दूध भरे मम्मों वाली आंटी ने चूत चुदवा ली

हमारे घर से कुछ दूरी पर ही एक आंटी रहती थीं.. उनका नाम सीमा था। वो अपने पति के साथ दो साल पहले ही रहने आई थीं.. उनका पति एयरपोर्ट पर काम करता था और कभी-कभी उनको रात को भी काम पर जाना पड़ता था।

सीमा आंटी की पहचान मेरी मम्मी से जल्दी ही हो गई थी.. और इसी कारण सीमा आंटी हमारे घर भी आ जाती थीं। वो मुझे कभी-कभी कुछ काम के लिए कहती थीं.. तो मैं कर देता था और कभी-कभी जब मम्मी कुछ काम से भेजती थीं तो मैं उनके घर भी चला जाता था।
इस तरह मेरी जान पहचान सीमा आंटी से अच्छी हो गई थी।

फ़िर मैं अपनी पढ़ाई के लिए दूसरे शहर चला गया.. और अब आंटी से ना के बराबर मिलना हो पाता था। इन 2 साल में आंटी बहुत बदल गई थीं।
इस बार जब वो हमारे घर आईं.. तो उनका बदन भरा-भरा लग रहा था और उसकी वजह उनकी गोद में थी, उनकी गोद में छोटा सा बेबी था, शायद 5-6 महीने का होगा।

मैंने आंटी को देखते ही नमस्ते की और थोड़ी स्माइल की।
आंटी ने मेरा हाल-चाल पूछा और कहा- तुम तो बड़े हो गए हो जयंत!

मैंने आंटी से उनके बेबी का नाम पूछा और उसे अपनी गोद में लेने लगा। गोद में लेते हुए मेरा हाथ आंटी के एक मम्मे को लग गया.. पर आंटी ने कुछ नहीं कहा.. क्योंकि आंटी को शायद था कि ये गलती से हुआ है।

फ़िर वहाँ मेरी मम्मी भी आ गईं और हम दोनों को कहा- अब खड़े ही रहोगे दोनों.. या बैठोगे भी।

फ़िर मैं बेबी के साथ खेलने लगा.. मम्मी और आंटी बातें करने लगीं। थोड़ी देर बाद बेबी रोने लगा और वो चुप नहीं हो रहा था.. इसलिए मैंने उसे आंटी को पकड़ा दिया.. पर वो फ़िर भी चुप नहीं हुआ।

तो मेरी मम्मी ने कहा- शायद इसे भूख लगी है.. इसलिए रो रहा है।
आंटी ने कहा- हाँ यही हो सकता है।

फ़िर आंटी ने अपने ब्लाउज के आगे वाली तरफ़ तरफ से जहाँ हुक लगे थे.. उनमें से नीचे वाले दो हुक खोले और ब्लाउज के साथ अपनी सफ़ेद ब्रा को थोड़ा ऊपर उठा कर अपने सुन्दर से गोरे मम्मे को धीरे से बाहर निकाला और बेबी के होंठों पर लगा दिया।
अब बेबी चुप हो गया और दूध पीने लगा।

आंटी के इतने सफ़ेद मम्मों को.. जिन पर भूरे रंग का निप्पल था.. उनको इतनी पास से देखने के बाद मुझे अपना लण्ड खड़ा होता हुआ महसूस हुआ।

मैंने देखा.. आंटी मेरी मम्मी के साथ बात करते-करते मेरी तरफ़ देख रही थीं।

मैं वहाँ से उठ कर अपने कमरे में जा कर आंटी के बारे में सोचने लगा.. क्योंकि आज से पहले मैंने कभी भी असल में किसी औरत का कुछ नहीं देखा था.. मूवी में ही सब कुछ देखा था।

अब आंटी के लिए मेरा नजरिया बदल चुका था.. मैंने अपने कमरे को लॉक करके अडल्ट मूवी देखी और पहली बार आंटी के नाम की मुठ मारी।
मुठ मार कर आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

फ़िर मैं कमरे से बाहर गया और देखा कि मेरी मम्मी रसोई में हैं और आंटी अपने ब्लाउज को बन्द कर रही हैं।
आंटी ने मुझसे कहा- तुम कितने दिन बाद मुझसे मिले हो और कुछ बात भी नहीं करते।

तब मेरी मम्मी ने कहा- ये ऐसा ही है.. अपनी ही मस्ती में रहता है।
आंटी अब अपने घर जाने लगीं और मुझसे कहा- कभी आ जाया करो.. बेबी से मिलने के लिए..
मेरी मम्मी ने भी मुझे जाने को कहा।

