पर चला गया, सुहास ने उसे अपने हाथों से हटाया और अपना हाथ मेरी जांघ पर रखा। उसके हाथों की गर्मी मैं मेरी जांघ पर मैक्सी के ऊपर से ही महसूस कर रही थी।

मेरे मुँह से फिर से एक सीत्कार निकली, मेरी निष्क्रियता को मेरी अनुमति समझकर वह मेरी जांघ पर नक्काशी बनाने लगा। वह धीरे धीरे मेरे करीब आने लगा, उसके होंठ मेरे गालों के बहुत करीब आ गए थे।

मैं अपने पैरों को मोड़ कर बैठी थी। उसने बहादुरी से मेरा एक पैर सीधा किया और नीचे कर दिया।
मैं अभी भी आँखें बंद कर के बैठी थी, ‘गाने में कहीं खोई हुई हूँ…’ ऐसा दिखा रही थी।

सुहास की हिम्मत बढ़ रही थी। मेरे मौन को मेरी सहमति मानकर उसने अपना हाथ मेरी टाँगों के बीच के त्रिकोण पर ले आया और मेरे प्रतिक्रिया की राह देखने लगा। मेरी तो उत्तेजना से होंठों से सिसकारी निकल गयी और मैंने अपने दोनों पैर सीधे कर दिए और फैला दिए।

फिर सुहास ने बिना डरे अपने हाथ से मेरी नाजुक चुत को भींच लिया और अपने उंगलियों से मेरी चुत के होंठों को टटोलने लगा। उसके उत्तर मैं मैंने अपने पैर थोड़े और फैला दिए और उसको मदद की, मैंने अभी भी अपनी आंखें बंद ही रखी थी।

वह कपड़ों के ऊपर से ही मेरी नाजुक चुत को मसल रहा था, थोड़ा और आगे बढ़ कर उसकी उंगलियां मेरे चुत के होंठों के बीच चुत के दाने को ढूंढने लगी। मेरे बदन की सबसे कामुक जगह पर हमला होते ही मेरे सब्र का बांध टूटा, मेरी आँखें खुल गयी और मुँह से जोर से सिसकारी निकली।
सुहास ने डरते हुए अपना हाथ मेरी चुत से निकाल लिया, पर जब उसने मेरी आंखों में देखा तो उसे मेरी आंखों में वासना ही नजर आयी और उसके हाथ हटाने से हुई नाराजगी भी।
उसने तुरंत ही अपने होंठ मेरे गालों पर रख दिये और अनगिनत छोटे छोटे चुम्बन करने लगा।

मुझे मेरी मैक्सी ऊपर सरकती महसूस हुई, सुहास मेरी मैक्सी को ऊपर खींच रहा था। पहले पैर फिर धीरे धीरे जांघें उसके सामने नंगी हो रही थी। मैंने शर्म से अपनी आंखें बंद कर दी। उसने अपना हाथ सीधे मेरी नंगी जांघों पर रखा तब मेरे सारे बदन पर बिजली दौड़ गई। मैंने मैक्सी के अंदर कोई पेटीकोट नहीं पहना था। सुहास ने अपना हाथ जांघों से मेरी चुत को ढकती हुई पतली सी पैंटी पर रखा और मेरी फूली हुई चुत की पंखुड़ियों को टटोलने लगा।

मैंने अपनी आँखें ज़ोरों से बंद की थी और मेरी साँसें भी ज़ोरों से चल रही थी। मेरी चुत पर घूम रही उसकी उँगलियों को जगह देने के लिए मैंने अपने पैर फैला दिए और अपनी बड़ी बड़ी जाँघों को अलग किया। सुहास ने प्यार से मेरी जांघों पर हाथ फिराया फिर अपनी उँगलियों को पैंटी के ऊपर से ही मेरी चुत की दरार पर ऊपर से नीचे थोड़ा सा दबाव दे कर घुमाने लगा।

उसकी उंगली अचानक से मेरी चुत के दाने को छू गयी तो मेरे मुख से फिर से सिसकारी निकली, मेरा बदन भी उनके कामुक स्पर्श को प्रतिक्रिया देने लगा, मैं भी अपने नितम्बों को उसकी उंगलियों के विपरीत दिशा में ऊपर नीचे हिलाने लगी।

सुहास ने बहुत देर तक मेरी चुत को उंगलियों से मसला, मेरी चुत अब गीली होने लगी थी, मुझे डर था कि सुहास को भी मेरी चुत के गीला होने का अहसास न हो जाये। पर तभी उसने मेरी पैंटी को उंगली से पकड़ कर चुत के साइड में कर दिया और बिना किसी आवरण के उंगलियों से मेरी चुत को मसलने लगा।

