विनीता का मुख और गांड का चोदन-2

कुछ क्षणों के पश्चात् मुझे ऐसा लगा कि मेरा लंड किसी गर्म भाप वाली भट्ठी में चला गया है। मैंने अपने लंड को विनीता के होंठों की गिरफ्त में पाया। अब विनीता मेरा लंड चूसना शुरू कर चुकी थी।
मैंने अब उसको मजा लेने दिया और खुद उसकी चूत पर भिड़ गया। कुछ ही देर में मेरा मुँह उसके चूत से निकले माल से भर गया और मैं उसे पी गया। एक गर्म माल के चूत का माल बहुत एनर्जेटिक होता है लिहाजा मैंने उससे ऊर्जा पाकर और मजे से चूत चूमने और चाटने लगा।

फिर मैंने अपने चेहरे को उसकी चूत से उठाया और थोड़ा आगे बढ़ कर उसकी गांड के छेद पर अपने होंठ रखे और उसकी गांड के छेद का थोड़ा खोल कर उसमें अपनी जीभ को नुकीला कर डाल दिया।
मेरे लंड को चाटने और चूसने में मस्त विनीता मेरी इस हरकत से चिहुँक उठी और उसके मुँह से मेरा लंड बाहर आ गया, उसे अपनी गांड में गुदगुदी सी लगी, उसने कहा- क्या करते हो?
मैंने उसकी गांड से अपने चेहरा हटाया और पूछा- मजा आ रहा है ना डार्लिंग?
उसने कहा- हाँ।
मैंने कहा- फिर तुम मेरा लंड चाटो और मुझे अपना काम करने दो।

विनीता मेरा लंड चाटने लगी और मैं उसकी गांड का मजा लेने लगा। थोड़ी देर में मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने विनीता से लंड को मुँह में ले कर चूसने को कहा। उसने मेरा लंड चाटना छोड़ा और चूसने लगी। उसी समय उसके चूत ने फिर माल उगल दिया लेकिन मेरा मुँह चूँकि उसकी गांड पर था लिहाजा यह चूतामृत मेरे गले पर ही विसर्जित हो गया।

मैंने अब अपनी टांगों से विनीता के चेहरे को कस दिया ताकि मेरे झड़ते समय साली अपने मुँह से मेरा लंड न निकाल सके। फिर जब मुझे लगा कि अब मेरा माल निकलने वाला है तो मैंने अपने लंड को विनीता के मुँह में और आगे धक्का दिया। मेरा लंड उसके हलक तक पहुँच गया और मेरे लंड से भी माल निकल गया और सीधे विनीता के हलक से होते हुए उसके पेट में चला गया. मैंने अपनी टांगों को उसके चेहरे से तब तक कसे रखा जब तक कि मुझे अपना पूरा लंडामृत उसके अंदर चले जाने का भरोसा नहीं हुआ।

मैंने उसकी चूत को चाट कर साफ किया और अपनी टांगों के बंधन को खोल कर लंड उसके मुँह से बाहर किया और उसे अपना लंड चाट कर साफ करने को कहा। विनीता अब मेरा लंड चाटने लगी और चाट चाट कर साफ कर दिया।
फिर मैं उठा और विनीता के हाथों को पकड़ कर वाशरूम में ले गया और हमने अपने मुँह और बाकी शरीर को साफ किया और बेडरूम में आ गये और अपने कपड़े पहन लिए।

मैं बहुत संतुष्ट था कि मैंने दो दिन के भीतर ही विनीता के दो छेदों का मजा ले लिया और अब विनीता भी दवा के असर न होने के बावजूद मुझसे आराम से चुदवाने लगी। मुझे लगा कि इसे अब तक कोई कायदे का मर्द ही नहीं मिला था जो इसे चोद सके।
अब मेरा अगला टारगेट साली की मस्त गांड का उद्घाटन करना था। मुझे विश्वास था कि यह शुभ काम भी आज ही सम्पन्न हो जाएगा।