मैंने आंटी को ‘हाँ जी’ बोला और घर से बाहर आ गया। बाहर आ कर मैं दूध वाली डेयरी पर गया और एक पैकट दूध ले कर पीने लगा। आंटी वहाँ से जा रही थीं.. तो वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगीं।

कुछ दिन बिल्कुल ऐसा ही होता रहा। फ़िर एक दिन जब आंटी आई.. तो उस दिन मेरी मम्मी बाजार गई हुई थीं।
मैंने आंटी को बैठने को बोला.. तो आंटी ने कहा- मैं बाद में आ जाऊँगी।
पर मैंने आंटी से बोला- मम्मी बस आने ही वाली हैं आप बैठ जाओ।

मैंने आंटी को सोफ़े पर बैठाया और टीवी ऑन करके उनके साथ बैठ कर बेबी के साथ खेलने लगा। आंटी सीरियल देखने लगीं.. पर मैं तो बेबी के रोने का इन्तजार कर रहा था और वो रो ही नहीं रहा था।

फ़िर मैंने जानबूझ कर बेबी को रुला दिया और आंटी को पकड़ा दिया। अब आंटी मेरे बिल्कुल साथ बैठी थीं और आंटी ने रोज की तरह अपने ब्लाउज के दो हुक खोल कर अपना दूध बेबी के मुँह में दे दिया और आंटी सीरियल देखने लगीं।

फ़िर बेबी ने आंटी के मम्मों को जोर से दबा दिया और आंटी ने ‘आउच..’ बोला।
मैंने आंटी से पूछा.. तो आंटी ने कहा- ये इस बदमाश का काम है.. बहुत तंग करता है।

इसी बहाने से मैंने बेबी को हँसाने के लिए उसके चेहरे पर हाथ लगाया और धीरे से आंटी के मम्मे को हल्का सा टच किया। आंटी को शायद पता नहीं चला कि ये मेरा हाथ है या बेबी का मुँह है।

अब मैं टीवी की तरफ़ देखता हुआ आंटी के मम्मों को धीरे-धीरे टच करने लगा। कुछ मिनट बाद मुझसे कन्ट्रोल नहीं हो रहा था। मैं उठ कर बाथरूम में गया और मुठ मार कर मैंने अपना माल निकाल दिया।

बाहर आ कर देखा.. तो मम्मी आ गई थीं।
फ़िर मम्मी और आंटी ने कुछ देर बातें की और आंटी अपने घर चली गईं।

अब मुझमें सीमा आंटी को चोदने के लिए बहुत आग लग चुकी थी.. पर मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे शुरू करूँ।

मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा.. मेरी मम्मी ने अगले दिन ही मुझे एक बरतन में सब्जी दी और कहा- जा सीमा आंटी को दे आ।

तभी मेरे दिमाग में एक प्लान आया और मैं जल्दी से अपने कमरे में गया और मैंने जाते ही अपनी पैन्ट उतार दी और अन्डरवियर भी उतार दिया। मैंने सिर्फ़ लोअर और टी-शर्ट पहन लिया।

अब मैं आंटी के घर गया और देखा कि आंटी ने सिर्फ़ घाघरा और ब्लाउज पहना हुआ है।
आंटी ने मुझे अन्दर बुला कर बैठने को बोला.. फ़िर मेरे और अपने लिए ठंडा लाकर मेरे सामने वाले सोफ़ा पर बैठ गईं।

मैंने आंटी को सब्जी दी और जाने का नाटक करने लगा।
आंटी ने मुझे रोका और कहा- कितने दिन बाद आए हो और इतनी जल्दी जा रहे हो.. ये तो गलत बात है।
आंटी ने कहा- तुम यहाँ बैठ कर बेबी के साथ खेलो और मैं बस 5 मिनट में रसोई का काम निपटा कर आई।

मैंने फ़िर से बेबी के साथ खेला और उसे रुला दिया।

तो आंटी जल्दी से आईं और मेरे साथ बैठ कर आज उन्होंने अपने ब्लाउज के सभी हुक खोल दिए, आज आंटी ने काली ब्रा पहनी हुई थी।

आंटी ने एक आम को बाहर निकाला और बेबी के मुँह में दे दिया और मुझसे बातें करने लगीं।
आंटी को पता था कि मैं उनके मम्मों की तरफ़ देख रहा हूँ।

