मेरी चालू बीवी-121

मेरे दिल में एक डर भी था कि कहीं इनकी आँख ना खुल जाये, ये देख ना लें।
और चूत के अंदर वो शाहरूख भाई का मजेदार मोटा लण्ड इतना मजा दे रहा था कि मैं यह खतरा भी उठाने को तैयार हो गई।

फिर चुदाई के बाद भी मैं वहीं उनसे चिपककर ऐसे ही नंगी सो गई थी, सुबह उठकर मैंने नाईटी पहनी और अंकुर के पास आकर लेट गई।

शुक्र रहा कि रात को अंकुर की आँख एक बार भी नहीं खुली वरना वो हमको उस हालत में देख लेते।

मैं उनकी बात सुनते हुए रानी को तेजी से ना चोदकर हल्के हल्के ही उससे मजा ले रहा था।

तभी उसका पति कहीं बाहर चला गया, शायद उसके पेट में दर्द हो रहा था।

अपने पति के जाते ही रानी ने अपने दिल की बात कह दी, रानी अभी फुसफुसा ही रही थी- कितना मजा आया होगा इस कमीनी को…
सुना है मुसलमानी लण्ड बहुत ही मजेदार होता है? काश मुझे भी मिल जाता!

और जैसे रानी के जीभ पर सरस्वती बैठ गई हो, उसकी इच्छा उसी पल पूरी होने वाली थी, हुआ यों कि:

हमने ध्यान ही नहीं दिया कि रानी का पति दरवाजा खुला छोड़ गया है।
तभी वहाँ से तीन आदमी अन्दर आ गए, वे कोई रिश्तेदार तो नहीं दिख रहे थे, कोई काम करने वाले ही थे, एक पहलवान टाइप आँखों में सुरमा लगाये था, साफ़ पता चल रहा था कि वो मुस्लिम ही है, 40-45 साल का भारी भरकम मर्द था।

शमीम नाम था उसका, बाद में पता चला था।

दूसरा भी 30-32 का होगा, लम्बा पर कुछ पतला, उसकी तो दाढ़ी ही बता रही थी कि वो भी मुस्लिम है, अफज़ल मियां बोल रहे थे उसको…

और तीसरा एक 18-18 साल का लड़का था, बहुत ही खूबसूरत, लड़की की तरह चिकना, सलमान नाम था उसका…

उनकी बातों से पता चला कि वो दोनों उसी लड़के की गाण्ड मारने उस कमरे में आये थे।

अफज़ल- वाह रे… यहाँ तो पहले से काम चल रहा है बे… क्या चिकनी परी है… यह तो इसकी गांड मार रहा है।

उनकी आवाज सुनते ही हम दोनों अलग हो गए, मेरा दिमाग ने एकदम से काम किया, पलटकर अपना लण्ड रानी की चूत से निकालकर खड़ा हो गया।

रानी भी चौंक गई थी और डर के मारे वैसे ही पलट कर उलटी लेट गई, उसने अपना सिर अपने हाथों के बीच छुपा लिया था मगर उसकी नंगी कमर और चूतड़ सब दिख रहे थे।

तीनों हमारे पास आकर खड़े हो गए, शमीम ने दरवाजा बंद कर दिया था।

उनको देखकर मुझे कोई खास डर तो नहीं लग रहा था पर दूसरी जगह होने से बदनामी का डर था।

शमीम- क्यों बे, कहाँ से लाया इसको? बहुत कड़क माल है यार!

मुझे कोई बहाना ही नहीं सूझा, मुझसे यह तक नहीं कहते बना कि हम मियां बीवी हैं।

अफज़ल ने रानी के नंगे चूतड़ों को दबाया और बोला- शमीम भाई… पटाका है ये तो… बेटा सलमान आज तेरी गांड बच गई… आज तो इस चिकनी को ही चोदेंगे।

रानी जो अभी तक ना जाने क्या क्या बोल रही थी, अब उसकी फटने लगी- नहींईई ईईईई… मुझे जाने दो!

शमीम- साली, अगर जरा भी चूं चपर की तो तेरा सींक कवाब बनाकर खा जायेंगे।

मेरा लण्ड तो उनको देखकर ही ढीला हो गया था। हमारे कमरे से इतनी आवाजें सुनकर मैं यह भी भूल गया था कि बराबर के कमरे में सलोनी और मामाजी हैं, वे लोग हमें वैसे ही झांककर देख सकते हैं जैसे अभी कुछ देर पहले तक हम उनको देख रहे थे।

कुछ ही देर में शमीम और अफज़ल दोनों नंगे हो गए, उनके लण्ड देखकर अभी-अभी सलोनी के मुख से सुना शाहरुख का लण्ड भी याद आने लगा।

बड़े ही अजीब से थे दोनों के लौड़े… शमीम का बहुत मोटा और काला कोई 7 इंच का होगा। पर अफज़ल का था तो पतला पर दस इंच का होगा।
दोनों के ही छिले हुए केले जैसे चिकने थे, उनके टोपे चमक रहे थे।

उन दोनों ने रानी को अपने बीच में दबा लिया और मैं और सलमान दोनों खड़े होकर उनको देख रहे थे।

मैं अभी भी पूरा नंगा था और फिर से मेरे लण्ड ने सर उठाना शुरू कर दिया था।

रानी ने पहले तो दोनों का विरोध किया पर एक उसके बदन पर मर्दाने हाथ लगते ही वो चुप हो गई।

अब दोनों उसके दोनों ओर बैठे एक एक मम्मे को चूस रहे थे और रानी भी गौर से उनके लण्डों को निहार रही थी।

तभी शमीम ने रानी का एक हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया।

मैंने देखा कि अब तक ना नुकुर कर रही रानी ने उसके लण्ड को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया।

मैं यह सोच रहा था कि अगर रानी एक बार भी बचाने को बोलती तो चाहे जो होता, मैं उसको इतने लण्डों से चुदने से बचा लेता।

मगर जब मैंने देखा कि वो इस खेल में मजा ले रही है तो मैंने उसके आनन्द में खलल नहीं डालने की सोची।

मैंने चुपचाप उस दरवाजे की ओर देखा और जैसे हम देख रहे थे, अब सलोनी और मामाजी…
कहानी जारी रहेगी।