दोस्त की सेक्सी स्मार्ट बीवी की चूत चुदाई

कहानी कुछ ऐसे शुरू हुई कि एक बार उन दोनों ने मुझे खाने पर बुलाया.. टाइम रात 9 बजे का तय था। जब साथ डिनर करते थे तो सुनील और मैं हमेशा ड्रिंक करते थे। घर में दारू पीने का पूरा इंतजाम भी रहता था।

शाम को मैं उनके घर गया और दरवाजे की घंटी बजाई.. तो देखा कि दुशाली नेट की साड़ी पहने हुए थी। दुशाली मेरे दोस्त की एक खूबसूरत बीवी थी.. जिसके चुचे 36सी साइज़ के थे.. कमर 32 की और चूतड़ 38 इंच के थे।
दुशाली की नेट की साड़ी में उसके पल्लू के बीच में गहरे गले के ब्लाउज के कारण उसकी वक्षरेखा साफ़ दिख रही थी। मैं चाह कर भी उसकी चूचियों की घाटी से ध्यान नहीं हटा पा रहा था, जिसको वो भी एक कम्पलीमेंट की तरह लेकर कॉन्फिडेंस महसूस कर रही थी।

मेरे पूछने पर उसने बताया कि सुनील देर से आएगा उसको इयरली क्लोजिंग की वजह से रुकना पड़ रहा था।
मेरे कॉल करने पर सुनील ने कहा कि पंकज घर मत आना.. आज का प्लान कैंसिल करते हैं।
इससे पहले मैं उसे यह बताता कि मैं उसके घर पर आ चुका हूँ, उसने कॉल काट दिया। हो सकता है कि वो काम में ज्यादा व्यस्त हो।

अब मैं दुशाली से कुछ कहता कि इससे पहले दुशाली ने बताया कि उसके फोन पर भी मैसेज आ गया था कि प्लान कैंसिल करते हैं.. मैं आज लेट हो जाऊंगा।

मैं दुशाली की तरफ देखने लगा.. तो पाया कि दुशाली के फेस पर कुछ शरारती सी हंसी दिखी।

मैंने उससे कहा- चलो भाभी.. मैं जाता हूँ दोस्त तो काम में बिज़ी हो गया।
दुशाली- अरे तो क्या हुआ.. खाना तो तैयार है ना.. आप खाना खा कर ही जाओ।
पंकज- नो यार.. मूड खराब हो गया है.. आज आपके पति के साथ ड्रिंक करके मूड बनाने का मन था।
दुशाली- तो क्या हुआ.. चलो हमारे साथ ले लो आज.. आपके दोस्त हमें तो कभी नहीं पिलाते हैं.. आप ही पिला दो।

यह कहकर दुशाली ने अपनी जाँघों को क्रॉस करते हुए दूध मेरी तरफ उठा दिए। उसकी भिंची हुई जाँघों को देखकर मेरा लंड खड़ा हो रहा था। मैंने सोचा इसको मेरी फीलिंग्स कैसे बताऊं.. साली कहीं ग़लत ना समझ ले।

मैं- रहने दो भाभी.. आप कहाँ पीती हो।
दुशाली- इच्छाएं तो बहुत हैं.. पर ये कहाँ पूरी करते हैं।

दुशाली की बेतकल्लुफी देख कर मेरा मन भी कुछ बेईमान सा होने लगा था।

मैंने कहा- चलो आज हम आपको कुछ नया ड्रिंक बनाकर पिलाते हैं।
दुशाली थोड़ा उत्तेजित हुई और उसने कहा- चलो अभी बहुत टाइम है.. हम लोग आराम आराम से ड्रिंक एन्जॉय करते हैं।

अब हम दोनों माहौल को एंजाय करने के लिए बैठ गए। दुशाली ने रोशनी कम कर दी और धीमा संगीत लगा दिया।

हम दोनों सोफे पर साथ बैठ गए थे… प्रोग्राम शुरू हो गया.. चियर्स से शुरू हुआ कार्यक्रम… कुछ तीन पेग पीने के बाद मैंने देखा कि दुशाली हल्के नशे में आ गई थी।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी.. आप सो जाओ आपको दारू क्लिक हो गई।
दुशाली- नहीं यार बातें करते है.. बड़े टाइम से इच्छा थी कि तुमसे खुल कर बातें करूँ।
इतना कहकर दुशाली ने मेरे कंधे में और फिर कंधे से मेरी गोद में अपना सिर रख कर बोली- मैं ऐसे लेट जाऊं.. तुम बुरा नहीं मानोगे?
मैं- नहीं.. आराम से लेटी रहो।

इतना कह कर मैं उसके बालों से खेलने लगा।

दुशाली- तुम इतने प्यारे हो तुम्हारे साथ कितना अच्छा लगता है।
मैं- आप भी प्यारी हो.. सुनील की किस्मत कितनी अच्छी है।

