चाची के साथ हिंदी में सेक्स, हिंदी चुदाई की कहानी

मैं जब भी चाची के घर जाता हूँ तो मेरी चाची मुझे बड़े प्रेम से बैठाती हैं, मुझसे बात करती हैं और मुझे चाय पिलाती हैं।

चाची की उठी हुई गांड के चलते मेरा लंड बहुत मजबूर था। इसलिए मैं प्रयास करता था कि किसी भी तरह का काम करते वक्त चाची को टच करूँ। इस पर मेरी चाची कोई विरोध भी नहीं करती थीं।

मेरी चाची बहुत ही हँसमुख स्वभाव की थीं। मेरी चाची के घर में ही मेरी दादी माँ भी रहती थीं। दादी माँ बहुत भक्ति भाव वाली थीं। उनका पूरे दिन पूजा-पाठ चलता रहता था।
चाचा का थोक का कपड़े का व्यापार था। उधर चाचा जी को पूरे दिन काम की पड़ी रहती थी, वो रात को दस बजे तक घर वापस आते थे और सुबह 11 बजे चले जाते थे। चाचा जी दोपहर में भी घर नहीं आ पाते थे।

चाची की शादी को 18 साल हो गए थे अब तक कोई बच्चा नहीं हुआ था, उन्होंने बहुत दवाईयां लीं.. पर कोई फायदा नहीं हुआ था।
जब भी मैं अपनी चाची से पूछता था कि चाची आपको बच्चा क्यों नहीं होता है?
तो चाची बोलतीं- क्या मालूम.. हमारे नसीब में औलाद होगी ही नहीं, इसमें मैं क्या कर सकती हूँ!

एक दिन इसी तरह की बात पर जब मैंने उनसे बच्चे के लिए पूछा तो चाची मेरी सामने घूरने लगीं।
मैंने एक टोटका बताते हुए कहा कि ऐसा कर देने से बच्चा हो ज़ाता है।
तो चाची पूछने लगीं- तुम्हें किसने बोला कि ऐसा करने से बच्चा हो जाता है?
मैंने कहा- सब बोलते हैं।

चाची बोलीं- बात तो तेरी सही है.. लेकिन मुझे बच्चा फिर भी नहीं होगा।
मैंने पूछा- क्यों?
चाची बोलीं- जो तू बोल रहा है ना.. मैंने वो भी कर लिया है।
‘तो प्राब्लम क्या है?’
चाची बोलीं- प्राब्लम तेरे चाचा में है।

मैंने बोला- ओह.. तो क्या अब कुछ नहीं हो सकता?
तो बोलीं- हो तो सकता है, पर..!
मैंने बोला- पर.. क्या?

इस पर वो कुछ नहीं बोलीं, बस खड़ी हो गईं और जाने लगीं।
मैं उनसे जानने की कोशिश करता रह गया और वो बिना कुछ बोले सब्जी लेने बाजार चली गईं।

मैं भी चला गया.. पर मुझे अपने दिल में आग सी लग गई थी। घर पहुँचने के बाद मैंने सोचा तो समझ आया कि चाची क्या बोल रही थीं, उनके ‘हो तो सकता है..’ का मतलब शायद ये था कि उनके साथ चाचा के अलावा कोई और सेक्स करे, तो बच्चा हो जाएगा। मतलब चाचा बच्चा पैदा करने में अक्षम थे।

मैं दूसरे दिन चाची के घर गया, तो उस वक्त दादी माँ सोफे पर जाप कर रही थीं।
दादी ने मुझे देखा तो कहा- आओ आशीष बेटा.. कैसे हो?
मैंने बोला- ठीक हूँ।

मैं चुपचाप बैठ गया और कुछ नहीं बोला तो दादी मुझे गुमसुम देख कर बोलीं- यदि तुम्हें टीवी देखना है.. तो मैं दूसरे कमरे में चली जाती हूँ।
मैंने बोला- ठीक है।

तो दादी चली गईं.. थोड़ी देर के बाद चाची आईं और बोलीं- अरे आशीष कब आए, कैसे हो!

