बहन का लौड़ा -45

राधे ने लौड़े को छेद पर रखा और ज़ोर से धक्का मारा..
ममता- ओई.. मर गई रे एयेए..
राधे- क्यों ममता रानी.. अभी तो आधा लौड़ा गाण्ड में गया और तू चिल्लाने लगी.. अभी देख.. कैसे पूरा लौड़ा एक ही बार में अन्दर घुसता हूँ.. तब चीखना.. जितना मन करे..
ममता- आह्ह.. ओई.. इतने बेदर्द मत बनो.. मेरे राजा.. आह्ह.. आराम से भी तो डाल सकते हो.. आह्ह.. मीरा की गाण्ड भी ऐसे ही मारी थी क्या… आह्ह..

राधे- नहीं जानेमन उसकी गाण्ड तो बड़े प्यार से घी लगा कर मारी थी.. मगर मेरा दिल था कि तेरी गाण्ड मारने के समय में जंगली बन जाऊँ और तेरी गाण्ड को फाड़ दूँ।

अब आगे:

ममता दर्द के मारे कराह रही थी.. तभी राधे ने एक और झटका मारा और पूरा लौड़ा गाण्ड की घाटी में घुस गया।
ममता- आह… आईईइ उई.. नहीं.. आह्ह.. बहुत दर्द.. आह्ह.. हो रहा है… उईई उइ.. रूको.. आह्ह.. निकाल लो.. आह्ह.. उइई..
ममता दर्द के मारे आगे को सरकना चाहती थी.. मगर राधे ने मजबूती से उसकी कमर को पकड़ रखा था।
राधे- आह्ह.. मज़ा आ गया.. साली क्या मस्त गाण्ड है तेरी.. आह्ह.. बहुत टाइट है.. ले आह्ह.. संभाल आह्ह..
ममता- उइई.. आह.. नहीं ओह्ह.. मर गई रे.. आह्ह.. उफ़..
पन्द्रह मिनट तक राधे दे पटापट.. दे पटापट.. ममता की गाण्ड को पेलता रहा और ममता कराहती रही।

अब लौड़ा गाण्ड में अपनी जगह बराबर बना चुका था। ममता को थोड़ा दर्द कम हो गया था.. अब वो भी उत्तेजित हो गई थी। वो कूल्हे हिला कर गाण्ड मरवाने लगी थी।
दस मिनट तक और राधे उसको चोदता रहा और आख़िर उसका लौड़ा गाण्ड की गहराई में झड़ गया।
राधे ने जल्दी से लौड़ा बाहर निकाल लिया.. ममता को सीधा किया और उसके मुँह में लौड़ा घुसा दिया।

राधे- चूस ममता रानी.. आह्ह.. आख़िरी बूँद तक चाट ले लौड़े को.. आह्ह.. आज मज़ा आ गया.. तेरी गाण्ड बहुत टाइट थी रे… आह्ह.. एक बार और मारूँगा.. तब सुकून आएगा आह्ह..

ममता ने लौड़े को चाट कर साफ कर दिया और बेहाल सी होकर बिस्तर पर लेट गई। उसकी साँसें तेज़ी से चल रही थीं.. जैसे मीलों भाग कर आई हो।

राधे- क्या हुआ ममता रानी.. थक गईं क्या.. या मज़ा नहीं आया?
ममता- आप थकने की बात करते हो.. आह्ह.. मेरी तो जान निकल गई.. उफ़.. गाण्ड का हाल बिगड़ गया।
राधे- मेरी ममता.. शुरू में तो दर्द होता ही है.. तेरे को बाद में मज़ा आएगा ना..
ममता- अच्छा रात को मीरा को तो बड़े प्यार से घी लगा कर चोदा और मुझे इतना दर्द देकर.. ऐसी नाइंसाफी क्यों की आपने?

राधे- अरे मेरी ममता रानी.. मीरा अभी छोटी है.. उसको ज़्यादा तड़पाना ठीक नहीं.. तुम तो शादीशुदा हो.. तुम्हारी चाल बिगड़ भी गई तो कोई शक नहीं करेगा.. मगर ममता तो स्कूल जाती है.. उसको कैसे दर्द दे सकता हूँ।

ममता- ठीक है.. ठीक है.. मगर आपने पानी को गाण्ड में क्यों निकाल दिया.. उससे तो बच्चा कभी नहीं होगा।
राधे- मेरी जान.. हर बार पानी चूत में जाए.. ये कोई जरूरी नहीं.. मेरे ख्याल से पहली बार.. जो गया.. वो काफ़ी है.. एक महीने बाद पता चल जाएगा।
ममता- नहीं.. मैं कुछ नहीं जानती.. जब तक मुझे पता ना चल जाए कि मैं माँ बनने वाली हूँ.. तुम रोज मुझे चोदोगे और पानी चूत में ही निकालोगे..
राधे- ठीक है मेरी जान.. ऐसी बात है.. तो अभी फिर से आ जा.. अभी तेरी चूत को पानी से भर देता हूँ.. आ जा मेरी रानी..

राधे ने ममता को बाँहों में ले लिया और उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। उसकी चूत पर लौड़ा रगड़ने लगा और दोनों प्यार की दुनिया में खो गए।
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दोस्तो, अब बार-बार एक ही बात को क्या बताऊँ.. इनके बीच अब क्या होगा.. ये आप अच्छी तरह जानते हो.. तो चलो आपको यहाँ से आगे फास्ट फॉरवर्ड करके बताती हूँ।

राधे और ममता जब उत्तेजना की आग में जलने लगे.. तो राधे ने ममता को लेटा कर खूब चोदा.. उसकी चूत को पानी-पानी कर दिया.. दोपहर तक राधे ने ममता की गाण्ड और चूत को मार-मार कर लाल कर दिया था, वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।

चुदाई के बाद ममता ने कपड़े पहन लिए.. मगर उसमें ज़रा भी हिम्मत नहीं थी कि वो खाना बना सके.. इसलिए वो बस बिस्तर पर पड़ी रही और मजबूरन राधे को खाना लाने के लिए बाहर जाना पड़ा।

दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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