बेबी चुप हो कर सोने लगा.. जब आंटी का ध्यान कुछ समय के लिए दूसरी तरफ़ हुआ तो मैंने बेबी को फ़िर रुला दिया.. और आंटी ने बेबी को दूसरी तरफ़ अपनी गोद में लेटाया और अब अपना दूसरा आम निकाल कर बेबी के मुँह में दे दिया।

अब मुझे आंटी के दोनों थन दिख रहे थे.. आंटी को भी ये पता था।

इधर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मेरे लोअर में तम्बू बन गया.. क्योंकि मैंने अन्डरवियर नहीं पहना हुआ था। आंटी ने मेरा लण्ड देख लिया था।
पहले तो मैंने जानबूझ कर लण्ड छुपाने की कोशिश की.. पर फ़िर आंटी से बाथरूम के बारे में पूछा।

उन्होंने बताया और मैं उठ कर बाथरूम में चला गया।
मैंने जानबूझ कर बाथरूम का दरवाजा पूरा नहीं बन्द किया और मुठ मारने लगा।

मुझे पता था कि आंटी मेरे पीछे खड़ी हैं और देख रही हैं।

मैं मुठ मारता-मारता जानबूझ कर आंटी की तरफ़ घूमा और ऐसे नाटक करने लगा.. जैसे कि सच में मुझे अपनी गलती का अहसास हो रहा हो।

आंटी ने मुझे घूर कर देखा और कहा- इसको जल्दी खत्म करके बाहर आओ।

मैं लोअर ऊपर करके बिना मुठ मारे ही आंटी के पास चला गया, मेरा लण्ड अभी भी थोड़ा खड़ा था।

मैंने आंटी से माफ़ी माँगी और कहा- आप यह बात किसी को ना बताना।
आंटी ने कहा- घबराओ मत, इस उम्र में ये सब होता है।

मुझे पता लग गया कि अब मेरा काम बस हो ही गया समझो, मैंने आंटी से फ़िर माफ़ी मांगी और कहा- आप बहुत सुन्दर हो.. आज तक मैंने किसी को ऐसे नहीं देखा है.. इसलिए ऐसी गलती हो गई।

आंटी ने मुझे पूछा- तेरी कोई गर्लफ़्रेन्ड नहीं है?
तो मैंने ‘ना’ कहा।
आंटी ने कहा- जो भी तुम्हारी गर्लफ़्रेन्ड होगी.. वो बहुत खुश रहेगी।
मैंने पूछा- ऐसा क्यों लगता है आपको?
आन्टी ने जवाब नहीं दिया..

पर मेरे बार- बार पूछने पर आंटी ने कहा- तुम्हारा ‘वो’ बहुत अच्छा है.. तुम्हारे अंकल का तो छोटा सा है।
अब मेर लण्ड दुबारा खड़ा हो गया।
आंटी के मम्मे अभी भी दिख रहे थे।

आंटी ने मुझसे कहा- तुम्हारा तो फ़िर खड़ा हो गया।
मैंने आंटी के मम्मों की तरफ़ इशारा किया।

आंटी ने कहा- अच्छा तो यह बात है.. तुमने तो इनको पूरा देख लिया।
मैं चुप रहा।

आंटी ने मुझसे कहा- तुम भी दिखाओ अपना वो..
मैंने अपना लोअर नीचे कर लिया और आंटी को लण्ड दिखा दिया।
आंटी ने लण्ड देखते ही ‘वाओ’ कहा।

फिर आंटी ने धीरे से लण्ड को टच किया और फ़िर अपने कोमल हाथों में पकड़ कर धीरे-धीरे हिलाने लगीं।

मैंने अपने लण्ड पर से आंटी का हाथ हटाया और आंटी को कसके पकड़ कर किस करने लगा।
आंटी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं।

फ़िर मैंने आंटी के मम्मों को चूसना शुरू किया तो उनमें से दूध निकलने लगा।
दूध फीका था पर अच्छा था।

आंटी अब ‘आह्ह्ह्ह… आह्ह्ह्ह.. करने लगी थीं।
मैंने आंटी को पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया और आंटी को अपने ऊपर कर लिया।
आंटी ने मेरी टी-शर्ट उतार दी और मेरे सीने पर किस करने लगीं।

कुछ पल बाद आंटी नीचे उतर गईं और मैंने जल्दी से अपना पूरा लोअर उतार दिया।
आंटी ने अपना घाघरा उतार दिया, आंटी सिर्फ पैंटी में थीं और मैं बिना कपड़ों के था।

