पड़ोसन भाभी की चूत चुदासी लंड की प्यासी

एक दिन जब मैं अपने घर से बाहर निकला तो मेरी एक फ्रेंड भाभी के पास खड़े होकर उनसे बात कर रही थी.
उसने मुझे देखा और मुझे बुलाया और कहा- तुम यहाँ कैसे?
मैंने कहा- हाँ.. मैं तो यहीं रहता हूँ.
उसने भाभी की ओर हाथ दिखाते हुए कहा- ये मेरी दीदी हैं.
मैंने कहा- अच्छा! लेकिन तुम इतने दिनों बाद यहाँ कैसे?
उसने कहा- हां यार, मैं बाहर थी.
फिर भाभी ने कहा- अरे अन्दर आ जाओ, आराम से बैठ के बात करो.

हम तीनों अन्दर चले आए और अन्दर जाकर सोफे पर बैठ कर बात करने लगे. तब तक भाभी ने चाय बनाई और हम बैठ के पी ही रहे थे कि मेरी फ्रेंड को कोई फ़ोन आ गया और वो बात करने बाहर चली गई.

इसके बाद मैं और भाभी बात करने लगे. मैंने पहले उनसे भईया के बारे में पूछना शुरू किया. तो भाभी ने बताया तुम्हारे भईया तो शहर के बाहर रहकर ही काम करते रहते हैं, मुझ पर तो ध्यान ही नहीं देते.
मैंने पूछा- इसके पहले कब आए थे भईया?
तो उन्होंने बताया कि दो महीने पहले आए थे.

मुझे समझ आ गया कि मतलब भाभी दो महीने से नहीं चुदी हैं, ये तो गलत बात है. ऐसे तो भाभी की जवानी बर्बाद हो जाएगी मतलब अब मुझे ही कुछ करना होगा.

कुछ देर बाद हम तीनों अपने अपने काम में व्यस्त हो गए.

उस दिन से मेरा भाभी की तरफ विशेष ध्यान रहने लगा. मुझे एक हसीन सी चुत की जुगाड़ दिखने लगी थी.

अब जब भी भाभी छत पर कपड़े डालने आती थीं तो मैं भाभी को देखता रहता था और कभी कभी बात भी कर लिया करता था.

मैंने एक दिन भाभी से पूछा- आपकी भईया से बात हुई.. कब तक आ रहे हैं वो?
तो भाभी ने कहा- अभी आने का तो कुछ नहीं बताया. मैं तो बस यूं ही इन्तजार करती रहती हूँ.

मैंने मन में सोचा कि आपने पूरा नहीं बोला भाभी कि किसका इन्तजार करती रहती हो.. इसका मतलब ये भी हुआ कि आपको लंड का इन्तजार रहता है, अब वो चाहे मेरा हो या भैया का हो.
मुझे लगा रास्ता साफ़ है और फिर मैंने कहा- भाभी अगर कोई भी काम हो तो मुझे बता देना.
भाभी ने लपक कर कहा- हाँ ठीक है.. तुम भी आते जाते रहा करो.. मन लगा रहता है.

अब मैंने रोज़ भाभी के घर जाना शुरू कर दिया और भाभी भी मुझसे खूब हंस हंसकर बातें करने लगी थीं.

कभी कभी भाभी जब मुझे चाय का कप देती थीं, तो वो मेरा हाथ छुआ करती थीं. मैं सोच में पड़ जाता था कि मैं भाभी को पटा रहा हूँ कि भाभी मुझे सैट कर रही हैं. लेकिन जो भी हो रहा था, उसमें मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.

मैं अब अक्सर यही सोचता रहता था कि भाभी को चोदने के लिए मनाऊं कैसे?

एक दिन मैं ऐसे ही भाभी के घर के सामने से निकला तो भाभी ने मुझसे कहा- क्यों आज नहीं आओगे अपनी भाभी से मिलने?
मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसा नहीं है.
भाभी ने कहा- तो ठीक है फिर आओ बैठो, मैंने चाय भी बनाई है.

