जिस्म में तूफान

जब भी देख लेती है तुम्हें, यह फुदकने लगती है
तुम से मिल के कुछ करने का बाँधने लगती है समाँ

चूमने चाटने के बाद जब यह हो जाय गीली और मस्त
इसकी आग बुझा दो मेरे साजन यह तो है आतिश फिशाँ

चाट चाट के तुम बना दो इसको मदमस्त और अपनी दीवानी
फिर डाल के अंदर कर दो इसके पूरे सारे अरमाँ

चिमनी की तरह गर्म है अंदर से गीली और नर्म है
बहुत ही ज्यादा बेशर्म है बेहया है, है नादाँ

ढीठ है बहुत लाज आती नहीं मुझे सताते हुए
तुम से करवाने के लिए इसके लबों पे रहती है हाँ…