कुछ ही देर में रेस्तराँ का डिलीवरी बॉय आ गया, मैंने अपने हाथों से विनीता को खिलाना शुरू कर दिया ताकि उसके मन में मेरे प्रति प्यार और भी बढ़े। किसी माल के गदराये बदन का मजा लेने के लिए इस तरह की नौटंकी करनी ही पड़ती है।
कुछ देर बाद उस साली ने भी अपने हाथों से मुझे खिलाना शुरू कर दिया। हम इस समय बिल्कुल पति-पत्नी की तरह बर्ताव कर रहे थे। वो भी अब मुझसे काफी खुल कर बातें कर रही थी। उसकी झेंप अब समाप्त हो गयी थी। इतना चुदने के बाद ऐसा होना स्वाभाविक ही था।

खैर लंच समाप्त होने के बाद हम फिर बेडरूम में आ गये। हम अब थोड़ा आराम करना चाहते थे। मैंने विनीता को उसकी पीठ की तरफ से बाँहों में लिया और उसकी उसी गांड पर अपना लंड सटा कर लेट गया जिसका थोड़ी देर बाद उद्घाटन होना था। उस साली ने भी अपनी गांड पर मेरे लंड को महसूस किया और थोड़ा और मेरी तरफ सरक आयी जिससे मेरा लंड उसकी गांड की दरार में सेट हो गया।
मैंने विनीता का चेहरा अपनी ओर घुमाते हुए उसका भरपूर चुम्बन लिया और और उसे बाँहों में लिए लिए ही सो गया।

लगभग दो घंटे की भरपूर नींद के बाद मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि विनीता अभी मुझसे चिपकी हुई सो रही थी। मैंने धीरे से उसको अपने से अलग करना चाहा क्योंकि मुझे वाशरूम जाना था लेकिन इससे विनीता की भी नींद टूट गई।
मैं उठ कर वाशरूम में आ गया, वो साली भी मेरे पीछे पीछे आ गयी। जब मैंने मूतना शुरू किया तो विनीता ने मेरा लंड पकड़ लिया और मुझे मूत कराने लगी। जब मैंने मूत लिया तो विनीता भी मूतने लगी।
मूतने के बाद हम दोनों ने अपना लंड और चूत साफ किया और बेडरूम में आ गये।

अब मैंने विनीता को पकड़ कर जबरदस्त चुम्बन लिया और उसके कपड़े उतारने लगा। वो समझ गयी कि फिर उसकी चुदाई होने वाली है। उसे नंगी करने के बाद मैंने उसे मेरे कपड़े उतारने को कहा।
विनीता ने मेरे कपड़े उतारने शुरू दिया। कोई लड़की जब अपने पार्टनर के कपड़े खोलती है तो वो दृश्य भी बहुत मजेदार होता है। खैर अब हम दोनों नंगे हो चुके थे। मैंने विनीता को गरम करना शुरू कर दिया। वैसे भी उसको नया-नया लंड का चस्का लगा था लिहाजा वो बहुत जल्दी गर्म हो गयी। इसका प्रमाण यह था कि उसने बिना मेरे कहे मेरे लंड को अपने मुँह में लिया और चूसने चाटने लगी।

मैंने उसे थोड़ी देर तक लंड चटाई करने दी, फिर मैंने उसे डॉगी स्टाइल में ला दिया। विनीता अब अपने चेहरे को एक तकिये पर रखकर अपनी गांड को कुतिया की तरह ऊपर किये मेरे सामने थी। मुझे उसे कुतिया बने देख मजा आ गया। जिस विनीता के सामने उसके ऑफिस के सारे बंदे काँपते थे वो साली आज मेरे सामने कुतिया बन कर चुदवाने को तैयार थी।

मैंने उसके चूतड़ों पर कुछ तेजी से थप्पड़ मारे, उसके मुँह से चीख निकल गयी लेकिन उसे शायद अच्छा भी लगा क्योंकि उसने मुझसे ऐसा न करने के लिए नहीं कहा। अब मैंने अपने पर थूक लगाया और उसे विनीता की चूत में एक ही बार में पेल दिया। विनीता के मुँह से बहुत तेज चीख निकली। शायद उसे अंदाजा नहीं था कि मैं एक बार में ही अपना लंड उसकी चूत में पेल दूंगा। वो आगे की ओर सरकना चाहती थी लेकिन मैं अब उसके ऊपर कुत्ते की तरह चढ़ चुका था। मैंने उसे भागने नहीं दिया और कुत्ते की तरह उसे चोदना शुरू कर दिया।