सुहास की उंगलियाँ धीरे धीरे मेरी गीली चुत के अंदर घुसने लगी, उसने अपनी सबसे लंबी उंगली चुत के अंदर बाहर करनी शुरू कर दी, अंदर बाहर करते वक्त वह अंगूठे से मेरी चुत के दाने से खेलता तो कामुक लहरें चुत से होते हुए मेरे सारे बदन में दौड़ती।

अचानक सुहास रुक गया- भाभी, एक मिनट!
उसके बोलने से मैंने आँखें खोली तो देखा कि सुहास उठ कर मेरी जांघों के बीच आ गया था, वो मैक्सी को मेरे पेट के ऊपर तक ले गया फिर मेरी आंखों में देख कर पैंटी के इलास्टिक को पकड़ा। मैंने फिर से शर्म के मारे आँखें बंद कर दी पर सहमति के लिए अपनी कमर उठा दी।

उसने मेरी पैंटी उतारने में बहुत समय लिया और धीरे से मेरी पैंटी को उतार दिया। मेरी चुत जो मेरे पति के सिवाय किसी ने नहीं देखी थी, आज पति के दोस्त के सामने नंगी हो गयी थी। वह आँखें फाड़ कर मेरी गुलाबी चुत और गोरी जांघों को देख रहा था। चुत की दरार के ऊपर छोटे छोटे बाल थे जो बड़े ही आकर्षक लग रहे थे।

जब मैं कामुक हो जाती हूँ, तब मेरी चुत की पंखुड़ियाँ अपने आप खुल जाती हैं और अंदर की गुलाबी चमड़ी दिखने लगती है। उस वक्त भी यही हुआ था, मेरी चुत से पानी का रिसाव शुरू हो गया था और पानी की बूंदें मेरी चुत पर चमक रही थी। उसने बहुत देर तक मेरी चुत का आँखों से रसपान किया फिर मेरी टांगें और खोल दी।

मैंने आँखों को थोड़ा सा खोलकर सुहास की तरफ देखा तो उसका पूरा ध्यान मेरी टांगों के बीच में ही था। वह सम्मोहित होकर नीचे झुकने लगा और उसने अपने होंठ मेरी चुत के होंठों पर रख दिये।
मेरा पूरा बदन थरथरा उठा, मेरे उन होंठों को पहली बार किसी ने चूमा था। नितिन ने कभी कभार गलती से मेरी चुत को छुआ होगा… चूमना तो दूर की बात थी।

सुहास ने ऊपर मेरी तरफ देखा तो वह पूरा उत्तेजित हो गया था, उसके साँवले चहरे पर एक अजीब तेज दिखने लगा था। वह फिर अपने होंठ मेरी मुलायम जांघों के बीच ले गया और वहाँ पर अपनी जीभ से चाटने लगा। मेरी जांघों को और अलग करते हुए उसने अपनी उंगलियों से मेरी चुत की पंखुड़ियों को अलग किया और अपनी जीभ अंदर डाल दी, उसकी जीभ मेरी उत्तेजित दाने से जा टकरा गई।

मैंने अपने हाथों से अपने मुँह को ढका फिर भी मेरे मुख से ज़ोरों से सिसकारी निकली, मैंने अपनी जांघें चौड़ी करके कमर को थोड़ा उठा लिया जिससे उसको चूसने में आसानी हो वह बड़े मजे से मेरी चुत को चूसने लगा था। मैंने मेरी सिसकारियाँ दबाने के लिए हाथ अपने मुँह पर रखा था पर अपना ओर्गेज्म को दबाए रखना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था।

सुहास ने अब जीभ से मेरे दाने को चूसते हुए एक उंगली मेरी चुत में डाल दी, उसकी उंगली डायरेक्टली मेरी जी स्पॉट को टकराने लगी। मैंने बेडशीट को अपनी मुट्ठी में पकड़ा और अपनी कमर को हवा उठाते हुए सिसकारियाँ लेते हुए जोर से झड़ने लगी।
न जाने कितनी देर मैं झड़ती रही जब होश आया तो मैंने आँखें खोली।

सुहास बेड से नीचे उतरा हुआ था और अपनी टीशर्ट और नाईट पैंट उतार रहा था। मेरे पलक झपकने से पहले उसने अपने कपड़े उतार दिये और मेरे सामने सिर्फ अंडरवियर में खड़ा हो गया। फिर वह मेरे एकदम करीब आ कर खड़ा हो गया, उसके अंडरविअर के अंदर तम्बू बना हुआ था और मेरे हाथ से आधे इंच दूरी पर था।