मैं झट से उनके घर में अन्दर चला गया और चाय पीने लगा. मैं चाय पीते हुए भाभी से बात करने लगा. भाभी ने आज अपना पल्लू कुछ ढलकाया हुआ था जिससे उनकी चूचियों के दीदार हो रहे थे. इससे मुझे लगा कि मेरा लंड खड़ा हो रहा है. मैं अपने लंड को पैर से छुपाने लगा.

तभी भाभी मेरे सामने आईं और लंड को फूलते हुए देख कर कहने लगीं- क्या कोई प्रॉब्लम है?
मैंने झेंपते हुए और लंड को दबाते हुए कहा- न..नहीं तो भाभी.
फिर भाभी ने बदस्तूर लंड को घूरते हुए कहा- अच्छा एक बात बताओ.. तुम्हें सेक्स के बारे में तो पता ही होगा?
मैंने कहा- हाँ.
भाभी- क्या तुमने कभी किया है?
मैं भाभी की इस बात पर शांत हो गया. भाभी ने मेरी जांघ पर हाथ रखते हुए कहा- शर्माओ नहीं.
मैंने कहा- हाँ.. लेकिन सिर्फ दो बार.
फिर भाभी ने पूछा- कितना समय पहले किया था?
मैंने कहा- एक साल पहले.
भाभी ने पूछा- और क्या अब भी तुम्हारा मन होता है करने का?
मैंने कहा- हाँ.

मैं मन ही मन समझ रहा था कि भाभी मुझे कहाँ ले जाना चाहती हैं, तो मैंने बातें जारी रखी.

फिर मैंने भाभी से सीधा पूछा- आपका क्या हाल है भाभी?
भाभी ने कहा- बस तुम्हारे भईया आएं तो मेरी प्यास बुझे.
मैंने कहा- अच्छा.. सिर्फ भैया.. कोई और साधन नहीं है?
भाभी ने कहा- किस लिए?
मैंने- प्यास बुझाने के लिए?
तो भाभी ने गहरी सांस लेते हुए कहा- कौन मेरा सहारा बनेगा?
मैंने कहा- भाभी मैंने आपको एक बात बोली थी.. अगर कोई भी काम हो तो मुझे बुला लेना, कोई भी.
भाभी ने कहा- हाँ काम तो है.
मैंने पूछा- क्या?
भाभी ने आँख मारते हुए कहा- यहाँ आओ.

मैं जाकर भाभी के पास बैठ गया और भाभी की आँखों में देखने लगा.
भाभी ने कहा- अगर तुम्हारे भईया को पता चला तो?
मैंने कहा- कौन बताएगा? ना मैं बताऊंगा ना आप.

भाभी ने बिलकुल देर नहीं की और मेरे होंठों को चूमने लगीं. मुझे लगा बस मेरा मिशन सफल हुआ लेकिन फ़तेह अभी बाकी थी.

मैंने भाभी को किस करना शुरू कर दिया. अब हम दोनों एक दूसरे को किस करे जा रहे थे और कभी किस करते भाभी पीछे हो रही थीं, तो कभी मैं पीछे हुआ जा रहा था क्योंकि दोनों तरफ आग बराबर लगी थी.

फिर मैंने भाभी को कहा- भाभी लेकिन मेरे पास तो कंडोम है ही नहीं, आपको दो मिनट रुकना पड़ेगा, मैं लेकर आता हूँ.
मैं जैसे ही उठा तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- रुको जानेमन.. मेरे पास सब इंतज़ाम है.

भाभी मुझे अन्दर लेकर गई और कंडोम निकल कर मुझे दिखाया और कहा- ये है, इसको लो.. लेकिन बीच में छोड़ के कभी मत जाना.