विनीता चिल्ला रही थी लेकिन मैं बहरा बन कर उसे पेल रहा था। थोड़ी देर में विनीता भी इस स्टाइल का मजा लेने लगी। अब मैं रूक गया और विनीता को अपनी गांड आगे-पीछे करने को कहा। अब विनीता अपनी गांड हिला-हिला कर मुझसे चुदवा रही थी।

कुछ देर बाद वो झड़ गई तो रूक गयी लेकिन मेरा काम अभी नहीं हुआ था। मैंने अपना लंड विनीता की चूत से बाहर निकाला और बेड से नीचे आ कर खड़ा हो गया। मैंने अब उस साली को खींच कर बिस्तर के किनारे लाया और उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख कर लंड को फिर उसकी चूत में पेल दिया और खड़े खड़े चोदना शुरू कर दिया।
विनीता आह आह कर चुदवा रही थी।

फिर मैंने उसकी चूत से अपना लंड निकाला और उसके चूचियों पर अपना माल निकाल दिया और उसे धक्का देकर बेड के बीच में किया और खुद भी उसके पास आकर बैठ गया। मैंने अब अपने माल को उसकी चूचियों में पर मल दिया।
विनीता चुपचाप ये सब देख रही थी। हो सकता है उसे मेरा ऐसा करना अच्छा न लगा हो लेकिन साली मेरे लंड जाल में फँसने के बाद कर ही क्या सकती थी।

कुछ देर आराम करने के बाद मैंने घड़ी देखी तो साढ़े चार बज चुके थे। चूँकि नवम्बर का महीना था लिहाजा थोड़ी देर में अंधेरा हो जाता। मैंने विनीता को देखा, साली पूरी तरह नंगी और आँखें बंद किये मेरे बाजू में पड़ी थी।
मैंने उससे कहा कि मैं थोड़ी देर के लिए बाहर जाना चाहता हूँ।
उसने इशारे से हामी भरी।

मैंने उठ कर अपने कपड़े पहने और उसे नंगी ही छोड़ कर बाहर आ गया। मैं मन ही मन उसकी कुंवारी गांड मारने का प्लान बना रहा था। मैं उसे ये बताना नहीं चाहता था कि मैं उसकी गांड मारना चाहता हूँ क्योंकि मुझे संदेह था कि वो मानेगी।
हालाँकि मैंने उसे ब्लू फिल्मों में गांड मारने के दृश्य दिखा कर उसे बताना चाहा था कि सेक्स में यह सामान्य बात है, फिर भी मुझे उसके राजी होने पर संदेह था। चूँकि अगले दिन ही मुझे निकलना था लिहाजा आज रात मैं उसकी गांड किसी तरह मारना चाहता था।

बहुत सोचने विचारने के बाद मैंने विनीता की गांड मारने की अन्तिम योजना बना ली। मैंने पहले तो एक खास प्रकार की एक ट्यूब ली जिसमें चिकनाई पैदा करने वाली जेली थी, फिर मैंने विनीता के लिए आई पिल ली क्योंकि उसकी इतनी भरपूर चुदाई बिना कंडोम के ही हुई थी। कुछ और काम निपटाने के बाद मैं वापस विनीता के घर आ गया।

साली सज-धज कर बैठी थी जैसे बीवियां अपने पति का इंतजार करती हैं। मैंने जाते ही उसे अपनी बाँहों में कस लिया और दीवार से लगा कर भरपूर चुम्बन लिया। मुझे लड़कियों को दीवार से सटा कर चूमने में बड़ा मजा आता है।
इस गहरे चुम्बन के बाद विनीता ने खुद को मुझसे छुड़ाया ओर कहा- आज डिनर के लिए बाहर चलते हैं।
मुझे क्या एतराज हो सकता था।

मैंने विनीता की कार की ड्राइविंग सीट सम्भाली और विनीता मेरे बगल में बैठ गयी। साली ने आज हल्के ब्लू कलर की टाइट साड़ी पहनी थी जिसमें उसकी मस्त गांड उभरी हुई दिख रही थी जिसका मुझे आज उद्घाटन करना था।
गाड़ी स्टार्ट की मैंने और विनीता का हाथ पकड़ कर अपनी पैंट के ऊपर से ही लंड पर रख दिया। एक बार तो उसने मेरा हाथ हटा दिया लेकिन दूसरी बार मैंने उसका हाथ पकड़ कर मजबूती से अपने लंड पर दबाये रखा और कुछ देर बाद अपना हाथ हटाया और मेरा लंड सहलाने को कहा।
“तुम बहुत ही बदमाश हो!” कहते हुए साली ने मेरा लंड सहलाना शुरू कर दिया. मैंने मस्ती में उसे अपने और करीब खींचा और उसके गले में अपना बांया हाथ डाल कर उसकी चूचियों से खेलते हुए कार ड्राइव करने लगा।