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसके तम्बू के अंदर के डंडे को पकड़ लिया। उस पर हाथ घुमाते हुए मैंने उसकी लंबाई और मोटाई को नापा, फिर सोई हुई अवस्था में ही मैंने अपनी उंगलियाँ उसके अंडरवियर की इलास्टिक में डाल दी और उसे नीचे खींचने लगी।
अंडरवियर थोड़ी नीचे हुई, फिर बाकी बची उसने अपने आप ही निकाली और मेरे सामने नंगा हो गया।

मेरी नजर उसके उत्तेजित चेहरे से होते हुए उसके बालों से भरे सीने पर गयी फिर नीचे उसकी जाँघों के बीच डोलते मूसल पर गयी। मेरे लिए वह एक अद्भुत दृश्य था, पहली बार मैं अपने पति का छोड़ कर किसी और का लंड देख रही थी। बालों के बीच खड़े उस बड़े से लंड को देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे अपने हाथों में पकड़ लिया, उसकी लंबाई और चौड़ाई मेरे पति से काफी ज्यादा थी।

सुहास मेरे नजदीक आकर लेट गया, मैंने उठकर अपने दोनों हाथों से उसके लंड को पकड़ा। उसका लंड मेरे हाथों में नहीं समा रहा था।

थोड़ी देर उसकी मुठ मार कर देने के बाद मैंने झुककर उसके सुपारे को चूम लिया। उत्तेजना में उसने मुझे अपने करीब खींच लिया और उसका लंड बिल्कुल मेरे मुँह के नजदीक आ गया। मैंने उसके सुपारे के ऊपर की चमड़ी को नीचे किया फिर नीचे जाकर उसकी गंध को सूँघा फिर उसके पूरे सुपारे को चूमकर अपने नाजुक होंठों में पकड़ लिया।

मैं अपने हाथ बालों के जंगल में छुपे उसके बॉल्स पर ले गयी और उनको हाथों में पकड़ कर हल्के से दबाने लगी। उसके नींबू जैसे बड़े सुपारे को मैं जुबान से चाटने लगी। फिर उसे मुँह से बाहर निकाल लिया और उसके पैर फैलाते हुए सुपारे की जड़ से बॉल्स तक उसके लंड को चूमने चाटने लगी।

मेरी मैक्सी मेरे पेट तक उठी हुई थी पर मेरी मेरी छाती पर ठीक से बैठी थी। मैक्सी के अंदर ब्रा भी पहनी हुई थी। सुहास ने मैक्सी को और ऊपर ले जाते हुए उसके अंदर हाथ डाला और ब्रा के ऊपर से मेरे स्तन मसलने लगा। धीरे धीरे से स्तन दबाते हुए वह मेरे फूले हुए निप्पल्स को उँगलियों में पकड़ कर मसलने लगा।

थोड़ी देर लंड चूसने के बाद मैंने सुहास को रोका और अपने हाथ पीछे ले जाते हुए अपनी ब्रा का हुक खोल दिया। सुहास को इतना इशारा काफी था, उसने झट से ढीली हुई मेरी ब्रा को और मेरी मैक्सी को ऊपर से उतारते हुए मुझे पूरी नंगी कर दिया, मेरे नाजुक स्तन उसके सामने नंगे हो गए।

उसने मुझे नीचे लिटाया और मेरी गर्दन और स्तनों को चूमने लगा। मैंने अपनी आंखें बंद कर ली अपनी गर्दन को इधर उधर घूमते हुए मैं अपने स्तनों पर सुहास के होंठों का और जीभ के स्पर्श का आनंद लेने लगी।
उसकी जीभ का स्पर्श होते ही मेरे निप्पल्स गुलाब की कली की तरह खिल उठे।

उसने मेरे निप्पलों पर हमला कर दिया, मेरे स्तन उत्तेजना से फूल गए थे, निप्पल भी एक इंच बाहर निकल आये थे। सुहास मेरे निप्पल को चूस रहा था, जितना हो सके उतना स्तन मुँह में लेकर उसे चूसने लगा।
अपने दोस्त की बीवी के स्तन और निप्पलों को जी भर के चूसने के बाद वह मेरे पेट की तरफ बढ़ा स्तनों से नीचे चूमते हुए वो मेरी नाभि तक आ गया।

वह अपनी जीभ को नाभि के छेद में डालकर गोल गोल घुमाने लगा तो मैं उत्तेजना में अपनी कमर को उठाने लगी। उत्तेजना में मेरी गांड ऊपर नीचे होती देख वह और भी जोश में आ गया। उसने मेरी कमर के नीचे तकिया डाल दिया। अब मेरी चुत ऊपर उठ गई थी उसकी जरूरत के मुताबिक़… ज्यादा वक्त न गंवाते हुए वह मेरे चुत की पंखुड़ियों को प्यार से चूमने चाटने लगा।