फिर मैंने भाभी की कमर में हाथ डाल कर अपनी तरफ खींचा तो भाभी एकदम से सिहर सी गईं और ‘इस्स्स्स.. स्सस्स..’ की आवाज़ की.
मैं भाभी के ब्लाउज के हुक खोलने लगा लेकिन मुझसे खुले नहीं तो भाभी ने खुद ही हुक खोल दिए.
मैंने कहा- अब ब्रा भी उतार ही दो..

तो भाभी ने ब्रा भी खोल दी. भाभी के दूध मीडियम साइज़ के थे और निप्पल काले थे. भाभी का ऊपर का फिगर बहुत मस्त लग रहा था. मैंने भाभी के दूध दबाना शुरू कर दिया और भाभी के गले को चूमने लगा. भाभी को भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो धीरे धीरे ‘अआहह्ह्ह आह्ह्हह्ह..’ कर रही थीं.

मैं फिर भाभी को चूमते हुए उनके दूध तक पहुँच गया और उनके दूध चूसने लगा. भाभी अब मेरे सिर पर हाथ फिराने लगीं और कहने लगीं- आह.. और ज़ोर से चूस लो जान.

मैंने भाभी के दूध को और जमके चूसना शुरू कर दिया और उनके निप्पलों को अपने दांत से पकड़ के खींचने लगा. मैंने भाभी के निप्पलों को जीभ से टुनयाया तो भाभी हंसने लगीं और कहने लगीं मत करो.. गुदगुदी हो रही है.
मैंने कहा- भाभी अब आपकी बारी.

भाभी नीचे झुकीं और मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरा लंड पकड़ के कहा- अब से ये मेरा हुआ.
फिर भाभी ने मेरी पैन्ट खोली और मेरा लंड बाहर निकल कर हाथ में पकड़ कर कहा- ये तो तुम्हारे भईया से बड़ा है.
इतना कह कर भाभी ने लंड मुँह में डाल लिया. फिर भाभी ने मेरा लंड चूसा और फिर दोनों हाथ से पकड़ कर हिलाने लगीं.

मैंने भाभी को उठाया और उनकी अधखुली साड़ी पूरी उतार दी और पेटीकोट भी खोल दिया.
मैंने देखा कि भाभी ने पैंटी पहनी ही नहीं थी. भाभी की चूत एकदम शेव की हुई और चिकनी सपाट थी. मैंने चूत को मसलते हुए कहा- मतलब आज चुदने का प्लान था.

फिर मैंने भाभी को बैठा दिया और उनकी चूत में उंगली करने लगा.
दो पल बाद ही भाभी ने कहा- उंगली नहीं.. अब इसमें अपना लंड डालो.
मैं उठा और अपने लंड पे कंडोम लगा कर भाभी की चूत पर रख दिया.

भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत के छेद में डाल दिया. मैंने भाभी को चोदना शुरू कर दिया. भाभी की मादक कराहें निकलने लगीं- आहा ह्ह्ह्ह आह्ह ह्ह्ह ऊह्ह्ह ह्ह… ये बहुत बड़ा है..
थोड़ी देर में भाभी को भी मज़ा आने लग गया और भाभी ने मुझे अपने लिटा कर मेरे लंड के ऊपर बैठ कर गांड उचकाने लगीं.

इस तरह हमने 20 मिनट तक घमासान चुदाई की और फिर मेरा मुट्ठ निकल गया.

इसके कुछ देर बाद मैंने थोड़ी देर तक भाभी से अपना लंड चुसवाया और जब मेरा लंड वापस तन गया तो मैंने फिर से भाभी को चोदा.

उस दिन हम दोनों ने 3 बार चुदाई की.

उसके बाद मैंने भाभी को बहुत बार चोदा. एक दिन जब मैं भाभी को चोद रहा था, तभी उनकी बहन यानि मेरी फ्रेंड आ गई. उसकी चुदाई की कहानी अगली बार लिखूंगा.

आपको ये मदमस्त चुदाई की कहानी कैसी लगी, बताने के लिए मुझे मेल जरूर करें, मेरी मेल आईडी है.
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