मेरी इस हरकत से विनीता की पैंटी गीली हो गई। उसका वश चलता तो वह कार में ही चुदवा लेती।

खैर हम दोनों ने एक रेस्तरां में डिनर लिया और लगभग नौ बजे वापस आ गये।
चेंज करने के बाद हम दोनों बेडरूम में आ गये। बेड पर आते ही विनीता मेरी गोद में आ गयी, उसकी गांड मेरे लंड पर थी, मैंने उसे प्यार करना शुरू कर दिया लेकिन उस साली को लंड का ऐसा चस्का लग गया था कि वो पहले से ही गर्मा गई थी।

लेकिन मैंने उसके चिकने और सेक्सी बदन का भरपूर मजा लिया। अब विनीता मुझसे लंड की भीख माँगने लगी। उससे अपना लंड चुसवाने के बाद मैंने उसे गोद में उठाया और बिस्तर के बार खड़ा कर दिया। फिर मैंने उससे अपने दोनों हाथ बेड पर रख कर झुकने को कहा।
उसने मेरे कहे अनुसार किया और घोड़ी बन गयी।

घोड़ी बनी हुई विनीता के पीछे मैं खड़ा हो गया। मैंने देखा साली के मस्त और चिकने गोरे चूतड़ चमक रहे थे। मैंने झुक पहले उसके चूतड़ों को चूमा हल्के से काटा और उसकी नंगी पीठ पर कई चुम्मियाँ लीं।
इसके बाद मैंने विनीता की गांड पर कई थप्पड़ मार और उसकी गांड लाल कर दी। उसके मुँह से चीख तो निकलल रही थी लेकिन चूत में लगी आग के आगे उसे कुछ खास दर्द नहीं महसूस हो रहा था, उसे उस समय केवल मेरे लंड की आवश्यकता थी।

मैंने एक हाथ में जेली वाली ट्यूब ली और उसे खोल लिया। फिर मैंने अपने लंड का सुपारा विनीता की चूत में सेट कर आगे बढ़ाया, विनीता ने अपनी चूत में मेरा लंड महसूस किया और अपनी गांड हिला हिला कर उसे अपने अंदर लेने लगी। मैंने उसकी मदद करते हुए अपना लंड तेजी से उसकी चूत के जड़ तक पहुँचा दिया।

विनीता को मजा आ गया और वो अपनी गांड हिलाने लगी। मैंने भी तेजी से अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। विनीता मजे से चुदवाने लगी जबकि मैं चोद तो रहा था उसकी चूत लेकिन ध्याान उसकी मस्त गांड के छेद पर था।
मैंने अब अपना काम करना शुरू किया, मैंने अपने दाहिने हाथ में जेल वाली ट्यूब ले ली आ विनीता की गांड के छेद पर उसे लगा दिया। मेरे हर धक्के पर विनीता के गांड का छेद खुल जाता था। मैंने इसी का लाभ उठाया, ज्यों ही साली की गांड का छेद खुलता, त्यों ही मैं उस जेली को दबा देता और वो विनीता की गांड के अंदर चला जाता था। विनीता अपनी चुदाई में इतनी मस्त थी कि उसे अपनी गांड में किसी लिक्विड के डाले जाने का पता ही नहीं चला, बेचारी आँखें बंद किये ऊह-आह कर रही थी। उसे भनक तक नहीं थी कि उसकी गांड मारे जाने का षड़यन्त्र रचा जा चुका है।
चूँकि मेरा ध्यान चुदाई में कम उसकी गांड में जेली डालने में ज्यादा था लिहाजा मेरे झड़ने का समय देर होता जा रहा थ जबकि इस बीच विनीता दो बार झड़ चुकी थी।

विनीता की गांड के छेद में पूरी जेली डालने में लगभग पाँच मिनट लगा। कुछ जेली उसकी गांड से बाहर आने लगी।