मैं आंटी को उठा कर उनके बेडरूम में ले गया और उन्हें उल्टा लेटा कर उनकी कमर पर किस करने लगा।
आंटी तड़पने लगीं और चादर को जोर से पकड़ने लगीं।

आंटी ने उठ कर मुझे धक्का दिया और बिस्तर पर लेटा कर मेरे लण्ड पर बैठ गईं, वे अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड पर रगड़ने लगीं।

मैंने आंटी के एक मम्मे को पकड़ कर दबाया.. तो दूध की धार मेरे सीने पर आ कर गिरी.. आंटी हँसने लगीं।

फिर मैंने आंटी की पैंटी उतार दी और उनकी चूत चाटने लगा। आंटी मेरे बालों को जोर से खींचने लगीं और सिसकारियाँ लेने लगीं।

मेरा माल निकलने वाला था.. तो मैंने बिस्तर के पास पड़े एक खाली गिलास में निकाल दिया और दुबारा आंटी की चूत चाटने लगा.. पर आंटी का भी माल निकलने लगा..

मैंने थोड़ा टेस्ट किया तो मुझे अच्छा नहीं लगा और मैंने वही गिलास आंटी की चूत के नीचे लगा कर आंटी का माल भी गिलास में डाल दिया।

अब हम दोनों बिस्तर पर लेट कर एक-दूसरे को चूमते रहे।

फिर आंटी ने मेरा अण्ड पकड़ा और हिला कर खड़ा कर दिया और अपनी आँखों से निवेदन किया कि अब चोद दो बस..
मैंने भी देर नहीं की और आंटी की दोनों टाँगें फैला दीं और उनकी चूत पर अपना लण्ड रगड़ने लगा।

आंटी से मैंने कंडोम के बारे में पूछा.. तो आंटी ने बताया कि बिस्तर के दराज बॉक्स में पड़े हैं।

मैंने एक कंडोम अपने लण्ड पर चढ़ा लिया और आंटी की चूत में धीरे से लण्ड डाला। यह मेरा पहला अनुभव था जो बहुत अच्छा था।

अब मैंने आंटी के मम्मों को थोड़ा चूसा और जोर-जोर से झटके मार कर पूरा लण्ड उनकी चूत में उतार दिया।
आंटी की चीख निकल गई.. पर कोई सुनने वाला नहीं था।
उन्होंने कहा- जरा आराम से करो।

कुछ ही देर में दोनों को मजा आने लगा था।
मैंने उनकी दोनों टाँगों को अपने कंधों पर रख लिया और झटके मारने लगा।

तभी उनका बेबी रोने लगा.. उन्होंने मुझे रोका और वो जाकर अपने बेबी को ले आईं और उसे दूध पिलाने लगीं। पर मैंने उनकी गोद से बेबी को ले लिया और मैं बिस्तर पर लेट गया। मैंने अपने सीने पर बेबी को लिटा दिया और आंटी को बोला- मेरे लण्ड पर बैठ जाओ.. आराम से बेबी को दूध पिलाओ और नीचे से में आपकी चूत को चोदता हूँ।

आंटी ने वैसा ही किया और आराम से ऊपर-नीचे हो कर लण्ड अपनी चूत में लेने लगीं। जब सैटिंग ठीक हो गई.. तो मैंने आंटी को रुकने को कहा और कहा- अब आप आगे की तरफ झुक कर बेबी को दूध पिलाओ।

आंटी बेबी को दूध पिलाने लगीं और मैं धीरे-धीरे लण्ड को अन्दर-बाहर करता रहा।

जब बेबी सो गया तो उसे साइड में लेटा दिया और मैंने बहुत स्टाइल से आंटी को चोदा.. जो मैंने पोर्न मूवीज में देखा था।

उस दिन हमने दो बार चुदाई की।
आंटी बहुत खुश थीं और वे कहने लगीं- आज तक इतना मजा नहीं आया।

उसके बाद भी हम दोनों अब भी सेक्स करते हैं जब भी हमें टाइम मिलता है।

मैंने अपनी इन बातों को इन्टरनेट के फ्रेंड्स को बताईं और उनके साथ भी मैंने सेक्स किया। मेरी लाइफ में ये सब होगा मुझे उम्मीद नहीं थी।

अपने अच्छे और बुरे कमेंट मुझे भेज कर मेरी गलतियों का अहसास करवाइए.. ताकि मैं अगली बार और अच्छा लिख सकूँ।
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