मार्च 2015 की लोकप्रिय कहानियाँ

उफ्फ्फ यह अदा… ऐसे अदा तब दिखाई देती है जब आपकी प्रेमिका आपसे इस बात पर नाराज़ हो कि आपने उसके अलावा किसी और की तरफ देखा ही क्यूँ…!! वैसे इस नाराज़गी में ढेर सारा प्यार छुपा होता है…

‘अच्छा, वहाँ खूबसूरत लड़कियाँ भी थीं… मुझे तो बस एक ही नज़र आ रही थी… और मैंने तो वो ग़ज़ल भी बस उसी के लिए गाया था.’ मैंने भी उसे प्यार से देखते हुए कहा और मुस्कुरा दिया।

‘झूठे… जाइए, कोई बात नहीं करनी मुझे आपसे…’ वंदना ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा और अपना मुँह बना लिया बिल्कुल रूठे हुए बच्चों की तरह।

तभी जोर से बिजली कड़की… बस होना क्या था, चीखती हुई वो हमसे लिपट गई…

‘हा हा हा हा… डरपोक !!’ मैंने हंसते हुए धीरे से उसे अपनी बाहों में कसते हुए कहा।

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खाली दिमाग शैतान का घर

जैसे ही मेरी बहन की स्नातकी पूरी हुई तो उसने मम्मी-पापा को बताया कि उसे मुंबई की किसी कंपनी में नौकरी मिल गई है मगर मम्मी ने मना कर दिया और वो मुंबई नहीं जा पाई जिसका उसे बहुत अफ़सोस था।
इसी कारण वो मम्मी-पापा से जुदा-जुदा सी रहने लगी।

उसकी कुछ सहेलियाँ थी जो कि बहुत ही आजाद ख्याल की थी, श्वेता भी उनकी तरह बनना चाहती थी।

मैंने कई बार श्वेता की बातें छुपकर सुनी, मैंने पाया वो ज्यादातर अपनी सहेलियों के साथ ही बातें करती थी।

कुछ दिन बीत गए और लगातार पोर्न वीडियो देखने के कारण मेरा दिमाग भटकने लगा और मैं इधर-उधर रंडियों की तलाश करने लगा।

मैं किसी तरह चाहता था कि कोई लड़की मुझसे चुद जाए मगर मेरी जेब में पैसे भी नहीं थे क्योंकि मैं बेरोजगार था।

मेरी ठरक इतनी बढ़ गई कि अब मैं श्वेता को ही रंडियों की नजर से देखने लगा। अगर वो थोड़ा भी घर पर देर से आती तो मुझे लगता जरूर इसका चक्कर है और यह बाहर से चुद कर आ रही है।

कई बार मुझे खुद लगता कि मैं क्या सोच रहा हूँ, वैसे मेरी बहन बहुत सुन्दर है, गदराया हुआ बदन, होंठ गाल सेब की तरह से लाल, जब चलती थी तो चूतड़ मटका-मटका कर… साली के चूतड़ देखकर मेरा तो लौडा भी खड़ा हो जाता था।

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पर पुरुष समर्पण-3

अब मैंने सन्तान सुख की इच्छा पूरी करने की योजना बनाई।

इस बार जब मेरे पति घर आए तो मैंने येन केन प्रकारेण उन्हें सम्भोग के लिये राजी कर लिया और उनके दो दिन के ठहराव में मैं उनसे तीन बार सम्भोग करने में सफ़ल रही।

पति के जाते ही शचित ने तीन दिन की छुट्टी ली और हमने उन तीन दिन में 10-12 बार असुरक्षित सम्भोग किया ताकि मैं गर्भ धारण कर सकूँ।

उसके बाद भी हम नियमित सेक्स करते रहे और जब ड्यू डेट पर मेरा मासिक धर्म नहीं हुआ तो मेरे अन्दर खुशी की लहर दौड़ गई।

मैंने तुरन्त अपने ओनलाईन मित्र से आगे की सलाह मांगी तो उन्होंने मुझे 15 दिन के बाद गर्भ जांच कराने की सलाह दी, साथ ही यह हिदायत भी दी कि मैं तुरन्त अपने पति को समय पर माहवारी ना आने की सूचना दे दूँ।

मैंने ऐसा ही किया और 15 दिन बाद जब मैंने गर्भ जांच कराई तो डॉक्टर ने मुझे खुश खबरी सुना ही दी।

मैंने तुरन्त यह खबर अपने पति को फ़ोन करके बताई और उसके बाद शचित जी को भी यह खुशखबरी सुनाई।
उसके बाद डॉक्टर और अपने मित्र की सलाह से हमने सम्भोग मे एहतियात बरतनी शुरू कर दी।

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दैया यह मैं कहाँ आ फंसी

अभी हम कर ही रहे थे कि दरवाजे से राकेश भी बिल्कुल नंग धड़ंग, लण्ड अकड़ाये अंदर आ गया।

मैं एकदम से हैरान रह गई और उठ कर बैठने लगी तो महेश बोला- भाभी बुरा मन मानना, हम दोनों भाई जो भी करते हैं, एक साथ ही करते हैं।

अब मैं बिल्कुल नंगी, अपने एक देवर का लण्ड चूत में लिए लेटी, दूसरे को क्या मना करती, वो भी पास आया और अपना लण्ड चुपचाप मेरे हाथ में पकड़ा कर मेरे स्तनों से खेलने लगा।

जब मेरी तरफ से कोई विरोध न हुआ तो वो उठ कर मेरी छतियों पे बैठ गया और अपना लण्ड उसने मेरे मुँह में घुसा दिया, जिसे मैंने चूसना शुरू कर दिया।

अब मेरे चारों होंठों में लण्ड घुसे थे, एक लण्ड ऊपर के होंठों में और एक लण्ड नीचे के होंठों में।

मैं दोहरी चुदाई का मज़ा ले रही थी।

महेश बोला- बस भाभी, मेरा होने वाला है, कहाँ छुड़वाऊँ?

मैंने कहा- अंदर ही चलने दे…

फिर क्या था, एक मिनट बाद मेरी चूत उसके वीर्य से भरी पड़ी थी।

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जीना इसी का नाम है-4

अनीता ने अपने वक्ष पर मेरा चेहरा भींच लिया, मैं अपने नाक और होंठ उसके उभारों पर घुमा रहा था, तभी अनीता ने एक हाथ से अपना स्तन पकड़ा और उसका निप्पल मेरे मुख में डाल दिया।
मैं समझ गया कि वो क्या चाहती है।

मैंने बारी उसके चूचुक खूब चूसे, तभी बिजली चमकी मैंने देखा उसके उरोज ऐसे थे मानो संगमरमर के दो नरम टुकड़े जिस पर हल्के गुलाबी रंग की निप्पल लगी थी।

अब अनीता को मैंने चित लेटा दिया और उसकी जींस का बेल्ट और बटन खोल दिया, फिर उसकी जिप नीचे करते गया फिर जींस नीचे खिसकानी शुरू कर दी।

वो पैर मोड़ कर व हिला कर जींस उतारने में पूरा सहयोग कर रही थी।

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