अब मैं अंतिम प्रहार को तैयार था, अब ट्यूब में से जेली समाप्त हो गयी थी, मैंने ट्यूब को फेका और अपना बांया हाथ विनीता की कमर में डालकर मजबूती से पकड़ लिया। मेरे धक्के से जब विनीता के गांड की छेद खुली तो उसी समय मैंने अपना लंड विनीता की चूत से निकाल कर उसकी गांड पर रखा और एक जोरदार धक्का दिया। मेरा लंड विनीता की चूत के पानी से गीला था ही और जेली के कारण विनीता की गांड भी चिकनी हो गई थी। लिहाजा मेरा लंड एक ही बार में विनीता की गांड में जड़ तक घुस गया। मस्ती से अपनी चूत चुदवा रही विनीता को पहले तो कुछ समझ में ही नहीं आया कि हुआ क्या है। फिर अपनी गांड में मेरे लंड के घुसे होने का अहसास हुआ तो साली कटते हुए बकरे की तरह चिल्लाई।

चूँकि कमरा साउंडप्रूफ था लिहाजा मैंने उसके चिल्लाने की कोई परवाह नहीं की। वैसे भी साली की गांड में पहली बार लंड गया था और उसकी गांड फट रही थी तो उसका चिल्लाना स्वाभाविक ही था। विनीता ने आगे हो कर भागने की कोशिश की लेकिन उसकी कमर को मैंने मजबूती से पकड़ा था लिहाजा साली के मुझसे मुक्त होने की कोशिश नाकाम रही ओर उसे मजबूरी में गांड मरवानी ही पड़ी।

मैं अपनी इस सफलता से बहुत खुश था और पूरे उत्साह से विनीता की गांड मारने लगा। गांड फटने के कारण साली चिल्ला रही थी लेकिन मैं पूरी तसल्ली से उसकी गांड मारता रहा।
कुछ देर के बाद उस साली को भी मजा आने लगा और वो अपनी गांड आगे-पीछे करने लगी। अब मैंने उसके कमर से अपने बायें हाथ को हटा दिया और उसकी बायीं चूची पकड़ कर मसलने लगा और दायें हाथ की दो उंगलियों को विनीता की चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगा।

अब विनीता की चूत और गांड दोनों एक साथ चुद रही थी और साथ ही उसकी चूची भी मसली जा रही थी। अब हम दोनों को भरपूर मजा आ रहा था। विनीता जिस तरफ मुँह किये चुदवा रही थी उसी के सामने दीवाल पर एक आदमकद आईना लगा था जिसमें हमारी चुदाई दिख रही थी।
मैंने विनीता से पूछा- कैसा लग रहा है मेरी जान?
विनीता हाफँते हुए बोली- पागल तो कर देते हो रोहित!

मैंने उसे अपनी आँखें खोल कर शीशे में देखने को कहा। विनीता ने अपनी आँखें खोली और खुद को घोड़ी बनकर गांड मरवाते देखा और झेंप कर फिर आँखें बंद कर ली।
मुझे भी ये शीशे में देखकर मजा आ गया। मैंने विनीता की गांड मारने की रफ्तार तेज कर दी, साथ ही उसकी चूत में अपनी उंगलियां भी तेजी से चलाने लगा।

कुछ देर में मैंने अपना माल विनीता की गांड में छोड़ दिया। दूसरी ओर विनीता के झड़ने से मेरी उंगलियां गीली हो गयी। भरपूर ठुकाई के चलते विनीता लस्त-पस्त हो गयी। खास कर गांड मारे जाने के चलते उसकी हालत और खराब हो गई।
मैंने थोड़ा आराम किया और उस साली को अपनी गोद में उठा कर बाथरूम में ले आया और बाथटब में गर्म पानी खोल कर उसमें विनीता के साथ बैठ गया। गर्म पानी से मैंने विनीता को खूब नहलाया और प्यार से उसके शरीर को सहलाया जिससे उसकी हालत में काफी सुधार हुआ और वो मुझे चूमने लगी। कुछ देर में हम बाथटब में ही गर्म हो गये और एक राउण्ड चुदाई वहाँ भी हुई। फिर हम नहा कर बाथरूम से बाहर नंगे ही आए और मुलायम कम्बल में घुस कर एक दूसरे से चिपक कर गहरी नींद में सो गये।