मैंने मुस्कुरा कर चाची को देखा, आज चाची बड़ी मस्त लग रही थीं। वे येल्लो साड़ी पहने हुए थी और एकदम पटाखा लग रही थीं।
मैं उन्हें घूरने लगा तो चाची हँसते हुए किचन में चली गईं और मेरे लिए पानी लेकर आईं।

मैंने पानी पिया और उनकी तरफ देखने लगा। वे भी कुछ देर मेरे बोलने का इन्तजार करती रहीं।

मैं बोला- दादी माँ क्या अब बाहर आएँगी?
चाची ने कहा- अब शायद दो घंटे तक बाहर नहीं आएँगी।

मैं समझ गया कि मौका है। फिर मैं उधर से उठ कर छत पर चला गया। चाची की छत की दीवारे ऊँची उठी हुई थीं। मैंने ऊपर जाकर छत का दरवाजा देखा.. वो बंद था।

वहाँ एक टीन शेड के नीचे सब पुराने कपड़े, चाचा का सामान आदि सब फ़ालतू सामान पड़ा रहता था। उधर काफ़ी जगह खाली भी थी।

मैं वहाँ जाकर वहाँ बैठ गया.. मुझे पक्का मालूम था कि चाची यहाँ जरूर आएंगी। अभी मैं दस मिनट ही बैठ पाया कि और चाची नींबू पानी का शरबत लेकर आईं और हँस कर बोलीं- अच्छी जगह पर बैठे हो!
मैंने लंड सहलाते हुए बोला- हाँ आप भी बैठो ना!
चाची ने मुझे लंड सहलाते हुए देखा तो वे बोलीं- एक बार नीचे दादी माँ क्या कर रही है.. मैं देखकर आती हूँ।

मैं समझ गया, आज सब कुछ हो सकता है। तभी उनके आने की आहट हुई तो मैंने देखा कि चाची ने छत का दरवाजा को लॉक कर दिया था।

चाची ऊपर आईं और मेरे सामने पड़े गद्दे पर बैठ गईं। मैं खड़ा हो गया.. तो मेरा लंड कुतुब मीनार की तरह खड़ा था। चाची का ध्यान सीधे मेरे लंड पर गया, तो चाची के जिस्म से हल्की सी सीत्कार निकल गई।

मैंने उनकी आँखों में देखा तो उन्होंने नजरें नीचे कर लीं। मैं सीधा चाची को लिटाते हुए उनके ऊपर चढ़ गया।

चाची धीरे से बोलीं- आशीष, यह क्या कर रहा है?
तो मैंने बोला- वही जो मुझे बरसों पहले कर लेना चाहिए था।
चाची हँस दीं और बोलीं- तुम्हें मालूम है मैं तुम्हारी क्या लगती हूँ.. मैं तुम्हारी चाची हूँ।
मैंने बोला- जो भी हो, फिलहाल तो मुझे अपने मन की करने दो।

फिर मैंने उनके मम्मों पर अपना हाथ फेरा और उनको किस करके उन्हें देखने लगा।
तो चाची मुझे मस्त निगाहों से देखने लगीं और बोलीं- और करो ना..!

बस फिर क्या था.. मैंने उनके मम्मों के ऊपर किस किया और ज़ोर-ज़ोर से मम्मों को दबाते हुए उनके शरीर पर किस करने लगा। कुछ ही पल बाद मैं नीचे की तरफ आ गया और मैंने सीधे उनकी बादाम जैसी चुत को कपड़ों के ऊपर से ही छू लिया।

अपनी चुत पर मेरा स्पर्श पाते ही चाची के मुँह से एक ज़ोरदार चीख निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आशीष.. बहुत मजा आ रहा है.. उहुउ..
मैं बोला- चाची मेरा मुँह में लो ना!
चाची बोली- क्या लूँ मुंह में?
मैं बोला- मेरा पेनिस!
चाची बोली- आशीष, हिंदी में बोल ना! ऐसी बातें हिंदी में ज्यादा मजा देती हैं।
मैं बोला- चाची मेरा लंड चूस ले!
तो चाची बोलीं- पहले बाहर तो निकाल!