मेरी चुत चूसना जारी रखते हुए वह घूमा और उसका विशाल लंड और लंड की तरह बालों के जंगल में छुपे विशाल बॉल्स मेरे मुंह के सामने ले आया। उसका लंड देख कर चुत की तरह मेरे मुँह में भी पानी आ गया।

वह अपनी जीभ मेरे चुत के अंदर तक डाल कर चूस रहा था। उसके जीभ का खुरदरा स्पर्श मुझे और पागल कर रहा था। मैं अपनी कमर उठाकर उसको और अंदर लेने की कोशिश करने लगी। उसे और प्रोत्साहित करने के लिए मैं अपने हाथ से उसकी बॉल्स की मालिश करने लगी, मालिश करते वक्त उसका लंड मेरे चेहरे पर टकरा रहा था।

वह थोड़ा और नीचे हो गया तो उसका लंड बराबर मेरे मुँह के सामने आ गया, उसको क्या चाहिए यह मुझे समझ में आ गया। मैंने उसके काले मूसल को अपने हाथ से पकड़ा और अपने मुँह में डाल दिया।
वह मेरी चुत को चूस रहा था और मैं उसका लंड चूस रही थी।

वह अपनी कमर हिलाते हुए मेरे मुँह को चोदने की कोशिश करने लगा। यह मैं मेरी जिंदगी में पहली बार महसूस कर रही थी। उसने फिर से अपनी उंगली को मेरी चुत में घुसा दिया और मेरे जी स्पॉट को ढूंढ कर उसे छेड़ने लगा। उसी टाइम उसकी जीभ मेरे दाने को चूस रही थी।

मेरे अंदर फिर से एक तूफान बनने लगा। मेरे आँखों के सामने तारे चमकने लगे। एक के बाद एक आती हुई कामुक लहरों पे सवार मैं अपने ओर्गेज्म तक पहुंच रही थी। मैं उसका लंड जितना हो सके उतना मुख में लेकर चूस ही रही थी कि मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं झड़ने लगी, उसकी तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि मुझे चक्कर आ गए और मैं अपनी सुध खो बैठी।

जब मुझे होश आया तब मैंने आँखें खोली। सुहास मेरी एक तरफ करवट लेकर अपने हाथ को मोड़ कर उसपर अपना सिर रखे मुझे देख रहा था। मैंने उसे धक्का दे कर पलंग पर लिटाया और उसके ऊपर आ गयी। आजकल सुख पाने के लिए मैं अपने पति के साथ भी ऐसे ही करती थी। मैं अपनी जांघें उसके जांघों के ऊपर ले आयी तो उसका लंड मेरी चुत के नीचे आ गया।

मैंने उसके लंड को हाथों में पकड़ा और उसको अपनी फूली हुई चुत की पंखुड़ियों पर लगा दिया। फिर उसके लंड को अपनी दरार पर पूरा घुमाते हुए मेरी चुत के छेद पर लगा दिया। मेरी चुत कामरस से उसके चूसने से पूरी गीली हो गयी थी तो उसका लंड भी मेरी चुसाई की वजह से गीला था। फिर भी चुत के अंदर जाते समय टाइट जा रहा था।

सुहास को मेरी तकलीफ समझ में आई और उसने भी नीचे से धक्के लगाते हुए धीरे धीरे उसका पूरा मूसल मेरी बच्चेदानी तक घुसा दिया। जैसे जैसे उसका विशाल लंड चुत के अंदर बाहर जो रहा था वैसे वैसे दर्द और उत्तेजना का अहसास जो रहा था। मेरे मुँह से अजीब अजीब आवाजें उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकालनी शुरू गयी थी।

जब मैंने थक कर ऊपर नीचे होना बंद किया तो तुरंत सुहास ने नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए। एक हाथ से उसने मेरे स्तन को पकड़ कर अपने मुँह में डाल दिया तो दूसरे हाथ से मेरी चुत के दाने को छेड़ने लगा।

अचानक ही वो पलट कर मेरे ऊपर आ गया, उसके धक्के अब पहले से तेज होने लगे। हर धक्के के साथ मेरे अंदर भी वासना का तूफान बनने लगा था। वह राजधानी एक्सप्रेस की तरह धक्के देने लगा, थोड़ी देर उसी स्पीड में चोदने के बाद उसका शरीर भी अकड़ गया और गरम वीर्य के धार मेरी अंदर छोड़ दी। वह पूरा लंड चुत की गहराई में डाल कर मेरी बच्चेदानी को अपने वीर्य से भिगो रहा था।

उसकी गर्मी से मेरा भी बांध टूट गया और उसके बाद उठती हर लहरों के साथ मैं पूरी बह गई।

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