इसी तरह की बातें चल रही थीं कि मैंने देखा कि दुशाली का पल्लू नीचे गिर गया था। उसकी आँखें बंद थीं और उसके चुचे उसके ब्लाउज से बाहर निकल कर भागने की फिराक में लग रहे थे.. जो बड़े गोरे और मिल्की लग रहे थे।

इधर मेरे लंड से धीरे-धीरे पानी निकलना शुरू हो गया था। मैंने सोचा कि कहीं मेरे इरादे और ना बिगड़ जाएं.. इसलिए मैं दुशाली का पल्लू सही करने लगा। मैं पल्लू सही कर पाता कि इतने में दुशाली ने समझ लिया कि मेरी इच्छा क्या है। साथ ही उसकी पीठ के नीचे मेरा लंड जवान हो रहा था जो उसे महसूस होने लगा था।

वो भी अब मस्ती के मूड में आ गई थी।

दुशाली सीधी बोली- पंकज तुम कब से मेरे चुचे देख रहे हो.. फिर इन पर पल्लू क्यों रख दिया?
मैं- मुझे लगा कहीं ग़लती से गिर गया हो.. इसलिए सही कर दिया।
दुशाली- नहीं मैंने वो तुम्हारे लिए गिरा दिया था। मुझे हमेशा से पता है.. तुम्हें मेरे उभार बड़े पसंद हैं। मेरे चुचों को तुम बड़ा पसंद करते हो.. आज मौका है, सुनील नहीं है.. उससे कुछ ज़्यादा होता भी नहीं है.. आओ आज तुम और मैं मिलकर दोनों की आग बुझा लेते हैं।

इतना सुनते ही मैंने उसके चुचों पर हाथ रख दिया.. वो बड़े ही नरम-गरम थे।
यह हिंदी चुदाई स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

दुशाली- आअहह पंकज आज चालू हो जाओ.. और रुकना मत.. इतना प्यार करो कि मैं हमेशा तुम्हारी ही बन कर रहूँ.. आअहह आअहह और दबाओ.. इन्हें खोलो ब्लाउज से बाहर निकाल लो और मेरे इन प्यासे चूचों को अच्छे से चूस कर प्यार करो।

मैंने उसके ब्लाउज को खोल दिया.. वो ब्लैक पुशअप वाली ब्रा पहने हुई थी। उसकी ब्रा खोलने पर उसके गुलाबी निप्पल दिखे.. जिन्हें देखकर मैं पागल सा हो गया और उसके मम्मों को पूरी दम से मसलने और चूसने लगा।

दुशाली- अह आह.. जोर चूस लो.. मजा आ रहा है.. आअहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… पंकज लव यूउ आअहह..

मैं दुशाली को गोद में उठा कर उसके रूम में ले गया और उसकी साड़ी और पेटीकोट को उतार दिया। नीचे वो काली पेंटी पहने हुई थी.. मैं उसके होंठों को अपने होंठों से दबा कर चूसने लगा.. कभी उसकी गर्दन को चूमता.. कभी मम्मों को चाटता।

फिर मैं अपने हाथ को उसकी पेंटी के अन्दर ले गया। उसकी चुत बहुत गीली हो चुकी थी जैसे कि मेरा लंड गीला था। मैं उसकी चुत को रगड़ने लगा।

दुशाली- अया पंकज.. और तेज़्ज़्ज़्ज़ और तेज़्ज़्ज़ आअहह आहहह मत तड़पाओ मुझे चोद दो.. फक मी।

उसके बाद उसने मेरे लंड को बाहर निकाला। मेरा लंड देख कर वो खुद झुक गई और पूरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं। दुशाली बड़ी प्यासी सी होकर लंड चूस रही थी। उसे देख कर मेरा लंड और बड़ा हो गया.. मैंने उसे सीधा लेटा दिया और उसकी चुत चाटने लगा। वो बावली हो गई थी.. उसकी चुत से पानी बाहर आ रहा था।

दुशाली ने चुत उठाते हुए सिसियाया- अह.. पंकज चाटो चाट लो आआहह.. मज़्ज़्ज़ा आ गया.. सुनील को सिख़ाओ.. मैं पहली बार ऐसा अहसास कर रही हूँ आआहहह.. आहह.. खा जाओ..

वो अपने पैर पूरे खोल करके मुझे और चुत के पास खींच रही थी। मैं भी इस मूमेंट को पूरा एंजाय कर रहा था।

कुछ मिनट बाद उसने कहा- अब मत रुको अपना लंड पेल दो.. मज़्ज़ा दे दो न..

मैंने अपना लंड उसकी चुत में डाल दिया और करीबन 20 मिनट तक खुल कर सेक्स किया। झड़ कर हम दोनों बड़े संतुष्ट हो गए थे।

इसके बाद सुनील का फोन आया कि उसे दो बज जाएंगे, तो एक बजे तक हमने खूब सेक्स किया।

मेरी जिन्दगी में इस तरह की सेक्स स्टोरी ऐसे ही चलती रही..

मुझे उम्मीद है कि आपको यह सेक्स स्टोरी पसंद आई होगी.. आपके कमेंट्स का इंतज़ार रहेगा।
[email protected]