रात के लगभग दो बजे मेरी नींद खुली तो मैंने देखा विनीता जगी हुई है और मेरे लंड से खेल रही है। फिर क्या था… चुदाई का दौर फिर शुरू हुआ और मैंने विनीता की चूत और गांड रात भर कई तरीकों से मारी। चुदाई का ये दौर सुबह होने तक चला फिर मैं सो गया।

मेरी नींद लगभग 11 बजे खुली तो देखा कि विनीता पहले ही उठ गयी थी। ऐसा लगता था कि कायदे से चुद जाने के उसकी ऊर्जा में वृद्धि हो गयी है।
उसने मुझसे फ्रेश होने को कहा।
मैं फ्रेश होकर आया फिर हम दोनों साथ ही नाश्ता किया।

अब मेरे जाने का समय हो चुका था और विनीता भी आधे समय की छुट्टी के बाद ऑफिस जाने की तैयारी में थी। हमने एक गहरा चुम्बन लिया और अलग हो गये। हालाँकि हम दोनों के मन में था कि जाते जाते एक राउण्ड हो जाय।

विनीता ने मुझे अपनी गाड़ी से मुझे स्टेशन छोड़ दिया। मैंने रास्ते उससे फिर लंड सहलवाया और उसकी चूचियां मसली। उसने बताया कि उसकी पैंटी गीली हो गई है।
मैं ट्रेन में अपना सामान रख कर वाशरूम में घुस गया और विनीता के सहलाए जाने से खड़े लंड को मुठ मार कर शांत किया।

उधर विनीता को भी ऑफिस में जाते ही वाशरूम में घुसकर अपनी चूत में उंगली करनी पड़ी। उसने मुझे बाद में ये बताया था।

अब उस साली को लंड का स्वाद मिल गया था लेकिन अपनी पोजीशन के कारण वह किसी से भी तो चुदवा नहीं सकती थी, इसका फायदा मुझे मिला, मैं हर दस पंद्रह दिन पर जयपुर जाया ही करता था। अब मैं होटल के बजाय विनीता के ही पास चला जाता। वो भी जैसे मेरे लिए प्यासी रहती थी। मैं उसे जयपुर में अपनी बीवी की तरह इस्तेमाल करता था। उसके साथ मेरी चुदाई रात भर चला करती थी।

मैं उसको तुष्ट करने के लिए उसे पहले अपने लंड की सवारी गांठने को कहता। भाई चाहे खरबूजा चाकू पर गिरे या चाकू खरबूजे पर। कटना तो खरबूजे को ही होता है। तो वो साली मेरे नीचे रहे या ऊपर, चुदना तो उसकी चूत को ही था। वैसे भी जब वो ऊपर होती थी तो थोड़ी देर तक अपनी गांड हिल कर मुझे चोदने के बाद थक जाती थी फिर मैं उसे मनचाहे ढंग से चोदता था।

अब विनीता जयपुर में मेरी पर्सनल रंडी बन चुकी है। हम दोनों एक साथ छुट्टियाँ मनाने शिमला, गोवा, डलहौजी, ऊटी जैसी जगहों पर भी जा चुके हैं जहाँ हम पति-पत्नी की तरह रहते। इन छुट्टियों में भी उस साली की भपूर चुदाई होती थी।
अब तो उसकी गांड और मस्त हो गई है, अब मैं पहले उसकी गांड ही मारता हूँ।

सबसे बड़ी बात यह कि मुझसे अच्छी तरह चुद जाने के बाद विनीता के स्वभाव में भी काफी परिवर्तन आ गया है। उसके स्वभाव में जो अकड़ थी वो खत्म हो गई है और अब वो अपने ऑफिस में भी सबसे अच्छी तरह मिलती जुलती और बातें करती है। शायद मेरी चुदाई से उसकी मानसिक ग्रन्थि ठीक हो गई।

खैर मेरा तो लाभ ही लाभ है। जयपुर में होटल और खाने का खर्च तो बचता ही है साथ में विनीता जैसी माल भी चोदने को मिलता है। रही बात बिजनेस की तो विनीता के मामले में मुझे कोई आर्थिक लाभ तो नहीं मिलता लेकिन उस साली को पेल कर मैं इसकी भरपाई कर लेता हूँ। फिलहाल तो ऐसा ही चल रहा है और विनीता की चूत की ठुकाई चल रही है। देखें कब तक ऐसा चलता है।
मेरी गांड चोदन कथा कैसी लगी?
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