मैंने लंड बाहर निकाला तो चाची मेरे लंड को ऐसे चूसने लगीं, जैसे कुल्फ़ी चूसते हैं।

फिर मैं 69 की पोजीशन में आ गया और उनकी साड़ी पेटीकोट को उठा कर चूत को सहलाने लगा। उनकी चुत की महक पाते ही मैं सीधा चाची के मुँह में झड़ गया।

चाची मेरा पूरा वीर्य पी गईं। थोड़ी देर बाद चाची मुँह धोकर आईं और आशीष से सीधा ‘जानू..’ पर आते हुए बोलीं- जानू अब करेगा भी या नहीं?
तो मैंने- चाची का एक स्तन दबाते हुए कहा- करूँगा.. मेरी जान तुझे ज़रूर चोदूंगा।
वो उन्होंने अपने ब्लाउज में से मूड का डोटेड कंडोम निकाला और मुझसे बोला- तो ले पहले कंडोम पहन लो।
मैंने बोला- क्यों?
चाची बोलीं- लंबा टिकेगा तो मैं मजा ले पाऊँगी.. वरना क्या मतलब?

मैंने उनकी इच्छा देखते हुए कंडोम पहन लिया और चाची के कपड़े हटा कर उनके दोनों पैरों को फैला दिया।

चाची की चुत एकदम साफ थी.. मैंने दो मसनद उठा लिए और उनके दोनों पैरों को एक-एक तकिये पर रख दिए।

अब चाची बोलीं- सिर्फ चोदना है, चुत फाड़नी नहीं है.. आराम से करना!
मैंने एक फ्लाइंग किस किया, तो हँस कर बोलीं- ठीक है, जो तेरे मन में आए सो कर।

मैंने चाची की चुत पर लंड रखा और ज़ोर से एक धक्का लगा दिया, मेरा पूरा लंड एक बार में ही चाची की चूत में जड़ तक चला गया।
चाची के मुँह से एक लम्बी कराह निकल पड़ी- ओहऊ.. बहुत बड़ा है लंड है तेरा..!

मैं चाची को ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा, दस मिनट बाद ही चाची कहने लगीं- अब बस करो.. रहने दो..
मैं लंड निकाल कर खड़ा हो गया तो चाची हाँफते हुए बोलीं- तू तो घोड़े जैसा चोदता है.. देख मेरी चुत लाल हो गई है।
मैंने चाची से कहा- तो आप घोड़ी बन जाओ।

चाची घोड़ी बन गईं, मैंने कंडोम निकाल दिया और अब मेरा मन चाची की बड़ी सी गांड में पीछे से लंड डालने का हो गया था।

मैंने एक बार चाची से पूछा- चाची, मैं आपकी गांड मारना चाहता हूँ।
तो चाची बोलीं- हाँ पेल दे।

मैं चाची की गांड मारने को हुआ तो चाची खड़ी हो गईं और उठा कर एक दीवार में बनी अल्मारी से तेल की बोतल उठा लाईं।

उन्होंने पहले मेरे लंड की तेल से मालिश की और मैंने चाची की गांड पर तेल लगाया।

फिर मैंने चाची को घोड़ी बना कर उनकी गांड की ज़ोरदार चुदाई की.. चाची की गांड फट गई, वो कराहते हुए बोलीं- मेरी गांड तेरे चाचा ने भी कई बार मारी है.. पर वो भी इतनी बेरहमी से नहीं मारते, तूने तो मेरी गांड फाड़ ही डाली।

मैं लगा रहा और कुछ देर बाद चाची की गांड में ही झड़ गया। चाची का खुद का हाथ अपनी चुत में था तो वे भी झड़ गईं।

इसके बाद चाची मेरे लंड की जुगाड़ बन गईं और अब मैं महीने में कम से कम 20 बार चाची की चुत मार लेता हूँ।
चुत चुदाई के वक्त चाची खूब बातें करती हैं, हिंदी में सेक्स की बातें, हिंदी चुदाई की बातें करती हैं!

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